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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 03 Jan, 2023
  • 27 min read
प्रारंभिक परीक्षा

स्टेम सेल-व्युत्पन्न माइटोकॉन्ड्रिया प्रत्यारोपण

हाल ही में माइटोकॉन्ड्रिया के जीनोम में विलोपन के कारण होने वाले दुर्लभ विकारों (Rare Disorder) वाले छह बच्चों का पहली बार स्टेम-सेल व्युत्पन्न माइटोकॉन्ड्रिया प्रत्यारोपण द्वारा सफलतापूर्वक इलाज किया गया। 

  • इस प्रक्रिया में दाता माताओं से बच्चों के हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल में माइटोकॉन्ड्रिया प्रत्यारोपण शामिल था, जो सभी प्रकार की रक्त कोशिकाओं को जन्म देता है।  

स्टेम सेल-व्युत्पन्न माइटोकॉन्ड्रिया प्रत्यारोपण:

  • इसमें घायल कोशिकाओं को बचाने के लिये स्टेम सेल के सहज माइटोकॉन्ड्रिया प्रत्यारोपण या इलाज हेतु क्षतिग्रस्त भाग में स्टेम सेल माइटोकॉन्ड्रिया का इंजेक्शन लगाना शामिल है। 
    • स्टेम सेल कोशिकाओं की उत्पत्ति के संदर्भ में सबसे बुनियादी कोशिकाएँ हैं और उनमें विभेदन एवं स्व-नवीनीकरण(Self- renewal) की उच्च क्षमता होती है।
    • विभिन्न मानव ऊतकों, अंगों या कार्यात्मक कोशिकाओं में विकसित होने की स्टेम कोशिकाओं की क्षमता उन्हें पुनर्योजी चिकित्सा और चिकित्सीय ऊतक (Tissue) इंजीनियरिंग में उपयोग के लिये बेहद आशाजनक बनाती है।

माइटोकॉन्ड्रिया

  • माइटोकॉन्ड्रिया किसी भी कोशिका के अंदर पाया जाता है जिसका मुख्य काम कोशिका के हर हिस्से में ऊर्जा पहुँचाना होता है, इसी कारण माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का पावर हाउस भी कहा जाता है।
    • वे कोशिका की जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं को शक्ति प्रदान करने के लिये आवश्यक रासायनिक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
      • माइटोकॉन्ड्रिया द्वारा उत्पादित रासायनिक ऊर्जा एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट (एटीपी) के रूप में संग्रहित होती है।
    • माइटोकॉन्ड्रिया की अपनी डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) होती है। आमतौर पर माइटोकॉन्ड्रिया, अथवा माइटोकॉन्ड्रियल DNA, लगभग सभी बहुकोशिकीय जीवों में माँ से ही प्राप्त होते हैं।
  • स्तनधारियों के शुक्राणुओं में माइटोकॉन्ड्रिया आमतौर पर निषेचन के बाद अंडे की कोशिका (Egg Cell) द्वारा नष्ट हो जाते हैं।
    • माइटोकॉन्ड्रिया शुक्राणु के निचले हिस्से पर मौजूद होते हैं, जिसका उपयोग शुक्राणु कोशिकाओं को आगे की ओर बढ़ाने के लिये किया जाता है; कभी-कभी निषेचन के दौरान यह हिस्सा नष्ट हो जाता है।

Inner-membrane

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. वंशानुगत रोगों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021) 

  1. अंडों के अंतःपात्र (इन विट्रो) निषेचन से पहले या बाद में सुत्रकणिका प्रतिस्थापन (माइटोकॉन्ड्रिया रिप्लेसमेंट) चिकित्सा द्वारा सुत्रकणिका रोगों (माइटोकॉन्ड्रियल डिजीज़) को माता-पिता से संतान में जाने से रोका जा सकता है।
  2. किसी संतान में सुत्रकणिका रोग (माइटोकॉन्ड्रियल डिजीज़) आनुवंशिक रूप से पूर्णतः माता से जाता है न कि पिता से।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (C) 

