एडिटोरियल (20 Feb, 2024)



‘मेरिटोक्रेसी’ पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रभाव

यह एडिटोरियल 19/02/2024 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Recalibrating merit in the age of Artificial Intelligence” ” लेख पर आधारित है। इसमें चर्चा की गई है कि AI की प्रगति के साथ ‘मेरिटोक्रेसी’ के सामंजस्य के लिये इस सूक्ष्म समझ की आवश्यकता है कि प्रौद्योगिकी सामाजिक ढाँचे के साथ किस प्रकार अंतःक्रिया करती है, क्योंकि यह इस बात के सतर्क पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता उत्पन्न करता है कि योग्यता को किस प्रकार अवधारणाबद्ध एवं पुरस्कृत किया जाता है, विशेष रूप से क्योंकि AI एक ओर मानव क्षमताओं को बेहतर बना सकता है तो दूसरी ओर विद्यमान असमानताओं को बढ़ा भी सकता है।

प्रिलिम्स के लिये:

योग्यता तंत्र या ‘मेरिटोक्रेसी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI),  एथिकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML),लार्ज लैंग्वेज मॉडल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक साझेदारी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता मिशन

मेन्स के लिये:

एआई इनोवेशन और स्टार्टअप, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना।

योग्यता तंत्र या ‘मेरिटोक्रेसी’ (meritocracy) की अवधारणा—जो व्यक्तियों को योग्यता एवं उपलब्धियों के आधार पर पुरस्कृत करती है, समाज पर इसके प्रभाव के संदर्भ में बहस का विषय रही है। आलोचक डिस्टोपियन परिणामों (dystopian consequences) का पूर्वानुमान करते हैं, जबकि योग्यता तंत्र के समर्थक इसमें सुधार की संभावना देखते हैं। इन आलोचनाओं से प्रभावित योग्यता तंत्र के विकास को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) के उभार के साथ नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वह योग्यता या ‘मेरिट’ की अवधारणा को एक नया आकार दे रहा है।

योग्यता तंत्र क्या है?

  • परिभाषा:
    • योग्यता तंत्र या मेरिटोक्रेसी एक ऐसी प्रणाली है जिसमें व्यक्ति अपनी सामाजिक स्थिति या पृष्ठभूमि के बजाय अपनी क्षमताओं, उपलब्धियों एवं कठोर श्रम के आधार पर आगे बढ़ते हैं और पुरस्कृत होते हैं। ऐसे योग्यता तंत्रात्मक समाज में, सफलता व्यक्तिगत प्रयास एवं प्रतिभा के माध्यम से अर्जित की जाती है और अवसर के द्वार सैद्धांतिक रूप से सभी के लिये खुले होते हैं, भले ही जीवन में उनका आरंभिक बिंदु कुछ भी रहा हो।
    • यह अवधारणा मानती है कि जो लोग कठोर श्रम करते हैं और कौशल का प्रदर्शन करते हैं, उन्हें शीर्ष पर पहुँचना चाहिये, जबकि जो ऐसा नहीं करते हैं वे निम्न स्थितियों में बने रहते हैं।
  • सिद्धांत और मूल्य:
    • योग्यता तंत्र अपने मूल में निष्पक्षता, अवसर की समानता और इस विचार को महत्त्व देता है कि व्यक्तियों का मूल्यांकन उनके नियंत्रण से परे के बाह्य कारकों के बजाय उनकी अपनी योग्यताओं के आधार पर किया जाना चाहिये।
    • यह एक समान अवसर को बढ़ावा देता है जहाँ हर किसी को विरासत में मिले विशेषाधिकार या भाई-भतीजावाद (nepotism) के बजाय अपनी क्षमताओं एवं प्रयासों के आधार पर सफल होने का मौका मिलता है। योग्यता तंत्र शिक्षा एवं व्यक्तिगत विकास के महत्त्व पर भी बल देता है, क्योंकि इन्हें सफलता के प्रमुख मार्ग के रूप में देखा जाता है।
  • आलोचनाएँ और चुनौतियाँ:
    • योग्यता तंत्र के आलोचकों का तर्क है कि इससे कई नकारात्मक परिणाम उत्पन्न हो सकते हैं। उनका सुझाव है कि व्यावहारिक दुनिया में योग्यता प्रायः सभी के लिये समान अवसर प्रदान करने में विफल रहती है, क्योंकि विशेषाधिकार प्राप्त पृष्ठभूमि के व्यक्तियों के पास बेहतर शिक्षा एवं संसाधनों तक पहुँच हो सकती है, जिससे उन्हें अनुचित लाभ प्राप्त होता है।
    • आलोचकों का यह भी कहना है कि योग्यता तंत्र सफल लोगों के बीच अभिजात्यवाद (elitism) की भावना उत्पन्न कर सकता है, जिससे उन लोगों के प्रति समानुभूति या समझ की कमी की स्थिति बन सकती है जो उतने भाग्यशाली नहीं रहे।
  • विकास और अनुकूलन:
    • समय के साथ योग्यता तंत्र की अवधारणा का विकास हुआ है और इनमें से कुछ आलोचनाओं एवं चुनौतियों का समाधान करने के लिये इसे अनुकूलित किया गया है। वंचित समूहों के लिये शिक्षा एवं अवसरों तक पहुँच बढ़ाने के प्रयास किये गए हैं ताकि एक समान अवसर का सृजन किया जा सके।
    • इसके अतिरिक्त, योग्यता आधारित प्रणालियों में विविधता एवं समावेशन के महत्त्व की मान्यता बढ़ रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रतिभाओं एवं परिप्रेक्ष्यों की एक विस्तृत शृंखला को चिह्नित और पुरस्कृत किया जाए।

योग्यता तंत्र के संबंध में विभिन्न दृष्टिकोण कौन-से हैं?

योग्यता तंत्र की अवधारणा—जिसमें व्यक्तियों को उनकी सामाजिक स्थिति या पृष्ठभूमि के बजाय उनकी क्षमताओं, उपलब्धियों एवं कठोर श्रम के आधार पर पुरस्कृत होने एवं प्रगति करने का अवसर मिलता है—पर व्यापक बहस होती रही है। योग्यता तंत्र के समर्थक और आलोचक इसके गुणों एवं खामियों को उजागर करते हुए, समाज पर इसके प्रभावों के बारे में प्रबल तर्क पेश करते हैं। माइकल यंग, माइकल सैंडल और एड्रियन वूल्ड्रिज जैसे विचारकों की आलोचना एवं विश्लेषण से प्रभावित होकर योग्यता तंत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन देखे गए हैं।

  • माइकल यंग का दृष्टिकोण:
    • ब्रिटिश समाजशास्त्री माइकल यंग (Michael Young) ने अपनी व्यंग्यात्मक कृति ‘द राइज़ ऑफ़ द मेरिटोक्रेसी’ (1958) में एक डिस्टोपियन मेरिटोक्रेटिक वर्ल्ड की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने एक ऐसे भविष्य (विशेष रूप से वर्ष 2034) की कल्पना की, जहाँ समाज में सामाजिक वर्ग और गतिशीलता पूरी तरह से बुद्धि एवं प्रयास द्वारा निर्धारित होंगे, जैसा कि मानकीकृत परीक्षण एवं शैक्षिक उपलब्धि के माध्यम से मापा जाएगा।
    • यह योग्यता-आधारित प्रणाली के प्रति तत्कालीन उभरती प्रवृत्ति की आलोचना थी, जहाँ उन्हें भय था कि इससे सामाजिक स्तरीकरण का एक नया रूप सामने आएगा।
  • माइकल सैंडल का दृष्टिकोण:
    • माइकल सैंडल (Michael Sandel) की आलोचना विभाजनकारी परिणामों (divisive consequences) पर केंद्रित है, जहाँ उनका तर्क है कि योग्यता सफल लोगों के बीच अधिकार (entitlement) की भावना को बढ़ावा देती है और पीछे छूट गए लोगों के बीच असंतोष बढ़ता है, जिससे सामाजिक एकजुटता का क्षरण होता है।
    • आलोचनात्मक सिद्धांतकार भी गहन शक्ति गतिशीलता एवं असमानताओं को छुपाने में योग्यता तंत्र की आलोचना के लिये इसी तरह का तर्क देते हैं। उनका मानना है कि योग्यता तंत्र निष्पक्षता और तटस्थता की आड़ में अभिजात वर्ग की स्थिति को वैध बनाकर सामाजिक पदानुक्रम को कायम बनाये रख सकता है।
  • उत्तर-संरचनावादियों के दृष्टिकोण:
    • उत्तर-संरचनावादी (Post-Structuralists) योग्यता की धारणा को चुनौती देते हैं और यह सवाल करते हैं कि योग्यता को परिभाषित कौन करता है और इसकी माप कैसे की जाती है। उनका तर्क है कि योग्यता की अवधारणाएँ सामाजिक रूप से निर्मित होती हैं और सत्ता में बैठे लोगों के पूर्वाग्रहों एवं हितों को प्रदर्शित करती हैं।
