भीमताल झील
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
- भीमताल झील उत्तराखंड राज्य में नैनीताल ज़िले (जिसे "भारत का झीलों का ज़िला" भी कहा जाता है।) की सबसे बड़ी झील है साथ ही यह कुमाऊँ क्षेत्र की भी सबसे बड़ी झील है।
- इसका नाम प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत के दूसरे पांडव भीम के नाम पर रखा गया है।
- यह एक प्राकृतिक झील है और इसकी उत्पत्ति का श्रेय पृथ्वी की भू पर्पटी के खिसकने के कारण उत्पन्न हुए अनेक भ्रंशों को दिया जाता है।
- यह झील 1883 में ब्रिटिश काल के दौरान बनाई गई थी और इस पर एक चिनाई वाला बांध (Masonry dam) बनाया गया है।
- झील के चारों ओर समृद्ध वनस्पति और जीव हैं और झील के चारों ओर पहाड़ी ढलानों पर देवदार और ओक के घने जंगल हैं।
- यह सर्दियों के महीनों में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का निवास स्थान होता है।
- क्षेत्र में पाई जाने वाली प्रसिद्ध प्रजातियों में बुलबुल, वॉल क्रीपर, एमराल्ड डव, ब्लैक ईगल और टैनी फिश उल्लू शामिल हैं।
- झील के केंद्र में एक द्वीप है जिसे एक मछलीघर (Aquarium) के साथ पर्यटकों के आकर्षण के रूप में विकसित किया गया है।
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शोम्पेन जनजाति ने पहली बार किया अपने मताधिकार का प्रयोग
स्रोत : द हिंदू
ग्रेट निकोबार द्वीप में रहने वाले विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (Particularly Vulnerable Tribal Groups - PVTGs) में से एक शोम्पेन जनजाति के 7 सदस्यों ने पहली बार अंडमान और निकोबार लोकसभा क्षेत्र में अपना पहला वोट डाला।
- वे अत्यधिक अलग-थलग, अर्द्ध-घुमंतू शिकारी-संग्रहकर्त्ता हैं। 2011 की जनगणना के आँकड़ों के अनुसार शोम्पेन जनजाति की अनुमानित जनसंख्या 229 थी।
- वे अपनी विशिष्ट अनूठी भाषा के लिये जाने जाते हैं, जिसमें विभिन्न बोलियाँ शामिल हैं जिन्हें केवल विशिष्ट क्षेत्र के भीतर ही समझा जाता है।
- जनजाति की सामाजिक संरचना पितृसत्तात्मक है, जिसमें सबसे बड़ा पुरुष सदस्य पारिवारिक मामलों की देखरेख करता है। इनमें एकल विवाह आम है तथा बहुविवाह भी स्वीकार्य है।
- अंडमान द्वीपसमूह में पाँच PVTGs निवास कर रहे हैं, वे हैं ग्रेट अंडमानीज़, ज़ारवा, ओंगेस, शोम्पेन और नॉर्थ सेंटिनलीज़।
- PVTGs को मूल रूप से 1973 में ढेबर आयोग द्वारा आदिम जनजातीय समूह (PTG) के रूप में सूचीबद्ध किया गया था, बाद में 2006 में भारत सरकार द्वारा इसका नाम बदलकर पीवीटीजी कर दिया गया।
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अप्रैल 2024 का GST राजस्व संग्रह
स्रोत: द हिंदू
- सकल वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह अप्रैल, 2024 में 2.10 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गया। यह साल-दर-साल 12.4% की महत्त्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाता है, जो घरेलू लेनदेन (13.4% ऊपर) और आयात (8.3% ऊपर) में मज़बूत वृद्धि से प्रेरित है।
- रिफंड के लेखांकन के बाद, अप्रैल 2024 का शुद्ध GST राजस्व 1.92 लाख करोड़ रुपए है, जो वर्ष 2023 की समान अवधि की तुलना में 15.5% की प्रभावशाली वृद्धि को दर्शाता है।
- वित्तमंत्री ने इस वृद्धि का श्रेय अर्थव्यवस्था में मज़बूत गति और कुशल कर संग्रह को दिया, जिसमें राज्यों को IGST (एकीकृत GST) निपटान के कारण कोई बकाया नहीं है।
- GST क्षतिपूर्ति उपकर संग्रह भी 13,260 करोड़ रुपए के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुँच गया।
- वर्ष 2017 में GST व्यवस्था में बदलाव के कारण राज्यों को होने वाले राजस्व घाटे की भरपाई के लिये पाँच वर्ष के लिये पेश किये गए उपकर का उपयोग अब महामारी के दौरान लिये गए ऋणों को चुकाने के लिये किया जा रहा है, ताकि लॉकडाउन के कारण राजस्व में गिरावट के बीच राज्यों को मुआवज़ा दिया जा सके।
- मिज़ोरम ने सर्वाधिक 52% की वृद्धि दर्ज़ की, इसके बाद असम में 25% और दिल्ली, बिहार व गोवा के राजस्व में 23% की वृद्धि दर्ज की गई।
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ऑप्शन राइटिंग
स्रोत : बिज़नेस लिंक
