भविष्य की ऊर्जा संबंधी मांग और भारत की मेथनॉल अर्थव्यवस्था
यह एडिटोरियल 10/10/2023 को ‘हिंदू बिज़नेस लाइन’ में प्रकाशित “The power of green methanol” लेख पर आधारित है। इसमें चर्चा की गई है कि हरित मेथनॉल किस प्रकार भारत के लिये एक संभावित वैकल्पिक ईंधन सिद्ध हो सकता है, क्योंकि यह कार्बन उत्सर्जन में कमी ला सकता है और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकता है।
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नीति आयोग (NITI Aayog) ने घरों के साथ-साथ व्यावसायिक रूप से भी रसोई ईंधन के रूप में मेथनॉल (methanol) को अपनाने का पक्षसमर्थन करते हुए एक व्यापक योजना तैयार की है। नीति आयोग का मानना है कि इसका उपयोग रेल, सड़क और शिपिंग को ऊर्जा प्रदान करने के लिये भी किया जा सकता है। इसके अलावा, उसका मानना है कि यह रसोई ईंधन के रूप में आंशिक रूप से LPG को प्रतिस्थापित कर सकता है। गैसोलीन में 15% मेथनॉल के मिश्रण से गैसोलीन/कच्चे तेल के आयात में कम से कम 15% की कमी लाई जा सकती है।
मेथनॉल क्या है?
- परिभाषा:
- मेथनॉल एक निम्न-कार्बन युक्त, हाइड्रोजन वाहक ईंधन है जो उच्च राख कोयले (high ash coal), कृषि अवशेषों, थर्मल पॉवर संयंत्रों से उत्पन्न CO2 और प्राकृतिक गैस से उत्पादित किया जाता है।
- मेथनॉल—जिसे ‘मिथाइल अल्कोहल’ या ‘वुड अल्कोहल’ के रूप में भी जाना जाता है, एक रंगहीन ज्वलनशील द्रव है।
- यह अल्कोहल का सरलतम रूप है।
- मेथनॉल का उपयोग आमतौर पर एक औद्योगिक विलायक, एंटीफ्रीज़ और ईंधन के रूप में किया जाता है, लेकिन इसे प्रायः रेसिंग कारों में अल्कोहल ईंधन के रूप में और रसायनों एवं प्लास्टिक के उत्पादन के लिये फीडस्टॉक के रूप में उपयोग के लिये सर्वाधिक जाना जाता है।
- अनुप्रयोग:
- ईंधन: मेथनॉल का उपयोग वैकल्पिक ईंधन या ईंधन योज्य (fuel additive) के रूप में किया जा सकता है। दहन में सुधार के लिये और उत्सर्जन को कम करने के लिये इसे प्रायः गैसोलीन के साथ मिश्रित किया जाता है। मेथनॉल का उपयोग बायोडीजल के उत्पादन में भी किया जाता है।
- मेथनॉल का उत्पादन बायोमास जैसे नवीकरणीय स्रोतों से किया जा सकता है और इसका उपयोग संभावित ऊर्जा वाहक या फ्यूल सेल और अन्य ऊर्जा अनुप्रयोगों में ईंधन के रूप में किया जा सकता है।
- विलायक: मेथनॉल एक बहुमुखी विलायक है जिसका उपयोग रासायनिक विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स और पेंट, वार्निश एवं कोटिंग्स के उत्पादन सहित विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है।
- एंटीफ्रीज़: मेथनॉल का उपयोग ऑटोमोटिव अनुप्रयोगों में एंटीफ्रीज़ के रूप में किया जाता है, विशेष रूप से विंडशील्ड वॉशर द्रव में।
- रासायनिक फीडस्टॉक: मेथनॉल फॉर्मल्डीहाइड, एसीटिक एसिड और मिथाइल टर्ट-ब्यूटाइल ईथर (MTBE) सहित विभिन्न रसायनों के उत्पादन के लिये एक महत्त्वपूर्ण फीडस्टॉक के रूप में काम आता है।
- ईंधन: मेथनॉल का उपयोग वैकल्पिक ईंधन या ईंधन योज्य (fuel additive) के रूप में किया जा सकता है। दहन में सुधार के लिये और उत्सर्जन को कम करने के लिये इसे प्रायः गैसोलीन के साथ मिश्रित किया जाता है। मेथनॉल का उपयोग बायोडीजल के उत्पादन में भी किया जाता है।
हरित मेथनॉल (Green Methanol)
- हरित मेथनॉल ऐसा मेथनॉल है जो नवीकरणीय रूप से और प्रदूषणकारी उत्सर्जन के बिना उत्पादित किया जाता है। हरित मेथनॉल का एक प्रकार हरित हाइड्रोजन (green hydrogen) से उत्पादित किया जाता है। इस रासायनिक यौगिक का उपयोग निम्न-कार्बन द्रव ईंधन के रूप में किया जा सकता है और यह उन क्षेत्रों में (जैसे समुद्री परिवहन) जीवाश्म ईंधन का एक आशाजनक विकल्प है जहाँ वि-कार्बनीकरण (decarbonisation) एक बड़ी चुनौती है।
मेथनॉल के लाभ
- कम उत्पादन लागत: मेथनॉल का उत्पादन अन्य वैकल्पिक ईंधन की तुलना में कम लागत पर किया जा सकता है, जो इसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिये आर्थिक रूप से व्यवहार्य विकल्प बनाता है।
- कम ज्वलनशीलता जोखिम: मेथनॉल में गैसोलीन की तुलना में ज्वलनशीलता का कम जोखिम होता है, जो कुछ अनुप्रयोगों में सुरक्षा के स्तर को बढ़ा सकता है।
