प्रारंभिक परीक्षा
आर. रवि कन्नन को मिला रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2023
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में असम के कछार कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (CCHRC) के निदेशक, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट पद्मश्री डॉ. आर. रवि कन्नन को वर्ष 2023 का प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया गया।
- उन्हें यह पुरस्कार जन-केंद्रित तथा गरीबों के कल्याण (देखभाल करने वालों के लिये निशुल्क उपचार, भोजन, आवास तथा रोज़गार की सुविधा) हेतु कार्यक्रमों के माध्यम से असम में कैंसर के उपचार में क्रांति लाने हेतु प्रदान किया गया।
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से संबंधित मुख्य तथ्य:
- परिचय:
- इसे वर्ष 1957 में एशिया के सर्वोच्च सम्मान तथा प्रमुख पुरस्कार के रूप में स्थापित किया गया।
- यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है जो अपनी पृष्ठभूमि की परवाह किये बिना एशिया के लोगों की सेवा में असाधारण भावना प्रदर्शित करते हैं।
- यह पुरस्कार प्रतिवर्ष 31 अगस्त को प्रदान किया जाता है जो कि फिलीपींस गणराज्य के तीसरे राष्ट्रपति, रेमन मैग्सेसे के जन्मदिन को चिह्नित करता है, जिन्होंने इस पुरस्कार की स्थापना में प्रेरणास्त्रोत की भूमिका निभाई थी।
- पुरस्कार विजेताओं को एक प्रमाणपत्र, रेमन मैग्सेसे की उभरी हुई छवि वाला एक पदक तथा नकद पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
- यह पुरस्कार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एशिया के नोबेल पुरस्कार के समकक्ष माना जाता है।
- मान्यीकरण की श्रेणियाँ:
- आरंभ में इस पुरस्कार में छह श्रेणियाँ- "सरकारी सेवा", "सार्वजनिक सेवा", "सामुदायिक नेतृत्व", "पत्रकारिता, साहित्य और रचनात्मक संचार कला", "शांति तथा अंतर्राष्ट्रीय समझ" व "उभरता नेतृत्त्व" शामिल थीं।
- हालाँकि वर्ष 2009 के बाद, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार अब इमर्जेंट लीडरशिप को छोड़कर, निश्चित पुरस्कार श्रेणियों में नहीं दिया जा रहा है।
प्रारंभिक परीक्षा
हूलोंगापार गिब्बन अभयारण्य
स्रोत: द हिंदू
प्राइमेटोलॉजिस्ट्स ने 1.65 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक का मार्ग बदलने का प्रस्ताव दिया है जो पूर्वी असम में हूलोंगापार गिब्बन अभयारण्य को दो असमान हिस्सों में विभाजित करता है। इस अभयारण्य में पश्चिमी हूलॉक गिब्बन पाए जाते हैं।
हूलॉक गिब्बन के विषय में मुख्य तथ्य:
- परिचय:
- गिब्बन दक्षिण-पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जंगलों में पाए जाते हैं तथा इन्हें सभी वानरों में सबसे छोटे एवं समझदार वानरों के रूप में भी जाना जाता है।
- इनमें अन्य वानरों के समान तीष्ण बुद्धि, विशिष्ट व्यक्तित्व और मज़बूत पारिवारिक बंधन होते हैं।
- ये विश्व भर में पाई जाने वाली 20 गिब्बन प्रजातियों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- हूलॉक गिब्बन भारत की एकमात्र वानर प्रजाति है।
- भारत में गिब्बन प्रजातियाँ:
- पश्चिमी हूलॉक गिब्बन (Hoolock hoolock):
- ये पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिण और दिबांग नदी के पूर्व क्षेत्र के बीच सीमित हैं। भारत के बाहर यह पूर्वी बांग्लादेश तथा उत्तर-पश्चिम म्याँमार में पाया जाता है।
- IUCN रेड लिस्ट: संकटग्रस्त
- पूर्वी हूलॉक गिब्बन (Hoolock leuconedys):
- यह भारत में अरुणाचल प्रदेश और असम के विशिष्ट इलाकों में और भारत के बाहर दक्षिणी चीन तथा उत्तर-पूर्व म्याँमार में पाया जाता है।
- IUCN लाल सूची: असुरक्षित
- भारत में दोनों प्रजातियाँ भारतीय (वन्यजीव) संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 में सूचीबद्ध हैं।
- पश्चिमी हूलॉक गिब्बन (Hoolock hoolock):
- विशेषताएँ:
- वे अपनी विशिष्ट सफेद भौंहों, लंबी भुजाओं और स्वरों के उच्चारण के लिये उपयोग की जाने वाली गले की थैली के लिये जाने जाते हैं।
- वृक्षीय जीवनशैली:
- गिब्बन विशेष रूप से वृक्षवासी होते हैं, जो उष्णकटिबंधीय जंगलों में पेड़ों की चोटी पर अपना जीवन बिताते हैं।
- चुनौतियाँ:
- हूलॉक गिब्बन विशेष रूप से आवास संबंधी व्यवधानों, जैसे कि कैनोपी गैप (Canopy Gaps) के प्रति संवेदनशील होते हैं।
- आवास के विखंडन के कारण उनका आनुवंशिक अलगाव हो सकता है और उनकी आबादी को खतरा हो सकता है।
- संरक्षण के प्रयास:
- आर्टिफीसियल कैनोपी ब्रिज जैसी पहल का उद्देश्य संरक्षण प्रयासों को सुनिश्चित कर उनकी आनुवंशिक विविधता को संरक्षित करना है।
- गिब्बन कैनोपी के माध्यम से यात्रा करते समय बीजों को फैलाकर वन पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- उनके आवासों के स्वास्थ्य और जैवविविधता को बनाए रखने के लिये उनका संरक्षण आवश्यक है।
गिब्बन अभयारण्य:
- हूलोंगापार गिब्बन अभयारण्य, जिसे पहले गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य के नाम से जाना जाता है, भारत के असम के जोरहाट ज़िले में स्थित है।
- वर्ष 1997 में स्थापित यह एक समृद्ध जैवविविधता है, जिसमें भारत के एकमात्र गिब्बन, पश्चिमी हूलॉक और बंगाल स्लो/धीमा लोरिस, पूर्वोत्तर भारत में रात्रिचर प्राइमेट शामिल हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?
उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा वानर नहीं है? (2008)
उत्तर: C
अतः विकल्प (C) सही उत्तर है। |
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 सितंबर, 2023
कार्य पूरा कर प्रज्ञान रोवर अब स्लीप मोड में
- चंद्रयान-3 का हिस्सा प्रज्ञान, चंद्र रात्रि की अवधि में स्लीप मोड में चला गया है, अब यह 22 सितंबर, 2023 को फिर से पुनः कार्यरत होगा।
- एक चंद्र दिवस पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर होता है।
- किसी परिस्थितिवश यदि रोवर पुनः कार्यरत नहीं होता है, तो यह भारत के लूनर एम्बेसडर के रूप में चंद्रमा पर रहेगा।
- इसरो ने संकेत दिया कि रोवर को स्लीप मोड में भेजने की प्रक्रिया चंद्र रात्रि (Lunar Night) के दौरान उसके अस्तित्त्व को सुनिश्चित करने के लिये है, जब तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से नीचे जा सकता है।
- लैंडर और रोवर चंद्र दिवस (Lunar Day) के दौरान विद्युत उत्पन्न करने और बैटरी को चार्ज करने के लिये सौर पैनल पर निर्भर हैं, जबकि चंद्र रात्रि में उन्हें कठोर परिस्थितियों को सहन करना पड़ता है।
