प्रारंभिक परीक्षा
भारत का भुगतान संतुलन (BOP)
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के हालिया आँकड़ों के अनुसार, भारत का चालू खाता घाटा (CAD) वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में मामूली रूप से बढ़कर 9.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर (GDP का 1.1%) हो गया है, जो भारत के भुगतान संतुलन (BoP) की स्थिति को दर्शाता है ।
- CAD तब होता है जब किसी देश द्वारा आयातित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य उसके द्वारा निर्यातित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य से अधिक होता है।
भुगतान संतुलन क्या है?
- भुगतान संतुलन (BoP): भुगतान संतुलन (BoP) किसी देश के निवासियों द्वारा किये गए सभी अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन का रिकॉर्ड है ।
- यह विदेशी मुद्राओं के मुकाबले रुपए की सापेक्ष मांग को मापता है, जो विनिमय दरों और आर्थिक स्थिरता को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है।
- भुगतान संतुलन के घटक: चालू खाता और पूंजी खाता भुगतान संतुलन के दो मुख्य घटक हैं।
- चालू खाता: इसमें वे लेनदेन शामिल होते हैं जो किसी देश की परिसंपत्तियों या देनदारियों की स्थिति में परिवर्तन नहीं करते हैं।
- व्यापारिक वस्तुएँ: इसमें व्यापार संतुलन को दर्शाने वाले भौतिक आयात और निर्यात व्यापार शामिल हैं। घाटा निर्यात की तुलना में अधिक आयात को दर्शाता है।
- अदृश्य: इसमें सेवाएँ (जैसे, बैंकिंग, बीमा आईटी, पर्यटन, परिवहन, आदि), स्तानांतरण (जैसे, उपहार, अनुदान, धनप्रेषण आदि) और कारक आय (जैसे निवेश से अर्जित आय) शामिल हैं।
- पूंजी खाता: यह एक विशिष्ट अवधि में किसी देश की परिसंपत्तियों और देनदारियों में हुए शुद्ध परिवर्तन को दर्शाता है।
- परिसंपत्तियाँ: यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) जैसे निवेशों को दर्शाता है, जो आर्थिक विकास और स्थिरता के लिये आवश्यक हैं।
- देयताएँ: यह वाणिज्यिक उधार, ऋण और पूंजी जैसे कारकों को भी दर्शाता है।
- चालू खाता: इसमें वे लेनदेन शामिल होते हैं जो किसी देश की परिसंपत्तियों या देनदारियों की स्थिति में परिवर्तन नहीं करते हैं।
चालू खाता घाटा कम करने हेतु भारत के प्रयास:
- निर्यात को प्रोत्साहित करना: विदेश व्यापार नीति (FTP), 2023 का लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारत के निर्यात को 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना है। यह आयात को संतुलित कर सकता है और चालू खाते के घाटे को कम कर सकता है।
- आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा देना: आत्मनिर्भर भारत अभियान को प्रमुख रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है तथा घरेलू निर्माताओं को वस्तुओं के घरेलू उत्पादन के लिये प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है। उदाहरण के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना।
- उत्पादकता में वृद्धि: घरेलू अर्थव्यवस्था में उत्पादकता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने से निर्यात को बढ़ावा और व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है। उदाहरण के लिये 'भविष्य के अनुकूल' कौशल निर्माण, नवाचार आदि।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न 1. 1991 में आर्थिक नीतियों के उदारीकरण के बाद भारत में निम्नलिखित में से क्या प्रभाव उत्पन्न हुआ है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 4 उत्तर: (b) प्रश्न 2. भुगतान संतुलन के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन चालू खाता प्रदर्शित करता है/गठन करता है? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) |
प्रारंभिक परीक्षा
कोलकाता की ट्राम सेवा बंद
स्रोत: इंडिया टुडे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार ने 151 वर्षों के बाद कोलकाता की ट्राम सेवा को बंद करने का निर्णय लिया है।
- मैदान से एस्प्लेनेड तक का एक छोटा सा हिस्सा, ट्राम प्रेमियों के लिए विरासत के रूप में रखा जाएगा।