- पर्यावरणीय लाभ: जब मेथनॉल हरित हाइड्रोजन से और कार्बन जब्ती प्रौद्योगिकियों के साथ उत्पादित किया जाता है तो यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और वायु प्रदूषकों में कमी लाने में योगदान दे सकता है। यह इसे पर्यावरणीय रूप से अनुकूल विकल्प बनाता है, विशेष रूप से जब इसे ईंधन या ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है।
- उत्सर्जन नियंत्रण: मेथनॉल दहन प्रक्रिया में जल का योग कर नाइट्रोजन ऑक्साइड (Nox) उत्सर्जन के लिये टियर III विनियमन जैसे कठोर उत्सर्जन सीमाओं को पूरा करने में मदद कर सकता है। यह इसे उन अनुप्रयोगों में एक उपयोगी विकल्प बनाता है जहाँ उत्सर्जन को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है।
- प्रबंधन और परिवहन: मेथनॉल का सामान्य तापमान और दाब पर प्रबंधन एवं परिवहन करना अपेक्षाकृत आसान होता है। यह मौजूदा अवसंरचना के साथ भी संगत है, जो विभिन्न उद्योगों के लिये इसके अंगीकरण को आसान बनाता है।
- उच्च ऑक्टेन और हॉर्सपॉवर: मेथनॉल में उच्च ऑक्टेन रेटिंग (high octane ratings) उत्पन्न करने की क्षमता होती है और यह सुपर हाई-ऑक्टेन गैसोलीन के समतुल्य हॉर्सपॉवर (horsepower) प्रदान कर सकता है। यह इसे उच्च-प्रदर्शन इंजनों के लिये एक उपयुक्त विकल्प बना सकता है।
- बहुमुखी उपयोग: मेथनॉल का उपयोग इंजन ईंधन के रूप में विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। उदाहरण के लिये इन्हें समर्पित मेथनॉल इंजन में शुद्ध रूप में अथवा अन्य इंजनों में बाइनरी एवं टर्नरी अल्कोहल मिश्रण (जैसे M15, M85 और M100) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- यह शिपिंग, विमानन, फ्यूल रीफॉर्मिंग (इंजन अपशिष्ट ताप का उपयोग कर) और औद्योगिक बिजली उत्पादन में उपयोग के लिये भी उपयुक्त है।
नीति आयोग का मेथनॉल इकोनॉमी कार्यक्रम क्या है?
- कार्यक्रम: नीति आयोग का ‘मेथनॉल अर्थव्यवस्था’ (Methanol Economy) कार्यक्रम एक रणनीतिक पहल है जिसका उद्देश्य ऊर्जा, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था से संबंधित विभिन्न महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करना है।
- मुख्य उद्देश्य और संभावित लाभ:
- तेल आयात बिल को कम करना: मेथनॉल इकोनॉमी कार्यक्रम का एक प्राथमिक उद्देश्य आयातित कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों पर भारत की निर्भरता को कम करना है। गैसोलीन में 15% मेथनॉल के मिश्रण से गैसोलीन/कच्चे तेल के आयात में कम से कम 15% की कमी लाई जा सकती है।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी: ईंधन के रूप में मेथनॉल के उपयोग में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की क्षमता है। गैसोलीन और डीजल जैसे पारंपरिक ईंधन की तुलना में, मेथनॉल मिश्रण से पार्टिकुलेट मैटर (PM), Nox एवं SOx के मामले में GHG उत्सर्जन में 20% की कमी आएगी, जिससे शहरी वायु गुणवत्ता में सुधार होगा।
- स्थानीय संसाधनों का उपयोग: मेथनॉल का उत्पादन कोयला भंडार और नगर निकाय के ठोस अपशिष्ट सहित विभिन्न फीडस्टॉक से किया जा सकता है। इन संसाधनों को मेथनॉल में परिवर्तित कर, भारत अपने घरेलू ऊर्जा संसाधनों और अपशिष्ट पदार्थों का अधिक कुशल उपयोग कर सकता है, स्थिरता में योगदान दे सकता है तथा पर्यावरणीय प्रभावों को कम कर सकता है।
- भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) ने सिनगैस (syngas) का उत्पादन करने और फिर इसे 99% शुद्धता के साथ मेथनॉल में परिवर्तित करने के लिये फ्लूइडाइज्ड बेड गैसीफिकेशन प्रौद्योगिकी (Fluidized Bed Gasification Technology) विकसित की है जो उच्च राख वाले भारतीय कोयले का कुशलता से इस्तेमाल कर सकती है।
- ईंधन विविधीकरण: मेथनॉल इकोनॉमी कार्यक्रम सड़क परिवहन, रेल, समुद्री परिवहन, ऊर्जा उत्पादन (जैसे डीजी सेट और बॉयलर), ट्रैक्टर, वाणिज्यिक वाहन और यहाँ तक कि रिटेल कुकिंग सहित विभिन्न क्षेत्रों में मेथनॉल के उपयोग को बढ़ावा देता है।
