भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत के लॉजिस्टिक्स परिदृश्य का आकलन
यह एडिटोरियल 11/01/2024 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “A Plan to Measure” लेख पर आधारित है। इसमें भारत और वैश्विक संदर्भ दोनों पर ध्यान केंद्रित करते हुए लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया है तथा आवश्यक सुधारों का प्रस्ताव किया गया है।
प्रिलिम्स के लिये:विभिन्न राज्यों में लॉजिस्टिक्स ईज़ (LEADS) सर्वेक्षण, PM गति शक्ति योजना, मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क, LEADS रिपोर्ट, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, सागरमाला परियोजना, भारतमाला परियोजना, लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI)। मेन्स के लिये:भारतीय अर्थव्यवस्था में योजना और संसाधन जुटाने से संबंधित चुनौतियाँ, लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के मुद्दों से गहराई से संबंधित हैं। |
हाल के वर्षों में भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र उल्लेखनीय संवीक्षा और विकास से गुज़रा है। लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI) जैसे मेट्रिक्स के माध्यम से ट्रैक किये जाने पर भारत के प्रदर्शन में सुधार नज़र आया है जहाँ वह 139 देशों की सूची में वर्ष 2014 में अपनी 54वीं रैंकिंग से ऊपर बढ़कर वर्ष 2023 में 38वें स्थान पर पहुँच गया है।
- लॉजिस्टिक्स में उत्पादन बिंदुओं, उपभोग क्षेत्रों, वितरण केंद्रों या अन्य उत्पादन स्थलों जैसे विभिन्न स्थानों के बीच लोगों, कच्चे माल, इन्वेंटरी और उपकरण सहित विभिन्न संसाधनों का संगठन, समन्वय, भंडारण और परिवहन शामिल है।
लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI) क्या है?
- परिचय:
- LPI विश्व बैंक समूह द्वारा विकसित एक ‘इंटरैक्टिव बेंचमार्किंग टूल’ है। यह विश्वसनीय आपूर्ति शृंखला कनेक्शन स्थापित करने की सुगमता और इसे संभव बनाने वाले संरचनात्मक कारकों की माप करता है।
- यह देशों को व्यापार लॉजिस्टिक्स के प्रदर्शन में उनके समक्ष व्याप्त चुनौतियों एवं अवसरों की पहचान करने में मदद करता है और अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के उपाय सुझाता है।
- मापदंड:
- LPI लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिये 6 मापदंडों पर विचार करता है, यानी:
- सीमा शुल्क प्रदर्शन
- अवसंरचना की गुणवत्ता
- शिपमेंट व्यवस्था की सुगमता
- लॉजिस्टिक्स सेवाओं की गुणवत्ता
- कंसाइनमेंट की ट्रैकिंग और ट्रेसिंग
- शिपमेंट की समयबद्धता
- LPI की रिपोर्टिंग वर्ष 2010 से 2018 तक प्रत्येक दो वर्ष पर की जा रही थी, जिसमें वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण व्यवधान आया और अंततः 2023 में सूचकांक पद्धति का पुनर्गठन किया गया।
- LPI 2023 139 देशों के बीच तुलना की अनुमति देता है और पहली बार LPI 2023 ने शिपमेंट की ट्रैकिंग करने वाले बड़े डेटासेट से प्राप्त संकेतकों के साथ व्यापार की गति की माप की।
- LPI लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिये 6 मापदंडों पर विचार करता है, यानी:
LPI रैंकिंग में भारत के बेहतर प्रदर्शन का क्या कारण है?
