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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 05 Sep, 2024
  • 27 min read
प्रारंभिक परीक्षा

पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान, RHUMI-1

स्रोत : द हिंदू

चर्चा में क्यों?

भारत ने हाल ही में अपना पहला पुन: प्रयोज्य (Reusable) हाइब्रिड रॉकेट, RHUMI-1 लॉन्च किया, जिसे तमिलनाडु स्थित स्टार्ट-अप स्पेस ज़ोन इंडिया द्वारा विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर अनुसंधान के लिए डेटा एकत्र करना है।

  • 3 क्यूब सैटेलाइट और 50 PICO सैटेलाइट ले जाने वाले इस रॉकेट को मोबाइल लॉन्चर का उपयोग करके उपकक्षीय प्रक्षेप-पथ (suborbital trajectory) में लॉन्च किया गया।

नोट:

  • क्यूब सैटेलाइट नैनो सैटेलाइट होते हैं, जिनका वज़न 1 से 10 किलोग्राम के बीच होता है।
  • पिको सैटेलाइट छोटे सैटेलाइट होते हैं, जिनका वज़न 0.1 से 1 किलोग्राम तक होता है।

RHUMI-1 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • हाइब्रिड प्रणोदन प्रणाली: RHUMI-1 ठोस और तरल प्रणोदक दोनों को एकीकृत करता है, जिससे दक्षता बढ़ती है एवं परिचालन लागत कम होती है।
  • एडजस्टेबल लॉन्च एंगल: इंजन 0 से 120 डिग्री तक के एडजस्टेबल एंगल के साथ सटीक प्रक्षेप पथ नियंत्रण की अनुमति देता है।
  • इलेक्ट्रिकली ट्रिगर पैराशूट सिस्टम: इसमें उन्नत और पर्यावरण के अनुकूल अवरोही तंत्र (descaling mechanism) है, जो रॉकेट घटकों की सुरक्षित रिकवरी सुनिश्चित करता है, जिससे लागत-प्रभावशीलता तथा पर्यावरणीय लाभ दोनों मिलते हैं।
  • पर्यावरण के अनुकूल: यह पूरी तरह से पायरोटेक्निक्स (आतिशबाज़ी) और TNT (ट्रिनिट्रोटोल्यूइन) से मुक्त है, जो विस्फोटकों में प्रयोग होने वाला एक गंधहीन पीला ठोस पदार्थ है, जो स्थिरता के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को उजागर करता है।

नोट: 

  • डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम छात्र उपग्रह प्रक्षेपण मिशन: वर्ष 2023 में इस मिशन में भारत के सरकारी, आदिवासी और पब्लिक स्कूलों के 2,500 से अधिक छात्र शामिल थे, जिन्होंने एक ऐसे रॉकेट के डिज़ाइन और निर्माण में भाग लिया, जो अनुसंधान प्रयोगों के लिये 150 PICO उपग्रहों को ले जा सके।

पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (RLV) क्या हैं?

  • परिचय:
    • पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (RLV) ऐसे अंतरिक्ष यान हैं, जिन्हें कई बार प्रक्षेपित, पुनर्प्राप्त और पुनः प्रक्षेपित करने के लिए विकसित किया गया है।
  • लाभ:
    • लागत बचत: प्रत्येक लॉन्च के लिये एक नया रॉकेट बनाने की तुलना में 65% तक सस्ता है ।
    • अंतरिक्ष मलबे को कम करता है: अनुपयोगी रॉकेट घटकों को कम करके।
    • लॉन्च की आवृत्ति में वृद्धि: कम समयावधि के कारण रॉकेट का उपयोग अधिक बार किया जा सकता है।
  • मल्टी-स्टेज रॉकेट से अलग:
    • एक सामान्य मल्टी-स्टेज रॉकेट में वज़न कम करने के लिये ईंधन समाप्त होने के बाद पहले चरण को त्याग दिया जाता है, जिससे शेष चरण पेलोड को कक्षा में आगे बढ़ाना जारी रख सकते हैं।
    • हालांकि RLV पहले चरण को पुनर्प्राप्त और पुन: उपयोग करते हैं। ऊपरी चरणों से अलग होने के बाद पहला चरण नियंत्रित लैंडिंग के लिये इंजन या पैराशूट का उपयोग करके वापस पृथ्वी पर लैंड करता है।

और पढ़ें: पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान-प्रौद्योगिकी

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रमोचित करने वाले वाहनों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. PSLV से वे उपग्रह प्रमोचित किये जाते हैं जो पृथ्वी संसाधनों के मानिटरन उपयोगी हैं जबकि GSLV को मुख्यतः संचार उपग्रहों को प्रमोचित करने के लिये अभिकल्पित किया गया है।
  2. PSLV द्वारा प्रमोचित उपग्रह आकाश में एक ही स्थिति में स्थायी रूप से स्थिर रहते प्रतीत होते हैं जैसा कि पृथ्वी के एक विशिष्ट स्थान से देखा जाता है।
  3. GSLV Mk III, एक चार स्टेज वाला प्रमोचन वाहन है, जिसमें प्रथम और तृतीय चरणों में ठोस रॉकेट मोटरों का तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरणों में द्रव रॉकेट इंजनों का प्रयोग होता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) 2 और 3
(c) 1 और 2
(d) केवल 3

उत्तर: (a)


प्रारंभिक परीक्षा

23वें विधि आयोग का गठन

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विधि एवं न्याय मंत्रालय ने 1 सितंबर, 2024 से 31 अगस्त, 2027 तक तीन वर्ष की अवधि के लिये 23वें विधि आयोग का गठन किया है।

23वें विधि आयोग के विषय में मुख्य विवरण क्या हैं?

  • अधिदेश: वर्ष 2020 में गठित 22वें विधि आयोग के संदर्भ की शर्तों केअनुसार, नवगठित पैनल को राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के आलोक में वर्तमान कानूनों का आकलन करने का कार्य सौंपा गया है।
  • संदर्भ की शर्तें:
    • राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के संबंध में मौजूदा कानूनों की जाँच करना तथा निदेशक सिद्धांतों और संवैधानिक प्रस्तावना के उद्देश्यों के अनुरूप सुधार का सुझाव देना।
    • खाद्य सुरक्षा और बेरोज़गारी पर वैश्वीकरण के प्रभाव की जाँच करना। 
    •  हाशिये पर पड़े लोगों के हितों की सुरक्षा के लिये उपायों की सिफारिश करना।
    • न्यायिक प्रशासन की समीक्षा करना तथा उसे और अधिक उत्तरदायी व कुशल बनाने के लिये उसमें सुधार करना।
      • इसका उद्देश्य विलंब को कम करना, उच्च न्यायालय के नियमों को सरल बनाना और केस प्रवाह प्रबंधन ढाँचा स्थापित करना।

विधि आयोग क्या है?