कोलकाता की ट्राम सेवा के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: ट्राम एक शहरी रेल परिवहन प्रणाली है जिसमें रेलकारें होती हैं जिनसे लोगों को परिवहन की सुविधा प्रदान की जाती है और यह सड़क पर धातु की पटरियों पर चलती हैं।
- कोलकाता में शुरू में यह मीटर गेज पर चलती थी लेकिन वर्ष 1902 के बाद पटरियों को मानक गेज में परिवर्तित कर दिया गया।
- कोलकाता में ट्राम की शुरुआत: कोलकाता में पहली घोड़ा-चालित ट्राम 24 फरवरी 1873 को शुरू की गई, जो सियालदह और अर्मेनियाई घाट के बीच 3.9 किलोमीटर की दूरी तय करती थी।
- कलकत्ता ट्रामवेज कंपनी का गठन और पंजीकरण वर्ष 1880 में लंदन में हुआ।
- विद्युतीकरण और विस्तार: 27 मार्च 1902 को कोलकाता में एस्प्लेनेड से किडरपोर तक पहली विद्युत ट्रामकार शुरू की गई।
- यह एशिया की पहली इलेक्ट्रिक ट्राम सेवा भी थी।
- वर्ष 1946 में ट्राम, हावड़ा ब्रिज पार करने वाला पहला वाहन था।
- 20 वीं सदी के प्रारंभ तक ट्राम मार्गों से शहर बड़े पैमाने पर जुड़ गए थे।
- 1970 के दशक से गिरावट: कोलकाता की संकरी गलियों में कारों और बसों की संख्या बढ़ने से ट्रामों की आवाजाही मुश्किल हो गई और यातायात जाम की समस्या भी बढ़ गई।
- सांस्कृतिक प्रतीकवाद: इसे सत्यजीत रे की वर्ष 1964 की फिल्म 'महानगर' और अपुर संसार जैसी अन्य फिल्मों में दर्शाया गया है, जो कोलकाता की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को दर्शाती हैं।
- मान्यता: वर्ष 2020 में कोलकाता में भारत की पहली इलेक्ट्रिक ट्राम लाइब्रेरी शुरू की गई।
- वर्ष 2023 में कोलकाता में ट्राम सेवाओं की 150वीं वर्षगांठ का जश्न "ट्रामजात्रा 2023" नामक एक सप्ताह लंबे कार्यक्रम के साथ मनाया गया।
- अन्य भारतीय शहरों में ट्राम: ट्राम की शुरुआत बम्बई में वर्ष 1874 में, मद्रास में वर्ष 1895 में, दिल्ली में वर्ष 1904 में, कानपुर में वर्ष 1914 में तथा पूना में 20 वीं सदी के प्रारंभ में हुई।
- वर्ष 1933 और 1964 के बीच कोलकाता को छोड़कर सभी भारतीय शहरों में इन्हें बंद कर दिया गया।
- वैश्विक शहरों में ट्राम: मेलबर्न, लिस्बन, सैन फ्रांसिस्को, एम्स्टर्डम, ज्यूरिख और बर्लिन में ट्राम सेवा अच्छी तरह से संचालित हो रही है।
- मेलबोर्न में दुनिया का सबसे पुराना ट्रामवे संचालित है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1885 में हुई थी।
ट्राम केवल कोलकाता में ही इतने लंबे समय तक क्यों चली?
- संकरी गलियाँ: शहर की संकरी गलियाँ और पुरानी स्थापत्य संरचनाओं के कारण सड़क नेटवर्क का विस्तार सीमित हो गया, जिससे ट्राम एक व्यावहारिक विकल्प बन गया।
- कारें कम होना: अन्य महानगरीय शहरों की तुलना में कोलकाता में कार कम होने से ट्राम जैसे किफायती सार्वजनिक परिवहन की मांग बनी रही।
- किराया कम होना: ट्राम की सस्ती कीमत से भी इनकी धारणीयता में योगदान मिला।
रैपिड फायर
महालया
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में प्रधानमंत्री ने बंगाली समुदाय को महालया के अवसर पर शुभकामनाएँ दीं, जो दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरुआत का प्रतीक है।
- महालया वह दिन है, जब देवी दुर्गा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं और राक्षस राजा महिषासुर का वध किया था, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
- इस दिन, कारीगर देवी दुर्गा की आँखों पर रंग लगाते हैं, जिसे 'चोखू दान' (देवी को आँखें प्रदान करना) के रूप में भी जाना जाता है।
- यह 'पितृ पक्ष' के अंत और 'देवी पक्ष' (देवी दुर्गा का युग) के प्रारंभ का प्रतीक है।
- पितृ पक्ष 16 दिनों की अवधि है, जिसके दौरान हिंदू अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिये अनुष्ठान करते हैं।
- कोलकाता में दुर्गा पूजा को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची में अंकित किया गया है।
- यह एशिया का पहला ऐसा महोत्सव है, जिसे यूनेस्को मानवता के आईसीएच के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है।
और पढ़ें: यूनेस्को के ICH पर दुर्गा पूजा