खुदरा निवेशक और संपन्न व्यक्ति तेज़ी से ऑप्शन राइटिंग में निवेश कर रहे हैं, परंतु यह एक जोखिम भरा क्षेत्र है जिस पर संस्थागत भागीदारों और विशेषज्ञों का वर्चस्व था।
- ऑप्शन राइटिंग में यह वृद्धि ,डेरिवेटिव ट्रेडिंग के रिटेल भागीदारों के संबंध में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के लिये चिंताओं का कारण है, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के एक अध्ययन के अनुसार फ्यूचर एवं ऑप्शन (F&O) ट्रेडिंग क्षेत्र में 90% ट्रेडर्स को नुकसान होता है।
- ऑप्शन राइटिंग का अर्थ ऑप्शन अनुबंधों को बेचने की रणनीति से है, जो विक्रेता (ऑप्शन राइटर )को एक निर्दिष्ट अवधि (समाप्ति तिथि) के भीतर पूर्व निर्धारित मूल्य (स्ट्राइक प्राइस) पर अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने का दायित्व देता है।
- यह रणनीति अक्सर उन निवेशकों द्वारा अपनाई जाती है जो प्रीमियम एकत्र करके आय सृजित करना चाहते हैं परंतु यदि बाज़ार, विक्रेता के प्रतिकूल चलता है तो इससे असीमित हानि की संभावना का संकट उत्पन्न हो सकता है।
- दैनिक तथा साप्ताहिक ऑप्शन समाप्ति के प्रारंभ से ऑप्शन राइटिंग को और बढ़ावा मिला है, जिससे ट्रेडर्स को अल्पकालिक बाज़ार के उतार-चढ़ावों एवं प्रीमियम हानि पर निवेश करना सुगम हुआ है।
- ऑप्शन ट्रेडर्स को थीटा क्षय (विकल्प के मूल्य में लगातार हो रही गिरावट) से लाभ होता है,जबकि खरीदारों को तेज़ी से प्रीमियम पर हानि के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- डेरिवेटिव एवं अंतर्निहित प्रतिभूतियों से प्राप्त वित्तीय उपकरणों में फॉरवर्ड्स, फ्यूचर्स और ऑप्शंस सम्मिलित हैं।
- फॉरवर्ड्स और फ्यूचर्स खरीदारों को भविष्य की तारीख पर पूर्व-सहमत मूल्य पर संपत्ति खरीदने के लिये बाध्य करते हैं।
- ऑप्शंस, खरीदारों को परिपक्वता अवधि पर या उससे पूर्व निर्धारित मूल्य पर अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने का अधिकार देते हैं, परंतु दायित्व का नहीं।
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सौर ज्वालाओं का एक साथ विस्फोट
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) की सौर गतिकी वेधशाला ने एक दुर्लभ खगोलीय घटना को रिकॉर्ड किया, जो एक साथ चार सौर ज्वालाओं के विस्फोट के साथ घटित हुई।
- इसकी उत्पत्ति तीन सनस्पॉट और एक बड़े चुंबकीय फिलामेंट से हुई, जो जटिल चुंबकीय अंतःक्रियाओं को प्रदर्शित करता है।
- जब सूर्य अपने 11-वर्षीय सौर चक्र के चरम पर पहुँचता है जिसे सौर अधिकतम कहा जाता है, तो इस दौरान यह विस्तृत सौर गतिविधि प्रदर्शित करता है।
- इसे एक सिंपथैटिक सौर ज्वाला के रूप में जाना जाता है, जहाँ सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में कई विस्फोट होते हैं, जो बड़े पैमाने पर चुंबकीय क्षेत्र लूप द्वारा जुड़े होते हैं।
- सिंपथैटिक ज्वाला एक विस्फोट के कारण होती है जो दूसरे को ट्रिगर करती है, जिससे कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) और प्लाज़्मा का बड़े पैमाने पर विस्फोट होता है।
- इसे दुर्लभ माना जाता है, क्योंकि अधिकांश रिपोर्ट किये गए सिंपथैटिक फ्लेयर्स में केवल दो जुड़े हुए फ्लेयर्स उत्पन्न होते हैं, जबकि इसमें चार फ्लेयर्स उत्पन्न होते हैं जो इसे एक सुपर-सिंपथैटिक घटना बनाते हैं।
- इस प्रकार की घटनाओं में पावर ग्रिड, पृथ्वी पर दूरसंचार नेटवर्क और परिक्रमा करने वाले उपग्रहों को बाधित करने तथा अंतरिक्ष यात्रियों को खतरनाक विकिरण स्तरों के संपर्क में लाने की क्षमता होती है।
- यह घटना वैज्ञानिकों को सूर्य के जटिल जीवन चक्र और चुंबकीय अंतःक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझने का अवसर प्रदान करती है।
- सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र एक चक्र से गुजरता है, जिसे सौर चक्र कहा जाता है, प्रत्येक 11 वर्ष में सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र पूर्ण रूप से परिवर्तित हो जाता है, जिसका अर्थ है कि सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव अपना स्थान परिवर्तित कर लेते हैं।
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