  • परिचय: यह विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार की अधिसूचना के माध्यम से कानूनी सुधारों के लिये कानून के क्षेत्र में अनुसंधान करने के लिये गठित एक गैर-सांविधिक निकाय है।
    • विधि आयोग एक निश्चित कार्यकाल के लिये स्थापित किया जाता है और विधि एवं न्याय मंत्रालय के लिये एक सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करता है।
  • विधि आयोग का इतिहास: प्रथम विधि आयोग की स्थापना चार्टर अधिनियम, 1833 के तहत वर्ष 1834 में लॉर्ड मैकाले की अध्यक्षता में की गई थी।
    • इसने भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता के संहिताकरण की सिफारिश की।
    • इसके बाद क्रमशः 1853, 1861 एवं 1879 में दूसरे, तीसरे तथा चौथे विधि आयोग का गठन किया गया।
    • भारतीय सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908, भारतीय संविदा अधिनियम, 1872, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 और संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 पहले चार विधि आयोगों द्वारा निर्मित किये गये थे।
  • स्वतंत्रता के बाद विधि आयोग का गठन: भारत सरकार ने वर्ष 1955 में स्वतंत्र भारत के पहले विधि आयोग की स्थापना की, जिसके अध्यक्ष भारत के तत्कालीन महान्यायवादी श्री एम. सी. सीतलवाड़ थे।
    • तब से अब तक 23 विधि आयोग गठित किये जा चुके हैं, जिनमें से प्रत्येक का कार्यकाल तीन वर्ष का है।
  • विधि आयोग के कार्य:
    • अप्रचलित कानूनों की समीक्षा/निरसन: अप्रचलित और अप्रासंगिक कानूनों की पहचान करना तथा उन्हें निरस्त करने की सिफारिश करना।
    • कानून और गरीबी: गरीबों को प्रभावित करने वाले कानूनों की जाँच करना और सामाजिक-आर्थिक कानून का पश्च-लेखा-परीक्षण (post-audit) करना।
    • नए कानूनों का प्रस्ताव: निदेशक सिद्धांतों को लागू करना और प्रस्तावना के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये नए कानूनों का प्रस्ताव करना।
    • न्यायिक प्रशासन: सरकार द्वारा संदर्भित कानून और न्यायिक प्रशासन के मुद्दों पर समीक्षा करना तथा सिफारिशें करना।
  • महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट: भारतीय विधि आयोग ने अब तक विभिन्न मुद्दों पर 289 रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं, जिनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट इस प्रकार हैं:
    • रिपोर्ट संख्या 283 (सितंबर, 2023): यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत सहमति की आयु।
    • रिपोर्ट संख्या 271 (जुलाई 2017): मानव DNA प्रोफाइलिंग।
    • रिपोर्ट संख्या 273 (अक्तूबर 2017): यातना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का कार्यान्वयन।
    • रिपोर्ट संख्या 274 (अप्रैल 2018): न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की समीक्षा


प्रारंभिक परीक्षा

शिक्षक दिवस- 2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने 5 सितंबर, 2024 को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888-1975) की जयंती के अवसर पर शिक्षक दिवस मनाया।

  • इस दिन भारत के राष्ट्रपति शिक्षकों को सम्मानित करने, समाज को सशक्त बनाने और शिक्षित करने में उनके योगदान को मान्यता देने के लिये राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (NTA) प्रदान करते हैं।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • जन्म: उनका जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तनी में एक तेलुगु परिवार में हुआ था।
  • शैक्षणिक उपलब्धियाँ: उन्होंने कई प्रतिष्ठित पदों पर कार्य किया। वे वर्ष 1921 से 1932 तक कलकत्ता विश्वविद्यालय में किंग जॉर्ज पंचम चेयर, वर्ष 1931 से 1936 तक आंध्र विश्वविद्यालय के द्वितीय कुलपति और 1939 से 1948 तक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के चौथे कुलपति रहे।
    • इसके अतिरिक्त वर्ष 1936 से 1952 तक वह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पूर्वी धर्म और नीतिशास्त्र के प्रोफेसर थे।
  • राजनीतिक करियर: वे भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति (वर्ष 1952-62) और बाद में भारत के द्वितीय राष्ट्रपति (वर्ष 1962-67) बने।
  • दार्शनिक: दार्शनिक क्षेत्र में व्यापक रूप से उन्हें भारत और पश्चिम के बीच एक ‘सेतु-निर्माता’ के रूप में जाना जाता है।
    • उन्होंने हिंदू धर्म का बचाव उस “अज्ञानी पश्चिमी आलोचना” के विरुद्ध किया, जिससे वैश्विक स्तर पर धर्म की अधिक सूक्ष्म समझ स्थापित करने में मदद मिली।
  • सम्मान: वर्ष 1954 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
    • वर्ष 1931 में उनकी उल्लेखनीय शिक्षा के लिये उन्हें ब्रिटेन के पूर्व राजा किंग जॉर्ज पंचम द्वारा नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार क्या है?

