प्रीलिम्स फैक्ट्स: 01 अगस्त, 2020
मुस्लिम महिला अधिकार दिवस
Muslim Women Rights Day
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री (Union Minister for Minority Affairs) ने कहा कि 1 अगस्त, 2019 को मुस्लिम महिलाओं को ‘तीन तलाक’ नामक सामाजिक बुराई से मुक्ति मिली थी इसलिये 1 अगस्त को भारत के इतिहास में ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ (Muslim Women Rights Day) के रूप में दर्ज किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने तीन तलाक नामक सामाजिक बुराई के खिलाफ कानून लाकर ‘लैंगिक समानता’ सुनिश्चित की है और मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक, मौलिक एवं लोकतांत्रिक अधिकारों को मज़बूत किया है।
भारतीय संविधान में समानता के अधिकार को अनुच्छेद 14 से 18 में निम्नलिखित प्रकार से वर्णित किया गया है-
- अनुच्छेद-14: विधि के समक्ष समता
- अनुच्छेद-15: धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध
- अनुच्छेद-16: लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समता
- अनुच्छेद-17: अस्पृश्यता (छुआछूत) का अंत
- अनुच्छेद-18: उपाधियों का अंत
- ‘मिस्र’ पहला मुस्लिम राष्ट्र था जिसने वर्ष 1929 में तीन तलाक नामक सामाजिक बुराई को समाप्त किया था। जबकि पाकिस्तान ने वर्ष 1956 और बांग्लादेश ने वर्ष 1972 में इस सामाजिक बुराई को समाप्त कर दिया था।
भारत, नेपाल और यूनाइटेड किंगडम के बीच वर्ष 1947 का समझौता
The 1947 agreement among India, Nepal and United Kingdom
हाल ही में नेपाली विदेश मंत्री ने कहा है कि भारत, नेपाल और यूनाइटेड किंगडम के बीच वर्ष 1947 का समझौता जो गोरखा सैनिकों की सैन्य सेवा से संबंधित है, ‘निरर्थक’ हो गया है।
प्रमुख बिंदु:
- नेपाली विदेश मंत्री ने कहा है कि गोरखा सैनिकों की भर्ती अब अतीत की विरासत हो चुकी है यह एक ऐसा एकल द्वार था जिसे नेपाली युवाओं को विदेश जाने के लिये खोला गया था। बदले हुए परिदृश्य में इस समझौते के कुछ प्रावधान संदिग्ध हो गए हैं। अतः वर्ष 1947 का त्रिपक्षीय समझौता निरर्थक हो गया है।
वर्ष 1947 का त्रिपक्षीय समझौता:
भारत, नेपाल और यूनाइटेड किंगडम के बीच हुए वर्ष 1947 के समझौते के अनुसार, भारत और ब्रिटेन अपने देश की सेना में गोरखाओं लोगों की भर्ती कर सकते हैं।
ब्रिटिश सेना में पहली बार गोरखाओं की भर्ती:
- ‘आंग्ल-नेपाल युद्ध’ (वर्ष 1814-16) जिसे ‘गोरखा युद्ध’ भी कहा जाता है, के दौरान जब अंग्रेज सेना को अधिक क्षति हुई थी तब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया ने पहली बार अपनी सेना में गोरखाओं को भर्ती किया था। यह युद्ध वर्ष 1816 की सुगौली की संधि पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ था।
- ‘आंग्ल-नेपाल युद्ध’ के समय ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लाॅर्ड हेस्टिंग्स थे।
भारतीय सेना में कार्यरत गोरखा सैनिक:
- उल्लेखनीय है कि नेपाल के गोरखा सैनिक छह दशकों से भारतीय सेना का अभिन्न अंग रहे हैं और वर्तमान में 7 गोरखा रेजिमेंट में कुल 39 बटालियन कार्यरत हैं।
ग्रामोदय विकास योजना के तहत एक पायलट परियोजना
A Pilot Project Under Gramodyog Vikas Yojana
30 जुलाई, 2020 को भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) ने ‘ग्रामोदय विकास योजना’ (Gramodyog Vikas Yojana) के तहत अगरबत्ती निर्माण में शामिल कारीगरों को लाभ पहुँचाने एवं ग्रामीण उद्योगों के विकास के लिये एक कार्यक्रम को मंज़ूरी दी।