और पढ़ें… Chandrayaan-3 Successfully Lands on Moon's South Pole
डिमेंशिया से निपटने हेतु कर्नाटक की पहल
- कर्नाटक, मनोभ्रंश (डिमेंशिया) को एक स्वास्थ्य चिंता के रूप में प्राथमिकता देने के लिये प्रतिबद्ध है।
- डिमेंशिया एक व्यापक शब्द है जिसमें ऐसी बीमारियाँ शामिल हैं जो स्मृति, संज्ञानात्मक क्षमताओं और व्यवहार को प्रभावित करती हैं तथा दैनिक गतिविधियों में बाधा डालती हैं। अल्ज़ाइमर रोग, मनोभ्रंश का सबसे सामान्य प्रकार है।
- हाल के अनुमानों से पता चलता है कि 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के भारतीयों में मनोभ्रंश की व्यापकता दर 7.4% है, यानी कुल लगभग 9 लाख व्यक्ति। यह संख्या वर्ष 2016 के 88 लाख से बढ़कर वर्ष 2036 तक 1.7 करोड़ होने का अनुमान है।
- मनोभ्रंश के जोखिम कारकों में धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन, शारीरिक निष्क्रियता, सामाजिक अलगाव, सिर की चोट और मधुमेह, बधिरता, अवसाद, मोटापा तथा उच्च रक्तचाप (hypertension) जैसी स्थितियाँ शामिल हैं।
और पढ़ें… मनोभ्रंश (डिमेंशिया), अल्ज़ाइमर रोग
आधुनिक ज्यामिति में कार्तीय निर्देशांक का महत्त्व
फ्राँसीसी दार्शनिक और गणितज्ञ रेने डेसकार्टेस द्वारा शुरू की गई कार्तीय निर्देशांक प्रणाली ने अंतरिक्ष में बिंदुओं का प्रतिनिधित्व करने के तरीके में क्रांति ला दी।
- यह प्रणाली लंबवत तलों के संबंध में किसी बिंदु के स्थान को निर्दिष्ट करने के लिये संख्याओं के सेट का उपयोग करती है।
- दो आयामों में यह विमान पर एक विशिष्ट स्थान को इंगित करने के लिये संख्याओं (x और y) की एक जोड़ी पर निर्भर करता है, जैसे कि अक्षांश और देशांतर से गूगल मानचित्र पर किसी शहर की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- त्रि-आयामी स्थानों के लिये बिंदु की सटीक स्थिति निर्धारित करने के लिये एक तीसरी संख्या (z) जोड़ी जाती है।
- इसने न केवल बीजगणित और ज्यामिति के बीच के अंतर को पाट दिया है, बल्कि विश्लेषणात्मक ज्यामिति को भी जन्म दिया है तथा खगोल विज्ञान, इंजीनियरिंग, कंप्यूटर ग्राफिक्स एवं स्थानिक डेटा प्रतिनिधित्व जैसे क्षेत्रों में इसका व्यापक अनुप्रयोग है।
चमगादड़ों में स्थानिक दिशा ज्ञान और सामाजिक संपर्क हेतु साझा तंत्रिका तंत्र
हाल के शोध से मिस्र के फ्रूट बैट में स्थानिक नेविगेशन और सामाजिक संपर्क दोनों में अंतर्निहित तंत्रिका प्रक्रियाओं का पता चला है।
- ये स्तनधारी, मनुष्यों और विभिन्न अन्य प्रजातियों के साथ अपने परिवेश को नेविगेट करने के लिये हिप्पोकैम्पस (मस्तिष्क का एक हिस्सा) पर भरोसा करते हैं, जिससे एक संज्ञानात्मक 'मानचित्र' बनता है।
- इस अध्ययन से पता चला कि चमगादड़ अपने वातावरण में विश्राम स्थल (रेस्टिंग स्पॉट) स्थापित करते हैं तथा उनके बीच यात्रा करते समय बहुत समान प्रक्षेप पथ का अनुसरण करते हैं। चमगादड़ों ने विशिष्ट "मित्र" चमगादड़ों के साथ अंतःक्रिया के लिये मज़बूत प्राथमिकताएँ भी प्रदर्शित कीं, जो इन आकर्षक प्राणियों में स्थानिक नेविगेशन और सामाजिक गतिशीलता के बीच दिलचस्प ओवरलैप को उजागर करती हैं।
और पढ़ें… निपाह वायरस और फ्रूट बैट