डेली न्यूज़ (28 Mar, 2019)



द्वीपों के लिये नए नियम : IPZ 2019

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने अंडमान और निकोबार के लिये द्वीप संरक्षण क्षेत्र (Island Protection Zone-IPZ), 2019 को अधिसूचित किया है जो बाराटांग, हैवलॉक और कार निकोबार जैसे छोटे द्वीपों में उच्च टाइड लाइन (High Tide Line-HTL) से 20 मीटर की दूरी तथा 50 मीटर की दूरी पर बड़े इको-पर्यटन परियोजनाओं को अनुमति देने के साथ कई नियमों में छूट प्रदान करता है जिस पर पर्यावरण कार्यकर्त्ताओं ने चिंता जाहिर की।

उद्देश्य

  • IPZ में परिवर्तन द्वीपों में समग्र विकास के लिये नीति आयोग के प्रस्ताव के साथ संरेखित किया गया है।
  • सरकार की योजना नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और समुद्री संसाधनों का स्थायी दोहन करना है।
  • इस प्रस्ताव के पहले चरण में पारिस्थितिक रूप से नाजुक द्वीपों में इको-पर्यटन परियोजनाओं के लिये बांध और अन्य बुनियादी ढाँचे का निर्माण शामिल है।

IPZ, 2019

  • 2011 के IPZ अधिसूचना की तुलना में द्वीपों के विकास मानदंडों में 8 मार्च को प्रकाशित IPZ अधिसूचना छूट प्रदान करती है।
  • 2011 की अधिसूचना के अंतर्गत सभी द्वीपों के लिये HTL से 200 मीटर की दूरी पर नो-डेवेलपमेंट ज़ोन (NDZ) निर्धारित किया गया था।
  • यह मुख्य भूमि और बैकवाटर द्वीपों के समतुल्य अन्य द्वीपों के लिये तटीय विनियमन क्षेत्र (Coastal Regulation Zone-CRZ) मानदंडों के साथ अंडमान और निकोबार के लिये मानदंड निर्धारित करता है जहाँ एक NDZ की दूरी HTL से केवल 20 मीटर होती है।
  • केंद्रीय कैबिनेट ने दिसंबर 2018 में CRZ अधिसूचना को मंज़ूरी दी थी जो तटों (coast) पर बुनियादी ढाँचे के विकास और निर्माण की सुविधा के लिये कई प्रावधानों को शिथिल करता है जिसमें तटीय शहरी क्षेत्रों में फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) को आसान करना तथा पहले के 200 मीटर की तुलना में HTL से 50 मीटर की दूरी पर घनी आबादी वाले तटीय ग्रामीण क्षेत्रों में NDZ को कम करना शामिल है।
  • इसमें केवल पाइप लाइनों, ट्रांसमिशन लाइनों, इको सेंसिटिव ज़ोन में बिछाई जाने वाली ट्रांस-हार्बर लिंक की अनुमति थी।

IPZ 2019 अधिसूचना

  • IPZ 2019 की अधिसूचना जो 10 मार्च को आम चुनावों के लिये लागू आदर्श आचार संहिता से एक दिन पहले जारी की गई थी, कई अन्य छूटों के लिये मार्ग प्रशस्त करती है।
  • यह द्वीप तटीय विनियमन क्षेत्र IA (द्वीपों के सबसे पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है जिसमें कछुओं के निवास स्थान, दलदली स्थान, प्रवाल भित्तियाँ आदि शामिल हैं) में मैंग्रोव वॉक, ट्री हट्स और नेचर ट्रेल्स जैसे इको-टूरिज्म गतिविधियों के लिये अनुमति देता है।
  • अधिसूचना में इको सेंसिटिव ज़ोन में रक्षा प्रतिष्ठानों, सार्वजनिक उपयोगिता या रणनीतिक उद्देश्यों से संबंधित असाधारण मामलों में भूमि का पुनर्ग्रहण कर सड़कों के निर्माण की अनुमति दी गई है।
  • नई अधिसूचना कम ज्वार रेखा (Low Tide Line) और HTL के बीच अंतर-ज्वारीय क्षेत्र (Inter-Tidal Zone) में कई नई गतिविधियों की भी अनुमति देती है जिसमें शामिल हैं- बंदरगाह, जेटी (Jetties), घाट, क्वाइल, समुद्री लिंक आदि के लिये भूमि की मरम्मत और फोरेशोर (Foreshore) सुविधाओं के लिये बांध का निर्माण।

IPZ 2019 से संबंधित चिंताएँ

  • 2011 की अधिसूचना के अंतर्गत अंतर-ज्वारीय क्षेत्र में कुछ गतिविधियों जैसे- मछुआरों के लिये झोपड़ियों का निर्माण और परंपरागत रूप से वहाँ रहने वाले लोगों के लिये आवश्यक अन्य सार्वजनिक सुविधाओं की अनुमति दी गई थी।
  • लेकिन इसमें किया गया संशोधन खतरनाक है। इस नई अधिसूचना से इस क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव पड़ेगा जैसे-समुद्री जैव विविधता सहित कोरल और कछुओं के निवास स्थान।

स्रोत : हिंदुस्तान टाइम्स


एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में यूरोपीय संसद ने समुद्र तटों को प्रदूषित करने वाले महासागरों और समुद्रों में उपस्थित एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक कचरों जैसे- कटलरी, स्ट्रा, कपास की कलियों आदि पर प्रतिबंध लगाने के लिये मतदान किया है।

  • उल्लेखनीय है कि मई 2018 में यूरोपीय संघ द्वारा समुद्री जीवन की रक्षा में मदद करने के लिये एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव लाया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • यूरोपीय संसद के सदस्यों (Member of European parliament- MEP) द्वारा किया गया मतदान यूरोपीय संघ के सभी सदस्य देशों में 2021 तक एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • यह प्रतिबंध समुद्री जीवन की रक्षा में मदद हेतु कचरे के खिलाफ एक व्यापक कानून के तहत किया गया है।
  • यूरोपीय संघ का मानना है कि प्लास्टिक कचरा निर्विवाद रूप से एक बड़ा मुद्दा है और इस समस्या से निपटने के लिये यूरोपीय लोगों को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।
  • हर साल यूरोपीय देश 25 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करते हैं, लेकिन रीसाइक्लिंग के लिये 30 प्रतिशत से भी कम एकत्र किया जाता है। समुद्री कूड़े में लगभग 80 प्रतिशत से अधिक प्लास्टिक कचरा होता है।

प्लास्टिक कचरे के निपटान के उपाय

  • समुद्र तटों पर प्लास्टिक कूड़े को लक्षित करने के साथ ही एकल-उपयोग के लिए पर्यावरण में आसानी से विघटित होने वाले पॉलीस्टायरीन कप (Polystyrene Cup) और ऑक्सो-डिग्रेडेबल प्लास्टिक (Oxo-degradable Plastics) के उपयोग का निर्देश दिया है।
  • यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को गर्म पेय पदार्थों के लिये प्लास्टिक खाद्य कंटेनर और प्लास्टिक के ढक्कन के उपयोग को कम करने के लिये उपाय करने होंगे।
  • इस प्रयास के अंतर्गत 2025 तक 25 प्रतिशत तथा 2029 तक 90 प्रतिशत प्लास्टिक की बोतलों का निर्माण पुनर्नवीनीकरण योग्य सामग्री से किया जाएगा।
  • सामान्यतः इस्तेमाल में लाई जाने वाली वस्तुएँ जो प्लास्टिक को मिलाकर बनाई जाएंगी के पैकेजिंग के दौरान ही उपभोक्ताओं को इन वस्तुओं के गलत तरीके से निपटाने से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान की चेतावनी दी जाएगी।
  • ‘प्रदूषण भुगतान’ सिद्धांत को मछली पकड़ने हेतु जाल के निर्माताओं तक बढ़ाया जाएगा ताकि कंपनियां समुद्र में खोए जाल की लागत का भुगतान करेंगे।
  • यूरोपीय आयोग द्वारा महासागरों और समुद्रों में कूड़ा एवं प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिये निर्धारित मानक शेष दुनिया के लिये मार्ग प्रशस्त करेंगे।

स्रोत- द हिंदू


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (28 March)

  • भारत और अमेरिका ने एक महत्त्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। यह समझौता भारत और अमेरिका के बीच अंतर-सरकारी एग्रीमेंट (Inter-Governmental Agreement) है। इसके बाद दोनों देशों के बीच कंट्री-बाइ-कंट्री (CbC) रिपोर्टों का आदान-प्रदान सुगमता से हो सकेगा। इसका सीधा लाभ देनों देशों में मौजूद बहुराष्ट्रीय कंपनियों को मिलेगा। इस समझौते के साथ द्विपक्षीय सक्षम प्राधिकरण की व्यवस्था भी भारत-अमेरिका के बीच लागू हो जाएगी। यह समझौता 1 जनवरी, 2016 को या उसके बाद संबंधित न्यायालयों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अंतिम मूल संस्थाओं द्वारा दायर CbC रिपोर्टों पर लागू होगा। आपको बता दें कि ट्रांसफर प्राइसिंग डॉक्यूमेंटेशन और CbC रिपोर्टिंग, बहुराष्ट्रीय उद्यमों (MNEs) को सालाना रिपोर्ट दायर करने तथा प्रत्येक कर-क्षेत्र के लिये एक रूपरेखा प्रदान करती है। इसमें वे व्यापार की जानकारी साझा करते हैं।
  • भारत और दक्षिण कोरिया के बीच इसी वर्ष फरवरी में स्टार्टअप सहयोग पर हुए समझौते को भारत सरकार ने मंज़ूरी दे दी है। इस समझौते से दोनों देशों के स्टार्टअप उद्योगों के बीच द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने में आसानी होगी और इसे बढ़ावा मिलेगा। यह दोनों देशों के राष्ट्रीय कानूनों और नियमों तथा प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय संधियों और समझौतों पर आधारित होगा। इसका उद्देश्य दोनों देशों के स्टार्टअप के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना और भारत में एक कोरिया स्टार्टअप सेंटर की स्थापना करना है ताकि स्टार्टअप कंपनियों के विचार, तकनीक और डिज़ाइन का वाणिज्यीकरण किया जा सके।
  • मादक पदार्थों की तस्करी की रोकथाम के लिये भारत और इंडोनेशिया मिलकर काम करने पर सहमत हो गए हैं। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच हुआ MoU अमल में आ गया है। इस समझौते से मादक पदार्थों के नियमन तथा मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिये परस्पर सहयोग में मदद मिलेगी। आपको बता दें कि भारत ने 37 देशों के साथ ऐसी संधियों/सहमति पत्रों/समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। इस सहमति पत्र के तहत सहयोग के रूप में मादक पदार्थों, नशीले पदार्थों की अवैध तस्करी और इनकी आवाजाही से निपटने में दोनों देशों के राष्ट्रीय कानूनों के मौजूदा वैधानिक प्रावधानों पर आधारित विवरण का आदान-प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा दोनों देश मादक पदार्थों, नशीले पदार्थों की अवैध तस्करी और इनकी आवाजाही तथा अनिवार्य रसायनों, धनशोधन (मनी लॉन्डरिंग) के काम में शामिल लोगों की पहचान करने की दृष्टि से नियंत्रित वितरण संचालन प्रक्रिया अपनाकर एक-दूसरे को अनुमति देंगे और सहायता करेंगे। इसमें प्राप्त सूचनाओं और दस्तावेजों की गोपनीयता कायम रखने का प्रावधान भी किया गया है।
  • स्कैंडिनेवियाई देश नॉर्वे की राजधानी ओस्लो इलेक्ट्रिक टैक्सियों के लिये वायरलेस चार्जिंग की सुविधा उपलब्ध कराने वाला दुनिया का पहला शहर बन गया है। नॉर्वे सरकार ने एक प्रोजेक्ट के तहत ओस्लो शहर की सड़कों पर इंडक्शन टेक्नोलॉजी के साथ चार्जिंग प्लेट इंस्टॉल किया है, जहां इलेक्ट्रिक कार को चार्ज किया जा सकता है। कुल 52 लाख जनसंख्या वाले नॉर्वे में वहाँ की सरकार ने देश को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये एक प्रोजेक्ट तैयार किया है। वहाँ इलेक्ट्रिक कार चार्जिंग स्टेशन का पुख्ता इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराकर लोगों में इलेक्ट्रिक कार खरीदने को बढ़ावा देने के लिये टैक्स और अन्य छूट दी जाती है। इसी का नतीजा है कि 2018 में नॉर्वे में 46,143 नई इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री हुई। आज नॉर्वे दुनिया में सबसे अधिक इलेक्ट्रिक कारें रखने वाला देश है और वहाँ 2023 तक शून्य उत्सर्जन प्रणाली कायम करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में विश्व के सबसे बड़े ई-वेस्ट रिसाइक्लिंग (पुनर्चक्रण) हब की शुरुआत हुई। एनवायरोसर्व कंपनी द्वारा दुबई इंडस्ट्रियल पार्क में खोले गए ई-वेस्ट रिसाइक्लिंग प्लांट पर 5 मिलियन डॉलर की लागत आई है। यहाँ Waste Electrical and Electronic Equipment (WEEE), IT Asset Disposition (ITAD), कोल्ड गैस और विशेष प्रकार के वेस्ट का पुनर्चक्रण किया जाएगा। इस रिसाइक्लिंग हब की प्रसंस्करण क्षमता 100,000 टन प्रतिवर्ष है, जिसमें से 39 हज़ार टन ई-वेस्ट होगा। यह परियोजना स्विस गवर्नमेंट एक्सपोर्ट फाइनेंस एजेंसी द्वारा समर्थित है। जब हम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को लंबे समय तक प्रयोग करने के पश्चात उसको बदलने/खराब होने पर दूसरा नया उपकरण प्रयोग में लाते हैं तो निष्प्रयोज्य खराब उपकरण को ई-वेस्ट कहा जाता है। इसमें कंप्यूटर, मोबाइल फोन, प्रिंटर्स, फोटोकॉपी मशीन, इन्वर्टर, यूपीएस, एलसीडी/टेलीविज़न, रेडियो/ट्रांज़िस्टर, डिजिटल कैमरा आदि शामिल हैं।
  • केन्या के विज्ञान शिक्षक पीटर तबीची को ग्लोबल टीचर प्राइज़ दिया गया है। यह पुरस्कार पाने वाले वह पहले अफ्रीकी हैं। दुबई में हुए समारोह में पीटर तबीची को लगभग सात करोड़ रुपए बतौर पुरस्कार दिये गए। उन्हें इस पुरस्कार के लिये 10 हज़ार अन्य आवेदक शिक्षकों में से चुना गया। वह अपनी आय का 80 % हिस्सा केन्या के गाँव पिवानी के अनाथ औैर गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिये देते हैं। पिवानी केन्या का ऐसा इलाका है, जहाँ का हर तीसरा बच्चा अनाथ है या उसके माता-पिता में से कोई एक जीवित नहीं है। यह इलाका प्रायः सूखाग्रस्त रहता है। पीटर तबीची जिस स्कूल में पढ़ाते हैं, उसमें संसाधन के नाम पर एक कंप्यूटर औैर बीच-बीच में कट जाने वाला इंटरनेट कनेक्शन और कुछ मेज़-कुर्सियाँ ही हैं। इसके बावजूद वे 11 से 16 वर्ष तक के बच्चों को पढ़ाते हैं। आपको बता दें कि ग्लोबल टीचर प्राइज़ शिक्षकों को दिये जाने वाले दुनिया के बड़े अवॉर्ड में से एक है। यह पुरस्कार हर साल शैक्षणिक संस्थान वर्के फाउंडेशन (Verkey Foundation) द्वारा दिया जाता है।
  • प्रख्यात साहित्यकार और सामजिक कार्यकर्त्ता रमणिका गुप्ता का दिल्ली में 89 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया। वह साहित्य, समाजसेवा और राजनीति सहित कई क्षेत्रों से जुड़ी हुई थीं। उन्होंने स्त्री विमर्श पर बेहतरीन काम किया और वह सामाजिक सरोकारों की पत्रिका ‘युद्धरत आम आदमी’ की संपादक भी थीं। उन्होंने झारखंड के हज़ारीबाग के कोयलांचल से मजदूर आंदोलनों को साहित्य के ज़रिये राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाने का काम किया। बिहार विधानसभा और विधान परिषद् में विधायक रही रमणिका गुप्ता की आत्मकथा ‘हादसे और आपहुदरी’ बेहद लोकप्रिय पुस्तक मानी जाती है। इसके अलावा, उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘भीड़ सतर में चलने लगी है’, ‘तुम कौन’, ‘तिल-तिल नूतन’, ‘मैं आजाद हुई हूं’, ‘अब मूरख नहीं बनेंगे हम’, ‘भला मैं कैसे मरती’, ‘आदम से आदमी तक’, ‘विज्ञापन बनते कवि’, ‘कैसे करोगे बँटवारा इतिहास का’, ‘दलित हस्तक्षेप’, ‘निज घरे परदेसी’, ‘सांप्रदायिकता के बदलते चेहरे’, ‘कलम और कुदाल के बहाने’, ‘दलित हस्तक्षेप’, ‘दलित चेतना- साहित्यिक और सामाजिक सरोकार’, ‘दक्षिण- वाम के कठघरे’ और ‘दलित साहित्य’, ‘असम नरसंहार-एक रपट’, ‘राष्ट्रीय एकता’, ‘विघटन के बीज’ शामिल हैं।