प्रारंभिक परीक्षा
दो नए भूवैज्ञानिक विरासत स्थल
हाल ही में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने भारतीय हिमालयी क्षेत्र में दो भूवैज्ञानिक विरासत स्थलों की पहचान की है।
- इसके तहत शिवालिक जीवाश्म उद्यान (हिमाचल प्रदेश) और स्ट्रोमेटोलाइट बेयरिंग डोलोमाइट/बक्सा फॉर्मेशन के चूना पत्थर (सिक्किम) की पहचान की गई है।
- इन दो स्थलों को शामिल करने से भारत में 34 भूवैज्ञानिक विरासत स्थल हो गए हैं।
- इससे पहले GSI ने भू-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये पूर्वोत्तर में कुछ भूवैज्ञानिक स्थलों की पहचान की थी।
प्रमुख बिंदु
- शिवालिक जीवाश्म पार्क (हिमाचल प्रदेश): शिवालिक जीवाश्म पार्क प्लियो-प्लीस्टोसिन युग (2.6 मिलियन से 11,700 वर्ष पूर्व) के क्षेत्र की शिवालिक चट्टानों से बरामद कशेरुकी जीवाश्मों का एक समृद्ध संग्रह को प्रदर्शित करता है।
- शिवालिक अवसादों का निक्षेपण संकरे रेखीय अवसाद में हुआ, जिसे 'फ्रंट डीप' कहा जाता है, यह हिमालय में मध्यनूतन युग (23 मिलियन वर्ष से 2.6 मिलियन वर्ष पूर्व) की शुरुआत के बाद से विकसित होना शुरू हुआ।
- सिक्किम के बक्सा फॉर्मेशन के स्ट्रोमेटोलाइट बेयरिंग डोलोमाइट/लाइमस्टोन: यह स्थल प्रोटेरोज़ोइक युग के डेलिंग ग्रुप (2.5 बिलियन वर्ष से 541 मिलियन वर्ष पूर्व) से संबद्ध है।
- डोलोस्टोन (तलछटी चट्टान) काफी हद तक स्ट्रोमेटोलिटिक (प्रीकैम्ब्रियन एल्गल संरचनाएँ) हैं। यह साइट सिक्किम हिमालय में प्रारंभिक जीवन के दुर्लभ उदाहरणों में से एक है।
- प्री-कैम्ब्रियन, भूगर्भिक युगों में सबसे पुराना है, जो तलछटी चट्टानों की विभिन्न परतों द्वारा चिह्नित है।
भू-विरासत स्थल क्या हैं?
- भू-विरासत का तात्पर्य ऐसी भूवैज्ञानिक मुखाकृतियों या स्थानों से है, जो स्वाभाविक रूप से या सांस्कृतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं और पृथ्वी के विकास या पृथ्वी विज्ञान के इतिहास के लिये अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं अथवा इनका उपयोग शैक्षिक उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) वह मूल निकाय है, जो देश में भू-विरासत स्थलों/राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारकों की पहचान और संरक्षण की दिशा में प्रयास कर रहा है।
क्रम संख्या |
भूवैज्ञानिक विरासत स्थल/ राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक
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क्रम संख्या |
भूवैज्ञानिक विरासत स्थल/ राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक |
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आंध्र प्रदेश |
18 |
किशनगढ़ नेफलाइन सायनाइट, अजमेर ज़िला। |
1 |
ज्वालामुखीय बेडेड बैराइट्स, मंगमपेटा, कडप्पा ज़िला। |
19 |
वेल्डेड टफ, जोधपुर ज़िला। |
2 |
एपार्चियन अनकंफॉरमेटी, चित्तूर ज़िला |
20 |
जोधपुर ग्रुप- मालानी इग्नियस सुइट कांटेक्ट, जोधपुर ज़िला। |
3 |
प्राकृतिक भूवैज्ञानिक आर्क, तिरुमाला हिल्स, चित्तूर ज़िला। |
21 |
सतुर, बूंदी ज़िले में ग्रेट बाउंड्री फॉल्ट। |
