प्रारंभिक परीक्षा
भारत की एकमात्र वानर प्रजाति: हूलॉक गिब्बन
- 19 Jul 2023
- 5 min read
भारत की एकमात्र वानर प्रजाति हूलॉक गिब्बन की संरक्षण स्थिति एक गंभीर वैश्विक चिंता बन गई है।
- हाल ही में ग्लोबल गिब्बन नेटवर्क (GGN) ने चीन के हैनान प्रांत के हाइकोउ में अपनी उद्घाटन बैठक आयोजित की थी जिसमें इन प्राइमेट्स के सामने आने वाली गंभीर स्थितियों पर प्रकाश डाला गया था।
नोट: ग्लोबल गिब्बन नेटवर्क की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय गिब्बन दिवस 2020 कार्यक्रम में की गई थी। इस कार्यक्रम में पहली बार 20 गिब्बन संरक्षण संगठनों के प्रतिनिधि गिब्बन संरक्षण पर चर्चा करने के लिये एक साथ एक मंच पर आए थे।
हूलॉक गिब्बन के बारे में मुख्य तथ्य:
- परिचय:
- गिब्बन दक्षिण-पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जंगलों में पाए जाते हैं तथा इन्हें सभी वानरों में सबसे छोटे एवं समझदार वानरों के रूप में भी जाना जाता है।
- इनमें अन्य वानरों के समान उच्च बुद्धि, विशिष्ट व्यक्तित्व और मज़बूत पारिवारिक बंधन होते हैं।
- ये विश्व भर में पाई जाने वाली 20 गिब्बन प्रजातियों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- गिब्बन दक्षिण-पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जंगलों में पाए जाते हैं तथा इन्हें सभी वानरों में सबसे छोटे एवं समझदार वानरों के रूप में भी जाना जाता है।
- जनसंख्या और निवास स्थान:
- हूलॉक गिब्बन की वर्तमान आबादी लगभग 12,000 होने का अनुमान है।
- वे पूर्वोत्तर भारत, बांग्लादेश, म्याँमार और दक्षिणी चीन के वन क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- भारत में गिब्बन प्रजातियाँ:
- भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में दो अलग-अलग हूलॉक गिब्बन प्रजातियाँ पाई जाती हैं: पूर्वी हूलॉक गिब्बन (हूलॉक ल्यूकोनिडिस) और पश्चिमी हूलॉक गिब्बन (हूलॉक हूलॉक)।
- हैदराबाद में सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के एक हालिया अध्ययन में इन गिब्बन के आनुवंशिकी का विश्लेषण किया गया।
- अध्ययन से पता चला कि वास्तव में भारत में गिब्बन की केवल एक ही प्रजाति है, जो बाह्य आवरण के रंग के आधार पर अलग-अलग पूर्वी और पश्चिमी प्रजातियों की पूर्व धारणा को रद्द करती है।
- आनुवंशिक विश्लेषण से पता चला कि पूर्वी और पश्चिमी हूलॉक गिब्बन समझी जाने वाली आबादी लगभग 1.48 मिलियन वर्ष पहले अलग हो गई थी।
- अध्ययन में यह भी अनुमान लगाया गया कि गिब्बन लगभग 8.38 मिलियन वर्ष पहले एक सामान्य पूर्वज से अलग हुए थे।
- खतरा:
- संरक्षण चुनौतियों के कारण हूलॉक गिब्बन सहित सभी 20 गिब्बन प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है।
- पिछली सदी से गिब्बन की आबादी और उनके आवासों में काफी गिरावट आई है, जिससे उनकी बहुत कम आबादी केवल उष्णकटिबंधीय वर्षावनों तक ही सीमित रह गई है।
- भारत में हूलॉक गिब्बन के लिये प्राथमिक खतरा बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये वनों की कटाई के कारण उनके प्राकृतिक आवास का नष्ट होना है।
- संरक्षण की स्थिति:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रेड लिस्ट:
- पश्चिमी हूलॉक गिब्बन: लुप्तप्राय
- पूर्वी हूलॉक गिब्बन: असुरक्षित
- साथ ही दोनों प्रजातियाँ भारतीय (वन्यजीव) संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 में सूचीबद्ध हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रेड लिस्ट:
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2010) संरक्षित क्षेत्र के लिये प्रसिद्ध
उपर्यक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (A) केवल 1 उत्तर: (B) |