    • उत्तर-संरचनावाद योग्यता की तरलता एवं आकस्मिकता पर प्रकाश डालता है और यह सुझाव देता है कि योग्यता प्रणालियाँ अंतर्निहित रूप से व्यक्तिपरक हैं और विद्यमान असमानताओं को सुदृढ़ कर सकती हैं।
  • एड्रियन वूल्ड्रिज:
    • मेरिटोक्रेसी पर माइकल यंग के डिस्टोपियन दृष्टिकोण (जो एक कठोर वर्ग प्रणाली की ओर ले जाती है) और इसके नैतिक एवं सामाजिक परिणामों पर माइकल सैंडल द्वारा बल देने के विपरीत एड्रियन वूल्ड्रिज (Adrian Wooldridge) योग्यता तंत्र के व्यावहारिक विकास एवं सुधार ला सकने की इसकी क्षमता पर ज़ोर देते हैं।
    • अपनी कृति ‘द एरिस्टोक्रेसी ऑफ टैलेंट’ में उन्होंने विचार किया है कि किस प्रकार योग्यता, जो आरंभ में प्रगति एवं सामाजिक गतिशीलता के लिये एक शक्ति थी, ने अनजाने में कुछ हद तक वंशानुगत बनकर नई असमानताओं को बढ़ावा दिया है, जहाँ विशेषाधिकारों का पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरण हो रहा है।
    • योग्यता तंत्र द्वारा एक नवीन अभिजात वर्ग का सृजन कर सकने की संभावना को चिह्नित करने के बावजूद, वूल्ड्रिज इसकी सहज निष्पक्षता में भरोसा रखते हैं और ऐसे सुधारों का प्रस्ताव करते हैं जिसमें वंचित छात्रों के लिये अभिगम्यता में सुधार एवं बेहतर तकनीकी शिक्षा की वकालत करने के साथ ही चयनात्मक स्कूलों को ‘अभिजात वर्ग की ओर सीढ़ी’ (escalators into the elite) बनाना शामिल है।

AI क्या है?

  • परिचय:
    • AI एक कंप्यूटर या कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट द्वारा उन कार्यों को पूरा करने की क्षमता है जो आमतौर पर मानवों द्वारा किये जाते हैं क्योंकि उनके लिये मानव बुद्धि एवं विवेक की आवश्यकता होती है।
    • हालाँकि अभी ऐसा कोई AI नहीं है जो एक सामान्य मानव द्वारा किये जाने वाले विभिन्न प्रकार के कार्य कर सके, कुछ AI विशिष्ट कार्यों में मानवीय क्षमता की बराबरी कर सकते हैं।
  • विशेषताएँ एवं घटक:
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की आदर्श विशेषता युक्तिसंगत करने और ऐसे कार्य करने की क्षमता है जिनमें किसी विशिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने की सबसे अच्छी संभावना होती है। AI का ही एक सब-सेट  मशीन लर्निंग (ML) है।
    • डीप लर्निंग (DL) तकनीक टेक्स्ट, इमेज या वीडियो जैसे बड़ी मात्रा में असंरचित डेटा के ग्रहण के माध्यम से इस स्वचालित लर्निंग को सक्षम बनाती है।
  • AI के प्रकार:

योग्यता तंत्र पर AI के विभिन्न प्रभाव कौन-से हैं?

इस समीकरण में AI का प्रवेश योग्यता तंत्र में सुधार के विचार को पूरी तरह से जटिल बना देता है। AI, अपनी तेज़ी से विकसित हो रही क्षमताओं के साथ, निम्नलिखित तरीकों से योग्यता और योग्यता तंत्र के विचार को नया आकार प्रदान करेगा:

  • मानव क्षमताओं की वृद्धि:
    • सर्वप्रथम, अपनी मूल प्रकृति से ही, AI एक गैर-मानवीय इकाई का प्रवेश करा मानव योग्यता के आधार पर सवाल उठाता है, जहाँ वह कार्य करने, निर्णय लेने और यहाँ तक कि उन स्तरों पर ‘सृजन’ में सक्षम है जो मानव क्षमताओं को पार कर सकते हैं।
      • यदि मशीनें वे अधिकांश कार्य कर सकती हैं जिनके लिये मानव बुद्धि एवं रचनात्मकता को आवश्यक समझा जाता था तो योग्यता के पारंपरिक मापन तंत्र की प्रासंगिकता घट जाती है। OpenAI का ‘Sora’ सोरा इस बात का सबूत है कि रचनात्मकता अब कोई अनन्य मानवीय गुण नहीं रह गई है।
    • दूसरा, AI का उभार प्रौद्योगिकी तक पहुँच को प्राथमिकता देकर व्यक्तिगत योग्यता की पारंपरिक धारणा को चुनौती देता है। AI उपकरणों तक पहुँच रखने वाले व्यक्तियों को महत्त्वपूर्ण लाभ प्राप्त होता है, जो आवश्यक रूप से उनकी व्यक्तिगत क्षमताओं के कारण नहीं बल्कि इन उपकरणों की बढ़ी हुई क्षमताओं के कारण हो सकता है।
  • विद्यमान असमानताओं की वृद्धि:
    • तीसरा, ऐतिहासिक डेटा पर प्रशिक्षित AI प्रणाली उस डेटा में मौजूद पूर्वाग्रहों को कायम रख सकता है और यहाँ तक कि उन्हें बढ़ा भी सकता है, जिससे नियुक्ति, कानून प्रवर्तन और ऋण देने जैसे क्षेत्रों में भेदभावपूर्ण परिणाम उत्पन्न हो सकते हैं। ये पूर्वाग्रह उन समूहों को नुकसान पहुँचा सकते हैं जो पहले से ही हाशिये पर हैं।
    • चौथा, ‘नेचर मेडिसिन’ में हाल ही में प्रकाशित एक पेपर से पता चला है कि एक AI उपकरण रेडियोलॉजिस्ट द्वारा निदान करने से तीन वर्ष पूर्व एक मरीज में अग्नाशय कैंसर की भविष्यवाणी कर सकता है।
      • इस तरह की क्षमताएँ उन नौकरियों के विस्थापन का कारण बन सकती हैं जिनमें नियमित, पूर्वानुमानित कार्य शामिल होते हैं। इसका अर्थ यह भी है कि AI उच्च वेतन वाली नौकरियों को प्रभावित करेगा।
      • AI कार्यबल को या तो उच्च-कौशल, उच्च-वेतन वाली नौकरियों (जहाँ जटिल समस्या-समाधान एवं रचनात्मकता की आवश्यकता होती है) अथवा निम्न-कौशल, निम्न-वेतन वाली नौकरियों की ओर धकेल देगा (जहाँ शारीरिक उपस्थिति और व्यक्तिगत अंतःक्रिया की आवश्यकता होती है, जिसका अभी तक AI अनुकरण करने में अक्षम है)।
      • यह ध्रुवीकरण सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को बढ़ाएगा, क्योंकि उच्च-स्तरीय शिक्षा एवं प्रशिक्षण तक पहुँच के बिना व्यक्तियों को निम्न-वेतन वाली भूमिकाओं की ओर धकेल दिया जाएगा।
    • पाँचवाँ, विभिन्न AI एल्गोरिदम की अपारदर्शी प्रकृति गिने-चुने तकनीकी दिग्गज कंपनियों में शक्ति की एकाग्रता के साथ संयुक्त होकर जवाबदेही के लिये उल्लेखनीय चुनौतियाँ पैदा करती है। एक योग्यता तंत्रात्मक समाज में, व्यक्तियों को उन मानदंडों को समझना होगा जिनके द्वारा उनके प्रयासों एवं प्रतिभाओं का मूल्यांकन किया जाता है।
      • हालाँकि, विभिन्न AI प्रणालियों की ‘ब्लैक बॉक्स’ प्रकृति इन मानदंडों को अस्पष्ट बना सकती है, जिससे व्यक्तियों के लिये यह जानना कठिन हो जाता है कि AI द्वारा लिये गए निर्णयों को कैसे आगे बढ़ाया जाए या इसे चुनौती कैसे दी जाए; इस प्रकार योग्यतात्मक आदर्श को नष्ट कर देती है।
    • छठा, संगठनात्मक स्तर पर AI की शक्ति का मूल डेटा एवं इस डेटा को संसाधित करने वाले एल्गोरिदम में निहित है। अभूतपूर्व मात्रा में डेटा तक पहुँच रखने वाले तकनीकी दिग्गज कंपनियों को अधिक परिष्कृत एवं सटीक AI मॉडल के प्रशिक्षण में एक विशिष्ट लाभ प्राप्त है।
      • इस डेटा आधिपत्य का अर्थ है कि ये निकाय डिजिटल युग में ‘योग्यता’ के लिये मानक निर्धारित कर सकते हैं और उन छोटे खिलाड़ियों को दरकिनार कर सकते हैं जिनके पास नवीन विचार तो हो सकते हैं लेकिन उन्हें समान डेटासेट तक पहुँच की आवश्यकता हो।