4 |
एरा मैटी डिब्बालु- विशाखापत्तनम और भीमुनिपट्टनम के बीच स्थित विच्छेदित एवं स्थिर तटीय लाल तलछट के टीले। |
महाराष्ट्र |
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केरल |
22 |
लोनार झील, बुलडाना जिला। |
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5 |
अंगदीपुरम पीडब्ल्यूडी विश्रामगृह परिसर के पास लेटराइट, मलपुरम जिला। |
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छत्तीसगढ |
6 |
वर्कला क्लिफ सेक्शन, तिरुवनंतपुरम ज़िला। |
22 |
मनेंद्रगढ़, सरगुजा ज़िले में लोअर पर्मियन मरीन बेड। |
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तमिलनाडु |
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कर्नाटक |
7 |
तिरुवक्कराई के पास जीवाश्म लकड़ी, दक्षिण आरकोट ज़िला। |
24 |
कोलुमनार लावा, सेंट मैरी द्वीप उडुपी ज़िला। |
8 |
नेशनल फॉसिल वुड पार्क, सथानूर, तिरुचिरापल्ली ज़िला। |
25 |
मार्डीहल्ली, चित्रदुर्ग ज़िले के पास पिलो लावा। |
9 |
चारनोकाइट, सेंट थॉमस माउंट, मद्रास। |
26 |
प्रायद्वीपीय गनीस, लालबाग, बैंगलोर |
10 |
करई फॉर्मेशन के बैडलैंड्स के साथ क्रेटेसियस फॉसिल्स तथा करई- कोलक्कनाथम सेक्शन, पेरम्बलुर ज़िला। |
27 |
पाइरोक्लास्टिक्स और पिलो लावा, कोलार गोल्ड फील्ड, कोलार ज़िला। |
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गुजरात |
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हिमाचल प्रदेश |
11 |
तलछटी संरचनाएँ- एडी मार्किंग, कदन बाँध, पंचमहल ज़िला। |
28 |
शिवालिक फॉसिल पार्क, साकेती, सिरमुर ज़िला। |
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राजस्थान |
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उड़ीसा |
12 |
सेंद्रा ग्रेनाइट, ज़िला पाली। |
29 |
लौह अयस्क बेल्ट में पिलो लावा, नोमिरा, क्योंझर ज़िला। |
13 |
बर्र समूह, ज़िला पाली । |
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झारखंड |
14 |
स्ट्रोमेटोलाइट फॉसिल पार्क, झार मार्कर रॉक फास्फेट, ज़िला उदयपुर। |
30 |
राजमहल फॉर्मेशन का इंटरट्रैपियन प्लांट फॉसिल, मंड्रो के आसपास ऊपरी गोंडवाना सीक्वेंस, साहिबगंज ज़िला। |
15 |
राजपुरा-दरीबा मिनरलाइज़्ड बेल्ट, गोसन ज़िला उदयपुर। |
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नगालैंड |
16 |
भोजुंदा के पास स्ट्रोमेटोलाइट पार्क, चित्तौड़गढ़। |
31 |
पुंगरो के पास नगाहिल ओफियोलाइट साइट। |
17 |
आकल वुड फोसिल पार्क, जैसलमेर। |
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सिक्किम |
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32 |
दक्षिण ज़िले के नामची के पास ममले में बक्सा फॉर्मेशन के डोलोमाइट/लाइमस्टोन वाले स्ट्रोमेटोलाइट। |
यूनेस्को ग्लोबल जियो पार्क:
- ग्लोबल जियो पार्क एकीकृत भू-वैज्ञानिक क्षेत्र होते हैं जहाँ अंतर्राष्ट्रीय भू-गर्भीय महत्त्व के स्थलों व परिदृश्यों का सुरक्षा, शिक्षा और टिकाऊ विकास की समग्र अवधारणा के साथ प्रबंधन किया जाता है।