- यह विविधीकरण एक ही प्रकार के ईंधन पर देश की निर्भरता को कम करने और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
- रोज़गार सृजन: मेथनॉल इकोनॉमी कार्यक्रम से मेथनॉल उत्पादन, अनुप्रयोग और वितरण सेवाओं के माध्यम से उल्लेखनीय संख्या में (लगभग 5 मिलियन) रोज़गार अवसर सृजित होने की उम्मीद है।
- उपभोक्ता बचत: यह कार्यक्रम LPG में मेथनॉल के एक डेरिवेटिव डाइ-मिथाइल ईथर (DME) के 20% मिश्रण के साथ उपभोक्ता व्यय में बचत का भी लक्ष्य रखता है। इससे उपभोक्ताओं को प्रति सिलेंडर 50-100 रुपये की बचत हो सकती है, जिससे स्वच्छ रसोई ईंधन अधिक किफायती हो जाएगा।
मेथनॉल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये कुछ अन्य पहल
- मेथनॉल इकोनॉमी रिसर्च प्रोग्राम (MERP): यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा वर्ष 2015 में शुरू किया गया कार्यक्राम है जो उच्च राख कोयला, कार्बन डाइऑक्साइड और बायोमास जैसे विभिन्न फीडस्टॉक्स से मेथनॉल उत्पादन के लिये नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करने पर केंद्रित है। यह कार्यक्रम डाइरेक्ट मेथनॉल फ्यूल सेल, मेथनॉल इंजन और LPG के साथ मेथनॉल मिश्रण में मेथनॉल की उपयोगिता पर अनुसंधान का भी समर्थन करता है।
- मेथनॉल कुकिंग फ्यूल कार्यक्रम: इसे वर्ष 2018 में असम पेट्रोकेमिकल्स द्वारा शुरू किया गया, जो एशिया में पहला कनस्तर-आधारित मेथनॉल रसोई ईंधन कार्यक्रम है। कार्यक्रम का उद्देश्य LPG, केरोसिन और काष्ठ कोयले के स्थान पर मेथनॉल स्टोव के उपयोग को बढ़ावा देकर घरों को स्वच्छ, लागत प्रभावी और प्रदूषण मुक्त ईंधन माध्यम प्रदान करना है। कार्यक्रम को 1 लाख घरों तक पहुँचने के लक्ष्य के साथ भारत के 10 राज्यों में विस्तारित किया गया है।
भारत की मेथनॉल अर्थव्यवस्था के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ
- घरेलू प्राकृतिक गैस संसाधनों की कमी: भारत के पास प्राकृतिक गैस का सीमित भंडार है और वह अपनी मांग को पूरा करने के लिये आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। मेथनॉल उत्पादन के लिये प्राकृतिक गैस सबसे किफायती और कुशल फीडस्टॉक है, लेकिन प्राकृतिक गैस के आयात से इसकी लागत बढ़ जाती है और मेथनॉल की प्रतिस्पर्द्धात्मकता कम हो जाती है।
- उच्च राख कोयला और निम्न ग्रेड बायोमास: भारत में कोयले का प्रचुर भंडार मौजूद है, लेकिन इनमें से अधिकांश उच्च राख वाले कोयले हैं जिन्हें अधिक प्रसंस्करण की आवश्यकता होती है और इनसे कम राख वाले कोयले की तुलना में अधिक उत्सर्जन उत्पन्न होता है।
- इसी तरह, भारत में बायोमास को मेथनॉल में बदलने की बड़ी क्षमता है, लेकिन बायोमास की गुणवत्ता और उपलब्धता क्षेत्रों एवं मौसमों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है।
- ये कारक कोयले और बायोमास से मेथनॉल के उत्पादन की तकनीकी और आर्थिक चुनौतियों को बढ़ा देते हैं।
- अवसंरचना और नीति समर्थन का अभाव: भारत में मेथनॉल उत्पादन, वितरण, भंडारण और उपयोग के लिये आवश्यक अवसंरचना का अभाव है। उदाहरण के लिये, मेथनॉल परिवहन के लिये कोई समर्पित पाइपलाइन या टर्मिनल उपलब्ध नहीं है, मेथनॉल ईंधन के लिये मिश्रण सुविधाएँ या वितरण स्टेशन मौजूद नहीं हैं और मेथनॉल वाहनों या उपकरणों के लिये मानकों या नियम का अभाव है।
- इसके अलावा, मेथनॉल उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिये इसे अपनाने तथा इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिये नीतिगत समर्थन एवं प्रोत्साहन की कमी है।
- जागरूकता और स्वीकार्यता की कमी: भारत में ऊर्जा खपत के मामले में भिन्न-भिन्न पसंद और आदतें रखने वाली एक बड़ी एवं विविध आबादी मौजूद है। मेथनॉल अर्थव्यवस्था के लाभों और चुनौतियों के बारे में आम लोगों और हितधारकों के बीच जागरूकता एवं स्वीकृति की कमी है।
- मेथनॉल उत्पादन और उपयोग से जुड़ी सुरक्षा एवं पर्यावरण संबंधी चिंताओं पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
भारत की मेथनॉल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये क्या किया जाना चाहिये?
- नवीन उत्प्रेरकों और प्रक्रियाओं का विकास करना:
- विकास एवं अनुसंधान प्रयासों को विभिन्न फीडस्टॉक से मेथनॉल उत्पादन की दक्षता में सुधार लाने पर लक्षित होना चाहिये।
- अनुसंधान और नवाचार को सुविधाजनक बनाने के लिये शैक्षणिक संस्थानों, उद्योग विशेषज्ञों और सरकारी एजेंसियों के साथ साझेदारी पर विचार किया जाना चाहिये।
- पर्यावरण प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessments- EIA) यह सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक हैं कि नई प्रक्रियाएँ संवहनीय और पर्यावरण-अनुकूल हों।
- मेथनॉल को समुद्री ईंधन के रूप में बढ़ावा देना:
- मेथनॉल के उपयोग के लिये दिशानिर्देश और मानक स्थापित करने के लिये समुद्री उद्योगों के साथ सहयोग स्थापित किया जाए।
- कम उत्सर्जन और अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुपालन के संदर्भ में मेथनॉल के उपयोग के लाभों के बारे में हितधारकों को शिक्षित किया जाना चाहिये।
- मेथनॉल-आधारित फ्यूल सेल का प्रयोग:
- इस अवधारणा को लागू करने के लिये फ्यूल सेल प्रौद्योगिकी और अवसंरचना में निवेश करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण होगा।
- सुनिश्चित किया जाए कि मेथनॉल फ्यूल सेल विश्वसनीय एवं लागत-प्रभावी हों और बिजली उत्पादन से परे अनुप्रयोगों की एक विस्तृत शृंखला का कवर करते हों।
- मेथनॉल-चालित वाहनों को प्रोत्साहित करना:
- मेथनॉल के लिये उपयुक्त इंजन और फ्यूल इंजेक्शन प्रणालियाँ (fuel injection systems) विकसित करने के लिये ऑटोमोबाइल निर्माताओं के साथ संलग्नता बढ़ाई जाए।
- मेथनॉल से संचालित वाहनों के लाभों (जैसे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी और वायु गुणवत्ता में सुधार) प्रचार करना।
- वितरण नेटवर्क और अवसंरचना का विस्तार:
- उचित भंडारण और वितरण सुविधाओं के साथ एक व्यापक वितरण नेटवर्क में निवेश किया जाए।
- मेथनॉल के प्रबंधन और परिवहन के लिये सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किये जाएँ।
- जागरूकता और प्रोत्साहन:
- मेथनॉल-आधारित ईंधन और उपकरणों के लाभों के बारे में आम लोगों को सूचित करने के लिये शैक्षिक अभियान शुरू किये जाएँ।
- उपभोक्ता द्वारा इसके अंगीकरण को प्रोत्साहित करने के लिये कर छूट, सब्सिडी या डिस्काउंट जैसे प्रोत्साहन की पेशकश करने पर विचार किया जाए।
अभ्यास प्रश्न: भारत का मेथनॉल इकोनॉमी कार्यक्रम एक रणनीतिक पहल है जो विभिन्न उद्देश्य और संभावित लाभ रखता है। इस कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्यों और संभावित लाभों की चर्चा कीजिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित केंद्रीय मंत्रालयों में से कौन-सा बायोडीज़ल मिशन (नोडल मंत्रालय के रूप में) लागू कर रहा है? (2008) (a) कृषि मंत्रालय उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प (d) सही है। |