साइबर सुरक्षा
प्रिलिम्स के लिये:साइबर सुरक्षित भारत पहल, साइबर स्वच्छता केंद्र, ऑनलाइन साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल। मेन्स के लिये:साइबर सुरक्षा का मुद्दा तथा आवश्यक सुरक्षा उपाय। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्ट-इन (CERT-In) ने सभी सरकारी और निजी एजेंसियों को साइबर सुरक्षा उल्लंघन की घटनाओं को रिपोर्ट करने के साथ छह घंटे के अंदर अनिवार्य रूप से सूचित करने के लिये कहा है।
- CERT-In को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 70B के तहत साइबर सुरक्षा घटनाओं पर जानकारी एकत्र करने, विश्लेषण करने और प्रसारित करने का अधिकार है।
CERT-In के बारे में:
- कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम - इंडिया भारतीय साइबर स्पेस को सुरक्षित करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का संगठन है।
- यह एक नोडल एजेंसी है जिसका कार्य हैकिंग और फ़िशिंग जैसे साइबर सुरक्षा खतरों से निपटना है।
- यह संगठन साइबर घटनाओं पर जानकारी को एकत्र करने, उसका विश्लेषण और प्रसार करता है, साथ ही साइबर सुरक्षा घटनाओं पर अलर्ट भी जारी करता है।
- CERT-In घटना निवारण और प्रतिक्रिया सेवाओं के साथ-साथ सुरक्षा गुणवत्ता प्रबंधन सेवाएँ भी प्रदान करता है।
CERT-In के निर्देश:
- अनिवार्य रूप से लॉग्स को सक्षम बनाना :
- यह सभी सेवा प्रदाताओं, मध्यस्थों, डेटा केंद्रों, कॉरपोरेट्स और सरकारी संगठनों को अपनी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology- ICT) प्रणाली के लॉग्स को अनिवार्य रूप से सक्षम करने का निर्देश देता है।
- सभी सेवा प्रदाताओं को 180 दिनों की रोलिंग अवधि के लिये लॉग्स को सुरक्षित रूप से बनाए रखना होता है, जिसे भारतीय अधिकार क्षेत्र में रखा जाएगा।
- यह लॉग किसी भी घटना की रिपोर्टिंग के साथ या कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम के निर्देश पर CERT-In को प्रदान की जानी चाहिये।
- सभी सेवा प्रदाताओं को 180 दिनों की रोलिंग अवधि के लिये लॉग्स को सुरक्षित रूप से बनाए रखना होता है, जिसे भारतीय अधिकार क्षेत्र में रखा जाएगा।
- यह सभी सेवा प्रदाताओं, मध्यस्थों, डेटा केंद्रों, कॉरपोरेट्स और सरकारी संगठनों को अपनी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology- ICT) प्रणाली के लॉग्स को अनिवार्य रूप से सक्षम करने का निर्देश देता है।
- सभी ICT प्रणालियों को जोड़ना और समक्रमिक(Synchronize)करना:
- यह सुनिश्चित करने के लिये कि घटनाओं की शृंखला समय-सीमा में सटीक रूप से परिलक्षित हो, सभी सेवा प्रदाताओं को अपनी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी प्रणाली से युक्त क्लॉक को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) या राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) के नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल (NTP) सर्वर से जोड़ने और करने का निर्देश दिया गया है।
- नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल( NTP) एक ऐसा प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग TCP/IP-आधारित नेटवर्क पर विश्वसनीय रूप से सटीक समय स्रोतों को प्रसारित करने और प्राप्त करने के लिये किया जाता है।
- इसका उपयोग कंप्यूटर की आंतरिक क्लॉक को एक सामान्य समय स्रोत से समक्रमिक करने के लिये किया जाता है।
- यह सुनिश्चित करने के लिये कि घटनाओं की शृंखला समय-सीमा में सटीक रूप से परिलक्षित हो, सभी सेवा प्रदाताओं को अपनी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी प्रणाली से युक्त क्लॉक को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) या राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) के नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल (NTP) सर्वर से जोड़ने और करने का निर्देश दिया गया है।
- रिकॉर्ड बनाए रखने की आवश्यकता:
- पाँच साल की अवधि के लिये KYC और वित्तीय लेन-देन का रिकॉर्ड बनाए रखने हेतु इसे वर्चुअल परिसंपत्ति, एक्सचेंज और कस्टोडियन वॉलेट प्रदाताओं की आवश्यकता होती है।
- क्लाउड, वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) प्रदान करने वाली कंपनियों को ग्राहकों के नाम, ईमेल और आईपी पते भी पंजीकृत करने होंगे।
- पाँच साल की अवधि के लिये KYC और वित्तीय लेन-देन का रिकॉर्ड बनाए रखने हेतु इसे वर्चुअल परिसंपत्ति, एक्सचेंज और कस्टोडियन वॉलेट प्रदाताओं की आवश्यकता होती है।
ऐसे पहल की आवश्यकता क्यों :
- समस्या समाधान की बाधाएँ दूर करना:
- यह साइबर सुरक्षा घटनाओं से निपटने तथा विश्लेषण में बाधा संबंधी मुद्दों के मामले में मदद प्रदान करेगा।
- प्रतिदिन अभिलेखों को सुव्यवस्थित करना:
- अतीत में ऐसे मामले सामने आए हैं जहांँ गैर-भंडारण या डेटा की उपलब्धता और मध्यस्थों तथा सेवा प्रदाताओं के साथ उचित रिकॉर्ड के मामलों की पहचान की गई है।
- ये दिशा-निर्देश बनाये रखने के लिए तारीख के रिकॉर्ड को सुव्यवस्थित करेंगे और CERT-In को सुरक्षा से संबंधित घटनाओं की उचित रिपोर्टिंग करेंगे।
- उपयोगकर्त्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में बताना:
- अंतिम उपयोगकर्त्ता को यह जानने का अधिकार है कि क्या उनका डेटा लोड किया गया है ताकि कोई व्यक्ति लेन-देन की धोखाधड़ी, नकली ऋण, आईडी के दुरुपयोग आदि से अपनी रक्षा कर सके।
- सरकार को भी कंपनियों को घटना के 24 घंटे के भीतर उपयोगकर्त्ताओं को सूचित करने के लिये बाध्य करना चाहिये।
- कई उपयोगकर्ता अभी भी इस बात से अनभिज्ञ हैं कि उनका केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) और वित्तीय डेटा सुरक्षित है या नहीं।
साइबर सुरक्षा हेतु सरकार की पहलें:
- साइबर सुरक्षित भारत पहल
- साइबर स्वच्छता केंद्र
- ऑनलाइन साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)
- राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (NCIIPC)
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति 2020
आगे की राह
- भारत वैश्विक स्तर पर 17 डिजिटल रूप से सशक्तअर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ी से डिजिटल व्यवस्था अपनाने वाले देशों में से एक है तथा तेज़ी से डिजिटलीकरण के लिये साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने हेतु दूरगामी उपायों को अपनाने की आवश्यकता है।
- कॉरपोरेट्स या संबंधित सरकारी विभागों के लिये यह महत्त्वपूर्ण है कि वे अपने संगठनों में कमियों का पता लगाएंँ और उन कमियों को दूर करने के लिये उचित सुरक्षा प्रणाली अपनाएँ, जिसमें विभिन्न स्तरों के बीच सुरक्षा खतरे की खुफिया जानकारी साझा हो सके।
- विभिन्न एजेंसियों और मंत्रालयों के बीच परिचालन हेतु समन्वय सुनिश्चित करने के लिये एक शीर्ष निकाय की आवश्यकता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसके लिये साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना कानूनी रूप से अनिवार्य है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d)
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स्रोत: द हिंदू
आपराधिक न्याय प्रणाली
प्रिलिम्स के लिये:ड्राफ्ट रूल ऑफ क्रिमिनल प्रैक्टिस, 2020, सर्वोच्च न्यायालय, भारतीय दंड संहिता। मेन्स के लिये:आपराधिक न्याय प्रणाली, विचाराधीन कैदी, अखिल भारतीय न्यायिक सेवा। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालयों को अपने संबंधित राज्यों की आपराधिक कार्यवाही प्रणाली में कमियों और अक्षमता में सुधार के लिये दिशा-निर्देशों के एक सेट को लागू करने हेतु दो महीने का समय दिया है।
- नए दिशा-निर्देशों को ड्राफ्ट रूल ऑफ क्रिमिनल प्रैक्टिस, 2020 (Draft Rules of Criminal Practice, 2020) के रूप में संदर्भित किया जाता है।
- ड्राफ्ट रूल में जांँच और परीक्षण में सुधार की सिफारिश की गई है जिसमें जांँच के दौरान व मुकदमे के लिये पुलिस की मदद करने हेतु वकीलों की अलग टीमों को नियुक्त करने का प्रस्ताव शामिल है; स्पॉट पंचनामा का मसौदा तैयार करते समय तथा यहांँ तक कि बॉडी स्केच में सुधार करते समय विवरण को शामिल किया जाना चाहिये।
भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली:
- आपराधिक न्याय प्रणाली का तात्पर्य सरकार की उन एजेंसियों से है जो कानून लागू करने, आपराधिक मामलों पर निर्णय देने और आपराधिक आचरण में सुधार करने हेतु कार्यरत हैं।
- उद्देश्य :
- आपराधिक घटनाओं को रोकना।
- अपराधियों और दोषियों को दंडित करना।
- अपराधियों और दोषियों का पुनर्वास।
- पीड़ितों को यथासंभव मुआवज़ दिलाना।
- समाज में कानून व्यवस्था बनाए रखना।
- अपराधियों को भविष्य में कोई भी आपराधिक कृत्य करने से रोकना
सुधारों की आवश्यकता:
- औपनिवेशिक विरासत: आपराधिक न्याय प्रणाली- मूल और प्रक्रियात्मक दोनोंब्रिटिश औपनिवेशिक न्यायशास्त्र की प्रतिकृति हैं, जिन्हें भारत पर शासन करने के उद्देश्य से बनाया गया था।
- इसलिये 19वीं सदी के इन कानूनों की प्रासंगिकता 21वीं सदी में बहस का एक ज्वलंत मुद्दा है।
- अप्रभावी न्याय वितरण: आपराधिक न्याय प्रणाली का उद्देश्य निर्दोषों के अधिकारों की रक्षा करना और दोषियों को दंडित करना था, लेकिन आजकल यह व्यवस्था आम लोगों के उत्पीड़न का एक साधन बन गई है।
- लंबित मामले: आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार, न्यायिक प्रणाली, विशेष रूप से ज़िला और अधीनस्थ न्यायालयों में लगभग 3.5 करोड़ मामले लंबित हैं,जो ‘न्याय में देरी न्याय से वंचित करने के समान है’, की कहावत को चरितार्थ करता है।
- विचाराधीन कैदी: भारत दुनिया के सबसे अधिक विचाराधीन कैदियों वाले देशों में से एक है।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)-जेल सांख्यिकी भारत के अनुसार, हमारी जेलों में बंद कुल कैदियों’में से 67.2% विचाराधीन कैदी हैं।
- पुलिस का मुद्दा: पुलिस आपराधिक न्याय प्रणाली की अग्रिम पंँक्ति है, जिसने न्याय प्रशासन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। न्याय के त्वरित और पारदर्शी वितरण में भ्रष्टाचार, वर्कलोड और पुलिस की जवाबदेही एक बड़ी बाधा है।
सरकार द्वारा की गई संबंधित पहल:
- न्याय वितरण और कानूनी सुधार के लिये राष्ट्रीय मिशन
- एआई-आधारित पोर्टल:SUPACE
- पुलिस प्रणाली का आधुनिकीकरण
आगे की राह
- पीड़ित और गवाह संरक्षण: पीड़ित और गवाह संरक्षण योजनाओं को शुरू करने, पीड़ित के बयानों का उपयोग, आपराधिक मुकदमे में पीड़ितों की भागीदारी में वृद्धि, पीड़ितों के लिये मुआवज़ा और उनकी बहाली की आवश्यकता है।
- आपराधिक संहिताओं में संशोधन: दंड की मात्रा (Degree) निर्दिष्ट करने के लिये आपराधिक दायित्व को बेहतर ढंग से वर्गीकृत किया जाना चाहिये।
- नए प्रकार के दंड जैसे- सामुदायिक सेवा आदेश, बहाली आदेश, तथा पुनर्स्थापना और सुधारात्मक न्याय के अन्य पहलुओं को भी इसके दायरे में लाया जा सकता है।
- साथ ही भारतीय दंड संहिता के कई अध्याय अनेक जगहों पर अतिभारित (Overloaded) हैं।
- उदाहरण के लिए लोक सेवकों के खिलाफ अपराध, अधिकार की अवमानना, सार्वजनिक शांति और अतिचार जैसे अध्यायों को फिर से परिभाषित और संकुचित किया जा सकता है।
- न्यायिक सेवा की शक्ति: समाधानों के तहत अधीनस्थ स्तर पर अधिक न्यायाधीशों की नियुक्ति करके न्यायिक सेवाओं की शक्ति में वृद्धि करना है, इसके लिये सबसे नीचे से सुधार शुरू होना चाहिये।
- अधीनस्थ न्यायपालिका को सुदृढ़ करने हेतु उसे प्रशासनिक और तकनीकी सहायता के साथ पदोन्नति, विकास व प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करना आवश्यक है।
- अखिल भारतीय न्यायिक सेवा को संस्थापित करना उचित दिशा में कदम हो सकता है।
- वैकल्पिक विवाद समाधान: यह अनिवार्य किया जाना चाहिये कि सभी वाणिज्यिक मुकदमों पर तभी विचार किया जाएगा जब याचिकाकर्त्ता की ओर से हलफनामें में यह स्वीकार किया गया हो कि मध्यस्थता और सुलह का प्रयास किया गया और यह प्रयास विफल हो गया।
- ADR (वैकल्पिक विवाद समाधान), लोक अदालतों, ग्राम न्यायालयों जैसे तंत्रों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिये।
स्रोत: द हिंदू
‘मेन्थॉल’ सिगरेट और ‘फ्लेवर्ड’ सिगार पर प्रतिबंध
प्रिलिम्स के लिये:तंबाकू की खपत, WHO FCTC, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003 मेन्स के लिये:भारत में तंबाकू के सेवन परिदृश्य और उसके प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन’ ने मेन्थॉल सिगरेट और ‘फ्लेवर्ड’ सिगार पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव जारी किया।
- भारत ने मेन्थॉल सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगाया है।
- वर्ष 2012 में ब्राज़ील मेन्थॉल सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने वाला दुनिया का पहला देश बना।
- वर्ष 2019 में केंद्र ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया और इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों पर ‘फ्लेवर्ड’ हुक्का सहित हुक्का सेवन पर प्रतिबंध लगाने के लिये विभिन्न राज्यों के अपने नियम हैं।
संबंधित प्रस्ताव:
- परिचय:
- इसका उद्देश्य सिगरेट में मेन्थॉल को एक विशिष्ट ‘फ्लेवर’ के रूप में प्रतिबंधित करना और सिगार के सभी विशेष ‘फ्लेवर्स’ (तंबाकू के अलावा) को प्रतिबंधित करना है।
- प्रस्तावित नियम बच्चों को धूम्रपान करने वालों की अगली पीढ़ी बनने से रोकने में मदद करेंगे और वयस्क धूम्रपान करने वालों को धूम्रपान छोड़ने में मदद करेंगे।
- प्रस्तावित नियम तंबाकू से संबंधित स्वास्थ्य विषमताओं को कम करके स्वास्थ्य समानता को आगे बढ़ाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- प्रस्तावित प्रतिबंध में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट शामिल नहीं है।
- दंड:
- मेन्थॉल सिगरेट या फ्लेवर्ड सिगार रखने या उपयोग करने के मामले में व्यक्तिगत रूप से उपभोक्ताओं के खिलाफ ये नियम लागू नहीं होंगे।
- नियम केवल "निर्माताओं, वितरकों, थोक विक्रेताओं, आयातकों और खुदरा विक्रेताओं के लिये हैं जो ऐसे उत्पादों का निर्माण, वितरण या बिक्री करते हैं।
प्रतिबंध का कारण:
- स्वास्थ्य:
- मेन्थॉल, अपने स्वाद और सुगंध के साथ "धूम्रपान की जलन और कड़वाहट को कम करता है।
- मेन्थॉल सिगरेट खासकर युवाओं को आकर्षित करता है और इसका उपयोग भी आसान होता है।
- मेन्थॉल, अपने स्वाद और सुगंध के साथ "धूम्रपान की जलन और कड़वाहट को कम करता है।
- वर्ग:
- मेन्थॉल सिगरेट का उपयोग करने वालों की संख्या श्वेत अमेरिकियों (30%) की तुलना में अश्वेत अमेरिकियों (समुदाय के भीतर धूम्रपान करने वालों का 85%) के बीच अनुपातहीन रूप से अधिक है।
- प्रस्तावित प्रतिबंध धूम्रपान करने वालों की आबादी के एक बड़े हिस्से को विशेष रूप से युवा वयस्कों और नस्लीय रूप में वंचित समूहों को प्रभावित करेगा।
भारत में तंबाकू की खपत की वर्तमान स्थिति:
- ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे के अनुसार, भारत में दुनिया के तंबाकू उपयोगकर्त्ताओं की दूसरी सबसे बड़ी संख्या (268 मिलियन) है और इनमें से लगभग 13 लाख हर साल तंबाकू से होने वाली बीमारियों के कारण मर जाते हैं।
- दस लाख मौतें धूम्रपान के कारण होती हैं, जबकि दो लाख से अधिक लोग ‘सेकेंड हैंड’ धुएँ’ (Second-Hand Smoke) के संपर्क में आने के कारण जान गँवाते हैं। लगभग 35,000 लोगों की मौत धूम्ररहित तंबाकू के उपयोग के कारण होती है।
- भारत में 15 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 27 करोड़ लोग और 13-15 वर्ष के आयु वर्ग के 8.5 प्रतिशत स्कूली बच्चे किसी-न-किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं।
- तंबाकू सेवन के कारण भारत पर 1,77,340 करोड़ रुपए से अधिक का वार्षिक आर्थिक भार है।
- तंबाकू का उपयोग कई गैर-संचारी रोगों जैसे कि कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह और पुरानी फेफड़ों की बीमारियों के लिये एक प्रमुख जोखिम कारक के रूप में जाना जाता है। भारत में लगभग 27 प्रतिशत कैंसर के मामले तंबाकू के सेवन के कारण देखे गए हैं।
भारत पर इस तरह के प्रतिबंध का असर:
- यदि भारत मेन्थॉल और अन्य फ्लेवर्ड सिगरेट पर प्रतिबंध लगाता है, तो इसका प्रभाव सीमित हो सकता है, यह देखते हुए कि तंबाकू चबाना, बीड़ी पीना तंबाकू के उपयोग के सबसे सामान्य रूप हैं।
- अंतिम उपलब्ध ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GATS 2016-17) के अनुसार, भारत में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के 26.7 करोड़ तंबाकू उपयोगकर्त्ता हैं जिनमे से 18% आबादी धुआंँ रहित तंबाकू, 7% धूम्रपान और 4% दोनों का उपयोग करती है।
- धूम्रपान करने वालों में भी इस तरह के कदम का असर केवल उन युवा वयस्कों और महिलाओं पर होगा जिन्होंने अभी धूम्रपान करना शुरू किया है।
- उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने से लाँजिस्टिक संबंधी समस्याएँ भी होती हैं क्योंकि प्रतिबंध लगाने से उत्पादों की तस्करी बढ़ेगी।
- वर्तमान में विभिन्न फ्लेवर्स की उपलब्धता पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है।
भारत की संबंधित पहलें क्या हैं?
- भारत:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन- फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल:
- भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (WHO FCTC) के तहत तंबाकू नियंत्रण प्रावधानों को अपनाया।
- सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003:
- इसने 1975 के सिगरेट अधिनियम को बदल दिया (बड़े पैमाने पर वैधानिक चेतावनियों तक सीमित- 'सिगरेट धूम्रपान स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है' को सिगरेट पैक और विज्ञापनों पर प्रदर्शित किया जाता है। इसमें गैर-सिगरेट उत्पाद शामिल नहीं थे)।
- 2003 के अधिनियम में सिगार, बीड़ी, चेरूट (फिल्टर रहित बेलनाकार सिगार), पाइप तंबाकू, हुक्का, चबाने वाला तंबाकू, पान मसाला और गुटखा भी शामिल थे।
- इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अध्यादेश, 2019 की घोषणा:
- यह ई-सिगरेट के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन को प्रतिबंधित करता है।
- नेशनल टोबैको क्विटलाइन सर्विसेज़ (NTQLS):
- टोबैको क्विटलाइन सर्विसेज़ में तंबाकू का उपयोग बंद करने के लिये टेलीफोन आधारित जानकारी, सलाह, समर्थन और रेफरल सेवा प्रदान करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ कई तंबाकू उपयोगकर्त्ताओं तक पहुंँचने की क्षमता है।
- एम-सेसेशन कार्क्रम:
- एम-सेसेशन, तंबाकू छोड़ने के लिये मोबाइल प्रौद्योगिकी पर आधारित एक पहल है।
- भारत ने वर्ष 2016 में सरकार के डिजिटल इंडिया पहल के हिस्से के रूप में पाठ्य संदेशों (Text Messages) का उपयोग कर एम-सेसेशन कार्यक्रम शुरू किया था।
- एम-सेसेशन, तंबाकू छोड़ने के लिये मोबाइल प्रौद्योगिकी पर आधारित एक पहल है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन- फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल:
आगे की राह
- असमान दृष्टिकोण :
- सार्वजनिक नीति और स्वास्थ्य संवर्द्धन हस्तक्षेपों (सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ का एक हिस्सा) से वांछित परिणाम प्राप्त करने हेतु असमान दृष्टिकोण अपनाते हुए तंबाकू नियंत्रण नीतियों को संशोधित करने की आवश्यकता है।
- तंबाकू नियंत्रण उपायों के संदर्भ में (जो गरीबों को अलग-अलग लक्षित करते हैं), विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाना, तंबाकू की कीमतें बढ़ाना, कार्यस्थल में हस्तक्षेप, मुफ्त तंबाकू नियंत्रण सहायता और टेलीफोन हेल्प लाइन को शामिल किया जाता है।
- सार्वजनिक नीति और स्वास्थ्य संवर्द्धन हस्तक्षेपों (सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ का एक हिस्सा) से वांछित परिणाम प्राप्त करने हेतु असमान दृष्टिकोण अपनाते हुए तंबाकू नियंत्रण नीतियों को संशोधित करने की आवश्यकता है।
- आवश्यक सुधारात्मक नीति:
- तंबाकू से संबंधित मृत्यु दर और रुग्णता को कम करने, साथ ही इस समस्या को समग्र रूप से हल करने के लिये राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण (NCD) कार्यक्रम के तहत बड़े स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के आयोजन और उपयुक्त नीतियों की आवश्यकता है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
मुद्रा और वित्त पर आरबीआई की रिपोर्ट
प्रिलिम्स के लिये:मुद्रा और वित्त पर आरबीआई की रिपोर्ट, कोविड-19 महामारी, शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य, मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता, भारतीय अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक सुधार मेन्स के लिये:भारतीय अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक सुधार, मौद्रिक नीति, वृद्धि और विकास |
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मुद्रा और वित्त (RCF) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था को कोविड -19 महामारी के प्रकोप से होने वाले नुकसान से उबरने में एक दशक से अधिक समय लग सकता है।
- रिपोर्ट का विषय “रिवाइव और रिकंस्ट्रक्ट” है, जो कोविड से मज़बूती से उबरने और मध्यम अवधि में वृद्धि को बढ़ाने के संदर्भ में है।
रिपोर्ट में उजागर चिंता:
- कोविड-19, सबसे खराब स्वास्थ्य संकट: कोविड-19 महामारी को दुनिया के इतिहास में अब तक के सबसे खराब स्वास्थ्य संकटों में से एक के रूप में माना गया है।
- आकड़ों में वृद्धि: पूर्व-कोविड विकास की प्रवृत्ति दर 6.6% और मंदी के वर्षों को छोड़कर यह 7.1% तक रही है।.
- वर्ष 2020-21 के लिये (-) 6.6% की वास्तविक वृद्धि दर के साथ वर्ष 2021-22 के लिये 8.9% तथा वर्ष 2022-23 के लिये 7.2% की विकास दर को आगे बढ़ाते हुए 7.5% के साथ भारत द्वारा वर्ष 2034-35 में कोविड-19 के नुकसान को दूर करने की उम्मीद है।
- महामारी की आर्थिक चुनौतियांँ: इसका आर्थिक प्रभाव कई और वर्षों तक बना रह सकता है और भारतीय अर्थव्यवस्था को आजीविका के पुनर्निर्माण, व्यवसायों की सुरक्षा तथा अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
- महामारी द्वारा भारत के उत्पादन, जीवन और आजीविका के मामले में विश्व में सबसे सबसे अधिक नुकसान हुआ है जिसे ठीक होने में कई साल लग सकते हैं।
- रूस-यूक्रेन संघर्ष: रूस-यूक्रेन संघर्ष ने भी सुधार की गति को कम कर दिया है, इसके प्रभाव रिकॉर्ड उच्च कमोडिटी कीमतों, कमज़ोर वैश्विक विकास दृष्टिकोण और सख्त वैश्विक वित्तीय स्थितियों के माध्यम से प्रदर्शित हुए हैं।
- डीग्लोबलाइज़ेशन का खतरा: भविष्य के व्यापार, पूंजी प्रवाह और आपूर्ति शृंखला को प्रभावित करने वाले डीग्लोबलाइज़ेशन (Deglobalisation) के बारे में चिंताओं ने कारोबारी माहौल के लिये अनिश्चितताओं को बढ़ा दिया है।
रिपोर्ट में सुझाए गए सुधार:
- आर्थिक प्रगति के सात चक्र: रिपोर्ट में प्रस्तावित सुधारों का खाका आर्थिक प्रगति के सात चक्रों के इर्द-गिर्द घूमता है:
- कुल मांग।
- सकल आपूर्ति
- संस्थान, बिचौलिये और बाज़ार
- व्यापक आर्थिक स्थिरता और नीति समन्वय
- उत्पादकता और तकनीकी प्रगति
- संरचनात्मक परिवर्तन
- वहनीयता
- भारत में मध्यम अवधि के स्थिर राज्य सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि के लिये एक व्यवहार्य सीमा 6.5-8.5% है, जो सुधारों के ब्लूप्रिंट के अनुरूप है।
- मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों का पुनर्संतुलन: मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों का समय पर पुनर्संतुलन इस प्रक्रिया का पहला कदम होगा।
- मूल्य स्थिरता: मज़बूत और सतत् विकास के लिये मूल्य स्थिरता एक आवश्यक पूर्व शर्त है।
- सरकारी ऋण को कम करना: भारत की मध्यम अवधि की विकास संभावनाओं को सुरक्षित करने के लिये अगले पाँच वर्षों में सामान्य सरकारी ऋण को सकल घरेलू उत्पाद के 66% से कम करना आवश्यक है।
- संरचनात्मक सुधार: सुझाए गए संरचनात्मक सुधारों में शामिल हैं:
- मुकदमेबाज़ी से मुक्त कम लागत वाली भूमि तक पहुँच बढ़ाना।
- शिक्षा और स्वास्थ्य एवं स्किल इंडिया मिशन पर सार्वजनिक व्यय के माध्यम से श्रम की गुणवत्ता बढ़ाना।
- नवाचार और प्रौद्योगिकी पर ज़ोर देते हुये अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को बढ़ाना।
- स्टार्टअप और यूनिकॉर्न के लिये एक अनुकूल वातावरण बनाना।
- अक्षमताओं को बढ़ावा देने वाली सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाना।
- आवास और भौतिक बुनियादी ढांँचे में सुधार करके शहरी समुदायों (Urban Agglomerations) को प्रोत्साहित करना।
- औद्योगिक क्रांति 4.0 को बढ़ावा: औद्योगिक क्रांति 4.0, नेट-ज़ीरो-उत्सर्जन लक्ष्य वाले पारिस्थितिक तंत्र के प्रति प्रतिबद्ध है जो व्यापार हेतु जोखिम पूंजी और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी माहौल के लिये पर्याप्त सुविधा प्रदान करता है।
- FTA वार्ता: भारत मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर वार्ता कर रहा है ताकि भविष्य में उच्च गुणवत्ता की प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के साथ उचित व्यापार शर्तों के आधार पर भागीदार देशों से घरेलू विनिर्माण के संदर्भ में आयात-निर्यात के दृष्टिकोण में सुधार किया जा सके।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पिछले वर्ष के प्रश्न (पीवाईक्यू):प्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: C व्याख्या:
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स्रोत: द हिंदू
एक अधिकारी के इस्तीफे और बहाली के नियम
प्रिलिम्स के लिये:अखिल भारतीय सेवाएँ, केंद्रीय सतर्कता आयोग मेन्स के लिये:एक अधिकारी के इस्तीफे और बहाली के नियम |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वर्ष 2019 में कश्मीर में "बेरोकटोक" हत्याओं के विरोध में सेवा से इस्तीफा देने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के एक अधिकारी को बहाल कर दिया गया है।
IAS अधिकारियों के इस्तीफे के संबंध में नियम:
- तीनों अखिल भारतीय सेवाओं में से किसी एक अधिकारी का इस्तीफा अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के नियम 5(1) और 5(1)(ए) द्वारा शासित होता है।
- अखिल भारतीय सेवाओं में शामिल हैं: आईएएस, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफएस)।
- अन्य केंद्रीय सेवाओं से संबंधित अधिकारियों के इस्तीफे के लिये भी इसी तरह के नियम हैं।
एक अधिकारी के इस्तीफे का अर्थ:
- परिचय:
- इस्तीफा एक अधिकारी द्वारा या तो तुरंत या भविष्य में एक निर्दिष्ट तिथि पर उसकी इच्छा से आईएएस छोड़ने के प्रस्ताव के बारे में लिखित रूप में एक औपचारिक सूचना है।
- इस्तीफा स्पष्ट और बिना शर्त होना चाहिये।
- सेवा से इस्तीफा सरकार की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) को स्वीकार करने से बिल्कुल अलग है।
- VRS लेने वाले पेंशन के हकदार हैं, जबकि इस्तीफा देने वाले नहीं हैं।
- इस्तीफा एक अधिकारी द्वारा या तो तुरंत या भविष्य में एक निर्दिष्ट तिथि पर उसकी इच्छा से आईएएस छोड़ने के प्रस्ताव के बारे में लिखित रूप में एक औपचारिक सूचना है।
- किसके पास प्रस्तुत (Submit) करे?
- राज्य प्रतिनियुक्ति के मामले में:
- राज्य के मुख्य सचिव।
- यदि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का मामला है:
- संबंधित मंत्रालय या विभाग के सचिव।
- इसके बाद मंत्रालय/विभाग अपनी सिफारिशों के साथ अधिकारी के इस्तीफे को संबंधित राज्य संवर्ग को अग्रेषित करता है।
- संबंधित मंत्रालय या विभाग के सचिव।
- राज्य प्रतिनियुक्ति के मामले में:
इस्तीफा जमा करने के बाद की प्रक्रिया:
- राज्य स्तर पर:
- राज्य जांँच करता है कि क्या अधिकारी के खिलाफ कोई बकाया (dues) तो नही है, साथ ही अधिकारी की सतर्कता की स्थिति या उसके खिलाफ भ्रष्टाचार आदि के कोई मामले लंबित हैं या नहीं।
- यदि ऐसा कोई मामला होता है तो आमतौर पर इस्तीफा खारिज कर दिया जाता है।
- राज्य जांँच करता है कि क्या अधिकारी के खिलाफ कोई बकाया (dues) तो नही है, साथ ही अधिकारी की सतर्कता की स्थिति या उसके खिलाफ भ्रष्टाचार आदि के कोई मामले लंबित हैं या नहीं।
- केंद्रीय स्तर पर:
- अधिकारी के त्यागपत्र से संबंधित संवर्ग की अनुशंसा प्राप्त होने के बाद ही सक्षम प्राधिकारी अर्थात् केंद्र सरकार द्वारा विचार किया जाता है।
- सक्षम प्राधिकारी:
- IAS के संबंध में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) में राज्य मंत्री।
- IPS के संबंध में गृह मंत्री।
- वन सेवा के संबंध में पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री।
- DoPT के प्रभारी मंत्री के रूप में प्रधानमंत्री IAS के संबंध में निर्णय लेता है।
इस्तीफा स्वीकार या अस्वीकार करने की परिस्थितियाँ:
- स्वीकार करने के संबंध में:
- जब एक सरकारी कर्मचारी जो निलंबन के अधीन है, त्यागपत्र प्रस्तुत करता है, तो सक्षम प्राधिकारी को सरकारी कर्मचारी के खिलाफ लंबित अनुशासनात्मक मामले की वास्तविकता के संदर्भ में ज़ाँच करनी चाहिये कि क्या इस्तीफा स्वीकार करना जनहित में होगा।
- अस्वीकार करने के संबंध में:
- अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक मामले लंबित होने पर इस्तीफा अस्वीकार किया जा सकता है।
- ऐसे मामलों में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की सहमति प्राप्त की जाती है।
- सरकार यह भी जांँच करती है कि क्या संबंधित अधिकारी ने विशेष प्रशिक्षण, फेलोशिप, या अध्ययन के लिये छात्रवृत्ति प्राप्त करने के कारण निर्दिष्ट वर्षों तक सरकार की सेवा करने हेतु कोई बॉण्ड निष्पादित किया था।
- अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक मामले लंबित होने पर इस्तीफा अस्वीकार किया जा सकता है।
इस्तीफा प्रस्तुतीकरण के बाद वापस लेने के बारे:
- संशोधित डीसीआरबी नियमों के नियम 5(1ए)(i) के अनुसार, केंद्र सरकार किसी अधिकारी को "जनहित में" अपना इस्तीफा वापस लेने की अनुमति दे सकती है।
- जिस तारीख को इस्तीफा प्रभावी हुआ और जिस तारीख को सदस्य को इस्तीफा वापस लेने के परिणामस्वरूप ड्यूटी फिर से शुरू करने की अनुमति दी गई थी, के बीच ड्यूटी से अनुपस्थिति की अवधि नब्बे दिनों से अधिक नहीं होनी चाहिये।
- इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा यदि:
- अखिल भारतीय सेवा के सदस्य किसी भी राजनीतिक दल या राजनीति में भाग लेने वाले किसी भी संगठन से जुड़ने पर अपनी सेवा या पद से इस्तीफा देते हैं।
- यदि एक सदस्य को किसी भी राजनीतिक आंदोलन में भाग लेना है या किसी विधायिका या स्थानीय प्राधिकरण के चुनाव के संबंध में अपने प्रभाव का उपयोग करना है, या चुनाव में भाग लेना है।
- यदि कोई अधिकारी, जिसने अपना त्यागपत्र प्रस्तुत किया है, सक्षम प्राधिकारी द्वारा उसकी स्वीकृति से पहले उसे वापस लेने की लिखित सूचना भेजता है, तो त्यागपत्र स्वतः वापस लिया हुआ समझा जाएगा।
विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. राज्यसभा के पास लोकसभा के बराबर शक्तियाँ हैं: (2020) (a) नई अखिल भारतीय सेवा का सृजन उत्तर: (b)
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