व्याख्या: 

  • तकनीकी विकास अंडे/भ्रूण के साइटोप्लाज़्म के लगभग पूर्ण प्रतिस्थापन की अनुमति देता है, विरासत में मिली माइटोकॉन्ड्रियल बीमारियों वाले रोगियों के लिये अवांछित दोषपूर्ण माइटोकॉन्ड्रिया के संचरण को समाप्त करता है, जिसे माइटोकॉन्ड्रियल रिप्लेसमेंट थेरेपी (MRT) कहा जाता है।
  • इस तथ्य के बावजूद कि इसे माइटोकॉन्ड्रियल रिप्लेसमेंट थेरेपी कहा जाता है, उपचार कार्यात्मक रूप से माता की सुत्रकणिका आनुवंशिक सामग्री को रोगग्रस्त माइटोकॉन्ड्रिया वाले अंडे (ओओसाइट) से एक दाता अंडे में स्थानांतरित करने का कार्य करता है जिसमें स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रिया होता है और जिसकी मूल परमाणु आनुवंशिक सामग्री को हटा दिया गया है। दाता अंडे में स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रिया सामान्य विकास की अनुमति दे सकता है तथा माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी के संचरण को रोक सकता है।
  • इन प्रक्रियाओं में इन विट्रो निषेचन सहित सहायक प्रजनन तकनीक का उपयोग किया जाता है। मातृ आनुवंशिक सामग्री को हटाने से पहले या मातृ आनुवंशिक सामग्री को दाता अंडे में स्थानांतरित करने के बाद पिता का शुक्राणु रोगी के अंडे को निषेचित कर सकता है। अतः कथन 1 सही है।
  • ऊर्जा उत्पादक ऑर्गेनेल माइटोकॉन्ड्रिया में अपना कॉम्पैक्ट जीनोम होता है, जो परमाणु जीनोम से अलग होता है। लगभग सभी स्तनधारियों में यह माइटोकॉन्ड्रियल जीनोम विशेष रूप से माँ से विरासत में मिला होता है एवं पैतृक माइटोकॉन्ड्रिया या माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (एमटीडीएनए) का संचरण मनुष्यों में आश्वस्त रूप से प्रदर्शित नहीं किया गया है।
  • माइटोकॉन्ड्रियल रोग पुराने (दीर्घकालिक) आनुवंशिक, अक्सर विरासत में मिले विकार होते हैं जो तब होते हैं जब माइटोकॉन्ड्रिया शरीर को ठीक से काम करने के लिये पर्याप्त ऊर्जा का उत्पादन करने में विफल रहता है। चूँकि माइटोकॉन्ड्रियल जीनोम विशेष रूप से माता से विरासत में मिला होता है, इसलिये संतान को माइटोकॉन्ड्रियल रोग पूरी तरह से माँ से विरासत में मिलते हैं, न कि पिता से। अतः कथन 2 सही है।

अतः विकल्प (C) सही उत्तर है।


प्रश्न. अक्सर सुर्खियों में रहने वाली ‘स्टेम कोशिकाओं’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं? (2012)

  1. स्टेम कोशिकाएँ केवल स्तनपायी जीवों से ही प्राप्त की जा सकती है।
  2. स्टेम कोशिकाएँ नई औषधियों को परखने के लिये प्रयोग की जा सकती है।
  3. स्टेम कोशिकाएँ चिकित्सा थेरेपी के लिये प्रयोग की जा सकती हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b) 

व्याख्या: 

  • स्टेम कोशिकाएँ अविभाजित या "रिक्त" कोशिकाएँ होती हैं जो नई कोशिकाओं के रूप में विकसित होने में सक्षम होती हैं तथा शरीर के विभिन्न भागों में कई कार्य करती हैं। शरीर में अधिकांश कोशिकाएँ विभेदित कोशिकाएँ हैं। ये कोशिकाएँ किसी विशेष अंग में केवल एक विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति कर सकती हैं। उदाहरण के लिये लाल रक्त कोशिकाएँ विशेष रूप से रक्त के माध्यम से ऑक्सीजन ले जाने के लिये होती हैं।
  • स्टेम कोशिकाएँ न केवल स्तनधारियों में पाई जाती हैं, बल्कि पौधों और अन्य जीवों में भी पाई जाती हैं। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • चूँकि स्टेम कोशिकाओं में कई अन्य प्रकार की कोशिकाओं में परिवर्तित होने की क्षमता होती है, वैज्ञानिकों का मानना है कि वे बीमारियों के इलाज़ और रोग को समझने के लिये उपयोगी हो सकती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, स्टेम कोशिकाओं का उपयोग निम्नलिखित में किया जा सकता है:
    • क्षतिग्रस्त अंगों या ऊतकों के प्रत्यारोपण के लिये प्रयोगशाला में नई कोशिकाएँ विकसित करना।
    • अंगों के ठीक से काम न करने वाले भाग को ठीक करना।
    • कोशिकाओं में अनुवांशिक दोष के कारणों पर शोध करना कि रोग कैसे होते हैं या कुछ कोशिकाएँ कैंसर कोशिकाओं के रूप में क्यों विकसित होती हैं।
    • सुरक्षा और प्रभावशीलता के लिये नई दवाओं का परीक्षण करना। अतः कथन 2 सही है।
    • चिकित्सा उपचार की व्यवस्था करना। अतः कथन 3 सही है।
  • अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

क्रय प्रबंधक सूचकांक

एसएंडपी (S&P) ग्लोबल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेज़िंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) के अनुसार, दिसंबर 2022 में भारत के विनिर्माण क्षेत्र में 13 महीनों में सबसे महत्त्वपूर्ण उत्पादन वृद्धि हुई है।

  • अक्तूबर से दिसंबर तिमाही के लिये पीएमआई का औसत 56.3 रहा, जो एक साल में सबसे ज़्यादा है। यह इंगित करता है कि विनिर्माण क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और रोज़गार सृजन में योगदान दे सकता है।

क्रय प्रबंधक सूचकांक:

  • यह एक सर्वेक्षण-आधारित प्रणाली है जिसमें संगठनों से पिछले महीने की तुलना में प्रमुख व्यावसायिक परिवर्ती कारकों की वजह से हुए परिवर्तन के फलस्वरूप उनकी धारणा में आए बदलाव के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।
  • पीएमआई  (PMI) का उद्देश्य कंपनी के निर्णय निर्माताओं, विश्लेषकों और निवेशकों को वर्तमान एवं भविष्य की व्यावसायिक स्थितियों के बारे में जानकारी प्रदान करना है।
  • इसकी विनिर्माण और सेवा सेक्टर के लिये अलग-अलग गणना की जाती है और फिर एक कंपोज़िट इंडेक्स भी बनाया जाता है। 
  • PMI 0 से 100 तक की संख्या में व्यक्त किया जाता है।
    • 50 से ऊपर के स्कोर का अर्थ है विस्तार, जबकि इससे नीचे का स्कोर संकुचन को दर्शाता है।
    • 50 का स्कोर कोई बदलाव नहीं दर्शाता है।
  • यदि पिछले महीने का PMI चालू माह के PMI से अधिक है, तो यह दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था संकुचित हो रही है।
  • यह आमतौर पर हर महीने की शुरुआत में जारी किया जाता है। इसलिये इसे आर्थिक गतिविधि का एक अच्छा अग्रणी संकेतक माना जाता है।
  • PMI को IHS मार्किट द्वारा दुनिया भर में 40 से अधिक अर्थव्यवस्थाओं के लिये संकलित किया गया है।
    • IHS मार्किट दुनिया भर में अर्थव्यवस्थाओं को चलाने वाले प्रमुख उद्योगों और बाज़ारों के लिये सूचना, विश्लेषण एवं समाधान हेतु एक वैश्विक मंच है।
    • IHS मार्किट एसएंडपी ग्लोबल का हिस्सा है।

