निर्यात एवं ई-कॉमर्स को बढ़ावा
यह एडिटोरियल 12/02/2023 को ‘हिंदू बिजनेस लाइन’ में प्रकाशित “E-commerce can propel exports” लेख पर आधारित है। इसमें भारत के निर्यात में ई-कॉमर्स की भूमिका एवं संबंधित मुद्दों के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ
भारत वैश्विक ई-कॉमर्स उद्योग में एक अग्रणी खिलाड़ी के रूप में तेज़ी से उभर रहा है। ई-कॉमर्स नाटकीय रूप से बड़े पैमाने पर भारतीय उद्यमियों के लिये वैश्विक बाज़ार के द्वार खोल रहा है और इसने ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों का भाग्य बदल दिया है।
- महामारी के दौरान ऑनलाइन खरीदारी की सुविधा का अनुभव करने के बाद ग्राहकों द्वारा डिजिटल माध्यम का उपयोग जारी रहा है। वैश्विक स्तर पर अनुमानित रूप से 2.14 बिलियन ऑनलाइन खरीदार मौजूद हैं और इनकी संख्या तेज़ी से बढ़ रही है।
- यह परिदृश्य भारत में व्यवसायों के लिये वैश्विक अवसर के बारे में अधिक गंभीरता से सोचने का एक शानदार अवसर प्रस्तुत करता है। इंटरनेट की व्यापक उपलब्धता, उभरते ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस, मांग आधारित विनिर्माण, पूंजी तक आसान पहुँच और लॉजिस्टिक्स एवं शिपिंग के लिये चर मॉडल (variable models) के साथ भारतीय उद्यमी स्वयं को वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं से संबद्ध कर सकते हैं और सुदृढ़ निर्यात व्यवसाय का निर्माण कर सकते हैं।
- हालाँकि लॉजिस्टिक्स, सीमा-पार भुगतान, अनुपालन आवश्यकताओं और अन्य विषयों से संबंधित कई बाधाएँ भी मौजूद हैं। देश भर के लाखों छोटे व्यवसायों के लिये निर्यात के अवसरों का विस्तार करने के लिये अभी बहुत कार्य करने की आवश्यकता है।
भारत के निर्यात की वर्तमान स्थिति
- वित्त वर्ष 2022 की स्थिति के अनुसार, पिछले तीन दशकों में भारत के विनिर्माण क्षेत्र में तीन गुना वृद्धि हुई है, जिसमें पेट्रोकेमिकल्स, स्टील, सीमेंट और ऑटोमोबाइल जैसे पारंपरिक क्षेत्रों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स, खिलौने एवं अन्य नए क्षेत्रों का योगदान रहा है।
- भारत के विनिर्माण उत्पादन में दिसंबर 2022 में पिछले वर्ष के इसी माह की तुलना में 2.60% वृद्धि दर्ज की गई।
- बेड लिनन, आभूषण, खिलौने, कॉफी, मक्खन, शहद, मोटे अनाज, संगीत वाद्ययंत्र और अन्य विभिन्न श्रेणियों के निर्यात में भी लगातार वृद्धि हुई है, जो समग्र निर्यात को बढ़ावा दे रही है।
- पिछले सात वर्षों में भारत के खिलौनों के निर्यात में लगभग 30% CAGR से वृद्धि हुई है।
- भारत से मक्खन और डेयरी उत्पादों के निर्यात में 25% CAGR से वृद्धि हुई है।
- भारत में डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) क्रांति का उदय भी देखा गया है जहाँ भारत के विभिन्न क्षेत्रों से नए-पुराने ब्रांड देश और दुनिया भर में ग्राहकों को सेवा प्रदान कर रहे हैं।
- उद्योग आकलन बताते हैं कि आज भारत में 800 से अधिक सफल D2C ब्रांड मौजूद हैं, जिनका क्षेत्रवार मूल्यांकन 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
- भारत का उत्पाद व्यापार (Merchandise Trade) कैलेंडर वर्ष 2022 में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का आँकड़ा पार कर गया, जिसमें निर्यात की हिस्सेदारी 450 बिलियन और आयात की हिस्सेदारी 723 बिलियन अमेरिकी डॉलर की रही।
- आउटबाउंड शिपमेंट में वर्ष 2022 में पिछले वर्ष की तुलना में (YoY) 13.7% की वृद्धि हुई, जबकि आयात में वर्ष 2021 की तुलना में 21% वृद्धि हुई।
भारत में ई-कॉमर्स निर्यात से संबद्ध प्रमुख चुनौतियाँ
- अवसंरचनागत बाधाएँ:
- भंडारण और परिवहन जैसी उपयुक्त अवसंरचना की कमी ई-कॉमर्स व्यवसायों के विस्तार एवं वृहत ग्राहक आधार तक पहुँच को कठिन बनाती है।
- भुगतान और वित्तीय सेवाएँ:
- भुगतान और वित्तीय सेवाओं तक पहुँच, विशेष रूप से छोटे व्यवसायों के लिये, अभी भी एक बड़ी चुनौती है।
- भरोसे की कमी:
- ग्राहक प्रायः अपरिचित वेबसाइटों से ऑनलाइन खरीदारी करने में संकोच रखते हैं, जो ई-कॉमर्स निर्यात के विकास को सीमित कर सकता है।
- शिपिंग और डिलीवरी:
- विदेशी गंतव्य तक उत्पादों की शिपिंग और डिलीवरी महँगी तथा एक समय लेने वाली प्रक्रिया हो सकती है, जिससे ग्राहकों में असंतोष पैदा हो सकता है।
- सीमा शुल्क और ड्यूटी:
- जटिल सीमा शुल्क और ड्यूटी विनियमन माल के निर्यात को चुनौतीपूर्ण और अधिक समय लेने वाली प्रक्रिया बना सकते हैं।
- साइबर सुरक्षा:
- ई-कॉमर्स वेबसाइट साइबर हमलों के प्रति भेद्य होते हैं, जिससे संवेदनशील सूचना की हानि की स्थिति बन सकती है और व्यवसाय की प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- मानकीकरण का अभाव:
- उत्पाद की गुणवत्ता, वितरण और ग्राहक सेवा के मामले में मानकीकरण की कमी ई-कॉमर्स व्यवसायों के लिये प्रतिस्पर्द्धा में बढ़त हासिल करना कठिन बना सकती है।
- अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्द्धा:
- सुस्थापित अंतर्राष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों से प्रतिस्पर्द्धा भारतीय कंपनियों के लिये वैश्विक बाज़ार में विकास करना और सफल होना कठिन बना सकती है।
कौन-से संबंधित कदम उठाये गए हैं?
- मुक्त व्यापार समझौते:
- सीमा-पार व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार ने संयुक्त अरब अमीरात, यूके, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों के साथ विभिन्न मुक्त-व्यापार समझौतों (Free-trade Agreements) पर हस्ताक्षर किये हैं, जिससे निर्यात में वृद्धि हुई है।
- डिजिटल इंडिया पहल:
- डिजिटल इंडिया पहल ने स्टार्ट अप इंडिया और आत्मानिर्भर भारत सहित सरकार के नेतृत्व वाली अन्य विभिन्न पहलों को ठोस गति प्रदान की है, जिनमें वैश्विक सफलता में रूपांतरित होने की व्यापक संभावनाएँ निहित हैं।
भारत ई-कॉमर्स निर्यात बाज़ार का नेतृत्व कैसे कर सकता है?