- हालाँकि 44 देशों में 161 'यूनेस्को ग्लोबल जियो पार्क’ हैं, लेकिन अभी तक भारत का एक भी भू-वैज्ञानिक स्थल इस नेटवर्क के तहत शामिल नहीं किया गया है।
- भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण:
- मुख्य रूप से रेलवे के लिये भारत में उपलब्ध कोयला भंडार की खोज के उद्देश्य से वर्ष 1851 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India-GSI) विभाग की स्थापना की गई थी। वर्तमान में GSI खान मंत्रालय की एक सहायक संस्था के रूप में कार्य कर रहा है।
- GSI का मुख्य कार्य राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक सूचना और खनिज संसाधन मूल्यांकन एवं आधुनिकीकरण संबंधी कार्य करना है।
- इसका मुख्यालय कोलकाता में है।
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रारंभिक परीक्षा
चिल्का झील में डॉल्फिन की आबादी
ओडिशा के तट और उसके जल निकायों में डॉल्फिन की आबादी में वृद्धि हुई है, जबकि चिल्का झील में इरावदी डॉल्फिन की संख्या गिरावट दर्ज की गई है।
- डॉल्फिन की कुल छह प्रजातियाँ- इरावदी (Irrawaddy), बॉटलनोज़ (Bottlenose), हंपबैक (Humpback), धारीदार ( Striped), फिनलेस (Finless )और स्पिनर डॉल्फिन (Spinner Dolphins) दर्ज की गई हैं।
डॉल्फिन की विभिन्न प्रजातियाँ:
- इरावदी डॉल्फिन:
- आवास: इरावदी डॉल्फिन दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया के तटीय क्षेत्रों में तथा तीन नदियों- अय्यरवाडी (म्याँमार), महाकम (इंडोनेशियाई बोर्नियो) और मेकांग में पाई जाती हैं।
- मेकांग नदी इरावदी डॉल्फिन कंबोडिया और लाओ पीडीआर के बीच नदी के 118 मील की दूरी में पाई जाती हैं।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: संकटग्रस्त (Endangered)
- CITES: परिशिष्ट I
- Wildlife Protection Act, 1972: अनुसूची I
- आवास: इरावदी डॉल्फिन दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया के तटीय क्षेत्रों में तथा तीन नदियों- अय्यरवाडी (म्याँमार), महाकम (इंडोनेशियाई बोर्नियो) और मेकांग में पाई जाती हैं।
- इंडो-पैसिफिक बॉटलनोज़ डॉल्फिन:
- आवास: इंडो-पैसिफिक बॉटलनोज़ डॉल्फिन आमतौर पर हिंद महासागर, दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया के उथले तटीय जल में पाई जाती है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: संकटापन्न (Near Threatened)
- CITES: परिशिष्ट II
- हिंद महासागर हंपबैक डॉल्फिन:
- आवास: हिंद महासागर हंपबैक डॉल्फिन दक्षिण अफ्रीका से भारत तक हिंद महासागर में पाई जाती है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: लुप्तप्राय (Endangered)
- CITES: परिशिष्ट I
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I
- धारीदार (Striped) डॉल्फिन:
- आवास: धारीदार डॉल्फिन समशीतोष्ण या उष्णकटिबंधीय, अपतटीय जल में निवास करती है।
- यह उत्तर और दक्षिण अटलांटिक महासागरों में बहुतायत में पाई जाती है, जिसमें भूमध्यसागर और मैक्सिको की खाड़ी, हिंद महासागर तथा प्रशांत महासागर शामिल हैं।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: कम चिंतनीय (Least Concern)