  • NTA के बारे में: राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (National Teachers’ Award- NTA) स्थापना शिक्षकों के अद्वितीय योगदान का उत्सव मनाने और उन्हें सम्मानित करने के लिये की गई थी, जिन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है और छात्रों के जीवन को समृद्ध बनाया है।
    • इसमें प्रमाण-पत्र, 50,000 रुपए का नकद पुरस्कार और एक रजत पदक दिया जाता है।
    • यह शिक्षा मंत्रालय द्वारा दिया जाता है। वर्ष 2024 में 82 शिक्षकों का चयन NTA के लिये किया गया था।
  • NTA के लिये शिक्षकों की पात्रता: मान्यता प्राप्त प्राथमिक/मध्य/उच्च/उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत स्कूल शिक्षक और स्कूल प्रमुख चयन हेतु पात्र हैं। उदाहरणतः राज्य सरकार/संघ शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा संचालित स्कूल, CBSE से संबद्ध स्कूल आदि।
    • केवल न्यूनतम दस वर्ष की सेवा वाले नियमित शिक्षक और स्कूल प्रमुख ही पात्र हैं।
  • NTA के लिये अयोग्यता: शिक्षक/प्रधानाध्यापक को निजी ट्यूशन उपलब्ध कराने में शामिल नहीं होना चाहिये।
    • संविदा शिक्षक और शिक्षा मित्र पात्र नहीं हैं। 
    • शैक्षिक प्रशासक, शिक्षा निरीक्षक और प्रशिक्षण संस्थानों के कर्मचारी इन पुरस्कारों के लिये पात्र नहीं हैं।
  • मूल्यांकन मानदंड: शिक्षकों का मूल्यांकन, मूल्यांकन मैट्रिक्स के आधार पर किया जाता है, जिसमें मूल्यांकन के लिये दो प्रकार के मानदंड होते हैं।
    • वस्तुनिष्ठ मानदंड: इसके अंतर्गत शिक्षकों को प्रत्येक वस्तुनिष्ठ मानदंड के लिये अंक दिये जाते हैं। इसे 100 में से 10 अंक दिये जाते हैं।
    • प्रदर्शन के आधार पर मानदंड: इसके अंतर्गत शिक्षकों को प्रदर्शन के आधार पर अंक दिये जाते हैं, जैसे अधिगम के परिणामों को बेहतर बनाने के लिये पहल, किये गए नए प्रयोग आदि। इन मानदंडों को 100 में से 90 अंक दिये जाते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. प्राचीन भारत के विद्वानों/साहित्यकारों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. पाणिनि पुष्यमित्र शुंग से संबंधित हैं।
  2. अमरसिंह हर्षवर्धन से संबंधित हैं।
  3. कालिदास चंद्रगुप्त-II से संबंधित हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न.निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के अनुसार, किसी राज्य में शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिये पात्र होने हेतु, किसी व्यक्ति को संबंधित राज्य अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता रखने की आवश्यकता होगी।
  2. RTE अधिनियम के अनुसार, प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ाने के लिये उम्मीदवार को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के दिशानिर्देशों के अनुसार आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है।
  3. भारत में 90% से अधिक शिक्षक शिक्षा संस्थान सीधे राज्य सरकारों के अधीन हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही है / हैं?

(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित गांधीवादी अनुयायियों में से कौन पेशे से शिक्षक थे? (2008)

(a) ए. एन. सिन्हा
(b) ब्रज किशोर प्रसाद
(c) जे. बी. कृपलानी
(d) राजेंद्र प्रसाद

उत्तर: (c)


रैपिड फायर

वर्ष 1866 का उड़ीसा अकाल और रेवेंशॉ विश्वविद्यालय का नाम परिवर्तन

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस 

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कटक में रेवेंशॉ विश्वविद्यालय का नाम परिवर्तित करने का सुझाव दिया है क्योंकि इसका नामकरण एक ब्रिटिश अधिकारी थॉमस एडवर्ड रेवेंशॉ के नाम पर किया गया था, जिसे वर्ष 1866 में उड़ीसा के अकाल को प्रबंधित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी थी, लेकिन उसके प्रबंधन में दस लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी।

