भारतीय अर्थव्यवस्था
शहरी सहकारी बैंकों पर प्रतिबंध
- 07 Jan 2020
- 6 min read
प्रीलिम्स के लिये:
भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी सहकारी बैंक, Panjab and Maharashtra Cooperative Bank (PMC), त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई, गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ, पूंजी पर्याप्तता अनुपात
मेन्स के लिये:
बैंकिंग विनियमन संबंधी मुद्दे, PCA का बैंकिंग व्यवस्था पर प्रभाव, NPA का बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, पूंजी पर्याप्तता अनुपात और बैंकिंग से संबंधित मुद्दे
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) ने तनावग्रस्त शहरी सहकारी बैंकों (Urban Cooperative Banks- UCBs) की वित्तीय स्थिति में गिरावट के कारण उन पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। ध्यातव्य है कि RBI द्वारा यह कदम PMC (Panjab and Maharashtra Cooperative) बैंक में हालिया संकट के मद्देनज़र उठाया गया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- तनावग्रस्त UCBs पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध, वाणिज्यिक बैंकों पर आरोपित किये जाने वाले त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (Prompt Corrective Action- PCA) के अनुरूप होंगे।
- इस संशोधित पर्यवेक्षी एक्शन फ्रेमवर्क (Supervisory Action Framework-SAF) के तहत UCBs को निम्न तीन मापदंडों के उल्लंघन पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा:
- यदि उनकी गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (Non Performing Asset- NPA) शुद्ध अग्रिमों (Net Advances) के 6% से अधिक हो जाती हैं।
- यदि वे बैंक लगातार दो वित्तीय वर्षों में नुकसान उठा रहे हों।
- उनकी बैलेंस शीट काफी खराब हो तथा पूंजी पर्याप्तता अनुपात (Capital Adequacy Ratio- CAR) 9 प्रतिशत से कम हो।
- साथ ही RBI के अनुसार, प्रशासन में गंभीर मुद्दों के आधार पर भी बैंकों पर प्रतिबंध आरोपित किये जा सकते हैं।
RBI मापदंडों के उल्लंघन पर UCBs को दिये जाने वाले निर्देश
- लाभप्रदता को बहाल करने और संचित घाटे को कम करने तथा 12 महीनों के भीतर पूंजी पर्याप्तता अनुपात को 9% या उससे अधिक बढ़ाने के लिये UCBs को निवल NPA 6% से कम करने एवं बोर्ड द्वारा अनुमोदित कार्ययोजना प्रस्तुत करने के लिये कहा जाएगा।
- UCBs के बोर्ड को तिमाही/मासिक आधार पर कार्ययोजना के तहत प्रगति की समीक्षा करने के लिये कहा जाएगा तथा बोर्ड से समीक्षा प्रगति रिपोर्ट को RBI को प्रस्तुत करने के लिये कहा जाएगा।
- UCBs के पूंजी पर्याप्तता अनुपात के 9 प्रतिशत से कम होने की स्थिति में RBI द्वारा UCBs को अन्य बैंक के साथ विलय करने या क्रेडिट सोसाइटी में परिवर्तित करने के लिये बोर्ड से अनुमोदित प्रस्ताव भी मांगा जा सकता है।
- यदि जोखिम सीमा में से किसी एक का उल्लंघन किया जाता है तो RBI बिना पूर्व स्वीकृति के लाभांश या दान के भुगतान की घोषणा पर प्रतिबंध लगा सकता है।
- अन्य प्रतिबंधों में आवर्ती पूंजीगत व्यय और बैलेंस शीट के विस्तार पर होने वाले जोखिम के आधार पर 100% से अधिक जोखिम वाले ऋणों और अग्रिमों को प्रतिबंधित करना शामिल है।
- RBI के अनुसार, यदि शहरी सहकारी बैंकों (UCB) द्वारा जमाकर्त्ताओं और जनता के हितों से संबंधित अपने सामान्य कामकाज को जारी रखने पर विचार नहीं किया जाता है तो उन बैंकों के विरुद्ध बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35 ए के तहत सभी समावेशी निर्देशों को लागू करने और बैंकिंग लाइसेंस रद्द करने के लिये कारण बताओ नोटिस जारी करने पर विचार किया जा सकता है।
गैर-निष्पादित संपत्तियाँ (Non Performing Assets- NPAs)
- इन्हें अनर्जक आस्ति भी कहा जाता है। इसका तात्पर्य बैंकिंग या वित्त क्षेत्र में लिये गए ऐसे ऋण से है जिसका लौटना संदिग्ध हो।
- बैंक अपने ग्राहकों को जो ऋण प्रदान करता है उसे अपने खाते में संपत्ति के रूप में दर्शाता है। यदि किसी कारणवश बैंक को यह प्रतीत हो कि ग्राहक यह ऋण नहीं लौटा पाएगा तो ऐसे ऋणों को गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ अथवा अनर्जक आस्ति कहा जाता है।
- वास्तव में यह किसी भी बैंक की साख को मापने का एक महत्त्वपूर्ण पैमाना है तथा इसमें वृद्धि होना बैंक के लिये चिंता का विषय बन जाता है। अतः यह आवश्यक है कि बैंक अपने NPA का स्तर न्यूनतम बनाए रखें।
पूंजी पर्याप्तता अनुपात (Capital Adequacy Ratio-CAR)
- CAR, बैंक की उपलब्ध पूंजी का एक माप है जिसे बैंक के जोखिम-भारित क्रेडिट एक्सपोज़र के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- पूंजी पर्याप्तता अनुपात को पूंजी-से-जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (Capital-to-Risk Weighted Assets Ratio- CRAR) के रूप में भी जाना जाता है। इसका उपयोग जमाकर्त्ताओं की सुरक्षा और विश्व में वित्तीय प्रणालियों की स्थिरता और दक्षता को बढ़ावा देने के लिये किया जाता है।