इसरो का लघु उपग्रह प्रमोचन यान (SSLV)
यह एडिटोरियल 10/08/2022 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित ‘‘On the failure of ISRO’s maiden small satellite launch vehicle mission” लेख पर आधारित है। इसमें इसरो के पहले लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान मिशन के बारे में चर्चा की गई है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपने नए उपग्रह लांचर ‘लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान’ (Small Satellite Launch Vehicle- SSLV) की पहली उड़ान लॉन्च की जो अपने साथ दो उपग्रहों- पृथ्वी अवलोकन उपग्रह EOS-02 और आज़ादीसैट (AzadiSAT) को लेकर अंतरिक्ष में गया।
हालाँकि प्रक्षेपण यान के साथ भेजे गए ये उपग्रह अपने अंतिम चरण में एक त्रुटि के कारण वांछित कक्षा में स्थापित होने में विफल रहे।
मिशन का उद्देश्य क्या था?
- इस मिशन का उद्देश्य SSLV के प्रथम प्रक्षेपण के साथ दो उपग्रहों को भूमध्य रेखा से लगभग 350 किमी. की ऊँचाई पर वृत्ताकार लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित करना था।
- EOS-2: यह इसरो द्वारा अभिकल्पित और विकसित एक ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग उपग्रह है।
- आज़ादीसैट: इसे ‘स्पेस किड्ज़ इंडिया’ के छात्रा-दल द्वारा यनकारी विकिरण की माप के लिये तैयार किया गया था जिसमें 75 लघु पेलोड शामिल थे।
- इसे विज्ञान-प्रौद्योगिकी-इंजीनियरिंग-गणित (STEM) को स्कूल स्तर पर छात्राओं के बीच लोकप्रिय बनाने हेतु इसरो के प्रयास के तहत तैयार किया गया जहाँ यह ब्रह्मांड के अन्वेषण के लिये प्रेरित करता है।
उपग्रह प्रक्षेपण की विफलता
- लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) एक तीन चरण का प्रक्षेपण यान है जिसे तीन ठोस प्रणोदन चरणों और एक तरल प्रणोदन-आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (VTM) के साथ टर्मिनल चरण के रूप में कॉन्फ़िगर किया गया है।
- प्रक्षेपण के आरंभिक तीन चरण सफल रहे लेकिन प्रतीत हुआ कि वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (VTM) के टर्मिनल चरण में समस्या आई।
- लॉन्च प्रोफ़ाइल के अनुसार VTM को 20 सेकंड के लिये जलना चाहिये था।
- लेकिन यह केवल 0.1 सेकंड के लिये जला और रॉकेट को अपेक्षित ऊँचाई तक ले जाने में विफल रहा।
- इसरो के अनुसार, सेंसर की खराबी के कारण उपग्रह वृत्ताकार कक्षा (circular orbit) के बजाय दीर्घ वृत्ताकार कक्षा (elliptical orbit) में स्थापित हो गए और उनसे संपर्क टूट गया।
- प्रक्षेपण के आरंभिक तीन चरण सफल रहे लेकिन प्रतीत हुआ कि वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (VTM) के टर्मिनल चरण में समस्या आई।
वृत्ताकार और दीर्घ वृत्ताकार कक्षाओं में अंतर
- कक्षा: कक्षा या ऑर्बिट (Orbit) वह नियमित, दुहरावपूर्ण पथ है जिसपर अंतरिक्ष में एक पिंड दूसरे पिंड के चारों ओर गमन करता है।
- दीर्घ वृत्ताकार: जब एक पिंड दीर्घ वृत्ताकार या अंडाकार पथ में किसी अन्य पिंड के चारों ओर घूमता है।
- हमारे सौर मंडल के अधिकांश ग्रह अन्य ग्रहों और तारों के गुरुत्वाकर्षण अंतःक्रिया के कारण वृत्ताकार कक्षाओं के बजाय दीर्घ वृताकार कक्षाओं में परिक्रमा करते हैं।
- वृत्ताकार: वृत्ताकार कक्षा केंद्रक (barycenter) के चारों ओर एक निश्चित दूरी की कक्षा है जो वृत्ताकार होती है।
- पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले कृत्रिम उपग्रहों को प्रायः वृत्ताकार कक्षाओं में स्थापित किया जाता है।
- दीर्घ वृत्ताकार: जब एक पिंड दीर्घ वृत्ताकार या अंडाकार पथ में किसी अन्य पिंड के चारों ओर घूमता है।
- वृत्ताकार पथ कृत्रिम उपग्रहों के लिये अनुकूल है क्योंकि यदि उपग्रह एक निश्चित दूरी पर हो तो पृथ्वी की छवि लेना आसान होता है।
- यदि दूरी बदलती रही (जैसा दीर्घ वृत्ताकार कक्षाओं में होता है) तो कैमरे को केंद्रित रखना जटिल हो सकता है।
SSLV और PSLV में अंतर
- लागत प्रभावी और पेलोड क्षमता: SSLV को 500-किलोग्राम पेलोड को 500-किलोमीटर ग्रहीय कक्षा में लॉन्च करने के लिये डिज़ाइन किया गया है और यह PSLV से कम खर्चीला है।
- चूँकि ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (Polar Satellite Launch Vehicle- PSLV) भारी भार वहन कर सकता है, इसलिये छोटी परियोजनाओं में यह उच्च लागत-लाभ अनुपात नहीं रखता है।
- ठोस प्रणोदक: SSLV ठोस प्रणोदक का उपयोग करता है और यह PSLV के तरल प्रणोदक चरणों की तुलना में अधिक किफायती है और इसका प्रबंधन आसान है।
- तीव्र ‘लॉन्च ऑन डिमांड’ सेवा: PSLV की दीर्घ टर्नअराउंड अवधि (60 दिनों से अधिक) ‘लॉन्च ऑन डिमांड’ प्रक्षेपणों को जटिल बनाती है।
- SSLV में कई उपग्रहों को लॉन्च करने की सुविधा है। यह निम्न टर्नअराउंड अवधि (72 घंटे) रखता है और इसे एक पखवाड़े के भीतर एसेम्बल किया जा सकता है, जिससे अंतरिक्ष एजेंसी को तेज़ी से उभरते लो-अर्थ ऑर्बिट प्रक्षेपण क्षेत्र में ‘लॉन्च ऑन डिमांड’ सेवा प्रदान करने का अवसर प्राप्त होता है।
इसरो की आगामी परियोजनाएँ
- गगनयान - भारतीय मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम।
- आदित्य-L1: सूर्य के वातावरण का अध्ययन करने के लिये।
- नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार मिशन: विभिन्न खतरों और वैश्विक पर्यावरण परिवर्तन का अध्ययन करने के लिये।
- शुक्रयान-1: शुक्र ग्रह के लिये ऑर्बिटर।
भविष्य की संभावनाएँ
- ‘डोरवे कमर्शियल सैटेलाइट लॉन्च मार्केट’: SSLV दुनिया भर के वाणिज्यिक लघु उपग्रह प्रक्षेपण बाज़ार में भारत का आधिकारिक द्वार या डोरवे है।
- माना जा रहा है कि इस रॉकेट का संचालन न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) द्वारा किया जाएगा जो भारत का वाणिज्यिक अंतरिक्ष अभियान निकाय है।
- वाणिज्यिक पृथ्वी अवलोकन और संचार के लिये आकर्षक।
- माना जा रहा है कि इस रॉकेट का संचालन न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) द्वारा किया जाएगा जो भारत का वाणिज्यिक अंतरिक्ष अभियान निकाय है।
- SSLV को ध्रुव से ध्रुव तक लॉन्च करना: इसरो भविष्य में तमिलनाडु के कुलसेकरपट्टिनम (तैयार किया जा रहा भारत का नया स्पेसपोर्ट) से SSLV को लॉन्च करने का इरादा रखता है।
- इससे SSLV को ध्रुव से ध्रुव (pole-to-pole) या पृथ्वी के चारों ओर ध्रुवीय कक्षा में प्रवेश करने की सक्षमता प्राप्त होगी।
- इससे SSLV श्रीलंका का चक्कर लगाए बिना लक्षद्वीप सागर के ऊपर से उड़ान भरेगा जिससे ईंधन और पेलोड क्षमता की बचत होगी।
- इससे SSLV को ध्रुव से ध्रुव (pole-to-pole) या पृथ्वी के चारों ओर ध्रुवीय कक्षा में प्रवेश करने की सक्षमता प्राप्त होगी।
- नैनो-उपग्रह प्रक्षेपण यान की ओर कदम: प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ उपग्रहों के आकार में उल्लेखनीय कमी आई है जहाँ क्यूबसैट्सऔर नैनो-उपग्रह सामान्य होते जा रहे हैं।
- इस परिदृश्य में इसरो के पास लागत प्रभावी नैनो-उपग्रह प्रक्षेपण यानों (nano-satellite launch vehicles) के विकास का नेतृत्व करने का अवसर मौजूद है।
अभ्यास प्रश्न: लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) अन्य प्रक्षेपण यानों से किस प्रकार भिन्न है?
विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016) ISRO द्वारा प्रमोचित मंगलयान-
उपुर्यक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |