ब्रॉडकास्ट सेवा पोर्टल
हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रसारण/ब्रॉडकास्ट सेवा पोर्टल (Broadcast Seva Portal-BSP) लॉन्च किया गया है।
- इस पोर्टल के माध्यम से 900 सैटेलाइट टीवी चैनल्स, 70 टेलीपोर्ट ऑपरेटर्स, 1,700 एमएसओ, 350 सामुदायिक रेडियो स्टेशन और 380 निजी एफएम चैनलों के लाभान्वित होने की संभावना है।
प्रमुख बिंदु
ब्रॉडकास्ट सेवा पोर्टल:
- ब्रॉडकास्ट सेवा पोर्टल के बारे में:
- यह एक 360 डिग्री डिजिटल सल्यूशन (360 Degree Digital Solution) प्रस्तुत करता है जो हितधारकों को अनुमति लेने, पंजीकरण हेतु आवेदन करने, आवेदनों पर नज़र रखने, शुल्क की गणना करने तथा भुगतान करने की सुविधा प्रदान करेगा।
- यह पोर्टल सभी हितधारकों को निजी उपग्रह टीवी चैनल्स, टेलीपोर्ट ऑपरेटर्स, मल्टी-सर्विसेज़ ऑपरेटर्स ( Multi-Services Operators- MSOs), सामुदायिक और निजी रेडियो चैनल्स आदि के लिये डिजिटल इंडिया के व्यापक प्रयासों के तहत अपनी सेवाएँ प्रदान करेगा।
- उद्देश्य:
- प्रसारण संबंधी गतिविधियों के लिये सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी विभिन्न पंजीकरणों, अनुमतियों और लाइसेंस हेतु आवेदन करने के लिये हितधारकों तथा आवेदकों को एकल बिंदु (एक की स्थान पर) सुविधा प्रदान करना।
- महत्त्व:
- यह आवेदनों के टर्न-अराउंड समय को कम करेगा और साथ ही आवेदकों को उनकी प्रगति को ट्रैक करने में मदद करेगा।
- यह भारत के कारोबारी माहौल, जो भारत सरकार के प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से एक है, में सुधार करेगा। ब्रॉडकास्ट सेवा पोर्टल व्यापार करने में आसानी और प्रसारण क्षेत्र को सशक्त बनाने हेतु सरकार की प्रतिबद्धताओं का एक उदाहरण है।
- पोर्टल प्रसारण क्षेत्र के विकास और प्रबंधन के लिये एक कुशल और पारदर्शी प्रणाली की स्थापना को सक्षम करेगा।
- यह मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया पहल को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
मिशन इंटीग्रेटेड बायो-रिफाइनरीज़
हाल ही में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने ‘मिशन इंटीग्रेटेड बायो-रिफाइनरीज़’ को पूरी तरह से चालू करने के साथ ’स्वच्छ ऊर्जा’ के लिये पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) मोड में भविष्य को लेकर एक प्रमुख पहल की शुरुआत की है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा स्थापित सामग्री त्वरण प्लेटफॉर्म (Material Acceleration Platforms- MAP) को भी शुरू किया गया, जो अगली पीढ़ी के कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग तथा रोबोटिक्स में उभरती क्षमताओं का लाभ उठाएगा ताकि सामग्री की खोज की गति को 10 गुना तक तीव्र किया जा सके।
मिशन इंटीग्रेटेड बायो-रिफाइनरीज़ की आवश्यकता क्यों?
- परिवहन और रसायन क्षेत्रों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पहले ही वैश्विक उत्सर्जन के लगभग एक-तिहाई के लिये ज़िम्मेदार है, जिसमें से एक-चौथाई के लिये परिवहन क्षेत्र ज़िम्मेदार है और विशेष रूप से परिवहन क्षेत्र से वर्ष 2050 तक और बढ़ने का अनुमान है।
- इसलिये जीवाश्म आधारित ईंधन, रसायनों और सामग्रियों हेतु कम कार्बन और नवीकरणीय विकल्पों की आवश्यकता है, विशेष रूप से लंबी दूरी के परिवहन और उद्योग जैसे कठिन क्षेत्रों में।
मिशन इंटीग्रेटेड बायो-रिफाइनरीज़ का लक्ष्य:
- वर्ष 2030 तक 10% जीवाश्म-आधारित ईंधन, रसायन और सामग्री को जैव-आधारित विकल्पों के साथ बदलने के लक्ष्य हेतु एकीकृत बायो-रिफाइनरीज़ के व्यावसायीकरण में तेज़ी लाने के लिये नवीन समाधानों का विकास और प्रदर्शन करना।
मिशन इंटीग्रेटेड बायो-रिफाइनरी क्या है?
- मिशन का नेतृत्व भारत और नीदरलैंड कर रहे हैं। इसके अलावा ब्राज़ील और कनाडा मुख्य सदस्यों तथा यूरोपीय आयोग और यूनाइटेड किंगडम सहायक सदस्यों के रूप में शामिल हैं।
- यह मिशन इनोवेशन द्वारा शुरू किया गया छठा मिशन है और यह स्वच्छ हाइड्रोजन, हरित ऊर्जा प्रणाली, शुद्ध शून्य शिपिंग, कार्बन डाइऑक्साइड हटाने तथा शहरी संक्रमण पर केंद्रित पहल में शामिल है।
- यह प्रक्रिया ऊर्जा मांगों पर विचार करके जैव-आधारित ईंधन, रसायन और सामग्री के विकास एवं व्यावसायीकरण का समर्थन करने के साथ-साथ सतत् जैव शोधन हेतु मार्गों एवं प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाएगा।
- यह जैव-आधारित विकल्पों, विशेष रूप से जैव ईंधन की लागत-प्रतिस्पर्द्धा में सुधार करते हुए नई तथा उभरती हुई प्रौद्योगिकी का समर्थन करेगा।
- मिशन इंटीग्रेटेड बायो-रिफाइनरी भविष्य के लिये कम कार्बन वाले अक्षय ईंधन, रसायन और सामग्री हेतु नवाचार में तेज़ी लाने हेतु देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, कॉर्पोरेट क्षेत्र, शैक्षणिक संस्थानों तथा नागरिक समाज को एक गतिशील व परिणाम-उन्मुख साझेदारी के लिये एकजुट करता है।
- यह सार्वजनिक-निजी गठबंधनों के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा समाधान में तेज़ी लाएगा।
- सदस्यों के कार्य:
- सदस्य बायो-रिफाइनिंग आपूर्ति और मूल्य शृंखला में अनुसंधान, विकास और नवाचार को बढ़ावा देंगे।
- टिकाऊ बायोरिफाइनिंग प्रौद्योगिकियों हेतु अग्रिम पायलट-स्तरीय परियोजनाएओं का प्रदर्शन।
- निर्मित नए उत्पादों के लिये नियामक विकास का समर्थन करने हेतु उद्योग और मानक-निर्धारण संगठनों के साथ सहयोग करना।
मिशन इनोवेशन:
- मिशन इनोवेशन इस पूरे दशक में स्वच्छ ऊर्जा को वहनीय, आकर्षक और सुलभ बनाने हेतु अनुसंधान, विकास एवं प्रदर्शन में कार्रवाई और निवेश को उत्प्रेरित करने के लिये एक वैश्विक पहल है।
- इसे वर्ष 2015 में पेरिस समझौते के साथ शुरू किया गया।
- यह क्रिया-उन्मुख सहयोग के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा नवाचार को संबोधित करने वाला मुख्य अंतर-सरकारी मंच है।
- इसके सदस्य स्वच्छ ऊर्जा नवाचार में वैश्विक सार्वजनिक निवेश के 90% से अधिक हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा उनके द्वारा वर्ष 2015 से अपने वार्षिक निवेश में 5.8 बिलियन अमेंरिकी डाॅलर की वृद्धि की गई है।
- मिशन इनोवेशन के 23 सदस्यों में ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चिली, चीन, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांँस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मोरक्को, नीदरलैंड, नॉर्वे, सऊदी अरब, स्वीडन, संयुक्त अरब अमीरात, यूके, यूएसए और यूरोपीय आयोग (यूरोपीय संघ की ओर से) शामिल हैं।
स्रोत: पी.आई.बी.