प्रमुख बिंदु:
- इस कार्यक्रम के अनुसार, वर्तमान में देश में कुल चार पायलट परियोजना शुरू की जाएंगी। जिनमें से एक पायलट परियोजना पूर्वोत्तर भारत में शुरू की जाएगी।
- इसके तहत प्रत्येक पायलट परियोजना में कारीगरों के प्रत्येक लक्षित समूह को लगभग 50 स्वचालित अगरबत्ती बनाने की मशीन और 10 मिक्सिंग मशीनें प्रदान की जाएंगी।
- इस तरह चारों पायलट परियोजनाओं में कारीगरों को कुल 200 स्वचालित अगरबत्ती बनाने की मशीन और 40 मिक्सिंग मशीनें प्रदान की जाएंगी।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश में अगरबत्ती के उत्पादन को बढ़ाना और पारंपरिक कारीगरों के लिये स्थायी रोज़गार पैदा करना और उनकी आय में वृद्धि करना है।
- अगरबत्ती निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने के लिये हाल ही में भारत सरकार द्वारा दो अहम निर्णय लिये गए हैं।
- आयात नीति में अगरबत्ती को ‘मुक्त व्यापार’ श्रेणी से हटाकर ‘प्रतिबंधित व्यापार’ की श्रेणी में सूचीबद्ध करना।
- अगरबत्ती निर्माण के लिये उपयोग किये जाने वाले ‘चक्राकार बाँस की छड़ी’ (Round Bamboo Sticks) पर आयात शुल्क 10% से बढ़ाकर 25% करना।
- भारत सरकार के इन निर्णयों से अगरबत्ती के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी और ग्रामीण रोज़गार पैदा करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
- यह स्वदेशी उत्पादन एवं मांग के बीच के अंतर को कम करने की प्रक्रिया भी शुरू करेगा और देश में अगरबत्ती के आयात को कम करेगा।
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) की भूमिका:
- इस कार्यक्रम के तहत खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission- KVIC) अगरबत्ती बनाने वाली मशीनों के साथ इस क्षेत्र में काम करने वाले कारीगरों को प्रशिक्षण एवं सहायता प्रदान करेगा।
- KVIC देश में अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले खादी संस्थानों/अगरबत्ती निर्माताओं के साथ गठजोड़ करेगा जो अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों को कार्य एवं कच्चा माल प्रदान करेंगे।
- यह कार्यक्रम गाँवों एवं छोटे शहरों में अगरबत्ती निर्माण को पुनर्जीवित करने में एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा और लगभग 500 अतिरिक्त नौकरियों का सृजन करेगा।
डिडायमोकॉर्पस/स्टोनफ्लावर
Didymocarpus/Stoneflower
हाल ही में भारतीय एवं चीनी वैज्ञानिकों की एक टीम ने पूर्वोत्तर भारत व चीन के युन्नान (Yunnan) प्रांत में डिडायमोकॉर्पस (Didymocarpus) या स्टोनफ्लावर (Stoneflower) की एक नई प्रजाति ‘डिडायमोकॉर्पस सिनोइंडिकस’ (Didymocarpus Sinoindicus) की खोज की है।
प्रमुख बिंदु:
- यह प्रजाति अक्सर नम चट्टानों एवं पत्थरों पर उगती है। और दक्षिण एशिया के वर्षा वनों में पाई जाती है।
- स्टोनफ्लावर की चीन में 34 प्रजातियाँ और भारत लगभग 25 प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें से अधिकांश पूर्वोत्तर भारत में पाई जाती हैं।
- गौरतलब है कि भारतीय एवं चीनी वैज्ञानिकों की टीम द्वारा खोजी गई ‘डिडायमोकॉर्पस सिनोइंडिकस’ को भारत में डिडायमोकॉर्पस जीनस की एक नई प्रजाति के रूप में दर्ज किया गया है।
हाल के वर्षों में खोजी गई ‘डिडायमोकॉर्पस’ जीनस की अन्य प्रमुख प्रजातियाँ:
- डिडायमोकॉर्पस मोइल्लेरी (Didymocarpus Moelleri):
- वर्ष 2016 में केरल के वैज्ञानिकों ने अरुणाचल प्रदेश में खोजी गई ‘डिडायमोकॉर्पस मोइल्लेरी’ (Didymocarpus Moelleri) का उल्लेख किया था जिसमें नारंगी रंग का फूल खिलता है और यह अरुणाचल प्रदेश में केवल एक ही स्थान पर पाई जाती है।
- डिडायमोकॉर्पस भूटानिकस (Didymocarpus Bhutanicus):
- फरवरी, 2020 में सिक्किम में पहली बार ‘भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (Botanical Survey of India)’ की एक टीम ने डिडायमोकॉर्पस भूटानिकस (Didymocarpus Bhutanicus) की खोज की थी जो पहले केवल भूटान में ही पाई जाती थी।
- वर्ष 2019 में वैज्ञानिकों ने पहली बार लाओस में डिडायमोकॉर्पस जीनस की एक नई प्रजाति ‘डिडायमोकॉर्पस मिडिलटोनी’ (Didymocarpus Middletonii) को खोजा था इसके बाद वर्ष 2020 की शुरुआत में लाओस में ही ‘डिडायमोकॉर्पस अल्बिफ्लोरस’ (Didymocarpus Albiflorus) को भी खोजा गया जिसमें बर्फ जैसे सफेद फूल खिलते हैं।
‘डिडायमोकॉर्पस’ जीनस की चार प्रजातियों की पुनः खोज:
1. डिडायमोकॉर्पस एडेनोकॉर्पस (Didymocarpus Adenocarpus):
- इस प्रजाति को 87 वर्षों बाद उत्तरी मिज़ोरम से पुनः खोजा गया है।
- यह उत्तरी मिज़ोरम में उष्णकटिबंधीय नम सदाबहार वनों में आंशिक रूप से छायांकित क्षेत्रों में उगती है।
2. डिडायमोकॉर्पस पैरियोरम (Didymocarpus Parryorum):
- इस प्रजाति को दक्षिण मिज़ोरम से पुनः खोजा गया है जिसमें छोटे, नारंगी फूल खिलते हैं।
- इसे 90 वर्ष बाद पुनः खोजा गया है।
3. डिडायमोकॉर्पस लाइनिकैप्सा (Didymocarpus Lineicapsa):
- इस प्रजाति को मिज़ोरम के मामित ज़िले से पुनः खोजा गया है।
4. डिडायमोकॉर्पस वेंगेरी (Didymocarpus Wengeri):
- यह प्रजाति दक्षिण मिज़ोरम में सिर्फ दो स्थानों पर खड़ी ढाल के किनारों पर उगती है और IUCN दिशा-निर्देशों के आधार पर वैज्ञानिकों की टीम द्वारा इसे ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 अगस्त, 2020
30-सेकंड में COVID-19 परीक्षण
भारत और इज़राइल ने संयुक्त तौर पर मात्र 30 सेकंड में COVID-19 संक्रमण का पता लगाने की क्षमता वाली चार अलग-अलग प्रकार की तकनीकों का रोगियों के एक बड़े नमूने पर नई दिल्ली में परीक्षण शुरू कर दिया है। इस संबंध में नई दिल्ली में स्थित इज़राइल के दूतावास द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, दिल्ली का राम मनोहर लोहिया अस्पताल उन परीक्षण स्थलों में से एक है, जहाँ चार अलग-अलग प्रकार की तकनीकों का परीक्षण शुरू किया है, जो कि मात्र 30-सेकंड के भीतर कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने में सक्षम हैं। इन साधारण परीक्षणों में पहला परीक्षण आवाज़ के माध्यम से संक्रमण का पता लगाएगा, इस कार्य के लिये परीक्षण के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के माध्यम से रोगी की आवाज़ में होने वाले परिवर्तनों का पता लगाया जाएगा। इसका दूसरा परीक्षण श्वसन विश्लेषण (Breath Analysis) से संबंधित है, जिसमें तकनीक के माध्यम से रोगी के श्वसन का विश्लेषण किया जाएगा। इसमें तीसरा इज़ोथार्मल परीक्षण (Isothermal Testing) है, जो रोगी के लार के नमूने में कोरोना वायरस की पहचान करने में सक्षम है। इसमें अंतिम परीक्षण पॉलियामाइड एसिड से संबंधित है, जो कि COVID-19 से संबंधित प्रोटीन को अलग करने का प्रयास करता है। ये परीक्षण भारत में रोगियों के व्यापक नमूने पर किये जा रहे हैं और यदि ये प्रभावशाली रहते हैं, तो भारत में बड़े पैमाने पर संबंधित उपकरणों का विनिर्माण किया जाएगा।
हार्दिक सतीशचंद्र शाह
