भारतीय इतिहास
नरसिम्हा राव: आर्थिक सुधारों के अग्रदूत
प्रीलिम्स के लियेपीवी नरसिम्हा राव मेन्स के लियेप्रधानमंत्री के तौर पर आर्थिक सुधारों में नरसिम्हा राव की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में तेलंगाना सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव (PV Narashima Rao) की जन्मशती के अवसर पर वर्ष भर चलने वाले समारोह की शुरुआत की है।
प्रमुख बिंदु
- समारोह की शुरुआत करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (K Chandrasekhar Rao) ने कहा कि नरसिम्हा राव बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे और यह समारोह नरसिम्हा राव के संपूर्ण व्यक्तित्व को उजागर करने में मदद करेगा।
- इसी के साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री ने पीवी नरसिम्हा राव के लिये भारत रत्न की भी मांग की।
- ध्यातव्य है कि नरसिम्हा राव की कांस्य प्रतिमाओं को तेलंगाना के करीमनगर, वारंगल और हैदराबाद में तथा नई दिल्ली स्थित तेलंगाना भवन में स्थापित किया जाएगा।
पीवी नरसिम्हा राव- प्रारंभिक जीवन
- पामुलापति वेंकट नरसिंह राव का जन्म 28 जून, 1921 को तत्कालीन आंध्रप्रदेश के करीमनगर ज़िले के एक गाँव में हुआ था, जो कि वर्तमान में तेलंगाना राज्य का एक क्षेत्र है।
- नरसिम्हा राव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा करीमनगर ज़िले के स्थानीय विद्यालय से पूरी की, जिसके पश्चात् उन्होंने हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय (Osmania University) में दाखिला लिया और वहाँ से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
- स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, नरसिम्हा राव उच्च अध्ययन की ओर अग्रसर हुए और उन्होंने हिसलोप कॉलेज (Hislop Colleg) से विधि में मास्टर डिग्री पूरी की।
- पीवी नरसिम्हा राव को एक सक्रिय छात्र नेता के रूप में भी जाना जाता था, जहाँ उन्होंने पूर्ववर्ती आंध्रप्रदेश के विभिन्न इलाकों में कई सत्याग्रह आंदोलनों की अगुवाई की। नरसिम्हा राव हैदराबाद में 1930 के दशक में हुए ‘वंदे मातरम आंदोलन’ (Vande Mataram Movement) के एक सक्रिय भागीदार भी थे।
- नरसिम्हा राव को उनके अभूतपूर्व भाषाई कौशल के लिये भी जाना जाता था, उन्हें 10 भारतीय भाषाओं के साथ-साथ 6 विदेशी भाषाओं महारत हासिल थी।
नरसिम्हा राव की राजनीतिक यात्रा
- नरसिम्हा राव ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अपने छात्र जीवन के दौरान ही की थी, बहुभाषी के रूप में उनकी क्षमताओं ने उन्हें स्थानीय जनता के साथ जुड़ने में काफी मदद की।
- वर्ष 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बाद, नरसिम्हा राव आधिकारिक तौर पर भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस से जुड़ गए।
- नरसिम्हा राव ने वर्ष 1962 से वर्ष 1971 के दौरान आंध्र सरकार में विभिन्न मंत्री पदों पर कार्य किया, इसके पश्चात् उन्होंने वर्ष 1971 से वर्ष 1973 तक तत्कालीन आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी संभाली।
- पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्त्व में आंध्र प्रदेश में कई भूमि सुधार किये गए, विशेष रूप से मौजूदा तेलंगाना के क्षेत्र में।
- वर्ष 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद नरसिम्हा राव देश के नए प्रधानमंत्री बने और उन्होंने वर्ष 1996 तक देश के 9वें प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवाएँ दीं।
- पीवी नरसिम्हा राव का 9 दिसंबर, 2004 को हार्टअटैक के कारण निधन हो गया।
प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव
- प्रधानमंत्री के तौर पर नरसिम्हा राव को मुख्य रूप से उनके द्वारा किये गए सुधारों के रूप में पहचाना जाता है। प्रधानमंत्री के रूप में पीवी नरसिम्हा राव के सबसे महत्त्वपूर्ण निर्णयों में से एक वित्त मंत्री के रूप में एक गैर-राजनीतिक उम्मीदवार की नियुक्ति को माना जाता है।
- डॉ. मनमोहन सिंह की विशेषज्ञता के तहत पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने मुख्य रूप से निम्नलिखित निर्णय लिये:
- सेबी अधिनियम 1992 (Securities and Exchange Board of India Act, 1992) और प्रतिभूति कानून (संशोधन) की शुरुआत हुई, जिसके माध्यम से SEBI को सभी प्रतिभूति बाज़ार मध्यस्थों को पंजीकृत और विनियमित करने का कानूनी अधिकार प्राप्त हुआ।
- वर्ष 1992 में पूंजी निर्गम नियंत्रक (Controller of Capital Issues) निकाय को समाप्त कर दिया गया, जो कि कंपनियों द्वारा जारी किये जा सकने वाले शेयरों की कीमतें और संख्या तय किया करता था।
- वर्ष 1992 में ही विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिये भारत के इक्विटी बाज़ारों को खोल दिया गया, साथ ही भारतीय कंपनियों को ग्लोबल डिपॉज़िटरी रिसिप्ट (Global Depository Receipts-GDRs) जारी करके अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों से पूंजी जुटाने की अनुमति देना।
- वर्ष 1994 में कंप्यूटर आधारित व्यापार प्रणाली के रूप में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange-NSE) की शुरुआत की गई। ध्यातव्य है कि NSE वर्ष 1996 तक भारत के सबसे बड़े एक्सचेंज के रूप में उभरने लगा।
- संयुक्त उद्यमों में विदेशी पूंजी की हिस्सेदारी पर अधिकतम सीमा को 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 51 प्रतिशत करके प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI) को प्रोत्साहित किया गया।
- नई आर्थिक नीति के अलावा पीवी नरसिम्हा राव ने शीत युद्ध के बाद देश की कूटनीतिक नीति (Diplomacy Policy) को एक नया आकार देने में भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
- नरसिम्हा राव के कार्यकाल में ही भारत की ‘लुक ईस्ट’ नीति (Look East’ Policy) की भी शुरुआत हुई, जिसके माध्यम से भारत के व्यापार की दिशा को दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों की ओर किया गया।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
शासन व्यवस्था
भारतनेट परियोजना
प्रीलिम्स के लिये:भारत नेट परियोजना के बारे में मेन्स के लिये:दूरसंचार के क्षेत्र में भारत नेट परियोजना का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग’ (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) द्वारा तमिलनाडु में ‘भारतनेट परियोजना’ (Bharat Net project) की 1,950 करोड़ रूपए की निविदाओं को रद्द करने का आदेश दिये गए हैं।
प्रमुख बिंदु:
- चेन्नई की एंटी करप्शन गैर सरकारी संगठन ‘अय्यक्कम’द्वारा निविदा में अनियमितताओं को उजागर किया गया, जिसके चलते केंद्र सरकार द्वारा तमिलनाडु में 1,950 करोड़ रुपए की भारत नेट प्रोजेक्ट की निविदाओं को रद्द कर दिया गया है।
- तमिलनाडु में इस परियोजना को तमिलनाडु फाइबरनेट कॉर्पोरेशन (Tamil Nadu FiberNet Corporation- TANFINET) के माध्यम से संचालित किया जाना है।
- गैर सरकारी संगठन द्वारा आरोप लगाया गया कि TANFINET द्वारा जारी निविदाओं की शर्तों के कारण केवल कुछ ही कंपनियाँ आवदेन की पात्र हैं।
भारत नेट परियोजना:
- भारत नेट परियोजना का उद्देश्य ऑप्टिकल फाइबर (Optical Fiber) के माध्यम से भारतीय गाँवों को उच्च गति ब्रॉडबैंड कनेक्शन से जोड़ना है।
- तमिलनाडु में इस परियोजना के माध्यम से राज्य के सभी 12,524 ग्राम पंचायतों को जोड़ने की योजना थी।
परियोजना के चरण:
- प्रथम चरण में, अंडरग्राउंड ऑप्टिक फाइबर केबल लाइनों के माध्यम से ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को एक लाख ग्राम पंचायतों तक उपलब्ध कराया गया है।
- इस चरण को दिसंबर, 2017 तक पूरा कर लिया गया है।
- द्वितीय चरण में , भूमिगत फाइबर, पावर लाइनों, रेडियो और उपग्रह मीडिया पर फाइबर के इष्टतम मिश्रण का उपयोग करके देश में सभी 1.5 लाख ग्राम पंचायतों को कनेक्टिविटी प्रदान की जाएगी।
- चरण-2 के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिये , बिजली के ध्रुवों/खंभों पर ऑप्टिक फाइबर केबल को भी लगाया गया है।
- इस परियोजना का तीसरा चरण वर्ष 2019 से वर्ष 2023 तक पूर्ण होना है।
- इस चरण में अत्याधुनिक, फ्यूचर प्रूफ नेटवर्क, ज़िलों एवं ब्लॉकस के बीच फाइबर समेत, अवरोध को समाप्त करने के लिये नेटवर्क को रिंग टोपोलॉजी के आधार पर स्थापित किया जाना है।
ऑप्टिकल फाइबर:
- ऑप्टिकल फाइबर मुख्यत: सिलिका से बनी पतली बेलनाकार नलिकाएँ होती हैं जो प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करती हैं।
- ऑप्टिकल फाइबर में प्रकाश का उपयोग कर डेटा को ट्रांसफर किया जाता है।ऑप्टिकल फाइबर में बिजली का संचार नहीं बल्कि प्रकाश का संचार होता है। अतः इनमें प्रकाश के रूप में जानकारी का प्रवाह होता है।
- ऑप्टिकल फाइबर में जहाँ डेटा को रिसीव किया जाता है वहाँ एक ट्रांसमीटर लगा होता है।
- यह ट्रांसमीटर इलेक्ट्रॉनिक पल्स इनफार्मेशन को सुलझाता है तथा इसको प्रोसेस करके लाइट पल्स के रूप में ऑप्टिकल फाइबर लाइन में ट्रांसमिट कर देता है।
भारतनेट परियोजना का महत्त्व:
- भारतनेट परियोजना विश्व की सबसे बड़ी ग्रामीण ब्रॉडबैंड संपर्क परियोजना है।
- इस परियोजना को ‘मेक इन इंडिया’ के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है अतः देश में ही रोज़गार के नए अवसर विकसित होंगे।
- इस प्रोजेक्ट के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में संचरण सुविधा बिना किसी नेटवर्क बाँधा के उपलब्ध कराई जा रही है।
- परियोजना में राज्य और निजी क्षेत्रों के साथ साझेदारी करके अब ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में नागरिकों/लोगों को सस्ती ब्रॉडबैंड सेवाएँ प्राप्त हो सकेगी।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय अर्थव्यवस्था
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकों को उधार देने की समय सीमा का विस्तार
प्रीलिम्स के लिये:‘सीमांत स्थायी सुविधा’, रेपो रेट मेन्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ‘सीमांत स्थायी सुविधा’ दर की सीमा बढ़ाने के कारण |
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) द्वारा लॉकडाउन के कारण उत्पन्न प्रतिकूल आर्थिक स्थितियों के ध्यान में रखते हुए बैंकों की नकदी की समस्या को दूर करने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक से बैंकों के कर्ज लेने की सीमा की सुविधा को 30 सितंबर, 2020 तक विस्तारित कर दिया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अस्थायी उपाय के रूप में ‘सीमांत स्थायी सुविधा’ (Marginal Standing Facility- MSF) के तहत अधिसूचित बैंकों के लिये कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाया गया है।
- 27 मार्च, 2020 से इस निर्णय को क्रियान्वित किया जा रहा है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पहले इस छूट की समयावधि 30 जून, 2020 तक थी जिसे अब बढ़ाकर 30 सितंबर, 2020 तक कर दिया गया है।
- सीमांत स्थायी सुविधा के तहत बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक से अपनी शुद्ध मांग (Net Demand) तथा समय देयता (Time Liabilities) का 2 प्रतिशत से 3 प्रतिशत तक उधार ले सकेंगे।
‘सीमांत स्थायी सुविधा’ क्या है?
- भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा वर्ष 2011-12 में मौद्रिक नीति में सुधार करते हुए ‘सीमांत स्थायी सुविधा योजना’ की शुरूआत की गई थी।
- सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) के तहत बैंक अंतर-बैंक तरलता (Inter-Bank Liquidity) की कमी को पूरा करने के लिये आपातकालीन स्थिति में भारतीय रिज़र्व बैंक से उधार लेते हैं।
- इसमें बैंक तरलता समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility-LAF) के तहत रेपो दर (Repo Rate) से अधिक की दर पर सरकारी प्रतिभूतियों को गिरवी रखकर भारतीय रिज़र्व बैंक से उधार लेते हैं।
- ‘सीमांत स्थायी सुविधा’ के तहत बैंक अपनी शुद्ध मांग और समय देनदारियों के1% तक रिज़र्व बैंक से धन उधार ले सकते हैं।
- ‘सीमांत स्थायी सुविधा’ दर रेपो दर से 100 आधार अंक अधिक होती है।
- यह एक दंडात्मक दर है जिस पर बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से पैसे उधार ले सकते हैं।
- बैंकों द्वारा रखे जाने वाली आवश्यक न्यूनतम रिज़र्व से कम रखने की स्थिति में रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकों के विरुद्ध दंडात्मक प्रक्रिया संचालित की जाती है जिसके तहत बैंकों को आवश्यक न्यूनतम रिज़र्व से कम रखने की स्थिति में रिज़र्व बैंक को ब्याज देना पड़ता है इसे पैनल रेट कहते है।
रेपो रेट:
- रेपो रेट का प्रयोग रिज़र्व बैंक द्वारा तरलता की स्थिति को समायोजित करके किया जाता है।
- अर्थव्यवस्था में तरलता को बढ़ाने के लिये रिज़र्व बैंक द्वारा रेपो रेट में कमी की जाती है तथा मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के लिये इसकी मात्रा में वृद्धि की जाती है।
- इसके अंतर्गत रिज़र्व बैंक द्वारा अल्पकालीन तरलता प्रबंधन के लिये प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय किया जाता है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
सुरक्षा
क्रिप्टो-जैकिंग
प्रीलिम्स के लिये:क्रिप्टो-जैकिंग, क्रिप्टोकरेंसी मेन्स के लिये:क्रिप्टोकरेंसी |
चर्चा में क्यों?
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के रूप में ‘क्रिप्टो-जैकिंग’ (Crypto-Jacking) नामक साइबर हमलों की पहचान की है।
प्रमुख बिंदु:
- ‘क्रिप्टोजैकिंग’ एक प्रकार का साइबर हमला है, जिनका प्रयोग हैकर्स क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग (Mining) करने के लिये करते हैं।
- माइनिंग बुनियादी तौर पर ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से किसी आभासी मुद्रा के लेन-देन को सत्यापित किया जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी की कार्यप्रणाली:
- क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा है, जिसमें लेन-देन संबंधी सभी जानकारियों को कूटबद्ध (Encrypt) तरीके से विकेंद्रित डेटाबेस (Decentrelised Database) में सुरक्षित रखा जाता है।
- बही-खाते (ledgers) के आँकड़ों को स्थानिक रूप से वितरित किया जाता है, और क्रिप्टोकरेंसी के प्रत्येक लेन-देन को ब्लॉक के रूप में कूटबद्ध किया जाता है।
- इस प्रकार एक दूसरे को जोड़ने वाले कई ब्लॉक विकेंद्रीकृत बही-खाता (Distributed Ledger) के माध्यम से ब्लॉकचेन (Blockchain) बनाते हैं।
- बिटक्वाइन (Bitcoin), एथरियम (Ethereum), मोनेरो (Monero), कैश (Zcash) आदि प्रमुख आभासी मुद्राएँ हैं।
