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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 02 Aug, 2022
  • 13 min read
प्रारंभिक परीक्षा

अल्फाफोल्ड और प्रोटीन

हाल ही में लंदन स्थित एक कंपनी डीपमाइंड ने अल्फाफोल्ड का उपयोग करके 200 मिलियन से अधिक प्रोटीन त्रि-आयामी संरचनाओं की भविष्यवाणी की है।

AlphaFold & Protein

अल्फाफोल्ड:

  • परिचय:
    • अल्फाफोल्ड एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित उपकरण है जो प्रोटीन संरचना की भविष्यवाणी करता है।
    • यह डीप न्यूरल नेटवर्क नामक कंप्यूटर प्रणाली पर आधारित है।
      • न्यूरल नेटवर्क बड़ी मात्रा में ठीक उसी प्रकार इनपुट डेटा का उपयोग कर वांछित आउटपुट प्रदान करते हैं, जैसे मानव मस्तिष्क कार्य करता है।
      • वास्तविक कार्य इनपुट और आउटपुट परतों के मध्य ब्लैक बॉक्स द्वारा संपन्न किया जाता है, जिसे हिडन नेटवर्क कहा जाता है।
    • अल्फाफोल्ड को इनपुट के रूप में प्रोटीन अनुक्रमों के साथ जोड़ा जाता है।
      • जब प्रोटीन अनुक्रम एक छोर से प्रवेश करते हैं, तो अनुमानित त्रि-आयामी संरचनाएँ दूसरे छोर के माध्यम से बाहर आती हैं।
  • क्रियाविधि:
    • पहले चरण में कंप्यूटर मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिये प्रोटीन डाटा बैंक (PDB) में 1,70,000 प्रोटीन की उपलब्ध संरचनाओं का उपयोग किया जाता है।
      • यह उस प्रशिक्षण के परिणामों का उपयोग PDB में नहीं बल्कि प्रोटीन की संरचनात्मक भविष्यवाणी के लिये करता है।
      • यह पहले चरण से ही उच्च सटीकता पुर्वानुमान का उपयोग करता है ताकि पहले की पुर्वानुमानों की उच्च सटीकता प्राप्त करने के लिये फिर से प्रशिक्षित किया जा सके और फिर से सीख सकें।
    • इस पद्धति का उपयोग करके अल्फाफोल्ड ने अब यूनिवर्सल प्रोटीन रिसोर्स (यूनिप्रोट) डेटाबेस में एकत्रित पूरे 214 मिलियन अद्वितीय प्रोटीन अनुक्रमों की संरचनाओं का पूर्वानुमान लगाया है।
  • आशय:
    • मानव रोगों को समझने के लिये प्रोटीन संरचना और उसके कार्य को जानना आवश्यक है।
    • प्रोटीन आमतौर पर एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी, परमाणु चुंबकीय अनुनाद स्पेक्ट्रोस्कोपी या क्रायोजेनिक इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का उपयोग करके संरचित होते हैं।
      • इन तकनीकों में अक्सर वर्षों लग जाते हैं और ये मुख्य रूप से परीक्षण-और-त्रुटि विधियों पर आधारित होती हैं।
      • अल्फाफोल्ड प्रोटीन संरचना की प्रक्रिया को आसान बनाता है।
        • यह विशेष रूप से विज्ञान और संरचनात्मक जीव विज्ञान में एक ‘वाटरशेड मूवमेंट’ (Watershed Movement) है।
    • लगभग एक साल पहले डेटाबेस की पहली सार्वजनिक निर्गमन के बाद से अल्फाफोल्ड ने पहले ही टीका और दवा विकास में अपनी खोजों में तेज़ी लाने में सैकड़ों वैज्ञानिकों की मदद की है।
  • उपलब्ध विकल्प:
    • अल्फाफोल्ड न तो त्रुटिहीन है और न ही केवल AI-आधारित प्रोटीन संरचना पूर्वानुमान संबंधी उपकरण है।
      • अमेरिका के सिएटल में वाशिंगटन विश्वविद्यालय द्वारा विकसित RoseTTaFold एक अन्य उपकरण है।
        • हालाँकि अल्फाफोल्ड की तुलना में इसने कम सटीक प्रोटीन परिसरों की संरचना की भविष्यवाणी की है।

भारत के लिये इसका महत्त्व:

  • भारत को अल्फाफोल्ड डेटाबेस का तेज़ी से लाभ उठाने और बेहतर टीकों और दवाओं को डिज़ाइन करने के लिये संरचनाओं का उपयोग करने का तरीका सीखने की ज़रूरत है।
    • कम समय में कोविड -19 वायरस प्रोटीन की सटीक संरचना को समझने से वायरस के खिलाफ टीके और दवा के विकास में तेज़ी आएगी।
  • भारत को विज्ञान में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के कार्यान्वयन में भी तेज़ी लानी चाहिये।
    • इसे निजी क्षेत्र में प्रचलित हार्डवेयर और डेटा विज्ञान प्रतिभा तथा डेटा विज्ञान नवाचारों का मार्ग प्रशस्त करने के लिये अकादमिक संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ संयुक्त सहयोग की सुविधा प्रदान करनी चाहिये।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू):

प्रश्न: प्राय: समाचारों में आने वाला Cas9 प्रोटीन क्या है? (2019)

(a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आण्विक कैंची
(b) रोगियों में रोगजनकों की ठीक पहचान के लिये प्रयुक्त जैव संवेदक
(c) एक जीन जो पादपों को पीड़क-प्रतिरोधी बनाता है
(d) आनुवंशिकत: रूपांतरित फसलों में संश्लेषित होने वाला एक शाकनाशी पदार्थ

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • CRISPR-Cas9 अद्वितीय तकनीक है जो आनुवंशिकीविदों और चिकित्सा शोधकर्त्ताओं को DNA अनुक्रम के अनुभागों को हटाने, जोड़ने या बदलने के द्वारा जीनोम के कुछ हिस्सों को संपादित करने में सक्षम बनाती है।
  • CRISPR "क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स" का संक्षिप्त रूप है।
  • Cas9 मूल रूप से एक एंज़ाइम है जिसका उपयोग कैंची की एक जोड़ी की तरह DNA के बिट्स को जोड़ने, हटाने या मरम्मत करने के लिये एक विशिष्ट स्थान पर DNA के दो स्ट्रैंड को काटने हेतु किया जाता है।

अतः विकल्प (a) सही है।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

सैन्य-अभ्यास अल नजाह

भारतीय सेना और ओमान की शाही सेना के मध्य 1 से 13 अगस्त 2022 तक संयुक्त सैन्य अभ्यास अल नजाह-IV का आयोजन किया जा रहा है।

अल नजाह सैन्य अभ्यास:

  • परिचय:
  • इस अभ्यास का यह चौथा संस्करण है।
  • अभ्यास के दायरे में औपचारिक वार्ता, अभ्यास और प्रक्रियाओं की आपसी समझ, संयुक्त कमान तथा नियंत्रण संरचनाओं की स्थापना एवं आतंकवादी खतरों का उन्मूलन शामिल है।
  • इस सैन्य अभ्यास के दौरान संयुक्त शारीरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम, सामरिक अभ्यास, तकनीक एवं प्रक्रियाओं के समायोजन के अलावा संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत आतंकवाद का मुकाबला करने वाले सैन्य ऑपरेशन, क्षेत्रीय सुरक्षा कार्यक्रम और शांति की रक्षा संचालन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा।

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  • ओमान के साथ अन्य अभ्यास:
    • नौसेना अभ्यास:
      • नसीम-अल-बहर
    • वायु सेना अभ्यास:
      • इस्टर्न ब्रिज़

भारत के लिये ओमान का सामरिक महत्त्व:

  • ओमान, खाड़ी देशों में भारत का रणनीतिक साझेदार है और खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council- GCC), अरब लीग तथा हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association- IORA) के लिये एक महत्त्वपूर्ण वार्ताकार है।
  • ओमान होर्मुज़ जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार पर है, जहाँ से भारत अपने तेल आयात के पाँचवें हिस्से का आयात करता है।
  • अरब सागर के पार दोनों देश भूगोल, इतिहास और संस्कृति से जुड़े हुए हैं तथा सौहार्दपूर्ण संबंध रखतें हैं, जो ऐतिहासिक समुद्री व्यापार संबंध के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।

स्रोत: पीआईबी


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 02 अगस्त, 2022

पिंगली वेंकैया

संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली में 02 अगस्त, 2022 को स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया की 146वीं जयंती के अवसर पर तिरंगा उत्सव का आयोजन कर रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री तिरंगा उत्सव में हिस्सा लेंगे। स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया ने देश के राष्ट्रीय झंडे को तैयार किया था। गांधी जी के अनुरोध पर उन्होंने भारत के राष्ट्रीय झंडे की परिकल्पना की थी। हालाँकि प्रारंभ में वेंकैया ने ध्वज में केवल लाल और हरे रंग का ही प्रयोग किया था, जो क्रमशः हिंदू तथा मुसलमान समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे। किंतु बाद में इसके केंद्र में एक चरखा और तीसरे रंग (सफेद) को भी शामिल किया गया। वर्ष 1931 में भारतीय राष्ट्रीय काॅॅन्ग्रेस द्वारा इस ध्वज को आधिकारिक तौर पर अपनाया गया। 4 जुलाई, 1963 को पिंगली वेंकैया की मृत्यु हो गई। तिरंगा उत्सव के इस कार्यक्रम के समापन के अवसर पर पिंगली वेंकैया के बहुमूल्य योगदान के लिये उनके सम्मान में स्मारक डाक टिकट जारी किया जाएगा। इस अवसर पर उनके परिवार को भी सम्मानित किया जाएगा एवं हर घर तिरंगा गीत और वीडियो भी जारी किया जाएगा।

अंडाल थिरुनाक्षत्रम

1 अगस्त, 2022 को अंडाल थिरुनाक्षत्रम और प्रसिद्ध तमिल संत कवि अंडाल की जयंती है, जिन्हें देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। उन्हें दक्षिण की मीरा कहा जाता है। तमिल महीने का पूरम दिवस अंडाल की जयंती के रूप में मनाया जाता है। पूरम हिंदू ज्योतिष में 27 नक्षत्रों में से एक है। अंडाल 12 अलवार संतों में से एक मात्र महिला संत है। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भगवान विष्णु की भक्ति के लिये समर्पित कर दिया था। माना जाता है कि उनका जन्म 7 वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान श्रीविल्लिपुथुर में हुआ था। उन्हें भूमि देवी (धरती माता) का भी अवतार माना जाता है। श्रीविल्लीपुथुर मंदिर अंडाल को समर्पित है।

'मिंजर मेला'

प्रधानमंत्री ने 31 जुलाई, 2022 को ‘मन की बात’ की 91वीं कड़ी में 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' के तहत एकता की भावना को बढ़ावा देने मेंं पारंपरिक मेलों के महत्त्व पर प्रकाश डाला। इस दौरान प्रधानमंत्री ने चंबा के 'मिंजर मेला' का जिक्र किया। हाल ही में इस मेले को केंद्र सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय दर्जा देने की भी घोषणा की गई है। दरअसल, मक्के के पौधे के पुष्पक्रम को मिंजर कहते हैं। जब मक्के पर फूल खिलते हैं, तो मिंजर मेला मनाया जाता है और इस मेले में देश भर से पर्यटक हिस्सा लेने आते हैं। मिंजर मेला 935 ई. में त्रिगर्त (अब कांगड़ा के नाम से जाना जाने वाला) के शासक पर चंबा के राजा की विजय के उपलक्ष्य में, हिमाचल प्रदेश के चंबा घाटी में मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अपने विजयी राजा की वापसी पर लोगों ने उसका धान और मक्का की मालाओं से अभिवादन किया, जो कि समृद्धि और खुशी का प्रतीक है। यह मेला श्रावण मास के दूसरे रविवार को आयोजित किया जाता है। इस मेले की घोषणा के समय मिंजर का वितरण किया जाता है, जो पुरुषों और महिलाओं द्वारा समान रूप से पोशाक के कुछ हिस्सों पर पहना जाने वाला एक रेशम की लटकन है। यह तसली धान और मक्का के अंकुर का प्रतीक है जो वर्ष के श्रावण मास के आसपास उगते हैं। सप्ताह भर चलने वाला मेला तब शुरू होता है जब ऐतिहासिक चौगान में मिंजर ध्वज फहराया जाता है।


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