- CITES: परिशिष्ट II
- आवास: धारीदार डॉल्फिन समशीतोष्ण या उष्णकटिबंधीय, अपतटीय जल में निवास करती है।
- फिनलेस डॉल्फिन:
- आवास: फिनलेस पोरपोइज़ मूल रूप से हिंद-प्रशांत महासागर के तटों के निकट खारे पानी के निकेत में पाए जाते हैं।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: गंभीर रूप से लुप्तप्राय
- CITES: परिशिष्ट I
- स्पिनर डॉल्फिन:
- आवास: स्पिनर डॉल्फिन एक छोटी डॉल्फिन है जो विश्व भर के अपतटीय उष्णकटिबंधीय जल में पाई जाती है।
- यह अपनी कलाबाजियों के प्रदर्शन के लिये विख्यात है जिसमें यह अपने अनुदैर्ध्य अक्ष के चारों ओर घूमती है क्योंकि यह हवा के माध्यम से छलांग लगाती है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: कम चिंतनीय (Least Concern)
- CITES: परिशिष्ट II
- आवास: स्पिनर डॉल्फिन एक छोटी डॉल्फिन है जो विश्व भर के अपतटीय उष्णकटिबंधीय जल में पाई जाती है।
चिल्का झील:
- चिल्का एशिया का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा लैगून है।
- यह भारत के पूर्वी तट पर ओडिशा राज्य में स्थित है, जो बंगाल की खाड़ी से रेत की एक छोटी सी पट्टी से अलग होता है।
- यह भारत के पूर्वी तट पर ओडिशा के पुरी, खुर्दा और गंजम ज़िलों में फैली है तथा दया नदी (Daya River) के मुहाने से बंगाल की खाड़ी तक 1,100 वर्ग किलोमीटर तक का क्षेत्र कवर करती है
- शीतकाल के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करने वाला सबसे बड़ा मैदान होने के साथ ही यह पौधों और जानवरों की कई संकटग्रस्त प्रजातियों का निवास स्थान है।
- वर्ष 1981 में चिल्का झील को रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व का पहला भारतीय आर्द्रभूमि नामित किया गया था।
- चिल्का में प्रमुख आकर्षण इरावदी डॉलफिन (Irrawaddy Dolphins) हैं, जिन्हें अक्सर सातपाड़ा द्वीप के पास देखा जाता है।
- लैगून क्षेत्र में लगभग 16 वर्ग किमी. में फैला नलबाना द्वीप (फारेस्ट ऑफ रीडस) को वर्ष 1987 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था।
- कालिजई मंदिर- यह मंदिर चिल्का झील में एक द्वीप पर स्थित है।
विगत वर्षों के प्रश्न:निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) |
स्रोत: द हिंदू
प्रारंभिक परीक्षा
डिजिटल प्लेटफाॅर्म ‘फास्टर’ (FASTER
हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘FASTER’ (फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स) लॉन्च किया है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक प्रणाली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित पोर्टल 'SUPACE' जैसी तकनीक से जुड़े अन्य कार्यक्रम भी शुरू किये हैं, जिसका उद्देश्य न्यायाधीशों को कानूनी अनुसंधान में सहायता करना है।
- ‘eCourts’ मिशन मोड प्रोजेक्ट एक अखिल भारतीय परियोजना है, जिसकी निगरानी और वित्तपोषण न्याय विभाग, कानून एवं न्याय मंत्रालय द्वारा देश भर के ज़िला न्यायालयों के लिये किया जाता है।
- परियोजना का उद्देश्य न्यायालयों की ICT सक्षमता के माध्यम से वादी, वकील और न्यायपालिका को नामित सेवाएँ प्रदान करना है।