PMI का महत्त्व:

  • आर्थिक स्वास्थ्य के संकेतक के रूप में PMI का व्यापक रूप से पालन किया जाता है क्योंकि विनिर्माण और सेवा क्षेत्र आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक है।
  • सामान्य तौर पर एक उच्च PMI रीडिंग को अर्थव्यवस्था के लिये सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जाता है, क्योंकि यह इंगित करता है कि विनिर्माण और सेवा क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तथा आर्थिक विकास में योगदान दे रहे हैं।
  • कम PMI रीडिंग को एक नकारात्मक संकेत के रूप में देखा जाता है क्योंकि यह इंगित करता है कि विनिर्माण और सेवा क्षेत्र संघर्ष कर रहे हैं तथा समग्र आर्थिक प्रदर्शन को नीचे ले जा रहे हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. S&P 500 किससे संबंधित है? (2008)

(a) सुपरकंप्यूटर
(b) ई-बिज़नेस में एक नई तकनीक
(c) पुल निर्माण में एक नई तकनीक
(d) बड़ी कंपनियों के शेयरों का एक सूचकांक

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • S&P 500 (स्टैंडर्ड एंड पूअर्स 500) एक अमेरिकी स्टॉक इंडेक्स है, जिसे व्यापक रूप से बड़ी पूंजी वाले यूएस इक्विटीज़ का सबसे अच्छा मापक माना जाता है।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

आयुर्वेद हेतु स्मार्ट (SMART) कार्यक्रम

हाल ही में आयुष मंत्रालय के तहत दो प्रमुख संस्थानों- भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिये राष्ट्रीय आयोग (NCISM) और केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद  (CCRAS) ने 'स्मार्ट' कार्यक्रम शुरू किया है।

  • स्कोप फॉर मेनस्ट्रीमिंग आयुर्वेद रिसर्च इन टीचिंग प्रोफेशनल्स (SMART) कार्यक्रम का उद्देश्य आयुर्वेद कॉलेजों और अस्पतालों के माध्यम से वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना है।

स्मार्ट (SMART) कार्यक्रम: 

  •  यह पाया गया कि आयुर्वेद शिक्षकों के विशाल समुदाय की अनुसंधान क्षमता का आमतौर पर उपयोग नहीं हो पाता है। अत: ‘स्मार्ट’ कार्यक्रम का आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुसंधान पर गहरा दीर्घकालिक कायाकल्प प्रभाव पड़ेगा तथा यह राष्ट्र के लिये एक महान सेवा होगी।
  • इसका उद्देश्य ऑस्टियोआर्थराइटिस, आयरन की कमी वाले एनीमिया, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, डिस्लिपिडेमिया, रुमेटीइड आर्थराइटिस, मोटापा, मधुमेह मेलेटस, सोरायसिस, सामान्यीकृत चिंता विकार, गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग (NAFLD) सहित स्वास्थ्य अनुसंधान क्षेत्रों में नवीन अनुसंधान तरीकों की पहचान, सहयोग और प्रचार करना है।
  • कार्यक्रम शिक्षकों को स्वास्थ्य अनुसंधान के निर्दिष्ट क्षेत्रों में प्रोजेक्ट हेतु प्रेरित करेगा और एक बड़ा डेटाबेस तैयार करेगा। 

‘आयुष’:

  • स्वास्थ्य देखभाल और उपचार की पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक प्रणालियाँ  में आयुर्वेद (Ayurveda), योग (Yoga), प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी (Unani), सिद्ध (Siddha), सोवा-रिग्पा (Sowa-Rigpa) व होम्योपैथी (Homoeopathy) आदि शामिल हैं।
  • भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की सकारात्मक विशेषताओं अर्थात् उनकी विविधता और लचीलापन; अभिगम्यता; सामर्थ्य, आम जनता के एक बड़े वर्ग द्वारा व्यापक स्वीकृति; तुलनात्मक रूप से कम लागत तथा बढ़ते आर्थिक मूल्य के कारण उनके स्वास्थ्य सेवा प्रदाता बनने की काफी संभावनाएँ हैं, साथ ही लोगों के बड़े हिस्से को उनकी आवश्यकता है।

आयुर्वेद के विकास हेतु सरकार की पहलें: 

स्रोत: पी.आई.बी.


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 जनवरी, 2023

108वीं भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस

108वीं भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस का सम्‍मेलन नागपुर के राष्‍ट्रसंत तुकादोजी महाराज नागपुर विश्‍वविद्यालय में  3 जनवरी से शुरू हो गया है। वर्ष 2023 के सम्‍मेलन का मुख्य विषय- महिला सशक्तीकरण के साथ सतत् विकास के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी है। इसमें संबद्ध विषय की भूमिका से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित शिक्षा और आर्थिक भागीदारी तक महिलाओं को समान पहुँच प्रदान करने के साथ ही अध्‍यापन, अनुसंधान और उद्योग जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस अथवा 'भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस संघ' (Indian Science Congress Association- ISCA) भारतीय वैज्ञानिकों की शीर्ष संस्था है। पहली विज्ञान कॉन्ग्रेस वर्ष 1914 में आयोजित की गई थी। प्रतिवर्ष जनवरी के प्रथम सप्ताह में इसका सम्मेलन होता है। इसके साथ कई अन्‍य कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा। कृषक विज्ञान कॉन्ग्रेस जैव-अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार तथा युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करने का मंच प्रदान करेगी। जनजातीय विज्ञान कॉन्ग्रेस जनजातीय महिलाओं के सशक्तीकरण पर ध्‍यान केंद्रित करने के साथ-साथ स्‍वदेशी प्राचीन ज्ञान प्रणाली और पद्धतियों का वैज्ञानिक प्रदर्शन पर केंद्रित है।

देश भर में नदियों पर एक हज़ार से अधिक जलमार्ग

भारत सरकार नदियों में आधुनिक क्रूज़ जहाज़ सेवा संचालित करने के लिये 1000 से अधिक जलमार्ग निर्माण हेतु प्रयासरत है। सतत् जलमार्गों के विकास के साथ भारत क्रूज़ पर्यटन के क्षेत्र में एक नया दौर शुरू करने के लिये पूर्णतः तैयार है। प्रधानमंत्री ने दूसरी राष्‍ट्रीय गंगा परिषद की बैठक की अध्‍यक्षता करते हुए बताया कि जनवरी महीने की 13 तारीख को 2300 किलोमीटर की विश्‍व की सबसे लंबी क्रूज़ सेवा की शुरुआत काशी से की जाएगी, जो बांग्‍लादेश होते हुए डिब्रूगढ़ तक जाएगी। इस बैठक में प्रधानमंत्री ने नदियों की सफाई में जन-आंदोलन और लोगों की भागीदारी पर ज़ोर दिया। पत्तन पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री ने नदी पर्यटन एवं आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु गंगा नदी में जलमार्गों के विकास के लिये हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। 

मॉयल द्वारा रिकॉर्ड उत्पादन

मॉयल ने दिसंबर 2022 में 1,41,321 टन मैंगनीज़ अयस्क के साथ दिसंबर का अब तक का सर्वश्रेष्ठ उत्पादन किया है। नवंबर 2022 की तुलना में उत्पादन में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। साथ ही नवंबर 2022 की तुलना में लगभग 91 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ दिसंबर महीने के लिये 1,64,235 टन की बिक्री भी शानदार रही है। मॉयल लिमिटेड भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत अनुसूची-ए, मिनीरत्न श्रेणी-1 की CPSE (Central Public Sector Enterprises) है। मॉयल लगभग 45% बाज़ार हिस्सेदारी के साथ देश में मैंगनीज़ अयस्क की सबसे बड़ी उत्पादक है, जो महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश राज्य में 11 खानों का संचालन करती है। इस कंपनी का वर्ष 2030 तक अपने उत्पादन को लगभग दोगुना करके 3.00 मिलियन टन तक पहुँचाने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य है। मॉयल मध्य प्रदेश राज्य के अन्य क्षेत्रों के अलावा गुजरात, राजस्थान और ओडिशा राज्य में भी व्यापार के अवसर तलाश रही है।

माइक्रोप्लास्टिक्स को फिल्टर करने हेतु शुद्धिकरण प्रणाली

हाल ही में दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने एक नई जल शोधन प्रणाली विकसित की है जो माइक्रोप्लास्टिक्स को शीघ्र और कुशलता से फिल्टर कर सकती है। एक प्रयोग में 99.9% से अधिक दूषित पदार्थों को केवल 10 सेकंड में जल से निष्कासित कर दिया गया। उपयोग किया गया बहुलक सस्ता है और इसमें उत्कृष्ट अधिशोषण एवं फोटोथर्मल विशेषताएँ हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स को आभूषणों में इस्तेमाल होने वाले मानक मोती की तुलना में पाँच मिलीमीटर से कम व्यास वाले प्लास्टिक के रूप में परिभाषित किया गया है। यह हमारे समुद्र और जलीय जीवन के लिये हानिकारक हो सकता है।

और पढ़ें.. माइक्रोप्लास्टिक्स

मन्‍नथू पद्मनाभन 

प्रधानमंत्री ने मन्‍नथू पद्मनाभन को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। उनका जन्म 2 जनवरी, 1878 को केरल में हुआ था। वह दक्षिण-पश्चिमी राज्य केरल के भारतीय समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने वैकोम (1924) और गुरुवयूर (1924) मंदिर-प्रवेश सत्याग्रह एवं अस्पृश्यता विरोधी आंदोलनों में भाग लिया। उन्हें नायर समुदाय का सदस्य, सुधारक और नैतिक मार्गदर्शक माना जाता है। वर्ष 1966 में उन्हें पद्म भूषण प्रदान किया गया। 25 फरवरी, 1970 को उनका निधन हो गया।

और पढ़ें.. मन्‍नथू पद्मनाभन

साड़ी महोत्सव विरासत (VIRAASAT) 

वस्त्र मंत्रालय द्वारा आयोजित भारत की 75 हाथ से बुनी साड़ियों का उत्सव, साड़ी महोत्सव "विरासत" का दूसरा चरण 3 से 17 जनवरी, 2023 तक नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। 

साड़ी 

राज्य 

बनारसी  

  उत्तर प्रदेश

पैठनी

महाराष्ट्र 

कांजीवरम

तमिलनाडु

कसवु

केरल

जामदानी

पश्चिम बंगाल

बंधनी 

गुजरात

मुगा 

असम

फुलकारी

पंजाब

कलमकारी

  राजस्थान

और पढ़ें… भारत का वस्त्र उद्योग कांजीवरम सिल्क साड़ी: तमिलनाडु

DRDO स्थापना दिवस

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) ने 1 जनवरी, 2023 को अपना 65वाँ स्थापना दिवस मनाया।

DRDO का गठन वर्ष 1958 में भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (Technical Development Establishment- TDEs) और रक्षा विज्ञान संगठन (Defence Science Organisation- DSO) तथा तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय (Technical Development & Production- DTDP) के समामेलन से किया गया था।

यह 50 से अधिक प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है जो एयरोनॉटिक्स, आयुध, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहनों, इंजीनियरिंग प्रणालियाँ आदि जैसे विभिन्न विषयों को कवर करने वाली रक्षा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में प्रतिबद्धता के साथ लगे हुए हैं। हाल के विकास- एक्सट्रीम कोल्ड वेदर क्लोथिंग सिस्टम (ECWCS), 'प्रलय', कंट्रोल्ड एरियल डिलीवरी सिस्टम।

और पढ़े… रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)


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