- जागरूकता का प्रसार:
- ई-कॉमर्स निर्यात के बारे में जागरूकता का प्रसार करना इस उद्योग के विकास के प्रोत्साहन एवं वृद्धि के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- ज़मीनी स्तर पर ई-कॉमर्स निर्यात के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करने के लिये एक प्रभावी रणनीति इन माध्यमों से कार्यान्वित की जा सकती है:
- शिक्षा और प्रशिक्षण: ये ई-कॉमर्स निर्यात द्वारा पेश किये जाने वाले लाभों और अवसरों की बेहतर समझ हासिल करने में मदद कर सकते हैं।
- नेटवर्किंग संबंधी आयोजन: ये व्यवसायों एवं व्यक्तियों को परस्पर संबद्ध करने और विचारों को साझा करने के लिये एक मंच के रूप में कार्य कर सकती हैं।
- विपणन अभियान: ये ई-कॉमर्स निर्यात के बारे में जागरूकता पैदा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
- आधारभूत संरचना में सुधार लाना:
- ई-कॉमर्स कंपनियों के लिये अपने उत्पादों के निर्यात को आसान बनाने के लिये भारत को सड़कों, बंदरगाहों और गोदामों जैसी आधारभूत संरचनाओं में निवेश करने की आवश्यकता है।
- निर्यात विनियमों को सरल बनाना:
- सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों के लिये निर्यात शुरू करना आसान बनाने के लिये निर्यात नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बना सकती है।
- विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना:
- सरकार ई-कॉमर्स क्षेत्र में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित कर सकती है जिससे कंपनियों के विकास के लिये अधिक संसाधन और विशेषज्ञता प्राप्त हो सकती है।
- एक सुदृढ़ लॉजिस्टिक्स नेटवर्क का विकास करना:
- ई-कॉमर्स निर्यात के लिये एक सुदृढ़ लॉजिस्टिक्स नेटवर्क का होना महत्त्वपूर्ण है और उत्पाद समय पर अपने गंतव्य तक पहुँचें इसके लिये भारत द्वारा यह नेटवर्क विकसित करने की आवश्यकता है।
- डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना:
- सरकार ई-कॉमर्स क्षेत्र में डिजिटलीकरण को प्रोत्साहित कर सकती है ताकि कंपनियों के लिये ग्राहकों और आपूर्तिकर्ताओं से जुड़ना आसान हो सके तहत उनके संचालन को सुव्यवस्थित किया जा सके।
- वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश:
- सरकार उन ई-कॉमर्स कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन (जैसे टैक्स ब्रेक, सब्सिडी और अनुदान) दे सकती है जो निर्यात पर केंद्रित हैं, ताकि उन्हें अपने कार्यों का विस्तार करने और विकास करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके।
- मज़बूत साझेदारी का निर्माण:
- भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियों को नए बाज़ारों तक पहुँच सकने और नए ग्राहक खोजने में मदद करने के लिये सरकार अन्य देशों एवं संगठनों के साथ मज़बूत साझेदारी का निर्माण कर सकती है।
अभ्यास प्रश्न: भारत के निर्यात पर ई-कॉमर्स के प्रभाव का विश्लेषण करें और वैश्विक बाज़ार में देश की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाने के लिये इसकी क्षमता का प्रभावी ढंग से उपयोग करने संबंधी उपाय सुझाएँ।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मुख्य परीक्षाप्र. एक स्पष्ट स्वीकृति है कि विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) औद्योगिक विकास, विनिर्माण और निर्यात का एक उपकरण हैं। इस क्षमता को स्वीकार करते हुए, SEZ के संपूर्ण साधन को बढ़ाने की आवश्यकता है। कराधान, प्रशासनिक कानूनों और प्रशासन के संबंध में SEZ की सफलता को प्रभावित करने वाले मुद्दे पर चर्चा करें। (वर्ष 2015) प्र. श्रम प्रधान निर्यात के लक्ष्य को प्राप्त करने में विनिर्माण क्षेत्र की विफलता का कारण बताएँ। पूंजी-गहन निर्यात के बजाय अधिक श्रम-प्रधान निर्यात के उपाय सुझाइए। (वर्ष 2017) प्र. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के उद्भव ने सरकार के अभिन्न अंग के रूप में ई-गवर्नेंस की शुरुआत की है"। चर्चा कीजिये (वर्ष 2020) |