हाल ही में वर्ष 2010 बैच के IAS अधिकारी हार्दिक सतीशचंद्र शाह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निजी सचिव नियुक्त किया गया है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा इस संबंध में जारी अध्यादेश के अनुसार, ‘हार्दिक सतीश चंद्र शाह की नियुक्ति को केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने मंज़ूरी दी है। गुजरात कैडर के IAS अधिकारी हार्दिक सतीशचंद्र शाह वर्तमान में प्रधानमंत्री कार्यालय में उप सचिव के पद पर कार्यरत हैं। हार्दिक सतीशचंद्र शाह प्रधानमंत्री के निजी सचिव के तौर पर राजीव टोपनो (Rajeev Topno) का स्थान लेंगे, राजीव टोपनो वर्ष 1996 बैच के IAS अधिकारी हैं और बीते 11 वर्षों से प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्य कर रहे हैं। गौरतलब है कि वे भी गुजरात कैडर के IAS अधिकारी हैं। राजीव टोपनो को बीते दिनों वाशिंगटन में विश्व बैंक (World Bank) के कार्यकारी निदेशक का वरिष्ठ सलाहकार नियुक्त किया गया है।
प्रेमचंद
31 जुलाई, 2020 को प्रेमचंद की 140वीं जयंती मनाई गई। प्रेमचंद को हिंदी और उर्दू का सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक माना जाता है। प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, 1880 को वाराणसी के निकट लमही नाम के एक गांव में हुआ था। हिंदी उपन्यास की विकास यात्रा में प्रेमचंद का आगमन एक परिवर्तनकारी बिंदु है। हालाँकि उन्होंने अपने लेखन की शुरुआत उर्दू में ‘नवाब राय’ के नाम से की थी। कुछ समय बाद उन्होंने ‘मुंशी प्रेमचंद’ के नाम से हिंदी में लिखना शुरू किया। यद्यपि रचनाकाल के आरंभिक दौर में प्रेमचंद आदर्शोन्मुख यथार्थवादी थे, किंतु जल्द ही वे यथार्थ की ओर उन्मुख हुए और यही उनके उपन्यासों की आत्मा रही। प्रेमचंद ने अपने उपन्यास में केवल सामाजिक-आर्थिक यथार्थ को ही शामिल नहीं किया है बल्कि मनोवैज्ञानिक सत्यों को भी उजागर किया है। प्रेमचंद को हिंदी साहित्य का युग प्रवर्तक माना जाता है, उन्होंने वर्ष 1936 में प्रगतिशील लेखक संघ की अध्यक्षता करते हुए कहा था कि लेखक स्वभाव से प्रगतिशील होता है, जो ऐसा नहीं है वह लेखक नहीं है। एक हिंदी लेखक के तौर पर उन्होंने लगभग दर्जन भर उपन्यास, 250 लघु कथाएँ और कई निबंधों की रचना की। 8 अक्तूबर, 1936 को प्रेमचंद की मृत्यु हो गई।
आंध्रप्रदेश की तीन राजधानियों को राज्यपाल की मंज़ूरी
आंध्रप्रदेश की तीन राजधानियों से संबंधित योजना को राज्य के राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन ने मंज़ूरी दे दी है। इस संबंध में राज्य के राज्यपाल ने आंध्रप्रदेश विकेंद्रीकरण एवं समग्र क्षेत्रों का समावेशी विकास विधेयक, 2020 (Andhra Pradesh Decentralisation and Inclusive Development of All Regions bill 2020) और राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (निरसन) विधेयक 2020 (Capital Region Development Authority (Repeal) bill 2020) को मंज़ूरी दे दी है। आंध्रप्रदेश सरकार की योजना के अनुसार, राज्य में निर्माणाधीन अमरावती को विधायी राजधानी, तटवर्ती विशाखापत्तनम को कार्यकारी राजधानी और कर्नूल को न्यायिक राजधानी के रूप में स्थापित किया जाएगा। ध्यातव्य है कि यह निर्णय रिटायर्ड IAS अधिकारी जी. एन. राव की अध्यक्षता में बनी समिति के सुझावों के आधार पर लिया गया। 17 दिसंबर, 2019 को आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री ने राज्य में दक्षिण अफ्रीका मॉडल के आधार पर तीन राजधानियाँ बनाई जाएंगी।