नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


सामाजिक न्याय

मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019

  • 26 Jul 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

लोक सभा ने एक बार फिर मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 (Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Bill, 2019) पारित कर दिया है।

प्रमुख बिंदु

1. इस विधेयक में तीन तलाक को गैर-ज़मानती अपराध घोषित करते हुए पुरुषों के लिये तीन साल की जेल का प्रावधान किया गया है।

2. यह कानून महिला सशक्तीकरण से संबंधित है।

3. उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान और मलेशिया सहित दुनिया के 20 मुस्लिम देशों ने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया है।

  • मजिस्ट्रेट को पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद सुलह कराने और ज़मानत देने का अधिकार होगा।
  • मुकदमे से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर मजिस्ट्रेट आरोपी को ज़मानत दे सकता है।
  • पीड़िता, उसके रक्त संबंधी और विवाह के बाद बने उसके संबंधी ही पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा सकते हैं।
  • पति-पत्नी के बीच यदि किसी प्रकार का आपसी समझौता होता है तो पीड़िता अपने पति के खिलाफ दायर किया गया मामला वापस ले सकती है।
  • मजिस्ट्रेट को पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर विवाह बरकरार रखने का अधिकार होगा।
  • तीन तलाक की पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट द्वारा तय किये गए मुआवज़े की भी हकदार होगी।
  • इस विधेयक की धारा 3 के अनुसार, लिखित या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक विधि से एक साथ तीन तलाक कहना अवैध तथा गैर-कानूनी होगा।

पृष्ठभूमि

  • भारत के मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक की प्रथा पति को एक बार में एक साथ तीन बार तलाक बोलकर पत्नी से निकाह खत्‍म करने का अधिकार देती है।
  • तीन तलाक पीड़‍ित पाँच महिलाओं ने 2016 में सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी।
  • तीन तलाक की सुनवाई के लिये 5 सदस्यीय विशेष बेंच का गठन किया गया।
  • सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार ने लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता के आधार पर तीन तलाक का विरोध किया।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने अगस्‍त 2017 में फैसला सुनाते हुए तीन तलाक को असंवैधानिक और कुरान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताया। 5 जजों की पीठ ने 2 के मुकाबले 3 मतों से यह फैसला दिया।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने इसे भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 14 और 21 का उल्‍लंघन बताया, जो सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है।
  • शीर्ष अदालत ने सरकार से इस संबंध में कानून बनाने के लिये कहा। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद केंद्र सरकार मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक लाई थी।
  • यह विधेयक दिसंबर 2017 में लोकसभा में पारित हो गया, लेकिन राज्‍यसभा में अटक गया।
  • इसके बाद सितंबर 2018 में सरकार ने तीन तलाक को प्रतिबंधित करने के लिये अध्‍यादेश जारी किया।
  • इस अध्यादेश में तीन तलाक को अपराध घोषित करते हुए पति को तीन साल तक की जेल और जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow