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एडिटोरियल

  • 29 Oct, 2022
  • 11 min read
शासन व्यवस्था

बिग टेक द्वारा इंटरनेट एकाधिकार

यह एडिटोरियल 27/10/2022 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Regulating Big Tech: Tread lightly” लेख पर आधारित है। इसमें बिग टेक द्वारा इंटरनेट एकाधिपत्य और भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग द्वारा हाल में गूगल पर आरोपित अर्थदंड के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

बिग टेक (Big Tech) या बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियाँ भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं समाज को कई तरीकों से रूपांतरित कर रही हैं। हालाँकि टेक प्लेटफ़ॉर्म उत्पादों एवं सेवाओं को बाज़ार में लाने के लिये नए अवसरों के द्वार खोलते हैं, लेकिन कहीं न कहीं वे वास्तविक दुनिया को गंभीर क्षति भी पहुँचाते हैं।

  • बड़े व्ययकर्ता होने और अपने प्रतिद्वंद्वियों को खरीदकर या अपने प्रतिस्पर्द्धियों के साथ कार्य नहीं करने हेतु विक्रेताओं/वेंडर्स पर दबाव बनाकर प्रतिस्पर्द्धा को बलपूर्वक समाप्त कर देने के उनके प्रयासों के कारण ये बिग टेक कई देशों में सरकार की नज़र में रहे हैं।
  • हाल ही में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission of India- CCI) ने एंड्रॉइड मोबाइल डिवाइस पारितंत्र में ‘‘अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग’’ करने के लिये गूगल (Google) पर 1,337.76 करोड़ रुपये का अर्थदंड लगाया है।
  • चूँकि बिग टेक कंपनियाँ दुनिया भर में बड़ी मात्रा में डेटा का लेन-देन करती हैं, उपभोक्ता संरक्षण के मानकों को बनाए रखने के साथ-साथ उन्हें सामंजित करना एवं विनियमित करना आवश्यक है।

बिग टेक कंपनियाँ क्या हैं?

  • बिग टेक सामूहिक रूप से वर्तमान बाज़ार में सबसे सफल और समृद्ध प्रौद्योगिकी कंपनियों को संदर्भित करता है, जिनका दुनिया भर में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं पर अत्यधिक प्रभाव है।
  • उन्हें प्रायः ‘बिग फाइव’ के रूप में जाना जाता है और इसमें अमेज़न (Amazon), एप्पल (Apple), फेसबुक (Facebook), गूगल (Google) और माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) शामिल हैं।

भारत वर्तमान में बिग टेक पर किस प्रकार नियंत्रण रखता है?

  • वर्तमान में भारत में अविश्वास या ‘एंटी-ट्रस्ट’ (antitrust) के मुद्दे प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 द्वारा निर्देशित होते हैं जहाँ भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग एकाधिकारवादी अभ्यासों पर नियंत्रण करने में अग्रणी भूमिका निभाता है।
    • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने गूगल के वाणिज्यिक उड़ान खोज विकल्प पर प्रश्न उठाया है जहाँ खोज या ‘सर्च’ बाज़ार में गूगल अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग कर रहा है।
      • गूगल को वर्ष 2019 में डिवाइस निर्माताओं पर अनुचित शर्तें थोपने के लिये मोबाइल एंड्रॉइड बाज़ार में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया था।
      • इसके अलावा, गूगल पर अपने प्ले स्टोर ऐप्स के लिये एक उच्च और अनुचित कमीशन तंत्र का पालन करने का आरोप है।
  • सरकार ने प्रतिस्पर्द्धा संशोधन विधेयक, 2022 के माध्यम से प्रतिस्पर्द्धा कानून में संशोधन का भी प्रस्ताव रखा है, जिसकी वर्तमान में वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति द्वारा समीक्षा की जा रही है ।

बिग टेक कंपनियों से संबंधित मुद्दे

  • इंटरनेट एकाधिपत्य (Internet Monopolisation): बिग टेक कंपनियाँ ‘उपभोक्ता निष्ठा’ (consumer loyalty) को अर्जित करने के बजाय उसकी खरीद करने के लिये प्रतिस्पर्द्धियों का अधिग्रहण कर लेती हैं।
    • वे व्यवसाय के एक क्षेत्र में अपनी बाज़ार शक्ति का लाभ उठाते हुए दूसरे क्षेत्रों में एकाधिकार कायम करते हैं और इस प्रकार, उपभोक्ताओं को उत्पादों एवं सेवाओं के अपने पारितंत्र में बंद कर देते हैं।
    • उनकी समेकित शक्ति चुनावों को भी प्रभावित कर सकती है और किसी राष्ट्र के राजनीतिक रुझान को बदल सकती है।
  • निजता का उल्लंघन (Invasion of Privacy): जब कोई व्यक्ति किसी उत्पाद की ऑनलाइन खोज करता है तो उससे संबंधित विज्ञापन उसके द्वारा उपयोग किये जाने वाले लगभग हर इंटरनेट प्लेटफ़ॉर्म पर दिखाई देने लगते हैं। हालाँकि इसके कई सकारात्मक पहलू हैं, लेकिन इसमें भारी नकारात्मक नतीजों की व्यापक संभावना भी निहित है।
    • इसके अलावा, प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा उपयोगकर्ता डेटा को संसाधित करने के तरीके के बारे में पारदर्शिता की कमी है, जिसने निजता पर आक्रमण को डिफ़ॉल्ट के रूप में स्थापित कर दिया दिया है।
  • विनियमन की रिक्तता (Regulatory Vacuum): बिग टेक फर्मों द्वारा नवाचार और प्रगति की तेज़ गति के कारण नियामकों के पास केवल प्रतिक्रिया दे सकने की ही सक्षमता होती है, वे इसका सामना कर सकने की तैयारी नहीं रखते।
    • ये दिग्गज प्लेटफ़ॉर्म प्रयास करते हैं कि वे अकेले मध्यस्थ बने रहें और इसलिये उन्हें कंटेंट के लिये उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।
  • मनमाना मूल्य निर्धारण (Arbitrary Pricing): गैर-डिजिटल क्षेत्र में मूल्य निर्धारण बाज़ार की शक्तियों के माध्यम से तय होता है। लेकिन डिजिटल क्षेत्र नियम प्रायः बड़े प्लेटफ़ॉर्म द्वारा तय किये जाते हैं। इन प्लेटफ़ॉर्मों पर उपभोक्ता स्वयं उत्पाद हैं।
    • बिग टेक फर्मों द्वारा गेटकीपिंग के साथ ‘नेटवर्क इफेक्ट्स’ (network effects) और ‘विनर-टेक-इट-ऑल’ (winner-takes-it-all) जैसी अवधारणाओं के संयोग से समस्या और बढ़ जाती है।
  • नैतिक आतंक (Moral Panic): टेक प्लेटफ़ॉर्मों का उपयोग दुष्प्रचार के लिये और राजनीतिक ध्रुवीकरण, हेट स्पीच, स्त्री-द्वेषी व्यवहार, आतंकवादी प्रोपेगेंडा आदि के प्रसार के लिये किया जाता है जो आम लोगों में नैतिक आतंक का कारण बनती हैं।

आगे की राह

  • वास्तविक दृष्टिकोण से प्रत्याशित दृष्टिकोण की ओर (From Ex-Post to Ex-Ante Approach): डिजिटल बाज़ार अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्द्धा को विनियमित करने के लिये वर्तमान में व्यवहृत वास्तविक दृष्टिकोण से प्रत्याशित दृष्टिकोण की ओर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
    • यह उल्लंघन के बाद जाँच शुरू करने और दंडित करने के बजाय प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी व्यवहार पर अंकुश लगाएगा।
  • प्लेटफ़ॉर्म-टू-बिज़नेस (P2B) स्पेस को विनियमित करना: भारत को छोटे व्यवसायों के बड़े सामाजिक-राजनीतिक एवं आर्थिक हितों में प्लेटफ़ॉर्म-टू-बिज़नेस (P2B) स्पेस के विनियमन के लिये एक दृढ़ दृष्टिकोण अपनाना चाहिये।
    • नियामक अंतराल और उपभोक्ता निष्ठा के कारण बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियाँ सभी क्षेत्रों में एक निर्विवाद एकाधिकार का उपभोग करती हैं। चूँकि उपभोक्ता इससे प्राप्त सुविधा को आसानी से नहीं छोड़ेंगे, इसलिये इनके आसपास नियामक उपायों एवं सुरक्षा उपायों का एक नेटवर्क स्थापित करना आवश्यक है।
      • वृहत प्रभाव के लिये विनियमन को क्षेत्रीय मुद्दों के प्रति संवेदनशील भी होना होगा।
  • डेटा प्रबंधन ढाँचा: बिग टेक कंपनियों द्वारा डेटा प्रबंधन के संबंध में सरकार का नियामक ढाँचा कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ ही भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग के बीच संयुक्त सहयोग के माध्यम से तैयार किया जा सकता है।
    • सरकार को बिग टेक कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिये बाध्य करना चाहिये कि उपभोक्ताओं से एकत्र किये गए डेटा का उपयोग उपभोक्ता के हित की पूर्ति के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिये नहीं किया जाएगा।
  • उपभोक्ता जागरूकता: सरकार को इंटरनेट जागरूकता को बढ़ावा देने के लिये पर्याप्त कदम उठाने की जरूरत है, जैसे किसी भी लेनदेन से पहले वेबसाइटों की प्रामाणिकता की जाँच करना और अनधिकृत अनुप्रयोगों को पहुँच की अनुमति नहीं देना।

अभ्यास प्रश्न: भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और समाज को विभिन्न तरीकों से रूपांतरित करने में उनकी भूमिका के बावजूद, बिग टेक कंपनियाँ इंटरनेट एकाधिपत्य के संबंध में जाँच के दायरे में भी हैं। आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।


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