  • वर्ष 1866 में उड़ीसा में आए अकाल को स्थानीय तौर पर "ना अंका दुर्भिक्ष्य" के नाम से जाना जाता है, जिसने तटीय ओडिशा को तबाह कर दिया था। इतिहासकार इस अकाल के लिये धान की फसल की विफलता, चावल आयात के लिये अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे और आपूर्ति शृंखला की विफलताओं को ज़िम्मेदार मानते हैं। 
    • इस अकाल में उड़ीसा की लगभग एक तिहाई आबादी की मृत्यु हो गई थी, जिसके कारण ब्रिटिश सरकार और ईसाई मिशनरियों ने लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिये 'अन्ना छत्र' खोले। बाद में हैजा और डायरिया से अनेक लोगों की मृत्यु हो गई।
  • वर्ष 1868 में एक छोटे से स्कूल के रूप में स्थापित रैवेनशॉ कॉलेज वर्ष 1876 में एक पूर्ण कॉलेज बन गया और इसका नाम बदलकर टी.ई. रैवेनशॉ के सम्मान में रखा गया। यह वर्ष 2006 में एक विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ तथा ओडिशा के शिक्षा एवं राजनीतिक क्षेत्रों में प्रमुख रहा है।
    • रेवेंशॉ ने ओडिशा में महिलाओं की शिक्षा का भी समर्थन किया, जिसके कारण कटक गर्ल्स स्कूल की स्थापना हुई, जिसका नाम बाद में बदलकर रैवेनशॉ हिंदू गर्ल्स स्कूल कर दिया गया।

रैपिड फायर

ऑपरेशन कवच 5.0

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में दिल्ली पुलिस ने मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई के तहत 'ऑपरेशन कवच-5.0' शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय राजधानी में बड़ी संख्या में गिरफ्तारियाँ और बरामदगी हुई।

  • इस अभियान ने कई तस्करों को भूमिगत तरीके से काम करने के लिये बाध्य कर दिया है, तथा वे बड़े पैमाने के बजाय कारों और रेलगाड़ियों के माध्यम से छोटे पैमाने पर माल परिवहन करने लगे हैं। तस्कर अब महिलाओं और बच्चों को प्रलोभन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं तथा शहर की सीमा के बाहर गोदाम बना रहे हैं।
  • ऑपरेशन कवच दिल्ली पुलिस द्वारा शुरू की गई एक प्रमुख मादक पदार्थ विरोधी पहल है, जिसका उद्देश्य ज़मीनी स्तर (Street-Level) से लेकर उच्च स्तर तक मादक पदार्थों की तस्करी पर ध्यान केंद्रित करना तथा मादक पदार्थों की तस्करी और वितरण में शामिल व्यक्तियों को पकड़ना है।
    • इसका उद्देश्य युवाओं और बच्चों पर मादक पदार्थों की लत के हानिकारक प्रभावों से निपटना है।
  • यह अभियान दिल्ली पुलिस की सभी ज़िला इकाइयों के समन्वय से शुरू किया गया। इस अभियान में अपराध शाखा, एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स (Anti-Narcotics Task Force- ANTF) भी  शामिल है।
  • मादक पदार्थों के खतरे के लिये भारत द्वारा की गई पहल: नशा मुक्त भारत अभियान (Nasha Mukt Bharat Campaign- NMBA), नशीली दवाओं की मांग में कमी हेतु राष्ट्रीय कार्य योजना और नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम, 1988 में अवैध तस्करी की रोकथाम।

और पढ़ें: मादक पदार्थों के उन्मूलन हेतु भारत के प्रयास


रैपिड फायर

एग्रीश्योर योजना

स्रोत: पी.आई.बी

हाल ही में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने नई दिल्ली में एग्रीश्योर/AgriSURE (स्टार्टअप और ग्रामीण उद्यमों के लिये कृषि कोष/Agri Fund for Start-ups & Rural Enterprises) योजना का अनावरण किया, जो भारत के कृषि परिदृश्य को बदलने में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।    

  • इस कार्यक्रम में एग्रीश्योर ग्रीनाथॉन पुरस्कार भी प्रदान किया गया, जिसमें शीर्ष तकनीक-संचालित कृषि स्टार्टअप्स को मान्यता दी गई।
  • एग्रीश्योर 750 करोड़ रुपए का एक अभिनव मिश्रित पूंजी कोष है, जो भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के साथ श्रेणी II वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) के रूप में पंजीकृत है, जिसमें भारत सरकार (250 करोड़ रुपए), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) (250 करोड़ रुपए) और निजी निवेशकों (250 करोड़ रुपए) का योगदान है। 
    • इसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी-संचालित, उच्च-जोखिम, उच्च-प्रभाव वाले उपक्रमों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एग्रीश्योर को कृषि और ग्रामीण स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में विकास को बढ़ावा देने तथा नवाचार को बढ़ावा देना है।
  • एग्रीश्योर ग्रीनथॉन पुरस्कारों ने कृषि-मूल्य शृंखला में किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिये तकनीक-केंद्रित समाधान विकसित करने वाले सबसे नवीन स्टार्ट-अप्स को मान्यता दी। 
    • विजेताओं में 2000 स्टार्ट-अप्स में से ग्रीन्सैपियो (विजेता), कृषिकांति (उपविजेता) और एम्ब्रोनिक्स (द्वितीय उपविजेता) शामिल हैं, जिनकी कुल पुरस्कार राशि 6 ​​लाख रुपए है।
  • कृषि-तकनीक से संबंधित पहल: डिजिटल कृषि मिशन (DAM), एग्रीस्टैक और एकीकृत किसान सेवा मंच

और पढ़ें: किसानों की आय बढ़ाने हेतु 7 नई योजनाएँ


रैपिड फायर

श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश पर्व

स्रोत: पी.आई.बी. 

हाल ही में प्रधानमंत्री ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाश पर्व (प्रकाश दिवस) के अवसर पर शुभकामनाएँ दीं।

  • प्रकाश पर्व: यह वर्ष 1604 में अमृतसर में नवनिर्मित स्वर्ण मंदिर में श्री गुरु ग्रंथ साहिब (जिसे आदि ग्रंथ साहिब भी कहा जाता है) के प्रथम प्रकाश (उद्घाटन समारोह) की स्मृति मे मनाया जाता है।
  • आदि ग्रंथ साहिब: आदि ग्रंथ का अर्थ है– ‘पहली पुस्तक’ जो गुरु अर्जन देव (10 गुरुओं में से 5वें) द्वारा वर्ष 1604 में रचित सिख धर्मग्रंथों का प्रारंभिक संकलन है।
    • आदि ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब का पहला संस्करण है, जो सिखों का पवित्र धर्म ग्रंथ है।
    • 10वें सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने वर्ष 1704 से 1706 के दौरान ग्रंथ में और पवित्र शब्द जोड़े।
      • वर्ष 1708 में अपने प्रस्थान से पूर्व उन्होंने आदि ग्रंथ को शाश्वत गुरु घोषित किया और सभी सिखों को गुरु ग्रंथ साहिब को अपना अगला व शाश्वत गुरु मानने का आदेश दिया। तब इसका नाम बदलकर श्री गुरु ग्रंथ साहिब कर दिया गया।
    • आदि ग्रंथ में कबीर, रविदास, नाम देव और शेख फरीद सहित 36 हिंदू तथा मुस्लिम लेखकों की रचनाएँ शामिल हैं।

और पढ़ें: सिख धर्म, गुरु ग्रंथ साहिब का स्वरूप, गुरु तेग बहादुर


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