- ऐसा अनुमान है कि दुनिया भर में 47 मिलियन से अधिक क्रिप्टोकरेंसी उपयोगकर्ता हैं।
क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग (Cryptocurrency Mining):
- क्रिप्टोकरेंसी कोई मुद्रित मुद्रा नहीं होती है अपितु इन्हें माइनिंग की प्रक्रिया द्वारा सत्यापित या निर्मित किया जाता है।
- क्रिप्टोकरेंसी, माइनिंग नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से बनाई जाती हैं।
- माइनिंग की प्रक्रिया में माइनर्स द्वारा हाई-एंड प्रोसेसर्स (High-End Processors) का उपयोग किया जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग में चुनौतियाँ:
- माइनिंग की लागत बहुत अधिक होती है।
- माइनिंग की प्रक्रिया में हाई-एंड प्रोसेसर्स का उपयोग किया जाता है, जो प्रक्रिया बहुत महँगी है।
- संपूर्ण माइनिंग प्रक्रिया में विद्युत की बहुत अधिक खपत होती है।
क्रिप्टो-जैकिंग की प्रक्रिया:
- क्रिप्टोजैकिंग में इंटरनेट सर्वर, निजी कंप्यूटर या फिर स्मार्टफोन में मैलवेयर इंस्टाल कर क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग की जाती है।
- अधिकांश अन्य प्रकार के मैलवेयर के विपरीत, क्रिप्टो-जैकिंग में कंप्यूटर के डेटा का उपयोग नहीं किया जाता है।
‘क्रिप्टो-जैकिंग’ का प्रभाव:
- कंप्यूटर सिस्टम की कार्य-प्रणाली धीमी हो जाती है।
- विद्युत उपयोग बढ़ जाता है।
- स्मार्टफोन की बैटरी अचानक से खत्म होने लगती है।
- हार्डवेयर को बहुत अधिक नुकसान हो सकता है।
एंड्रायड फोन पर खतरा ज़्यादा:
- क्रिप्टो-जैकिंग में स्मार्टफोन की हैकिंग की जा सकती है अत: अन्य डिजिटल माइनिंग की तुलना में यह काफी कम खर्चीला है।
- क्रिप्टो-जैकिंग से एंड्रायड स्मार्टफोन को ज्यादा खतरा होता है। एप्पल अपने फोन में इंस्टाल होने वाले एप को ज्यादा नियंत्रित करता है, इसलिए हैकर्स आईफोन को कम निशाना बनाते हैं।
निष्कर्ष:
- क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में बढ़ती चिंताओं का समाधान करना आवश्यक है, ऐसे कई एप उपलब्ध हैं जो कंप्यूटर की क्रिप्टो-जैकिंग के हमलों से सुरक्षा कर सकते हैं। हालाँकि ये एप भी कंप्यूटरों को पूरी तरह से सुरक्षित करने में समर्थ नहीं हैं।
स्रोत: द हिंदू
भारतीय अर्थव्यवस्था
भारतीय रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षण के अंतर्गत सहकारी बैंक
प्रीलिम्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक, सरफेसी अधिनियम, 2002 मेन्स के लिये:बैंकिंग क्षेत्र में सुधार |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश, जिसके तहत भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) के पर्यवेक्षण के अंतर्गत सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को लाया जाएगा, को मंज़ूरी दे दी।
प्रमुख बिंदु:
- सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पर्यवेक्षण के तहत लाने के निम्नलिखित कारण हैं:
- केंद्र सरकार का यह फैसला धोखाधड़ी एवं गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के कई मामलों के बाद आया है, जिसमें वर्ष 2019 का पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी (Punjab and Maharashtra Co-operative- PMC) बैंक घोटाला भी शामिल है।
- अभी तक सभी सहकारी बैंक RBI एवं सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के दोहरे विनियमन के अंतर्गत आते थे जिसके परिणामस्वरूप इनमें से कई बैंकों में विनियामक एवं पर्यवेक्षी त्रुटियाँ हो जाती थीं।
- इसके अतिरिक्त RBI के पास सहकारी बैंक के पुनर्निर्माण से संबंधित एक प्रवर्तनीय योजना बनाने का अधिकार नहीं था।
- हालाँकि अब सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंक RBI की प्रत्यक्ष निगरानी के अंतर्गत आएंगे।
लाभ:
- केंद्र सरकार का यह निर्णय RBI को वाणिज्यिक बैंकों की तर्ज पर सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को विनियमित करने का अधिकार देगा।
- इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सहकारी बैंक सरफेसी अधिनियम, 2002 (Sarfaesi Act, 2002) के प्रयोजनों के लिये बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (Banking Regulation Act, 1949) के तहत 'बैंकों' की परिभाषा में आते हैं।
- सरफेसी अधिनियम गैर-निष्पादित संपत्तियाँ (Non-Performing Assets) की वसूली के लिये एक प्रभावी उपकरण है।
- यह सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों के जमाकर्त्ताओं को अधिक सुरक्षा भी प्रदान करेगा।
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- उल्लेखनीय है कि भारत में 1482 शहरी सहकारी बैंक एवं 58 बहु-राज्यीय सहकारी बैंक हैं।
- इन बैंकों के पास 8.6 करोड़ रुपए का एक जमाकर्त्ता आधार (Depositor Base) है जिससे इन बैंकों में 4.84 लाख करोड़ रुपए के रूप में एक बड़ी राशि की बचत की गई है।
निर्णय से संबंधित चिंता:
- गौरतलब है कि इस निर्णय के बाद ग्रामीण सहकारी बैंक (Rural Co-operative Banks), RBI एवं सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के दोहरे विनियमन के तहत ही कार्य करते रहेंगे जबकि ग्रामीण सहकारी बैंक, शहरी सहकारी बैंकों की तरह ही दुर्व्यवहार एवं धोखाधड़ी के मुद्दे का सामना करते हैं।
सहकारी बैंकिंग (Co-operative Banking):
- सहकारी बैंक का आशय उन छोटे वित्तीय संस्थानों से है जो शहरी और गैर-शहरी दोनों क्षेत्रों में छोटे व्यवसायों को ऋण की सुविधा प्रदान करते हैं।
- सहकारी बैंक आमतौर पर अपने सदस्यों को कई प्रकार की बैंकिंग और वित्तीय सेवाएँ जैसे- ऋण देना, पैसे जमा करना और बैंक खाता आदि प्रदान करते हैं।
- सहकारी बैंक उनके संगठन, उद्देश्यों, मूल्यों और शासन के आधार पर वाणिज्यिक बैंकों से भिन्न होते हैं।
- सहकारी बैंकों का स्वामित्व और नियंत्रण सदस्यों द्वारा ही किया जाता है, जो लोकतांत्रिक रूप से निदेशक मंडल का चुनाव करते हैं।
- ये भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा विनियमित किये जाते हैं एवं बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के साथ-साथ बैंकिंग कानून अधिनियम, 1965 के तहत आते हैं।
- ये संबंधित राज्यों के सहकारी समिति अधिनियम (Co-operative Societies Act) या बहु-राज्यीय सहकारी समिति अधिनियम, 2002 (Multi-State Co-operative Societies Act, 2002) के तहत पंजीकृत हैं।
- उल्लेखनीय है कि सहकारी बैंक का प्राथमिक लक्ष्य अधिक-से-अधिक लाभ कमाना नहीं होता, बल्कि अपने सदस्यों को सर्वोत्तम उत्पाद और सेवाएँ उपलब्ध कराना होता है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
जैव विविधता और पर्यावरण
ड्रैगनफ्लाई में दुर्लभ जैविक घटना
प्रीलिम्स के लिये:ड्रैगनफ्लाई, जिनैन्ड्रमोर्फिज़्म, कोल आर्द्रभूमि मेन्स के लिये:जिनैन्ड्रमोर्फिज़्म |
चर्चा में क्यों?
'जर्नल ऑफ थ्रेटेंड टैक्सा' (Journal of Threatened Taxa) में प्रकाशित शोध के अनुसार, 'सोसाइटी फॉर ओडोनेट स्टडीज़' ( Society for Odonate Studies) केरल, के वैज्ञानिकों ने ड्रैगनफ्लाई में जिनैन्ड्रमोर्फिज़्म (Gyanandromorphism) नामक एक बहुत ही दुर्लभ जैविक घटना को दर्ज किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- इस दुर्लभ परिघटना का अवलोकन त्रिशूर में कोल वेटलैंड्स (Kole wetlands) में किया गया है।
- कोले वेटलैंड्स में प्राप्त ड्रैगनफ्लाई के शरीर का आधा हिस्सा लाल और आधा हिस्सा पीले रंग का पाया गया।
ड्रैगनफ्लाई (Dragonfly):
- एक ड्रैगनफ्लाई, ओडोनाटा (Odonata) गण (order) तथा कीट वर्ग (Class) से संबंधित है।
- ये पारिस्थितिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि ये ‘जैव संकेतक’ (Bioindicators) के रूप में कार्य करते हैं।
- सामान्यत: नर ड्रैगनफ्लाई के सिर, वक्ष, पेट, पैरों सहित शरीर के लगभग सभी हिस्सों के रक्त में लाल रंग का कोलोरैटन (Colouraton) पाया जाता है, जबकि मादा ड्रैगनफ्लाई गहरे भूरे रंग के वक्ष तथा पैरों के साथ हल्के पीले रंग की होती है।
जिनैन्ड्रमोर्फिज़्म (Gynandromorphism):
- यह जीवों में पाई जाने वाली विशेषता है, जिसमें एक ही जीव में नर और मादा दोनों के ऊतक तथा अन्य विशेषताएँ पाई जाती हैं। इस तरह के जीवों को स्त्री रोग (Gynandromorphs) भी कहा जाता है।
- यह शब्द ग्रीक शब्दों (Gyne = मादा; Aner = नर और Morphe = रूप) से लिया गया है।
- ऐसा सामान्यत: आनुवंशिक त्रुटि के कारण होता है। आनुवंशिक परिवर्तन गुणसूत्र संबंधी विकार या उत्परिवर्तन के कारण उत्पन्न होते हैं। ऐसा गुणसूत्री DNA की कमी, अतिरिक्त गुणसूत्र या अनियमित गुणसूत्र के कारण हो सकता है।
अध्ययन का महत्त्व:
- जीवों पर पर्यावरणीय कारकों के प्रभाव को समझने में मदद करेगा;
- पारिस्थितिक उद्विकास (Ecological Evolutions) के माध्यम से विशिष्ट प्रजातियों की उत्पति समझने में मदद करेगा;
- प्रजातियों की आनुवंशिक विविधता को खोजने में मदद करेगा;
कोल आर्द्रभूमि (Kole Wetlands):
- यह केरल के त्रिशूर ज़िले में स्थित है।
- इस क्षेत्र में चावल का अच्छा उत्पादन होता है तथा यह आर्द्रभूमि प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली के रूप में कार्य करता है।
- यह वेम्बनाड-कोल आर्द्रभूमि (Vembanad-Kole wetlands) का एक हिस्सा है, जिसे रामसर कन्वेंशन के तहत आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- यहाँ अनेक प्रकार की आक्रामक प्रजातियाँ (Invasive Species) पाई जाती है।
स्रोत: द हिंदू
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 जून, 2020
शिक्षा में सुधार हेतु ऋण को मंज़ूरी
हाल ही में विश्व बैंक के निदेशक मंडल ने भारत के छह राज्यों के सरकारी स्कूलों की शिक्षा पद्धति में सुधार के लिये 500 मिलियन डॉलर की एक नई परियोजना को मंज़ूरी दी है। ध्यातव्य है कि स्टार्स (STARS-Strengthening Teaching-Learning and Results for States Program) नामक इस परियोजना को देश के कुल 6 राज्यों (हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान) में केंद्रीय योजना, ‘समग्र शिक्षा अभियान’ के माध्यम से लागू किया जाएगा। विश्व बैंक के अनुसार, स्टार्स (STARS) परियोजना स्कूलों में मूल्यांकन प्रणाली को बेहतर बनाने और स्कूलों के शासन तथा विकेंद्रीकृत प्रबंधन को मज़बूत करने में मदद करेगी। ध्यातव्य है कि भारत ने बीते कुछ वर्षों में देश भर में शिक्षा की पहुँच में सुधार करने के लिये कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं, इन्ही कदमों का परिणाम है कि देश में स्कूल जाने वाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है, आँकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2004-05 और वित्तीय वर्ष 2018-19 के बीच स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या 219 मिलियन से बढ़कर 248 मिलियन हो गई है। विश्व बैंक की इस परियोजना के माध्यम से लगभग 15 लाख स्कूलों के 6 से 17 वर्ष की आयु के 25 करोड़ छात्रों और एक करोड़ से अधिक शिक्षकों को फायदा पहुँचेगा। गौरतलब है कि अपने एक हालिया रिपोर्ट में यूनेस्को (UNESCO) ने कहा था कि भारत समेत विश्व कई देशों को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिये कि किसी भी पृष्ठभूमि का कोई भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से छूट न सके।
उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में अदालतों, मेट्रो रेल, हवाई अड्डों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, बैंकों और अन्य संगठनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक समर्पित सुरक्षा बल बनाने का निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य प्रशासन को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तर्ज़ पर राज्य में उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल (Uttar Pradesh Special Security Force-UPSSSF) के गठन के निर्देश दिये हैं। उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल (UPSSSF) का गठन व्यावसायिक दक्षता के साथ राज्य के औद्योगिक संस्थानों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के इस विशेष सुरक्षा बल को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जैसे ही विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा और यह बल आधुनिक सुरक्षा उपकरणों से सुसज्जित होगा। राज्य के विशेष सुरक्षा बल में शामिल लोगों को आधुनिक सुरक्षा तकनीकों और गैजेट्स के बारे में भी बताया जाएगा। इस विशेष बल को राज्य के विभिन्न धार्मिक स्थलों और तीर्थ स्थलों समेत अन्य महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर तैनात किया जाएगा। इस बल का मुख्यालय लखनऊ में स्थित होगा और शुरुआत में इसके केवल पाँच बटालियन ही गठित किये जाएंगे।
विनी महाजन
IAS अधिकारी विनी महाजन को पंजाब की पहली महिला मुख्य सचिव (Chief Secretary) नियुक्त किया गया है। विनी महाजन पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव करण अवतार सिंह का स्थान लेंगी। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व कभी भी किसी महिला को इस पद पर नियुक्त नहीं किया गया था। विनी महाजन पंजाब कैडर की 1987 बैच की IAS अधिकारी हैं। उल्लेखनीय है कि इंडस्ट्रीज़ ऐंड कॉमर्स, इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी, गवर्नेंस रिफॉर्म्स एंड पब्लिक ग्रीवांस और इन्वेस्टमेंट प्रमोशन डिपार्टमेंट में अपर मुख्य सचिव (Additional Chief Secretary) के पद पर तैनात थीं। विनी महाजन भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) कोलकाता की पूर्व स्टूडेंट हैं और उन्होंने वहाँ से मैनेजमेंट (Management) में डिप्लोमा किया है। इससे पहले उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से इकनॉमिक्स में स्नातक किया था। IIM में विनी महाजन को ‘रोल ऑफ ऑनर’ (Roll of Honour) से नवाजा गया था। विनी महाजन को पंजाब का मुख्य सचिव ऐसे समय में नियुक्त किया गया है जब पंजाब समेत संपूर्ण भारत में कोरोना वायरस (COVID-19) का प्रसार काफी तेज़ी से बढ़ता जा रहा है, ऐसे में विनी महाजन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती राज्य में COVID-19 के प्रसार को रोकने की होगी।
एट वन क्लिक
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने राज्य के तकरीबन 13000 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises-MSMEs) की सहायता करने के लिये ‘एट वन क्लिक’ (At One Click) नाम से एक पहल की शुरुआत की है। इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री ने राज्य की MSME इकाइयों और उद्योगों से आह्वान किया है कि वे कोरोना महामारी की इस प्रतिकूलता को एक अवसर में परिवर्तित करने का प्रयास करें। ‘एट वन क्लिक’ नामक इस ऑनलाइन वित्तीय सहायता पहल के तहत गुजरात सरकार द्वारा MSMEs और बड़ी औद्योगिक इकाइयों (कपड़ा उद्योग सहित) को वित्तीय सहायता दी जाएगी। इस पहल के माध्यम से राज्य सरकार राज्य के MSMEs, व्यापारियों, बड़े उद्योगों और व्यवसायों आदि को प्रेरित करके राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने का प्रयास करेगी। इस योजना के लिये राज्य सरकार ने कुल 8,200 करोड़ रुपए की ऋण राशि को मंज़ूरी दी है, जिसमें से 4,175 करोड़ रुपए पहले ही वितरित किये जा चुके हैं।