GST संग्रह
मार्च 2022 में वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) का सकल संग्रह (फरवरी में हुए विक्रय के संदर्भ में) बढ़कर 1.42 लाख करोड़ रुपए हो गया। यह संग्रह मार्च 2021 की तुलना में 14.7% और मार्च 2020 की तुलना में 45.6% अधिक है।
GST संग्रह में वृद्धि का कारण:
- अपवंचन-रोधी उपाय, "विशेष रूप से नकली बिल भेजने वालों के खिलाफ कार्रवाई" और आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी के कारण GST संग्रह में यह वृद्धि हुई है।
- 'उत्क्रमी शुल्क संरचना' (Inverted Duty Structure) को ठीक करने के लिये GST परिषद द्वारा किये गए दर युक्तिकरण उपाय।
- उत्क्रमी शुल्क संरचना एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करती है जहाँ आगत/निवेश/इनपुट पर टैक्स की दर यानी GST, आउटपुट आपूर्ति या तैयार वस्तु/माल पर लगने वाले कर की दर से अधिक होती है।
- आर्थिक सुधार और घरेलू खपत में वृद्धि।
- फरवरी में जारी ई-वे बिलों की कुल संख्या 6.91 करोड़ थी, जो एक महीने पहले देखे गए 6.88 करोड़ ई-वे बिलों से अधिक थी, अन्य महीनों की तुलना में फरवरी माह में दिनों की संख्या कम होने के बावजूद यह " व्यावसायिक गतिविधियों की तीव्र रिकवरी" को इंगित करता है।
वस्तु एवं सेवा कर:
- GST को 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से पेश किया गया था।
- यह देश के सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधारों में से एक है।
- इसे 'वन नेशन वन टैक्स' (One Nation One Tax) के नारे के साथ पेश किया गया था।
- जीएसटी में उत्पाद शुल्क, मूल्य वर्द्धित कर (वैट), सेवा कर, विलासिता कर आदि जैसे अप्रत्यक्ष करों को समाहित कर दिया गया है।
- यह अनिवार्य रूप से एक उपभोग कर (Consumption Tax) है और अंतिम उपभोग बिंदु पर लगाया जाता है।
- इसने दोहरे कराधान, करों के व्यापक प्रभाव, करों की बहुलता, वर्गीकरण के मुद्दों आदि को कम करने में मदद की है और एक आम राष्ट्रीय बाज़ार को प्रस्तुत किया है।
- वस्तुओं या सेवाओं (यानी इनपुट पर) की खरीद के लिये एक व्यापारी द्वारा कर का भुगतान किया जाता है, अब GST को अंतिम वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है।
- सेट ऑफ टैक्स (Set Off Tax) को इनपुट टैक्स क्रेडिट कहा जाता है।
- जीएसटी कर के व्यापक प्रभाव या कर के भार को कम करता जो अंतिम उपभोक्ता पर भारित होता है।
- GST के तहत कर संरचना:
- उत्पाद शुल्क, सेवा कर आदि को कवर करने के लिये केंद्रीय जीएसटी।
- VAT, लक्ज़री टैक्स आदि को कवर करने के लिये राज्य जीएसटी।
- अंतर्राज्यीय व्यापार को कवर करने के लिये एकीकृत जीएसटी (IGST)।
- IGST स्वयं एक कर नहीं है बल्कि राज्य और संघ के करों के समन्वय के लिये एक कर प्रणाली है।
- इसमें स्लैब के तहत सभी वस्तुओं और सेवाओं के लिये 4-स्तरीय कर संरचना 5%, 12%, 18% और 28% है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 अप्रैल, 2022
भारत की पहली स्टील स्टैग सड़क
गुजरात का सूरत प्रसंस्कृत स्टील स्लैग (Industrial Waste) से सड़क बनाने वाला पहला भारतीय शहर बन गया है। इस सड़क को केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), नीति आयोग, केंद्रीय इस्पात मंत्रालय तथा आर्सेलर मित्तल-निप्पॉन स्टील (AM/NS) द्वारा संयुक्त उद्यम परियोजना के रूप में विकसित किया गया है। यह सड़क स्टील स्लैग यानी स्टील इंडस्ट्री के वेस्ट मैटेरियल से बनी है। यह सड़क 6 लेन की है, जिसके दोनों ओर तीन लेन हैं। सूरत के बाहरी इलाके में औद्योगिक एस्टेट में स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारी-भरकम वाहन इस सड़क का उपयोग कर रहे हैं। इस स्टील सड़क की निर्माण लागत प्राकृतिक एग्रीगेट (Natural Aggregates) का उपयोग करके बनाई गई सड़कों की तुलना में 30% सस्ती है। साथ ही इस सड़क की मोटाई सामान्य सड़कों से 30% कम है। चूँकि इस सड़क के निर्माण के लिये स्टील स्लैग का उपयोग किया जाता है, इसलिये यह काफी टिकाऊ होती है। इस परियोजना को वेस्ट टू वेल्थ (Waste to Wealth) और स्वच्छ भारत अभियान पहल के तहत लागू किया गया है।
राष्ट्रीय समुद्री दिवस
5 अप्रैल, 1919 को मुंबई से लंदन की यात्रा करने वाले प्रथम भारतीय फ्लैग मर्चेंट पोत (एम/एस सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी के स्वामित्व वाली) ‘एस. एस. लॉयल्टी’ (S.S LOYALTY) की पहली यात्रा की स्मृति में 5 अप्रैल, 2022 को 59वाँ राष्ट्रीय समुद्री दिवस मनाया जा रहा है। इसका आयोजन भारत के शिपिंग उद्योग को प्रोत्साहित करने हेतु किया जाता है। शिपिंग उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। वर्तमान में भारत का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वॉल्यूम के संदर्भ में लगभग 90% और मूल्य के संदर्भ में 77% समुद्र के माध्यम से किया जाता है। पिछले दो वर्षों में देश के साथ-साथ समुद्री परिवहन उद्योग भी कोविड-19 महामाँरी के कारण आर्थिक और अन्य समस्याओं का सामना कर रहा था, जिसके मद्देनज़र वर्ष 2022 के राष्ट्रीय समुद्री दिवस की थीम “सस्टेनेबल शिपिंग बियोंड कोविड-19” (Sustainable Shipping Beyond Covid-19) रखी गई है। शिपिंग उद्योग को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार द्वारा कुछ अन्य पहलों का भी क्रियान्वयन किया जा रहा है जिनमें सागरमाला पहल, प्रोजेक्ट उन्नति, नीली अर्थव्यवस्था की नीति आदि पहलें शामिल हैं।
वन्यजीव व्यापार पर WWF की रिपोर्ट
हाल ही में विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund) द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें बताया गया है कि म्यांँमार में ऑनलाइन वन्यजीवों की अवैध खरीद बढ़ रही है जो लुप्तप्राय प्रजातियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों के लिये खतरा पैदा कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 के सैन्य कब्ज़े, राजनीतिक उथल-पुथल के कारण इस प्रकार की खरीद फरोख्त या लेन-देन पर प्रतिबंध लागू करना कठिन हो गया है। एक वर्ष के भीतर इस तरह के सौदों में 74% की वृद्धि हुई है। व्यापार की गई 173 प्रजातियों में से 54 वैश्विक विलुप्ति का सामना कर रही हैं तथा 639 ऐसे फेसबुक एकाउंट्स की पहचान की गई है जो वन्यजीव व्यापारियों से संबंधित हैं। इस सबसे बड़े ऑनलाइन वन्यजीव व्यापार समूह में 19,000 से अधिक सदस्य हैं और हर हफ्ते दर्जनों पोस्ट किये जाते हैं। जिन जानवरों का व्यापार किया गया उनमें भालू, हाथी, गिबन, गंभीर रूप से लुप्तप्राय पैंगोलिन, तिब्बती मृग और एक एशियाई विशाल कछुआ प्रजाति शामिल थी। बंदरों की विभिन्न प्रजातियांँ ऑनलाइन बिकने वाली सबसे लोकप्रिय व्यापारिक प्रजातियांँ थीं। WWF का गठन वर्ष 1961 में हुआ तथा यह पर्यावरण के संरक्षण, अनुसंधान एवं रख-रखाव संबंधी विषयों पर कार्य करता है। इसका उद्देश्य पृथ्वी पर पर्यावरण के क्षरण को रोकना और एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना है जिसमें मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर सके। WWF द्वारा लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट (Living Planet Report), लिविंग प्लैनेट इंडेक्स (Living Planet Index) तथा इकोलॉजिकल फुटप्रिंट कैलकुलेशन (Ecological Footprint Calculation) प्रकाशित की जाती हैं। इसका मुख्यालय ग्लैंड (स्विट्ज़रलैंड) में है।