AI से संबंधित भारत की विभिन्न पहलें कौन-सी हैं?

निष्कर्ष:

योग्यता तंत्र की अवधारणा ने गहन बहस छेड़ दी है, जहाँ इसके समर्थक क्षमताओं एवं उपलब्धियों को पुरस्कृत करने में इसके गुणों को उजागर करते हैं, जबकि इसके आलोचक अधिकार/पात्रता (entitlement) को बढ़ावा देने एवं सामाजिक विभाजन को बढ़ा सकने की इसकी क्षमता की ओर संकेत करते हैं। योग्यता तंत्र का विकास, जैसा कि यंग, सैंडल एवं वूल्ड्रिज जैसे विचारकों द्वारा चर्चा की गई है, इसके प्रभावों एवं चुनौतियों पर विभिन्न दृष्टिकोणों को प्रकट करता है। AI के उभार के साथ योग्यता का विचार और अधिक जटिल हो गया है, जिससे मानव बनाम मशीन योग्यता, प्रौद्योगिकी तक पहुँच, AI प्रणाली में पूर्वाग्रह, नौकरी विस्थापन एवं डेटा आधिपत्य के बारे में सवाल उठ रहे हैं। इन जटिलताओं को संबोधित करने के लिये एक सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो डिजिटल युग में योग्यता को पुनर्परिभाषित करे और निष्पक्षता सुनिश्चित करे।

अभ्यास प्रश्न: सामाजिक स्तरीकरण, पूर्वाग्रहों और कार्यबल गतिशीलता पर योग्यता तंत्र के प्रभाव पर विचार करते हुए योग्यता तंत्र की अवधारणा पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के निहितार्थों की चर्चा कीजिये। संभावित सुधारों पर भी विचार कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न 1. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना  
  2. सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना  
  3. रोगों का निदान  
  4. टेक्स्ट-से-स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन  
  5. विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)