पैंगोंग झील पर चीनी सेतु
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
चर्चा में क्यों?
चीन ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाले एक सेतु का निर्माण को पूर्ण करने के साथ-साथ उस पर आवागमन प्रारंभ कर दिया है।
- इससे चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को अपने सैनिकों और टैंकों को जुटाने में लगने वाले समय को काफी कम करने में मदद मिलेगी।
पैंगोंग झील विवाद क्या है?
- झील के बारे में:
- पैंगोंग त्सो ट्रांस-हिमालय में लद्दाख में 14,000 फीट से अधिक की ऊँचाई पर एक लंबी, संकरी, गहरी, अंतर्देशीय झील है।
- भारत और चीन के पास क्रमशः पैंगोंग त्सो झील का लगभग एक-तिहाई तथा दो-तिहाई हिस्सा है।
- पैंगोंग त्सो का पूर्वी छोर तिब्बत में स्थित है।
- यह एक विवर्तनिक झील है जो तब बनी जब भारत गोंडवानालैंड से पृथक होकर एशिया से जुड़ गया और हिमालय पर्वत श्रेणी का निर्माण करने के लिये एशियाई क्षेत्र पर दबाव बनाते हुए उस स्थान को विस्थापित कर दिया जो कभी टेथिस महासागर था।
- विवादित "फिंगर्स" क्षेत्र:
- झील के उत्तरी तट पर "फिंगर्स" के रूप में जानी जाने वाली रेखाएँ हैं।
- भारत का दावा है कि LAC फिंगर 8 से होकर गुजरती है लेकिन फिंगर 4 तक नियंत्रण रखती है, जबकि चीन का दावा है कि LAC फिंगर 2 पर है।
- हाल के तनावों के कारण चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों को फिंगर 2 से आगे बढ़ने से रोक दिया है।
- सामरिक महत्त्व:
- यह चुशूल अप्रोच पथ में स्थित है, जो चीनी आक्रमणों के लिये एक संभावित मार्ग है।
- वर्ष 1962 के युद्ध में, चीन ने इस क्षेत्र में अपना मुख्य आक्रमण शुरू किया और भारतीय सेना ने रेजांग ला में वीरतापूर्वक लड़ाई लड़ी।
- चीन ने झील के तटों पर मोटर योग्य सड़कें बनाई हैं और अपने हुआंगयांगटन बेस पर इस क्षेत्र का एक बड़े पैमाने पर मॉडल बनाया है।
- यह चुशूल अप्रोच पथ में स्थित है, जो चीनी आक्रमणों के लिये एक संभावित मार्ग है।
पैंगोंग झील पर पुल के संबंध में भारतीय चिंताएँ क्या हैं?
- इससे चीन के सैनिकों और टैंकों को रेज़ांग ला सहित झील के दक्षिणी तटों तक तेज़ी से पहुँच मिल जाएगी, जहाँ भारतीय सेना ने वर्ष 2020 में उन्हें मात दी थी।
- भारतीय सेना ने वर्ष 2020 में पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी तट पर प्रमुख ऊँचाइयों पर अधिग्रहण कर लिया।
- इसके प्रत्युत्तर में नई चीनी सेतु बनाई गई।
- यह कथित तौर पर पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर PLA की मोल्डो गैरीसन को सुदृढ़ करेगा।
- इससे PLA को रुटोग बेस पर मोटर चालित इकाइयों को तैनात करके मोल्डो गैरीसन को तेज़ी से सुदृढ़ करने में भी सहायता मिलेगी।
भारत-चीन सीमा विवाद
- भारत-चीन सीमा (3,488 किलोमीटर) कुछ क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है और कुछ हिस्सों में कोई पारस्परिक रूप से सहमत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) नहीं है। LAC की स्थापना वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद की गई थी।
- भारत-चीन सीमा तीन क्षेत्रों में विभाजित है:
- पश्चिमी क्षेत्र: लद्दाख
- मध्य क्षेत्र: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड
- पूर्वी क्षेत्र: अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम
- विवाद के मुख्य क्षेत्र पश्चिमी क्षेत्र में स्थित अक्साई चिन तथा पूर्वी क्षेत्र में स्थित अरुणाचल प्रदेश हैं।
- अक्साई चिन पर चीन का नियंत्रण है, जो शिनजियांग का हिस्सा है, लेकिन भारत इसे लद्दाख का हिस्सा बताता है।
- चीन पूरे अरुणाचल प्रदेश राज्य पर दावा करता है और इसे "दक्षिण तिब्बत" कहता है। भारत इस क्षेत्र को पूर्वोत्तर राज्य के रूप में प्रशासित करता है तथा अपने क्षेत्र का अभिन्न अंग मानता है।
LAC पर अन्य चीनी सैन्य अवसंरचना
- कनेक्टिविटी: सैमज़ंगलिंग के उत्तर से गलवान घाटी तक सड़क का निर्माण,
- भूमिगत बंकर: LAC के साथ नए भूमिगत बंकर, शिविर, आश्रय, तोपखाने की स्थिति, रडार साइट और गोला-बारूद डंप का निर्माण।
- हवाई युद्ध: उच्च ऊँचाई वाली लड़ाकू चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये अतिरिक्त लड़ाकू विमानों, बमवर्षकों, टोही विमानों और ड्रोन की तैनाती।
- सीमावर्ती गाँव: नए दोहरे उपयोग वाले 'ज़ियाओकांग' सीमावर्ती गाँवों का निर्माण।
- रियर एरिया इन्फ्रास्ट्रक्चर: पैंगोंग त्सो के दोनों किनारों पर बफर ज़ोन में सैन्य और परिवहन बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना।
भारत ने LAC पर सैन्य बुनियादी ढाँचे के प्रति कैसी प्रतिक्रिया दी?
- सड़क निर्माण: विगत पाँच वर्षों में सीमावर्ती क्षेत्रों में लगभग 6,000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है, जिनमें से 2,100 किलोमीटर उत्तरी सीमाओं पर निर्मित हुई हैं। उदाहरण के लिये, दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) सड़क।
- सुरंगें: लद्दाख में सभी मौसम में संपर्क वाली परियोजनाएँ जैसे कि ज़ोजिला एवं ज़ेड-मोड़ सुरंगें और अरुणाचल प्रदेश में जैसे कि सेला सुरंग तथा नेचिपु सेतु स्थापित किये गए हैं।
- सैन्य आवास: लद्दाख में बुनियादी ढाँचे और आवास पर विगत तीन वर्षों में 1,300 करोड़ रुपए खर्च किये गए हैं, जिसमें शीला आश्रयों तथा फ्यूल सेल्स (Sheela Shelters and Fuel Cells) जैसे हरित समाधान शामिल हैं।
- पवन ऊर्जा अवसंरचना: सामग्री की पुनःआपूर्ति के लिये हेवी लिफ्ट और रसद हेलीकॉप्टरों की उपलब्धता बढ़ाना, उदाहरण के लिये C17 ग्लोबमास्टर एवं C-130J सुपर हरक्यूलिस की तैनाती।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. सियाचिन ग्लेशियर स्थित है: (वर्ष 2020) (a) अक्साई चिन के पूर्व में उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न: “चीन अपने आर्थिक संबंधों एवं सकारात्मक व्यापार अधिशेष को, एशिया में संभाव्य सैनिक शक्ति हैसियत को विकसित करने के लिये, उपकरणों के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।" इस कथन के प्रकाश में, उसके पड़ोसी के रूप में भारत पर इसके प्रभाव पर चर्चा कीजिये। (2017) |