- पीएम गति शक्ति पहल:
- वर्ष 2021 में भारत सरकार ने मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी के लिये एक व्यापक राष्ट्रीय मास्टर प्लान, पीएम गति शक्ति पहल (PM Gati Shakti initiative) का अनावरण किया। इसका प्राथमिक उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना और वर्ष 2024-25 तक आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।
- राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति 2022:
- गति शक्ति पहल को पूरकता प्रदान करते वर्ष 2022 में लाई गई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (National Logistics Policy- NLP) सुचारू अंतिम-मील वितरण सुनिश्चित करने, परिवहन से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने, विनिर्माण क्षेत्र के लिये समय एवं लागत की बचत करने और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में समग्र दक्षता की वृद्धि करने पर केंद्रित है।
- इसका लक्ष्य वैश्विक मानकों के अनुरूप लॉजिस्टिक्स लागत में कमी लाना और शीर्ष 25 LPI रैंकिंग हासिल करना है।
- गति शक्ति पहल को पूरकता प्रदान करते वर्ष 2022 में लाई गई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (National Logistics Policy- NLP) सुचारू अंतिम-मील वितरण सुनिश्चित करने, परिवहन से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने, विनिर्माण क्षेत्र के लिये समय एवं लागत की बचत करने और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में समग्र दक्षता की वृद्धि करने पर केंद्रित है।
- अवसंरचना विकास और अंतर्राष्ट्रीय शिपमेंट:
- LPI रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत के अवसंरचना स्कोर में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जो वर्ष 2018 में 52वें स्थान से पाँच स्थान ऊपर बढ़कर वर्ष 2023 में 47वें स्थान पर पहुँच गया।
- सॉफ्ट और हार्ड व्यापार-संबंधित अवसंरचना में सरकारी निवेश, जहाँ दोनों तटों (पूर्वी एवं पश्चिमी) पर बंदरगाह प्रवेश द्वारों को आंतरिक भागों में स्थित प्रमुख आर्थिक केंद्रों से जोड़ा गया है, ने अंतर्राष्ट्रीय शिपमेंट में सुधार में योगदान किया है।
- लॉजिस्टिक्स सुधार में प्रौद्योगिकी की भूमिका:
- लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन को बेहतर बनाने के भारत के जारी प्रयासों में प्रौद्योगिकी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सरकार ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से एक आपूर्ति शृंखला दृश्यता मंच (supply chain visibility platform) को लागू किया है।
- NICDC लॉजिस्टिक्स डेटा सर्विसेज लिमिटेड द्वारा रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग की शुरूआत आपूर्ति शृंखला की एंड-टू-एंड ट्रैकिंग को सक्षम बनाती है, जिसके परिणामस्वरूप देरी में व्यापक कमी आती है।
- रिपोर्ट बताती है कि भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएँ आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण के कारण उन्नत देशों से आगे निकल रही हैं।
- ठहराव समय (Dwell time) में सुधार:
- ‘ड्वेल टाइम’ किसी जहाज़ या कार्गो द्वारा किसी विशिष्ट बंदरगाह या टर्मिनल पर व्यतीत समय को दर्शाता है। ड्वेल टाइम के दृष्टिकोण से भारत के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन में सुधार हुआ है।
- भारत 2.6 दिनों का अत्यंत कम ड्वेल टाइम रखता है। विशेष रूप से, मई और अक्टूबर 2022 के बीच भारत और सिंगापुर में कंटेनरों के लिये औसत ठहराव समय तीन दिन का रहा था।
- इस मामले में भारत ने अमेरिका (7 दिन) और जर्मनी (10 दिन) जैसे औद्योगिक देशों को पीछे छोड़ दिया।
भारत की लॉजिस्टिक प्रणाली से जुड़े प्रमुख मुद्दे कौन-से हैं?
- भारत में लॉजिस्टिक लागत:
- आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 इंगित करता है कि भारत में लॉजिस्टिक लागत इसके सकल घरेलू उत्पाद का 14-18% है, जो वैश्विक बेंचमार्क 8% से अधिक है।
- वर्ष 2018 और 2020 की पिछली रिपोर्टें बंदरगाहों पर लॉजिस्टिक लागत में भिन्नता को उजागर करती हैं और आकलन करती हैं कि भारतीय आपूर्ति शृंखला में कुल लॉजिस्टिक्स लागत लगभग 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो सकल घरेलू उत्पाद के 14% के बराबर है।
- लॉजिस्टिक्स लागत का अनुमान लगाने में पद्धतिगत चुनौतियाँ:
- लॉजिस्टिक्स लागत का अनुमान लगाने में, विशेष रूप से सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में, पद्धतिगत चुनौतियाँ मौजूद हैं।
- डन एंड ब्रैडस्ट्रीट पद्धति (Dun and Bradstreet methodology) व्यवसाय करने की लागत की गणना खेप मूल्य (consignment value) के प्रतिशत के रूप में करती है, जबकि अन्य रिपोर्ट प्रकट स्पष्टीकरण के बिना सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में लॉजिस्टिक्स लागत का हवाला देती हैं, जिससे आँकड़ों में भिन्नता उत्पन्न होती है।
- लॉजिस्टिक्स लागत पर NCAER रिपोर्ट और अनुमान की पद्धति:
- भारत में लॉजिस्टिक्स लागत पर दिसंबर 2023 की NCAER रिपोर्ट अनुमान के लिये एक सटीक पद्धति प्रदान करती है।
- रिपोर्ट में निजी क्षेत्र और शैक्षणिक संस्थानों के विभिन्न अनुमानों का हवाला दिया गया है, जिससे भिन्नता का पता चलता है।
- NCAER रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021-22 में लॉजिस्टिक्स लागत 7.8% और 8.9% के बीच अनुमानित थी, जो वर्ष 2017-18 और 2018-19 में क्षणिक वृद्धि के साथ समय के साथ गिरावट का संकेत देती है।
- लॉजिस्टिक्स लागत का अनुमान लगाने में, विशेष रूप से सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में, पद्धतिगत चुनौतियाँ मौजूद हैं।
- एक ओर झुका हुआ मॉडल मिक्स:
- भारत की माल ढुलाई का मॉडल मिक्स (modal mix) सड़क परिवहन की ओर बहुत अधिक झुका हुआ है, जहाँ 65% माल की ढुलाई सड़क मार्ग से होती है। इससे सड़कों पर भीड़भाड़, प्रदूषण और लॉजिस्टिक लागत में वृद्धि की स्थिति बनी है।
- रेल माल ढुलाई हिस्सेदारी का नुकसान:
- परिवहन का अधिक लागत प्रभावी साधन होने के बावजूद रेलवे अधिक लचीले साधनों (जैसे सड़क परिवहन का अधिक सुविधाजनक होना) के कारण माल ढुलाई हिस्सेदारी खोती जा रही है।
- भारतीय रेलवे को टर्मिनल अवसंरचना की कमी, अच्छे शेड एवं गोदामों के रखरखाव, वैगनों की अनिश्चित आपूर्ति, बारहमासी सड़कों का अभाव (जहाँ देश का एक बड़ा हिस्सा रेलवे की पहुँच से बाहर है) आदि अवसंरचनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- परिवहन का अधिक लागत प्रभावी साधन होने के बावजूद रेलवे अधिक लचीले साधनों (जैसे सड़क परिवहन का अधिक सुविधाजनक होना) के कारण माल ढुलाई हिस्सेदारी खोती जा रही है।
- भंडारण एवं कराधान संबंधी विसंगतियाँ:
- लॉजिस्टिक्स कंपनियाँ आमतौर पर भंडारण या वेयरहाउसिंग का विकल्प चुनती हैं क्योंकि यह उन्हें सामान स्टोर करने और मांग होने पर उन्हें ग्राहक के निकट ले जाने में सक्षम बनाता है। यह पारगमन समय को कम करने में मदद करता है।
लॉजिस्टिक क्षेत्र में भारतीय राज्यों की क्या स्थिति है?
- राज्य-संचालित लॉजिस्टिक:
- लॉजिस्टिक्स राज्यों से प्रभावित होते हैं और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ‘विभिन्न राज्यों में लॉजिस्टिक्स सुगमता’ (Logistics Ease Across Different States- LEADS) रिपोर्ट राज्यों को धारणाओं के आधार पर ‘एचीवर्स’, ‘फास्ट मूवर्स’ और ‘एस्पायर्स’ में वर्गीकृत करती है।
- तटीय राज्य—जो 75% निर्यात कार्गो के लिये ज़िम्मेदार हैं, प्रदर्शन में भिन्नता दर्शाते हैं, जहाँ आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि गोवा, ओडिशा और पश्चिम बंगाल पिछड़े हुए हैं।
- लॉजिस्टिक्स राज्यों से प्रभावित होते हैं और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ‘विभिन्न राज्यों में लॉजिस्टिक्स सुगमता’ (Logistics Ease Across Different States- LEADS) रिपोर्ट राज्यों को धारणाओं के आधार पर ‘एचीवर्स’, ‘फास्ट मूवर्स’ और ‘एस्पायर्स’ में वर्गीकृत करती है।
- राज्य-स्तरीय लॉजिस्टिक्स नीतियाँ:
- गोवा और ओडिशा सहित अधिकांश राज्यों में राज्य-स्तरीय लॉजिस्टिक्स नीतियाँ क्रियान्वित हैं। हालाँकि, तटीय राज्यों में सबसे निचले स्थान पर स्थित पश्चिम बंगाल में लॉजिस्टिक नीति का अभाव है।
- LEADS 2023 रिपोर्ट बताती है कि दक्षता बढ़ाने और क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिये राज्य लॉजिस्टिक्स मास्टर प्लान और राज्य लॉजिस्टिक्स नीति तैयार करने से पश्चिम बंगाल को लाभ प्राप्त हो सकता है।
- गोवा और ओडिशा सहित अधिकांश राज्यों में राज्य-स्तरीय लॉजिस्टिक्स नीतियाँ क्रियान्वित हैं। हालाँकि, तटीय राज्यों में सबसे निचले स्थान पर स्थित पश्चिम बंगाल में लॉजिस्टिक नीति का अभाव है।
- राज्यों के बीच प्रदर्शन असमानताएँ:
- हालाँकि समय के साथ भारत के समग्र लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन में सुधार हुआ है, लेकिन अलग-अलग राज्यों में असमानताएँ भी प्रकट हो रही हैं।
- कुछ राज्यों के प्रदर्शन में गिरावट आई है, जिससे जारी प्रयासों द्वारा राज्य स्तर पर लॉजिस्टिक्स दक्षता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
- LEADS 2023 रिपोर्ट और राज्यों का वर्गीकरण:
- LEADS 2023 रिपोर्ट राज्यों को तटीय, स्थलरुद्ध, पूर्वोत्तर और केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में वर्गीकृत करती है, जो लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन पर एक सूक्ष्म दृष्टिकोण प्रदान करती है।
- ‘फास्ट मूवर्स’ के रूप में वर्गीकृत राज्य औसत प्रदर्शन वाले राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो उपलब्धि के विभिन्न स्तरों को चिह्नित करने में नामकरण के महत्त्व को उजागर करते हैं।
भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में सुधार के लिये आगे की राह
- उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाना:
- आपूर्ति शृंखला में हाल के व्यवधानों और संवहनीयता के बारे में बढ़ती चिंताओं के कारण वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकी-सक्षम समाधानों (ब्लॉकचेन, बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग और डिजिटल ट्विन्स) के अंगीकरण में वृद्धि हुई है।
- जबकि भारत में अंगीकरण का स्तर अपेक्षाकृत निम्न है, सरकार ने ICEGATE और E-Logs जैसे विभिन्न डिजिटल समाधान लॉन्च किये हैं, जिससे अक्षमताएँ कम हुई हैं, पारदर्शिता में सुधार हुआ है और माल की आवाजाही तीव्र हो गई है।
- आपूर्ति शृंखला में हाल के व्यवधानों और संवहनीयता के बारे में बढ़ती चिंताओं के कारण वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकी-सक्षम समाधानों (ब्लॉकचेन, बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग और डिजिटल ट्विन्स) के अंगीकरण में वृद्धि हुई है।
- संवहनीय लॉजिस्टिक्स पर ध्यान देना:
- भारत का शिपिंग और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र भी धीरे-धीरे संवहनीय अभ्यासों पर घरेलू एवं वैश्विक नियमों से संरेखित हो रहा है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है।
- इस क्षेत्र को एनर्जी एफिशिएंसी एक्सिस्टिंग शिप इंडेक्स, कार्बन इंटेंसिटी रेटिंग और एमिशन ट्रेडिंग सिस्टम जैसे प्रमुख वैश्विक बेंचमार्क के अनुरूप होने की आवश्यकता है।
- भारत का शिपिंग और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र भी धीरे-धीरे संवहनीय अभ्यासों पर घरेलू एवं वैश्विक नियमों से संरेखित हो रहा है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है।
- निवेश और निवेशक रुचि को आकर्षित करना:
- भारत सरकार अवसंरचनात्मक विकास की मुख्य प्रस्तावक और वित्तपोषक रही है। लेकिन निजी क्षेत्र को संलग्न करने के लिये और भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है।
- नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (NIP) एक ऐसा साधन है जिससे 50 लाख करोड़ रुपए (लगभग 650 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का निवेश जुटाने की उम्मीद है।
- यद्यपि अधिकांश परिवहन अवसंरचना विकास पहलों में 100% FDI की अनुमति है, वांछित प्रभाव लाने के लिये वृहत प्रयास की आवश्यकता होगी।
- भारत सरकार अवसंरचनात्मक विकास की मुख्य प्रस्तावक और वित्तपोषक रही है। लेकिन निजी क्षेत्र को संलग्न करने के लिये और भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है।
निष्कर्ष:
भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र विकास के लिये तैयार है और सरकार की पहलों एवं नीतियों का उद्देश्य इस क्षेत्र के संपोषण के लिये अनुकूल माहौल का निर्माण करना है। ऑनलाइन कॉमर्स के आगमन ने ऑन-डिमांड, लास्ट-माइल, मिडिल-माइल और हाइपर-लोकल डिलीवरी मॉडल सहित नए अवसरों के साथ लॉजिस्टिक्स मॉडल में एक आदर्श बदलाव उत्पन्न किया है। उम्मीद है कि इस क्षेत्र का विकास जारी रहेगा और यह बाज़ार की बदलती गतिशीलता के अनुरूप ढल सकेगा, जबकि प्रौद्योगिकीय प्रगति इसके भविष्य को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
अभ्यास प्रश्न: भारत में राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति 2022 के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। इस नीति के प्रमुख ‘बिल्डिंग ब्लॉक्स’ कौन-से हैं और वे नीति के लक्ष्यों को किस प्रकार प्राप्त करने पर लक्षित हैं?
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. गति शक्ति योजना को संयोजकता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सरकार और निजी क्षेत्र के मध्य सतर्क समन्वय की आवश्यकता है। विवेचना कीजिये। (2022) |