डिजिटल प्लेटफाॅर्म ‘फास्टर’ (FASTER) के विषय में:
- परिचय:
- यह सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक संचार चैनल के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश, स्थगन आदेश, जमानत आदेश आदि को संप्रेषित करने के लिये एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
- आवश्यकता:
- ऐसे मामले सामने आए हैं, जहाँ जेल के कैदियों को ऐसे आदेशों के संचार में देरी के कारण सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित ज़मानत आदेशों के बावजूद रिहा नहीं किया गया है।
- अतः न्यायालय के आदेशों के कुशल प्रसारण के लिये सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करने की आवश्यकता थी।
- महत्त्व:
- विचाराधीन कैदियों की समय पर रिहाई सुनिश्चित करना:
- यह सुनिश्चित करता है कि विचाराधीन कैदियों को जेल से रिहा होने के लिये कई दिनों तक इंतज़ार न करना पड़े क्योंकि उनके जमानत आदेशों की प्रमाणित हार्ड कॉपी को जेल तक पहुँचने में बहुत समय लगता है।
- विचाराधीन कैदी का तात्पर्य ऐसे लोगों से है जिन्हें अब तक उन अपराधों के लिये दोषी नहीं पाया गया है, जिसका आरोप उन पर लगा है।
- यह सुनिश्चित करता है कि विचाराधीन कैदियों को जेल से रिहा होने के लिये कई दिनों तक इंतज़ार न करना पड़े क्योंकि उनके जमानत आदेशों की प्रमाणित हार्ड कॉपी को जेल तक पहुँचने में बहुत समय लगता है।
- अनावश्यक गिरफ्तारियों पर अंकुश:
- इससे लोगों को अनावश्यक रूप से गिरफ्तार करने या हिरासत में लेने पर रोक लगाने में मदद मिलेगी, भले ही उन्हें न्यायालय द्वारा पहले से ही सुरक्षा प्रदान की गई हो।
- कैदियों के मौलिक अधिकार सुनिश्चित करना:
- यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत कैदियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता, जीवन के अधिकार और गरिमापूर्ण जीवन के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगा।
- विचाराधीन कैदियों की समय पर रिहाई सुनिश्चित करना:
- चुनौतियाँ:
- देश भर की जेलों में इंटरनेट कनेक्शन की उपलब्धता के बिना जेलों में ऐसे आदेशों का पारेषण संभव नहीं होगा।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
वरुण 2022
भारतीय और फ्राँसीसी नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास 'वरुण-2022' का 20वाँ संस्करण अरब सागर में आयोजित किया जा रहा है।
- यह भारत-फ्राँस रणनीतिक द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- भारतीय और फ्राँसीसी नौसेनाएँ वर्ष 1993 से द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास आयोजित कर रही हैं। वर्ष 2001 से इन अभ्यासों को 'वरुण' कहा जा रहा है। यह एक वार्षिक आयोजन है।
- समुद्र की स्वतंत्रता और मुक्त, समावेशी इंडो-पैसिफिक तथा एक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने में यह वार्ता साझेदार नौसेनाओं के बीच साझा मूल्यों को रेखांकित करती है।
- अन्य भारत-फ्राँस संयुक्त अभ्यास:
- डेज़र्ट नाइट-21 और गरुड़ (हवाई अभ्यास)
- शक्ति (थल सेना अभ्यास)
स्रोत: पी.आई.बी.
