प्रिलिम्स फैक्ट्स (03 Nov, 2022)



कोरोनल होल

हाल ही में नासा ने सूर्य की सतह पर काले धब्बे वाली एक तस्वीर खींची है जो आँखों और मुस्कान जैसी दिखती है।

  • इन धब्बों को 'कोरोनल होल' कहा जाता है, जो पराबैंगनी प्रकाश में देखे जा सकते हैं लेकिन आमतौर पर इन्हें सामान्य आँखों से नहीं देखा जा सकता।

coronal-holes

कोरोनल होल:

  • विषय:
    • ये सूर्य की सतह पर ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ से तेज़ सौर हवा अंतरिक्ष में फैलती है।
    • इन क्षेत्रों में चुंबकीय क्षेत्र इंटरप्लेटरी स्पेस के लिये खुला होता है, जिससे सौर सामग्री तीव्र धारा और गति के साथ सौर तूफ़ान में परिवर्तित हो जाती है जिसे भू-चुंबकीय तूफान कहा जाता है।
    • उनका तापमान कम होता है और वे अपने आसपास की तुलना में काफी गहरे दिखाई देते हैं, क्योंकि उनमें सौर सामग्री कम होती है
    • कोरोनल होल कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक रह सकते हैं।
    • कोरोनल होल कोई अनोखी घटना नहीं है, यह सूर्य के लगभग 11 साल के सौर चक्र में दिखाई देती है।
    • कोरोनल होल सौर न्यूनतम (सोलर मिनिमम) के दौरान अधिक अवधि तक हो सकते हैं, एक ऐसी अवधि जब सूर्य पर किसी प्रकार की गतिविधि काफी कम हो जाती है।
  • महत्त्व:
    • कोरोनल होल्स पृथ्वी के चारों ओर अंतरिक्ष के वातावरण को समझने में महत्त्वपूर्ण हैं जिसके माध्यम से हमारी तकनीक और अंतरिक्ष यात्री को सुविधा होती है।

भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storm):

  • सौर तूफान सूर्य के धब्बों (सूर्य पर 'अंधेरे' क्षेत्र जो आसपास के फोटोस्फीयर - सौर वातावरण की सबसे निचली परत की तुलना में ठंडे होते हैं) से जुड़ी चुंबकीय ऊर्जा के निकलने के दौरान उत्पन्न होते हैं और कुछ मिनटों या घंटों तक रह सकते हैं।
  • भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की अनियमितता से संबंधित हैं जो तब आते हैं जब सौर पवन से पृथ्वी के आसपास के अंतरिक्ष वातावरण में ऊर्जा का कुशल आदान-प्रदान होता है।
    • मैग्नेटोस्फीयर हमारे ग्रह को हानिकारक सौर एवं ब्रह्मांडीय कण विकिरण से बचाता है, साथ ही यह पृथ्वी को ‘सोलर विंड’- सूर्य से प्रवाहित होने वाले आवेशित कणों के निरंतर प्रवाह से भी सुरक्षा प्रदान करता है।
  • ये तूफान ‘सोलर विंड’ में भिन्नता के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं, जो पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर के प्रवाह, प्लाज़्मा और इसके वातावरण में बड़े बदलाव लाते हैं।
    • भू-चुंबकीय तूफान का निर्माण करने वाली सौर पवनें [मुख्य रूप से मैग्नेटोस्फीयर में दक्षिण दिशा में प्रवाहित होने वाली सौर पवनें (पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा के विपरीत)] उच्च गति से काफी लंबी अवधि (कई घंटों तक) तक प्रवाहित होती हैं।
    • यह स्थिति ‘सोलर विंड’ से ऊर्जा को पृथ्वी के चुंबकीय मंडल में स्थानांतरित करने हेतु प्रभावी है।
  • इन स्थितियों के परिणामस्वरूप आने वाले सबसे बड़े तूफान सौर कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) से जुड़े होते हैं, जिसके तहत सूर्य से एक अरब टन या उससे अधिक प्लाज़्मा इसके एम्बेडेड चुंबकीय क्षेत्र के साथ पृथ्वी पर आता है।
    • CMEs का आशय प्लाज़्मा एवं मैग्नेटिक फील्ड के व्यापक इजेक्शन से है, जो सूर्य के कोरोना (सबसे बाहरी परत) से उत्पन्न होते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: यदि कोई मुख्य सौर तूफान (सौर प्रज्वाल) पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पृथ्वी पर निम्नलिखित में से कौन-से संभव प्रभाव होंगे?

  1. GPS और नैविगेशन प्रणालियाँ विफल हो सकती हैं।
  2. विषुवतीय क्षेत्रों में सुनामी की घटनाएँ देखी जा सकती हैं।
  3. बिजली ग्रिड क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
  4. पृथ्वी के अधिकांश हिस्से पर तीव्र ध्रुवीय ज्योतियाँ घटित हो सकती हैं।
  5. ग्रह के अधिकांश हिस्से पर दावाग्नि की घटनाएँ हो सकती हैं ।
  6. उपग्रहों की कक्षाएँ विक्षुब्ध हो सकती हैं।
  7. ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर से उड़ते हुए वायुयान का लघुतरंग रेडियो संचार बाधित हो सकता है।

नीचे दिये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 4 और 5
(b)  केवल 2, 3, 5, 6 और 7
(c)  केवल 1, 3, 4, 6 और 7
(d)  1, 2, 3, 4, 5, 6 और 7

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • 10 मई, 2022 को सूर्य ने एक मज़बूत सौर तूफ़ान/सौर प्रज्ज्वाल उत्सर्जित किया, जो EDT पर सुबह 9:55 बजे चरम पर था। नासा की सोलर डायनेमिक्स ऑब्ज़र्वेटरी, जो लगातार सूर्य की स्थिति का अवलोकन करती है, ने इस घटना की एक छवि कैप्चर की। सौर प्रज्ज्वाल ऊर्जा के शक्तिशाली विस्फोट हैं।
  • रात के समय आकाश में अक्सर तूफानों को सुंदर ज्योति के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन वे पृथ्वी पर बिजली के ग्रिडों और नेविगेशन सिस्टम को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं।
  • सूर्य की सतह से एक विशाल सौर तूफ़ान (सौर प्रज्ज्वाल) उत्पन्न हुआ जिसने एक तीव्र चुंबकीय तूफान उत्पन्न करते हुए रेडियो तरंगों, दूरसंचार नेटवर्क और बिजली प्रणालियों को बाधित कर दिया।
  • वैज्ञानिकों ने ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक से बर्फ के कोर के विश्लेषण के माध्यम से पृथ्वी की बर्फ के भीतर एक अत्यधिक सौर 'सुनामी' के प्रमाण प्राप्त किये हैं।
  • बड़े पैमाने पर प्लाज़्मा के भंडारण के बाद एक चुंबकीय बाँध बनता है। सौर चक्र के अंत में यह चुंबकीय बाँध टूट सकता है और ध्रुवों की ओर सुनामी की तरह भारी मात्रा में प्लाज़्मा कैस्केडिंग मुक्त करता है।
  • अतः कथन 1, 3, 4, 6 और 7 सही हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 नवंबर, 2022

ब्लैक सी ग्रेन पहल के स्‍थगन पर चिंता

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में संयुक्त राष्ट्र की मध्‍यस्‍थता वाली ब्लैक सी ग्रेन पहल के स्‍थगन को लेकर चिंता व्यक्त की है। भारत ने कहा है कि इस कदम से दुनिया, विशेष रूप से दक्षिणी देशों के सामने खाद्य सुरक्षा, ईंधन और उर्वरक आपूर्ति की चुनौतियाँ बढ़ने की संभावना है। यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ब्रीफिंग डिबेट में भारत के स्थायी मिशन के सलाहकार ने कहा कि काला सागर अनाज सौदे ने यूक्रेन में शांति की आशा की किरण प्रदान की थी और गेहूँ तथा अन्‍य वस्‍तुओं की कीमतों को कम करने में मदद की थी। भारतीय राजनयिक ने कहा कि इस पहल के परिणामस्वरूप यूक्रेन से 90 लाख टन से अधिक अनाज और अन्य खाद्य उत्पादों का निर्यात हुआ, जिसने गेहूँ एवं अन्य वस्तुओं की कीमतों को कम करने में योगदान दिया जो खाद्य कृषि संगठन के खाद्य मूल्य सूचकांक में गिरावट से स्पष्ट है।

बैलिस्टिक  मिसाइल डिफेंस इंटरसेप्टर

हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के तट पर एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से लार्ज किल एल्टीट्यूड ब्रैकेट के साथ फेज़- II बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (बीएमडी) इंटरसेप्टर एडी-1 मिसाइल का पहला सफल उड़ान परीक्षण किया । एडी-1 एक लंबी दूरी की इंटरसेप्टर मिसाइल है जिसे लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ-साथ विमानों के लो एक्सो-एटमॉस्फेरिक और एंडो-एटमॉस्फेरिक इंटरसेप्शन दोनों के लिये डिज़ाइन किया गया है। यह दो चरणों वाली ठोस मोटर से संचालित होने के साथ देश में ही विकसित उन्‍नत नियंत्रण प्रणाली, नेविगेशन एवं गाइडेंस एल्गोरिदम से लैस है।

अमर्त्य सेन  

अमर्त्य सेन का जन्म 03 नवंबर, 1933 में कोलकाता में हुआ था। उनकी शिक्षा कोलकाता के शांति निकेतन, ‘प्रेसीडेंसी कॉलेज’ तथा कैंब्रिज के ट्रिनीटी कॉलेज से हुई।इसके अतिरिक्त उन्होंने जादवपुर विश्वविद्यालय, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स तथा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी अध्यापन का कार्य किया है। वे एक महान अर्थशास्त्री एवं दार्शनिक हैं। गौरतलब है कि द्वितीय पंचवर्षीय योजना में अमर्त्य सेन का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। अमर्त्य सेन ने महालनोविस के द्वि-विभागीय क‌मियों को दूर करने के लिये चार विभागों वाला एक वैज्ञानिक मॉडल प्रस्तुत किया जिसे ‘राज-सेन मॉडल’ के नाम से जाना जाता है। इस मॉडल को उन्होंने प्रोफेसर के.एन. राज के साथ मिलकर तैयार किया था। उन्होंने जहाँ एक ओर संवृद्धि की आवश्यकता पर बल दिया, वहीं बेरोज़गारी उन्मूलन को प्राथमिकता देने की बात कही। सेन के अनुसार, भारत जैसे देश में गरीबी उन्मूलन के लिये ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को समुचित संस्थानिक प्रोत्साहन तथा उत्पादन के कारकों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। सेन ने अकाल की बदलती प्रवृत्ति एवं कारणों पर भी समुचित प्रकाश डालावर्ष 1999 में भारत रत्न से सम्मानित अमर्त्य सेन को वर्ष 1998 में अर्थशास्त्र के लिये नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।