भारत में क्रिप्टो आस्तियों का भविष्य
यह एडिटोरियल 14/09/2022 को लाइवमिंट में प्रकाशित “Let’s take an inclusive approach to the regulation of crypto assets” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य और संबंधित मुद्दों के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ:
भारत में और विश्व भर में खरीद, बिक्री और ट्रेडिंग जैसी वित्तीय गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के एक माध्यम के रूप में निवेशकों के बीच क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की मात्रा और लोकप्रियता में वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास अभिसमय रिपोर्ट 2021 के अनुसार, वर्ष 2021 में 7.3% भारतीय क्रिप्टोकरेंसी का स्वामित्व रखते थे।
यह सराहनीय है कि भारत जीवन के लगभग हर पहलू में ही तेज़ी से डिजिटलीकरण की ओर आगे बढ़ रहा है लेकिन इसके साथ ही एक अंतर्निहित चिंता भी है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। चिंता यह है कि वर्तमान में भारत के पास क्रिप्टो परिसंपत्ति बाज़ार को नियंत्रित करने के लिये कोई भी नियामक ढाँचा मौजूद नहीं है।
एक नियामक ढाँचे की अनुपस्थिति न केवल इस क्षेत्र में प्रवेश करने के इच्छुक व्यवसायों के लिये अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न करती है, बल्कि निवेशकों के लिये परिहार्य धोखाधड़ी का जोखिम भी पैदा करती है। एक अविनियमित पारितंत्र मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी और आतंक वित्तपोषण को भी अवसर प्रदान कर सकती है।
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
- क्रिप्टोकरेंसी रुपया या अमेरिकी डॉलर की ही तरह विनिमय का एक माध्यम है, लेकिन यह प्रारूप में डिजिटल है जो मौद्रिक इकाइयों के सृजन को नियंत्रित करने और धन के विनिमय को सत्यापित करने के लिये एन्क्रिप्शन तकनीकों (Encryption techniques) का उपयोग करती है।
- बिटकॉइन (Bitcoin) विश्व की सबसे प्रसिद्ध क्रिप्टोरेंसी है जो बाज़ार पूंजीकरण के अनुसार विश्व की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी भी है।
- अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी को राष्ट्रीय सरकारों द्वारा विनियमित नहीं किया जाता है; उन्हें वैकल्पिक मुद्रा या वित्तीय विनिमय के साधन के रूप में देखा जाता है जो राज्य की मौद्रिक नीति के दायरे से बाहर होते हैं।
- सितंबर 2021 में अल साल्वाडोर विश्व का ऐसा पहला देश बन गया जिसने बिटकॉइन को वैध मुद्रा/लीगल टेंडर के रूप में मान्यता प्रदान की।
क्रिप्टोकरेंसी के विनियमन के मामले में भारत की स्थिति
- वर्ष 2017 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक चेतावनी जारी कर आगाह किया कि वर्चुअल करेंसी या क्रिप्टोकरेंसी भारत में वैध मुद्रा नहीं हैं।
- हालाँकि इन आभासी मुद्राओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया।
- वर्ष 2019 में RBI ने क्रिप्टोकरेंसी के ट्रेडिंग, माइनिंग, होल्डिंग या हस्तांतरण/उपयोग को भारत में वित्तीय जुर्माने या/और 10 वर्ष तक के कारावास के दंड के अधीन घोषित किया।
- RBI ने यह घोषणा भी की कि वह भविष्य में भारत में डिजिटल रुपए को वैध मुद्रा के रूप में लॉन्च कर सकता है।
- वर्ष 2020 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने RBI द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पर अधिरोपित प्रतिबंध को निरस्त कर दिया।
- वर्ष 2022 में भारत सरकार ने केंद्रीय बजट 2022-23 में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि किसी भी आभासी मुद्रा/क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्ति का हस्तांतरण 30% कर कटौती के अधीन होगा।
- आभासी परिसंपत्ति/क्रिप्टोकरेंसी के रूप में प्राप्त उपहारों के मामले में प्राप्तकर्ता पर कर लगाया जाएगा।
- जुलाई 2022 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने देश के मौद्रिक और राजकोषीय स्वास्थ्य पर क्रिप्टोकरेंसी के ‘अस्थिरताकरी प्रभावों’ का हवाला देते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की।
क्रिप्टोकरेंसी से संबद्ध संदिग्ध क्षेत्र
- अस्थिर प्रकृति: क्रिप्टोकरेंसी एक तरह का सट्टा है। इसमें अधिक मात्रा में निवेश बाज़ार अस्थिरता (Market Volatility) उत्पन्न करता है, यानी कीमतों में उतार-चढ़ाव को अवसर देता है जिसके परिणामस्वरूप लोगों को भारी नुकसान हो सकता है।
- विश्वसनीयता और सुरक्षा: चूँकि क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन का एक डिजिटल मोड है, यह हैकर्स, आतंकी वित्तपोषण और ड्रग लेनदेन के लिये एक अत्यंत आम मंच बन गया है।
- उदाहरण के लिये, अपराधियों द्वारा बिटकॉइन में फिरौती का भुगतान करने के लिये ‘वन्नाक्राई’ वायरस का उपयोग किया गया था।
- विनियमन ढाँचे का अभाव: भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी के प्रति ‘वेट एंड वाच’ नीति का पालन कर रही है। नियामक प्राधिकरण की अनुपस्थिति से निवेशकों की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था में धन की आवाजाही के लिये धोखाधड़ी की संभावना बढ़ गई है।
- ‘फ्लडिंग एडवरटाइज़मेंट’: क्रिप्टो बाज़ार में विज्ञापनों की बाढ़ आई हुई है ताकि लोगों को सट्टा लगाने के लिये लुभाया जा सके, क्योंकि इसे पैसा कमाने का एक द्रुत तरीका माना जाता है। हालाँकि, इस बात की चिंता है कि ‘अत्यधिक वादे’ और ‘अपारदर्शी विज्ञापन’ के माध्यम से युवाओं को गुमराह करने के लिये ये प्रयास किये जा रहे हैं।
- स्टॉक मार्केट: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने ध्यान दिलाया है कि क्रिप्टोकरेंसी के ‘समाशोधन और निपटान’ पर उसका नियंत्रण नहीं है और वह उस पर शेयरों की तरह की काउंटरपार्टी गारंटी प्रदान नहीं कर सकता।
- इसके अलावा, क्रिप्टोकरेंसी को मुद्रा, वस्तु या प्रतिभूति के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है।
- मापनीयता/स्केलेबिलिटी संबंधी चिंता: क्रिप्टो की स्केलेबिलिटी एक प्रमुख चिंता बनी हुई है, क्योंकि यह ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी में डेटा स्टोरेज तंत्र एपेंड-ऑनली (append-only) होता है, जिसका अर्थ है कि इसे संशोधित नहीं किया जा सकता है और चूँकि मांग बढ़ रही है, भंडारण क्षमता सीमित बनी रही है।
- मनी लॉन्ड्रिंग: इस बात की प्रबल संभावना है कि लोग मनी लॉन्ड्रिंग में निवेश करना शुरू कर दें और यह बहुत आसान है क्योंकि कोई भी बिना किसी जवाबदेही के एक देश से दूसरे देश में धन भेज सकता है।
- आर्थिक असंतुलन की संभावना: क्रिप्टोकरेंसी का बढ़ता बाज़ार भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रा के चक्रीय प्रवाह को असंतुलित कर सकता है। अर्थव्यवस्था में वास्तविक नकदी (cash) के सृजन के तरीके से क्रिप्टोकरेंसी के सृजन का तरीका बेहद अलग है।
- उदाहरण के लिये, भारत में केवल RBI के पास ही नकदी सृजन का अधिकार है जिसे वह न्यूनतम रिज़र्व सिस्टम बनाए रखते हुए करता है। यह मांग और आपूर्ति का एक संतुलन बनाए रखता है।
- लेकिन क्रिप्टोकरेंसी वित्तीय संस्थागत नियमों पर निर्भर नहीं होती बल्कि एन्क्रिप्टेड और प्रोटेक्टेड होती है जिससे पूर्वनिर्धारित एल्गोरिथम रेट पर धन की आपूर्ति में वृद्धि करना कठिन हो जाता है।
- उदाहरण के लिये, भारत में केवल RBI के पास ही नकदी सृजन का अधिकार है जिसे वह न्यूनतम रिज़र्व सिस्टम बनाए रखते हुए करता है। यह मांग और आपूर्ति का एक संतुलन बनाए रखता है।
- लोकपाल की अनुपस्थिति: वर्तमान में ऐसा कोई मंच मौजूद नहीं है, जहाँ कोई उपयोगकर्ता क्रिप्टो परिसंपत्तियों से संबंधित किसी भी मदद या शिकायत निवारण के लिये पहुँच सकता है, जिसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता लेन-देन और सूचनात्मक जोखिमों का सामना करते हैं।
आगे की राह
- क्रिप्टोकरेंसी को परिभाषित करना: क्रिप्टोकरेंसी को संबंधित राष्ट्रीय कानूनों के तहत प्रतिभूतियों या अन्य वित्तीय साधनों के रूप में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिये।
- स्टार्टअप पारितंत्र को क्रिप्टो से जोड़ना: भारत के स्टार्टअप पारितंत्र को क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी द्वारा नई ऊर्जा प्रदान की जा सकती है, जहाँ ब्लॉकचेन डेवलपर्स, डिज़ाइनर, प्रोजेक्ट मैनेजर, बिजनेस एनालिस्ट, प्रमोटर्स और मार्केटर्स जैसे कई रोज़गार अवसर सृजित हो सकते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की धुरी: चूँकि क्रिप्टो परिसंपत्ति राष्ट्रीय सीमाओं को पार करती है, वे वित्तीय बाज़ार शासन के अंतर्राष्ट्रीय समन्वयन के लिये एक धूरी या लिंचपिन के रूप में कार्य कर सकती हैं।
- हालाँकि भारत जैसी कई उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (emerging and developing economies- EMDEs) में क्रिप्टो परिसंपत्ति का विनियमन अभी नवजात अवस्था में ही है।
- क्रिप्टोकरेंसी प्रवाह को विनियमित करने के लिये एक जोखिम-आधारित और संदर्भ-विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अत्यंत आवश्यक है।
- CBDC की ओर भारत: भारत के वित्त मंत्री ने डिजिटल रुपया (Digital Rupee) के रूप में भारत के लिये एक सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) शुरू करने की घोषणा की है। यह भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था को एक बड़ा प्रोत्साहन देगा।
- डिजिटल मुद्रा एक अधिक कुशल और सस्ती मुद्रा प्रबंधन प्रणाली को भी बढ़ावा देगी।
- हालाँकि CBDC को ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का पूरा लाभ उठाने के लिये अन्य क्रिप्टोकरेंसी के साथ तालमेल बिठाए रखने की भी आवश्यकता होगी।
अभ्यास प्रश्न: ‘‘यह उपयुक्त समय है कि भारत क्रिप्टोकरेंसी पर अपने ‘वेट एंड वाच’ नीति से आगे कदम बढाए।’’ टिप्पणी करें।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न:“ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी” के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. हाल ही में कभी-कभी समाचारों में आने वाले शब्द 'वानाक्राई, पेट्या और इंटर्नलब्लू' निम्नलिखित में से किससे संबंधित हैं (2018) (a) एक्सोप्लैनेट उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. क्रिप्टोकरेंसी क्या है? यह वैश्विक समाज को कैसे प्रभावित करता है? क्या यह भारतीय समाज को भी प्रभावित कर रहा है? (2021) |