भारत की विविध पर्यटन पेशकशों का अनुभव
यह एडिटोरियल 06/01/2023 को ‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “Unlocking the potential of hospitality” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में पर्यटन क्षेत्र और उससे संबंधित मुद्दों के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ
पर्यटन (Tourism) को दुनिया भर में किसी भी अर्थव्यवस्था के लिये एक प्रमुख प्रेरक शक्ति के रूप में देखा जाता है। आतिथ्य (Hospitality) जैसे संबद्ध उद्योगों पर इसका गुणक प्रभाव पड़ता है। पर्यटन से होने वाले आर्य अर्जन का अन्य उद्योगों की ओर प्रसार न केवल आर्थिक स्थिति में सुधार लाता है बल्कि स्थानीय आबादी के जीवन स्तर को भी उच्च बनाता है।
- लेकिन भारत में पर्यटन क्षेत्र से संबद्ध कई चुनौतियाँ भी मौजूद हैं, जैसे अवसंरचनात्मक कमी, असंवहनीयता, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण।
- अभी जब भारत ने G20 की अध्यक्षता ग्रहण की है और वर्ष 2023 में आहूत शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहा है, तब देश को एक सुरक्षित, पर्यटन-अनुकूल गंतव्य के रूप में स्थापित करना इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार किस प्रकार विभिन्न उद्योगों के सहयोग से कार्य कर सकती है और आगंतुक गणमान्य व्यक्तियों को विश्वस्तरीय अनुभव प्रदान कर सकती है।
भारत में पर्यटन क्षेत्र का क्या महत्त्व है?
- आर्थिक लाभ: पर्यटन पर्यटकों को वस्तुओं एवं सेवाओं (जैसे आवास, परिवहन एवं विरासत के प्रति आकर्षण) की बिक्री के माध्यम से राजस्व उत्पन्न करता है।
- यह आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकता है और पर्यटन क्षेत्र एवं संबंधित उद्योगों में रोज़गार के अवसर पैदा कर सकता है।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान: पर्यटन सांस्कृतिक आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करता है, क्योंकि दुनिया के विभिन्न हिस्सों के आगंतुक भारत की विविध संस्कृतियों और परंपराओं के बारे में जान सकते हैं और इसे अनुभव कर सकते हैं।
- सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण: पर्यटन सांस्कृतिक विरासत स्थलों, जैसे मंदिरों, किलों और महलों के रखरखाव एवं जीर्णोद्धार के लिये आवश्यक धनराशि प्रदान करके उन्हें संरक्षित करने में भी मदद कर सकता है।
- पर्यावरणीय लाभ: कुछ मामलों में पर्यटन के पर्यावरणीय लाभ भी प्राप्त हो सकते हैं, जैसे कि ‘इको-टूरिज्म’ (Eco-tourism) पहलों का विकास जो प्राकृतिक क्षेत्रों के संरक्षण को बढ़ावा देते हैं।
- सामाजिक लाभ: पर्यटन स्थानीय समुदायों के लिये सामाजिक लाभ भी उत्पन्न कर सकता है, जैसे रोज़गार अवसरों के सृजन और स्कूलों एवं स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे सामाजिक अवसंरचना के प्रावधान के माध्यम से।
भारत में पर्यटन क्षेत्र से संबद्ध प्रमुख चुनौतियाँ
- सुरक्षा और संरक्षा संबंधी मुद्दे: भारत को पर्यटकों की सुरक्षा और संरक्षा के संबंध में, विशेष रूप से देश के कुछ भागों में, चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
- यह पर्यटकों को कुछ क्षेत्रों की यात्रा से बाधित कर सकता है और एक पर्यटन स्थल के रूप में भारत की समग्र छवि को भी प्रभावित कर सकता है।
- मानव संसाधन की कमी: चूँकि पर्यटन एक श्रम-गहन उद्योग है, इसलिये व्यावहारिक प्रशिक्षण अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। लेकिन जैसे-जैसे भारत में पर्यटन क्षेत्र का विकास हुआ है, उसी गति से प्रशिक्षित पेशेवरों की उपलब्धता में वृद्धि नहीं हुई है।
- बहुभाषी प्रशिक्षित गाइडों की कमी और स्थानीय लोगों के बीच पर्यटन से जुड़े लाभों एवं उत्तरदायित्वों की अपर्याप्त समझ के कारण इस क्षेत्र का विकास बाधित रहा है।
- असंवहनीय पर्यटन: भारत में, विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्रों में, जहाँ संसाधन पहले से ही दुर्लभ हैं, असंवहनीय पर्यटन (Unsustainable Tourism) प्रायः प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के रूप में प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को बढ़ाता है।
- इसके अतिरिक्त, असंवहनीय पर्यटन स्थानीय भूमि उपयोग को भी प्रभावित करता है, जिससे मृदा के क्षरण, प्रदूषण की वृद्धि और संकटग्रस्त प्रजातियों के पर्यावासों के विनाश जैसे परिणाम उत्पन्न होते हैं।
- ‘कनेक्टिविटी’ की कमी: भारत में कई गंतव्य स्थल ऐसे भी हैं जो अपर्याप्त सर्वेक्षणों, अवसंरचना एवं कनेक्टिविटी के कारण अनछुए बने रहे हैं और इनकी ओर घरेलू यात्रा के प्रति उदासीन रवैया बना रहा है।
- उदाहरण के लिये, पूर्वोत्तर भारत की रमणीय प्राकृतिक सुंदरता के बावजूद यह प्रायः घरेलू या अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की यात्रा योजनाओं में शामिल नहीं होता है क्योंकि देश के शेष भागों के साथ कनेक्टिविटी की कमी के साथ ही यहाँ बुनियादी ढाँचे एवं आवश्यक सुविधाओं की कमी की समस्या बनी हुई है।
- प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन: हमारे प्रमुख पर्यटन स्थल (धरोहर स्थल) प्रदूषण से भी प्रभावित हैं। भारत अभी भी अपने ‘आश्चर्य’ ताजमहल की प्रदूषण से रक्षा के लिये संघर्षरत है। जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप हाल के वर्षों में भारत में बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि हुई है और इसकी चपेट में कई प्रमुख धरोहल स्थल भी आए हैं।
- उदाहरण: ओडिशा में पुरी और कर्नाटक में हम्पी
भारत में पर्यटन से संबंधित हाल की प्रमुख पहलें
आगे की राह
- पर्यटन अवसंरचना का विकास: सड़कों, हवाई अड्डों और होटलों जैसी आधारभूत संरचनाओं के विकास में निवेश से पर्यटकों के लिये देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करना आसान हो जाएगा।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी या सरकारी निवेश के माध्यम से इसे साकार किया जा सकता है।
- सुरक्षा और संरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना: भारत में पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिये पर्यटकों की सुरक्षा और संरक्षा के परिदृश्य में सुधार लाना आवश्यक है।
- पर्यटन पुलिस (Tourism Police) की तैनाती, पर्यटक स्थलों पर सुरक्षा प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन और सुरक्षित यात्रा अभ्यासों को बढ़ावा देने जैसे उपायों के माध्यम से इसे संभव किया जा सकता है।
- संवहनीय पर्यटन: भीड़भाड़ और पर्यावरण पर प्रभाव जैसी समस्याओं को संबोधित करने के लिये पर्यटन उद्योग संवहनीय पर्यटन अभ्यासों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
- इसमें ऑफ-सीज़न यात्रा को बढ़ावा देने, स्थानीय व्यवसायों का समर्थन करने और प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक धरोहर स्थलों को संरक्षित करने जैसी पहलें शामिल हो सकती हैं।
- वीज़ा सरलीकरण: वीज़ा आवेदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और इसे विदेशी पर्यटकों के लिये अधिक सुलभ बनाने से अधिक से अधिक पर्यटक भारत आने के लिये प्रोत्साहित होंगे।
- ऑनलाइन वीज़ा प्रणाली के कार्यान्वयन और ‘वीज़ा-ऑन-अराइवल’ कार्यक्रमों के विस्तार के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है।
- सांस्कृतिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण: पर्यटकों और पर्यटन उद्योग के पेशेवरों को सांस्कृतिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण (Cultural Sensitivity Training) प्रदान करने से विभ्रमों को कम करने और स्थानीय संस्कृतियों एवं परंपराओं के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
- शैक्षिक सामग्री के विकास और पर्यटन उद्योग प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सांस्कृतिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण को शामिल करने के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है।
- एकीकृत पर्यटन पोर्टल का निर्माण: देश भर में वांछित पर्यटन स्थलों की पहचान करने के लिये एक सश्रम बाज़ार अनुसंधान एवं मूल्यांकन अभ्यास आयोजित किया जा सकता है।
- इसके बाद इन स्थानों को मानचित्रित करने और सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें बढ़ावा देने के लिये एक डिजिटल एकीकृत प्रणाली (‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के सार को बढ़ावा देते हुए) का विकास किया जा सकता है।
- भारत के लिये अवसर: भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को देखते हुए, व्यंजन पर्यटन की अनूठी विविधता (Cuisine Tourism) भारत के ‘सॉफ्ट पावर’ को बढ़ाने और विदेशी राजस्व को आकर्षित करने के लिये एक प्रभावी साधन सिद्ध हो सकती है। भारत का ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का दर्शन इसे बहुपक्षीयता के प्रति अटूट आस्था प्रदान करता है।
- हाल का ‘धर्मशाला घोषणा-पत्र’ (Dharamshala Declaration) वैश्विक पर्यटन का समर्थन करने और घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के संबंध में भारत की अपार क्षमता को चिह्नित करता है।
अभ्यास प्रश्न: पर्यटन क्षेत्र में भारत में आर्थिक वृद्धि एवं विकास का एक प्रमुख चालक होने की क्षमता है, लेकिन इसमें पर्यावरण एवं स्थानीय समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करने की क्षमता भी निहित है। चर्चा कीजिये।
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