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 अप्रैल, 2022
उत्कल दिवस
01 अप्रैल, 2022 को ओडिशा में उत्कल दिवस अथवा ओडिशा दिवस का आयोजन किया गया। ध्यातव्य है कि 01 अप्रैल, 1936 को ओडिशा अस्तित्व में आया था। वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के पश्चात् ओडिशा तथा आस-पास की रियासतों ने नवगठित भारत सरकार को अपनी सत्ता सौंप दी थी। राज्य को एक अलग ब्रिटिश भारत प्रांत के रूप में स्थापित किया गया था और उसी की याद में तथा राज्य के सभी नागरिकों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिये इस दिवस का आयोजन किया जाता है। उल्लेखनीय है कि ओडिशा, भारत का ऐसा तीसरा राज्य है जहाँ आदिवासियों की जनसंख्या अधिक है। प्राचीन भारत में उड़ीसा (ओडिशा) कलिंग साम्राज्य का हिस्सा था, 250 ईसा पूर्व में अशोक द्वारा इसे जीत लिया गया, जिसके पश्चात् लगभग एक सदी तक यहाँ मौर्य वंश का शासन रहा।
भारतीय रिज़र्व बैंक
1 अप्रैल, 2022 को भारतीय रिज़र्व बैंक अपना स्थापना दिवस मना रहा है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार, 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी। प्रारंभ में रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय कोलकाता में स्थापित किया गया था, जिसे वर्ष 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित कर दिया गया। RBI का गवर्नर बैंक के केंद्रीय कार्यालय में बैठता है और वहीं नीतियाँ निर्धारित की जाती हैं। यद्यपि प्रारंभ में यह निजी स्वमित्व वाला था, किंतु वर्ष 1949 में RBI के राष्ट्रीयकरण के बाद से इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व है। रिज़र्व बैंक का कामकाज केंद्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा शासित है। भारत सरकार के भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के अनुसार, इस बोर्ड की नियुक्ति/नामन चार वर्ष के लिये होती है। रिज़र्व बैंक का प्राथमिक कार्य मौद्रिक नीति तैयार कर उसका कार्यान्वयन और निगरानी सुनिश्चित करना है। इसके अतिरिक्त यह मुद्रा जारीकर्त्ता के रूप में भी कार्य करता है।
विमान स्क्वाड्रन 'कोंडोर्स' की कमीशनिंग
गोवा में आयोजित एक समारोह में नौसेना ने ‘INAS-316’ को अपने बेड़े में शामिल किया है। ‘INAS-316’ को 'कोंडोर्स' नाम दिया गया है, जो कि विशाल पंखों वाले सबसे बड़े उड़ने वाले पक्षियों में से एक है। इस स्क्वाड्रन का प्रतीक चिह्न समुद्र के विशाल क्षेत्र में खोज करते हुए एक 'कोंडोर' को दर्शाता है। इंडियन नेवल एयर स्क्वाड्रन- 316’ (INAS-316) वर्ष 2016 में वैकल्पिक क्लॉज़ के हिस्से के रूप में खरीदे गए चार पी-8आई विमानों का संचालन करेगा। P-8I बहु-भूमिका वाली लंबी दूरी की मेरीटाइम रिकॉनिसेंस एंटी-सबमरीन वारफेयर (LRMR ASW) क्षमताओं वाला एक विमान है। इस विमान को कई प्रकार के टॉरपीडो के साथ-साथ हवा से जहाज़ पर वार करने वाली मिसाइलों से भी लैस किया जा सकता है।
वर्णिका
भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (Bharatiya Reserve Bank Note Mudran Private Limited- BRBNMPL) ने कर्नाटक के मैसूर में “वर्णिका” नामक एक स्याही निर्माण इकाई की स्थापना की है। इस नई इकाई को RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने राष्ट्र को समर्पित किया। कलर शिफ्ट इंटैग्लियो इंक (Colour Shift Intaglio Ink – CSII) का निर्माण भी इसी इकाई द्वारा किया जा रहा है। यह इकाई देश के सभी बैंक नोट प्रिंटिंग प्रेस की आवश्यकताओं को पूरा कर रही है। इस इकाई की क्षमता लगभग 1,500 मीट्रिक टन है। इसकी स्थापना ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत बैंक नोटों की छपाई हेतु आवश्यक स्याही को देश में ही निर्मित करने के उद्देश्य से की गई है। BRBNMPL सभी भारतीय बैंक नोटों को छापने का कार्य करती है, देश में सिक्कों और बैंक नोटों की बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से इसे वर्ष 1995 स्थापित किया गया था। देश की अधिकांश बैंक नोट आवश्यकताओं की आपूर्ति BRBNMPL द्वारा की जाती है, BRBNMPL का मुख्यालय बंगलूरू में स्थित है।