नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 05 Jul, 2021
  • 12 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स : 05 जुलाई, 2021

प्रोजेक्ट बोल्ड : KVIC

Project BOLD: KVIC

हाल ही में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने राजस्थान के उदयपुर में निचला मांडवा (Nichla Mandwa) गाँव से "सूखे भू-क्षेत्र पर बाँस मरु-उद्यान" (BOLD) नामक एक परियोजना शुरू की।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC)

  • खादी और ग्रामोद्योग आयोग 'खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम-1956' के तहत एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ भी आवश्यक हो अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर खादी एवं ग्रामोद्योगों की स्थापना तथा विकास के लिये योजनाएँ बनाना, उनका प्रचार-प्रसार करना तथा सुविधाएँ एवं सहायता प्रदान करना है।
  • यह भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (Ministry of MSME) के अंतर्गत कार्य करता है।

प्रमुख बिंदु 

परिचय :

  • इस परियोजना के अंतर्गत विशेष रूप से असम से लाए गए बाँस की विशेष प्रजातियों- बंबुसा टुल्डा (Bambusa Tulda) और बंबुसा पॉलीमोर्फा (Bambusa Polymorpha) के 5,000 पौधों को  निचला मांडवा ग्राम पंचायत की 25 बीघा (लगभग 16 एकड़) खाली शुष्क भूमि पर लगाया गया है।
    • इस तरह KVIC ने एक ही स्थान पर एक ही दिन में सर्वाधिक संख्या में बाँस के पौधे लगाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
  • यह भारत में इस तरह का पहला अभ्यास है। यह परियोजना शुष्क व अर्द्ध-शुष्क भूमि क्षेत्रों में बाँस आधारित हरित पट्टी बनाने का प्रयास करती है। 
  • इसे 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर "आज़ादी का अमृत महोत्सव" मनाने के लिये  KVIC के "खादी बाँस महोत्सव" के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया है।

बाँस को चुनने का कारण:

  • यह बहुत तेज़ी से बढ़ता है और लगभग तीन वर्ष के समय में इसकी कटाई की जा सकती है।
  • बाँस को पानी के संरक्षण और भूमि की सतह से पानी के वाष्पीकरण को कम करने के लिये भी जाना जाता है, जो शुष्क और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है।

महत्त्व:

  • यह मरुस्थलीकरण को कम करेगा और आजीविका तथा बहु-विषयक ग्रामीण उद्योग में सहायता प्रदान करेगा।
  • यह सतत् विकास और खाद्य सुरक्षा के रूप में भी कार्य करेगा।

विस्तार:

  • KVIC इस साल अगस्त तक गुजरात के अहमदाबाद ज़िले के धोलेरा गाँव और लेह-लद्दाख में भी इसी तरह की परियोजना शुरू करने वाला है।
    • अगस्त 2021 से पहले कुल 15,000 बाँस के पौधे लगाए जाएंगे।

मरुस्थलीकरण से निपटने हेतु अन्य पहलें:


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 जुलाई, 2021

स्वामी विवेकानंद

04 जुलाई, 2021 को विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु ‘स्वामी विवेकानंद’ की 119वीं पुण्यतिथि मनाई गई। 12 जनवरी, 1863 को तत्कालीन ‘कलकत्ता’ (बंगाल प्रेसीडेंसी) में जन्मे स्वामी विवेकानंद को बचपन में नरेंद्र नाथ दत्त के नाम से जाना जाता था। स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था, रामकृष्ण परमहंस से स्वामी विवेकानंद की मुलाकात वर्ष 1881 में ऐसे समय में हुई थी जब विवेकानंद एक आध्यात्मिक संकट के दौर से गुज़र रहे थे और भगवान या ईश्वर के अस्तित्त्व जैसे प्रश्नों पर विचार कर रहे थे। रामकृष्ण परमहंस के शुद्ध और निस्वार्थ भाव ने स्वामी विवेकानंद को काफी प्रभावित किया तथा दोनों के बीच एक आध्यात्मिक गुरु-शिष्य संबंध शुरू हो गया। अपने गुरु के नाम पर विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन तथा रामकृष्ण मठ की भी स्थापना की। विश्व में भारतीय दर्शन विशेषकर वेदांत और योग को प्रसारित करने में विवेकानंद की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, साथ ही ब्रिटिश भारत के दौरान राष्ट्रवाद को अध्यात्म से जोड़ने में इनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। उन्होंने सितंबर 1893 में शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में वैश्विक ख्याति अर्जित की तथा इसके माध्यम से ही भारतीय अध्यात्म का वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार हुआ। जनवरी 1897 में वे भारत वापस लौट आए, वापस लौटने के बाद 01 मई, 1897 में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। जून 1899 में वह एक बार फिर पश्चिम की यात्रा पर गए, जहाँ उन्होंने अपना अधिकांश समय अमेरिका के पश्चिमी तट पर बिताया। वर्ष 1902 के शुरुआती महीनों में उनका स्वास्थ्य खराब होने लगा और 4 जुलाई, 1902 को उनके जीवन का अंत हो गया।

अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस

04 जुलाई, 2021 को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (USA) का 245वाँ स्वतंत्रता दिवस आयोजित किया गया। 04 जुलाई, 1776 को कॉन्टिनेंटल काॅॅन्ग्रेस द्वारा स्वतंत्रता की घोषणा किये जाने के बाद से यह दिन अमेरिका में एक महत्त्वपूर्ण संघीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। यद्यपि अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध की शुरुआत अप्रैल 1775 में हुई थी, किंतु प्रारंभ में उपनिवेशों ने ब्रिटिश शासन से पूर्ण अलगाव की मांग नहीं की थी; इसके बजाय उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर अधिक स्वायत्तता की मांग की थी। हालाँकि संघर्ष के प्रारंभिक दौर में ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा किये गए व्यवहार के चलते यह मांग धीरे-धीरे पूर्ण स्वतंत्रता में परिवर्तित हो गई। 2 जुलाई, 1776 को फिलाडेल्फिया के स्टेट हाउस में उत्तरी अमेरिका में ब्रिटेन के 13 उपनिवेशों में से 12 के प्रतिनिधियों ने स्वयं को ब्रिटिश साम्राज्य से अलग करने के पक्ष में मतदान किया। इसके पश्चात् 04 जुलाई, 1776 को कॉन्टिनेंटल काॅॅन्ग्रेस के सदस्यों ने ‘डिक्लेरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस’ पर हस्ताक्षर किये और संपूर्ण विश्व के समक्ष अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। इस दस्तावेज़ के निर्माण में उस समय के प्रसिद्ध राजनेता एवं राजनयिक ‘थॉमस जैफरसन’ ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो कि  बाद मेंअमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति (1801-09) बने। 

अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस

प्रतिवर्ष जुलाई माह के पहले शनिवार को ‘अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम जनमानस के बीच सहकारी समितियों के विषय में जागरूकता बढ़ाना और संयुक्त राष्ट्र द्वारा संबोधित प्रमुख समस्याओं को हल करने में सहकारी आंदोलन के योगदान को उजागर करना है। इस दिवस का लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय सहकारी आंदोलन और सरकारों, स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समेत सभी स्तरों पर हितधारकों के बीच साझेदारी को मज़बूत तथा विस्तारित करना भी है। गौरतलब है कि 16 दिसंबर, 1992 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने एक प्रस्ताव पारित कर जुलाई 1995 के पहले शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के रूप में घोषित किया था, जो कि अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन की स्थापना की शताब्दी को चिह्नित करता है। तभी से प्रतिवर्ष ‘अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस’ का आयोजन किया जा रहा है। यह दिवस इस तथ्य को सिद्ध करने का अवसर प्रदान करता है कि किस प्रकार स्वयं सहायता और एकता के सहकारी मूल्यों के साथ-साथ सामाजिक रूप से उत्तरदायी नैतिक मानकों के आधार पर एक मानव-केंद्रित व्यवसायिक मॉडल असमानता को कम करने, साझा समृद्धि एवं कोविड-19 के विरुद्ध उचित प्रतिक्रिया देने में महत्त्वपूर्ण हो सकता है। 

नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट वाइड-फील्ड इन्फ्रारेड सर्वे एक्सप्लोरर

हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने ‘नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट वाइड-फील्ड इन्फ्रारेड सर्वे एक्सप्लोरर’ (NEOWISE) टेलिस्कोप के कार्यकाल में दो वर्ष का विस्तार किया है। इस विस्तार के पश्चात् नासा का यह ‘नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट’ (NEO) हंटिंग स्पेस टेलीस्कोप जून 2023 तक कार्य करेगा। दिसंबर 2009 में ‘वाइड-फील्ड इन्फ्रारेड सर्वे एक्सप्लोरर’ (WISE) मिशन के रूप में लॉन्च किया गया यह टेलिस्कोप मूलतः अवरक्त तरंगदैर्ध्य के माध्यम से संपूर्ण आकाश का सर्वेक्षण, क्षुद्रग्रहों, सितारों और गहरे अंतरिक्ष में दिखाई देने वाली कुछ आकाशगंगाओं का पता लगाने का कार्य कर रहा था। इसके पश्चात् दिसंबर 2013 में नासा के ग्रह विज्ञान विभाग द्वारा इसे ‘नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट’ (NEO) हंटिंग स्पेस टेलीस्कोप के रूप में पुनरुद्देशित किया गया, जिसका प्राथमिक कार्य सौरमंडल में पृथ्वी के करीब से गुज़रने वाले क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं की पहचान करना है। अब तक इस टेलिस्कोप ने 1,850 से अधिक ‘नियर-अर्थ ऑब्जेक्टस’ (NEOs) की पहचान की है और उनके बारे में जानकारी प्रदान की है, जिससे हमें अपने निकटतम सौरमंडल को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली है।


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow