पोषण अभियान
प्रिलिम्स के लिये:आँगनवाड़ी केंद्र, पोषण वाटिका, पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन), पोषण 2.0, एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (ICDS)। मेन्स के लिये:पोषण अभियान का महत्त्व । |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आयुष मंत्रालय के साथ संयुक्त रूप से महिला और बाल विकास मंत्रालय (MWCD) के विभिन्न हस्तक्षेपों के तहत लगभग 4.37 लाख आँगनवाड़ी केंद्रों ने पोषण वाटिका की स्थापना की गई है।
- वर्तमान में जारी पोषण माह 2022 के तहत देश भर में बैकयार्ड पोल्ट्री/मत्स्य पालन इकाइयों के साथ पोषण वाटिका की स्थापना के लिये बड़े पैमाने पर कई कार्यकलाप किये जा रहे हैं।
- इसके अतिरिक्त, अब तक 6 राज्यों के कुछ चयनित ज़िलों में 1.10 लाख औषधीय पौधे भी लगाए जा चुके हैं।
पोषण माह:
- पोषण अभियान के अंतर्गत हर साल सितंबर के महीने में राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जाता है।
- इसमें प्रसवपूर्व देखभाल, इष्टतम स्तनपान, एनीमिया, विकास निगरानी, लड़कियों की शिक्षा, आहार, शादी की सही उम्र, स्वच्छता और स्वस्थ भोजन (खाद्य पोषण) पर केंद्रित एक महीने की गतिविधियाँ शामिल है।
- ये गतिविधियाँ सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन संचार (Social and Behavioural Change Communication- SBCC) पर ध्यान केंद्रित करती हैं तथा जन आंदोलन दिशा-निर्देशों पर आधारित होती हैं।
- SBCC ज्ञान, दृष्टिकोण, मानदंड, विश्वास और व्यवहार में परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिये संचार दृष्टिकोण का एक रणनीतिक उपयोग है।
पोषण वाटिका:
- विषय:
- पोषण वाटिका का अर्थ है भूमि का वह छोटा टुकड़ा जहाँ घर के लोग सब्जियाँ उगाते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि परिवार में सभी विशेष रूप से बच्चे और महिलाएँ कुपोषण का शिकार न हों।
- उद्देश्य:
- इसका मुख्य उद्देश्य जैविक रूप से घरेलू सब्जियों और फलों के माध्यम से पोषण की आपूर्ति करना है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहे।
- कार्यान्वयन:
- आँगनवाड़ियों, स्कूल परिसरों और ग्राम पंचायतों में उपलब्ध स्थान में सभी हितधारकों द्वारा पोषण वाटिका के लिये वृक्षारोपण अभियान चलाया जाएगा।
पोषण अभियान:
- विषय:
- 8 मार्च, 2018 को सरकार द्वारा पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) शुरू किया गया था।
- लक्ष्य:
- इसका उद्देश्य स्टंटिंग, अल्पपोषण, एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोर लड़कियों के बीच) तथा जन्म के समय वजन में कमी को क्रमशः 2%, 2%, 3% और 2% प्रतिवर्ष कम करना है।
- इस मिशन का लक्ष्य 2022 तक 0-6 आयु वर्ग के बच्चों में स्टंटिंग को 38.4% से घटाकर 25% करना है।
- पोषण अभियान का उद्देश्य प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा सेवा वितरण और हस्तक्षेप, अभिसरण के माध्यम से व्यवहार परिवर्तन तथा विभिन्न निगरानी मापदंडों में प्राप्त किये जाने वाले विशिष्ट लक्ष्यों को सुनिश्चित करना है।
- इस अभियान के तहत ज़िले के अधिकारियों के साथ समन्वय करने और देश भर में अभियान के तेज़ और कुशल निष्पादन के लिये प्रत्येक ज़िले में स्वस्थ भारत प्रेरक तैनात किये जाएँगे। स्वस्थ भारत प्रेरक अभियान के कार्यान्वयन में तेज़ी लाने के लिये उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेंगे।
- पोषण 2.0:
- परिचय:
- संचालन में तालमेल बनाने और पोषण सेवा तंत्र में एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने के लिये सरकार ने पोषण 2.0 मिशन के तहत पूरक पोषण कार्यक्रम एवं पोषण अभियान जैसे समान उद्देश्यों के साथ विभिन्न कार्यक्रमों को समायोजित किया है।
- घटक:
- अभिसरण: यह अभियान, MWCD की सभी पोषण संबंधी योजनाओं की लक्षित आबादी पर अभिसरण सुनिश्चित करना है। अभियान विभिन्न कार्यक्रमों के अभिसरण को भी सुनिश्चित करेगा।
- एकीकृत बाल विकास सेवाएँ-सामान्य अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (ICDS-CAS): पोषण की स्थिति की सॉफ्टवेयर आधारित निगरानी की जाएगी।
- व्यवहार परिवर्तन: अभियान को जन आंदोलन के रूप में चलाया जाएगा जहाँ लोगों की सामूहिक भागीदारी वांछित है। जागरूकता को बढ़ावा देने और मुद्दों को संबोधित करने के लिये प्रत्येक माह समुदाय आधारित कार्यक्रम का आयोजन होगा।
- प्रोत्साहन: अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्त्ताओ को उनके प्रदर्शन हेतु प्रोत्साहन दिया जाएगा।
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: 21 विषयगत मॉड्यूल प्रशिक्षण के लिये वृद्धिशील शिक्षण दृष्टिकोण अपनाया जाएगा तथा अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्त्ताओं को प्रमुख प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा।
- शिकायत निवारण: किसी भी समस्या के समाधान तक आसान पहुँच के लिये एक कॉल सेंटर स्थापित किया जाएगा।
- परिचय:
पोषण अभियान की आवश्यकता:
- बच्चों में कुपोषण और एनीमिया:
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey-NFHS)-5 के अनुसार, भारत में पिछले कुछ वर्षों में मामूली सुधार के बावजूद, अस्वीकार्य रूप स्टंटिंग (बौनापन) के मामले बड़ी संख्या में देखे गए हैं।
- वर्ष 2019-21 में पाँच वर्ष से कम उम्र के 35.5% बच्चे स्टंटिंग से पीड़ित थे और 32.1% कम वजन के थे।
- वैश्विक पोषण रिपोर्ट-2021:
- वैश्विक पोषण रिपोर्ट (Global Nutrition Report-GNR), 2021 के अनुसार, भारत ने एनीमिया और चाइल्डहुड वेस्टिंग (Childhood Wasting) पर कोई प्रगति नहीं की है।
- भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के 17% से अधिक बच्चे चाइल्डहुड वेस्टिंग के कारण प्रभावित होते हैं।
- NFHS 2019-21 के आँकड़ों से पता चलता है कि एनीमिया में सबसे अधिक वृद्धि 6-59 माह की उम्र के बच्चों में हुई जो NFHS-4 (2015-16) के 58.6% से बढ़कर, NFHS-5 में 67.1% हो गई है।
- मानव पूंजी सूचकांक (2020):
- मानव पूंजी सूचकांक में भारत 180 देशों में 116वें स्थान पर है।
- मानव पूंजी में मानव द्वारा अर्जित ज्ञान, कौशल और स्वास्थ्य को शामिल किया जाता है, जिससे उन्हें समाज के उत्पादक ईकाई के रूप में अपनी क्षमता का एहसास होता है।
- मानव पूंजी सूचकांक में भारत 180 देशों में 116वें स्थान पर है।
- वैश्विक पोषण रिपोर्ट (Global Nutrition Report-GNR), 2021 के अनुसार, भारत ने एनीमिया और चाइल्डहुड वेस्टिंग (Childhood Wasting) पर कोई प्रगति नहीं की है।
संबंधित सरकारी पहलें:
- प्रधानमंत्री- पोषण योजना (PMY)
- एनीमिया मुक्त भारत अभियान
- मध्याह्न भोजन (MDM) योजना
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY)
आगे की राह
- देश में कुपोषण और खाद्य असुरक्षा के लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों के समाधान के लिये सक्रिय उपाय किये जाने की आवश्यकता है।
- सामाजिक-आर्थिक कारकों के प्रभावों के साथ ही महामारी के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए संरचित, समयबद्ध एवं स्थान-विशिष्ट रणनीतियाँ तैयार करना।
- एक व्यापक दृष्टिकोण का निर्माण भी इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम होगा, जो पोषण के विभिन्न क्षेत्रों और आयामों को संबोधित करेगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):प्रिलिम्स:प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन' के उद्देश्य हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: A व्याख्या:
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स्रोत: पी.आई.बी.
ऑपरेशन मेघ चक्र
प्रिलिम्स के लिये:मेघ चक्र, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंसेज़ एक्ट 2012 (पॉक्सो-अधिनियम)। मेन्स के लिये:बाल यौन शोषण से संबंधित मुद्दे और निवारक उपाय / पहल। |
चर्चा में क्यों?
एक ऑपरेशन जिसका कोड-नाम "मेघ चक्र" है, न्यूज़ीलैंड के अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के आधार पर इंटरपोल की सिंगापुर विशेष इकाई से प्राप्त जानकारी के बाद चलाया जा रहा है।
- यह बाल यौन शोषण सामग्री (CSAM) के प्रसार और उसे साझा करने के खिलाफ केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) द्वारा संचालित एक अखिल भारतीय अभियान है।
ऑपरेशन मेघ चक्र के प्रमुख बिंदु:
- 20 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में 59 स्थानों पर तलाशी ली गई।
- यह आरोप लगाया गया है कि बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक क्लाउड-आधारित भंडारण का उपयोग करके बाल यौन शोषण सामग्री (CSAM) के ऑनलाइन संचलन , डाउनलोडिंग और प्रसारण में शामिल थे।
- इस ऑपरेशन का उद्देश्य भारत में विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों से जानकारी एकत्र करना, वैश्विक स्तर पर संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ जुड़ना और इस मुद्दे पर इंटरपोल चैनलों के माध्यम से निकटता से समन्वय करना है।
- जाँच में 500 से अधिक समूहों की पहचान की गई थी, जिनमें 5000 से अधिक अपराधी और लगभग 100 देशों के नागरिक भी शामिल थे।
- नवंबर 2021 में CBI द्वारा "ऑपरेशन कार्बन" नामक ऐसे ही एक अभ्यास कोड का संचालन किया गया था।
बाल यौन शोषण से जुड़े मुद्दे:
- बहुस्तरीय समस्या: बाल यौन शोषण एक बहुस्तरीय समस्या है जो बच्चों की शारीरिक सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, कल्याण और व्यवहार संबंधी पहलुओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
- डिजिटल प्रौद्योगिकियों के कारण प्रवर्धन: मोबाइल और डिजिटल प्रौद्योगिकियों ने बाल शोषण एवं दुर्व्यवहार को और बढ़ा दिया है। ऑनलाइन शरारत, उत्पीड़न तथा चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे बाल शोषण के नए रूप भी सामने आए हैं।
- अप्रभावी कानून: हालाँकि भारत सरकार ने यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 (POCSO अधिनियम) बनाया है, लेकिन यह बच्चों को यौन शोषण से बचाने में विफल रही है। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
- कम सज़ा दर: विगत 5 वर्षों के औसत को देखें तो लंबित मामलों की संख्या 90% है, इस प्रकार POCSO अधिनियम के तहत दोषसिद्धि की दर केवल 32% है।
- न्यायिक विलंब: कठुआ बलात्कार मामले में मुख्य आरोपी को दोषी ठहराने में 16 महीने लग गए, जबकि पॉक्सो अधिनियम में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि पूरी सुनवाई और दोषसिद्धि की प्रक्रिया एक साल में पूरी की जानी है।
- बच्चे के लिये प्रतिकूल: बच्चे की आयु-निर्धारण से संबंधित चुनौतियाँ। विशेष रूप से ऐसे कानून जो जैविक उम्र पर ध्यान केंद्रित करते हैं, न कि मानसिक उम्र पर।
यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012:
- यह बच्चों के हितों की रक्षा और भलाई के लिये बच्चों को यौन उत्पीड़न, दुर्व्याव्हार एवं अश्लील साहित्य के अपराधों से बचाने के लिये अधिनियमित किया गया था।
- यह अठारह वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को बच्चे के रूप में परिभाषित करता है और बच्चे के स्वस्थ शारीरिक, भावनात्मक, बौद्धिक एवं सामाजिक विकास को सुनिश्चित करने के लिये हर स्तर पर बच्चे के सर्वोत्तम हित तथा कल्याण को सर्वोपरि मानता है।
- यह यौन शोषण के विभिन्न रूपों को परिभाषित करता है, जिसमें भेदक और गैर-मर्मज्ञ हमले, साथ ही यौन उत्पीड़न एवं अश्लील साहित्य शामिल हैं।
- ऐसा लगता है कि कुछ परिस्थितियों में यौन आक्रमण बढ़ गए हैं, जैसे कि जब दुर्व्यवहार का सामना करने वाला बच्चा मानसिक रूप से बीमार होता है अथवा जब दुर्व्यवहार परिवार के किसी सदस्य, पुलिस अधिकारी, शिक्षक या डॉक्टर जैसे विश्वसनीय लोगों द्वारा किया जाता है।
- यह जाँच प्रक्रिया के दौरान पुलिस को बाल संरक्षक की भूमिका भी प्रदान करता है।
- अधिनियम में कहा गया है कि बाल यौन शोषण के मामले का निपटारा अपराध की रिपोर्ट की तारीख से एक वर्ष के भीतर किया जाना चाहिये।
- अगस्त 2019 में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के लिये मृत्यु दंड सहित कठोर सज़ा देने के लिये इसमें संशोधन किया गया था।
संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
- संविधान प्रत्येक बच्चे को सम्मान के साथ जीने का अधिकार (अनुच्छेद 21), व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21), निजता का अधिकार (अनुच्छेद 21), समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14), भेदभाव (अनुच्छेद 15) और शोषण के विरुद्ध (अनुच्छेद 23 व 24) अधिकार की गारंटी प्रदान करता है।
- 6-14 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों के लिये निःशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21 A)।
- राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों और विशेष रूप से अनुच्छेद 39 (F) यह सुनिश्चित करने के लिये राज्य पर एक दायित्व आरोपित करता है कि बच्चों को समग्र तरीके से स्वतंत्रता और गरिमापूर्ण स्थिति में विकसित होने के अवसर एवं सुविधाएँ प्रदान की जाएँ तथा बचपन व युवावस्था में शोषण तथा नैतिक एवं भौतिक परित्याग के विरुद्ध संरक्षण प्रदान किया जाए।
संबंधित पहलें:
- बाल शोषण रोकथाम एवं जाँच इकाई
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
- किशोर न्याय अधिनियम/देखभाल और संरक्षण अधिनियम, 2000
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (2006)
- बाल श्रम निषेध एवं विनियमन अधिनियम, 2016
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):भारत के संविधान में शोषण के खिलाफ अधिकार द्वारा निम्नलिखित में से किसकी परिकल्पना की गई है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (c) व्याख्या:
अतः विकल्प (c) सही है। |
स्रोत: द हिंदू
अंबेडकर सर्किट
प्रिलिम्स के लिये:अंबेडकर सर्किट, पंचतीर्थ, महाड सत्याग्रह, पूना पैक्ट, स्वदेश दर्शन योजना। मेन्स के लिये:डॉ. बीआर अंबेडकर का योगदान। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने अंबेडकर सर्किट नामक एक विशेष पर्यटक सर्किट की घोषणा की जिसमें डॉ. भीम राव अंबेडकर से संबंधित पाँच प्रमुख स्थलों को शामिल किया गया है।
अंबेडकर सर्किट:
- परिचय:
- सरकार ने पहली बार वर्ष 2016 में अंबेडकर सर्किट या पंचतीर्थ का प्रस्ताव रखा था, लेकिन हाल ही में इस योजना की अवधारणा प्रस्तुत की गई है।
- सरकार द्वारा घोषित पर्यटन सर्किट के पाँच शहर हैं:
- जन्मभूमि- मध्य प्रदेश के महू में अंबेडकर का जन्मस्थान।
- शिक्षा भूमि- लंदन में वह स्थान जहाँ वह अपने अध्ययन काल में रहते थे।
- दीक्षा भूमि- नागपुर में वह स्थान जहाँ उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण किया।
- महापरिनिर्वाण भूमि- दिल्ली में उनके निधन का स्थान।
- चैत्य भूमि- मुंबई में उनके अंतिम संस्कार का स्थान।
- महत्त्व:
- पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करना:
- इसका उद्देश्य दलित समुदाय के अलावा पर्यटकों को आकर्षित करना है, जो ज़्यादातर इन स्थानों पर तीर्थ यात्रा के लिये आते हैं।
- यात्रा में भोजन, परिवहन और स्थल पर प्रवेश शामिल होगा।
- क्षेत्र का विकास:
- विशेष सर्किट के निर्माण से सरकार को बुनियादी ढाँचे, सड़क और रेल संपर्क एवं आगंतुक सुविधाओं सहित विषय से संबंधित सभी स्थलों के विकास पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिलती है।
- पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करना:
अंबेडकर सर्किट से संबंधित मुद्दे:
- सरकार के स्थानीय और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना:
- विभिन्न दलित विद्वानों और अंबेडकरवादियों ने तर्क दिया कि इसमें शामिल पाँच स्थल अंबेडकर की वास्तविक विरासत के साथ न्याय नहीं करते हैं ये केवल सरकार के "स्थानीय और राष्ट्रवादी" छवि का तुष्टिकरण करते हैं।
- अन्य महत्त्वपूर्ण स्थलों को मान्यता:
- आलोचकों का दावा है कि कई अन्य स्थल हैं जिन्हें अभी तक मान्यता प्राप्त नहीं हुई जैसे:
- महाराष्ट्र का रायगढ़ ज़िला, जहाँ डॉ. अंबेडकर ने महाड सत्याग्रह का नेतृत्व किया था,
- पुणे, जहाँ उन्होंने यरवदा जेल में महात्मा गांधी के साथ दलित वर्गों के लिये एक अलग निर्वाचक मंडल के विषय पर पहली बार बातचीत की थी।
- इसी का परिणाम दलित वर्गों की ओर से डॉ अंबेडकर द्वारा और उच्च जाति के हिंदुओं की ओर से मदन मोहन मालवीय द्वारा हस्ताक्षरित पूना पैक्ट था।
- श्रीलंका, जहाँ उन्होंने एक बौद्ध सम्मेलन में भाग लिया, के बारे में कहा जाता है कि इसने उन्हें बौद्ध धर्म अपनाने के लिये प्रभावित किया।
- कोल्हापुर, जहाँ मार्च 1920 में एक और महान समाज सुधारक छत्रपति शाहूजी महाराज ने डॉ अंबेडकर को भारत में उत्पीड़ित वर्गों के सच्चे नेता के रूप में घोषित किया।
- आलोचकों का दावा है कि कई अन्य स्थल हैं जिन्हें अभी तक मान्यता प्राप्त नहीं हुई जैसे:
अन्य पर्यटन सर्किट:
- सरकार ने वर्ष 2014-15 में स्वदेश दर्शन योजना के तहत 15 पर्यटन सर्किटों की पहचान की थी।
- रामायण और बौद्ध सर्किट के अलावा अन्य में तटीय सर्किट, डेजर्ट सर्किट, इको सर्किट, हेरिटेज, नॉर्थ ईस्ट, हिमालयन, सूफी, कृष्णा, ग्रामीण, आदिवासी और तीर्थंकर सर्किट शामिल हैं।
- ट्रेन सहयोग के मामले में रामायण, बौद्ध और पूर्वोत्तर सर्किट पहले से ही सक्रिय हैं, जबकि चौथा अंबेडकर सर्किट होगा।
डॉ. भीमराव अंबेडकर:
- परिचय:
- बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म वर्ष 1891 में महू, मध्य प्रांत (अब मध्य प्रदेश) में हुआ था।
- उन्हें ‘भारतीय संविधान का जनक’ माना जाता है और वह भारत के पहले कानून मंत्री थे।
- वह संविधान निर्माण की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे।
- डॉ. अंबेडकर एक समाज सुधारक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, लेखक, बहुभाषाविद, मुखर वक्ता, विद्वान और धर्मों के विचारक थे।
- उन्होंने तीनों गोलमेज सम्मेलनों (Round Table Conferences) में भाग लिया।
- वर्ष 1932 में डॉ. अंबेडकर ने महात्मा गांधी के साथ पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किये, जिससे उन्होंने दलित वर्गों (सांप्रदायिक पंचाट) हेतु पृथक निर्वाचन मंडल की मांग के विचार को छोड़ दिया।
- हालाँकि प्रांतीय विधानमंडलों में दलित वर्गों के लिये सुरक्षित सीटों की संख्या 71 से बढ़ाकर 147 कर दी गई तथा केंद्रीय विधानमंडल (Central Legislature) में दलित वर्गों की सुरक्षित सीटों की संख्या में 18 प्रतिशत की वृद्धि की गई।
- हिल्टन यंग कमीशन (Hilton Young Commission) के समक्ष प्रस्तुत उनके विचारों ने भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) की नींव रखने का कार्य किया।
- उन्होंने वर्ष 1951 में हिंदू कोड बिल पर मतभेदों के कारण कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।
- उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया। चैत्य भूमि मुंबई में स्थित भीमराव अंबेडकर का स्मारक है।
- वर्ष 1936 में वे विधायक (MLA) के रूप में बॉम्बे विधानसभा (Bombay Legislative Assembly) के लिये चुने गए।
- वर्ष 1942 में उन्हें एक कार्यकारी सदस्य के रूप में वायसराय की कार्यकारी परिषद में नियुक्त किया गया था।
- वर्ष 1947 में डॉ. अंबेडकर ने स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बनने हेतु प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निमंत्रण को स्वीकार किया।
- हिंदू कोड बिल (Hindu Code Bill) पर मतभेद को लेकर उन्होने वर्ष 1951 में कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।
- उन्होंने बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया तथा 6 दिसंबर, 1956 (महापरिनिर्वाण दिवस) को उनका निधन हो गया।
महत्त्वपूर्ण कार्य:
- पत्रिकाएँ:
- मूकनायक (1920)
- बहिष्कृत भारत' (1927)
- समता (1929)
- जनता (1930)
- पुस्तकें:
- जाति प्रथा का विनाश
- बुद्ध या कार्ल मार्क्स
- अछूत: वे कौन थे और अछूत कैसे बन गए
- बुद्ध और उनके धम्म
- हिंदू महिलाओं का उदय और पतन
- संगठन:
- बहिष्कृत हितकारिणी सभा (1923)
- स्वतंत्र लेबर पार्टी (1936)
- अनुसूचित जाति फेडरेशन (1942)
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. निम्नलिखित में से किन दलों की स्थापना डॉ. बी आर अंबेडकर ने की थी? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: B
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। |
स्रोत: द हिंदू
दोहरा क्षुद्रग्रह पुनर्निर्देशन परीक्षण (DART) मिशन: नासा
प्रिलिम्स के लिये:दोहरा क्षुद्रग्रह पुनर्निर्देशन परीक्षण, नासा, क्षुद्रग्रह डिमोर्फोस, ग्रहों की रक्षा की 'गतिज प्रभाव' विधि। मेन्स के लिये:दोहरा क्षुद्रग्रह पुनर्निर्देशन परीक्षण मिशन और इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) अपना दोहरा क्षुद्रग्रह पुनर्निर्देशन परीक्षण (DART) मिशन लॉन्च करने वाला है।
मुख्य बिंदु:
- यह ग्रहों की रक्षा का पहली 'गतिज प्रभाव' (Kinetic Impactor) विधि है, जिसमें एक डार्ट अंतरिक्षयान क्षुद्रग्रह डिमोर्फोस से टकराएगा।
- 'गतिज प्रभाव' विधि में एक या एक से अधिक बड़े, उच्च गति वाले अंतरिक्षयान को पृथ्वी के निकट कक्षीय पथ में भेजना शामिल है। यह क्षुद्रग्रह को एक अलग प्रक्षेपवक्र में विक्षेपित कर सकता है, इसे पृथ्वी के कक्षीय पथ से दूर ले जा सकता है।
- डार्ट की टक्कर से प्राप्त डेटा की तुलना वैज्ञानिकों द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कंप्यूटर सिमुलेशन के डेटा से की जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि वास्तविक खतरनाक क्षुद्रग्रह के मामले में यह गतिज प्रभावकारी विधि एक व्यवहार्य विकल्प रहेगा या नहीं।
- वैज्ञानिकों को अभी तक डिमोर्फोस के सटीक द्रव्यमान का पता नहीं है लेकिन इसके लगभग पाँच अरब किलोग्राम होने का अनुमान है। डार्ट अंतरिक्षयान का वजन लगभग 600 किलोग्राम है।
डार्ट (DART) मिशन:
- परिचय:
- ‘DART’ एक कम लागत वाला अंतरिक्षयान है।
- इसमें दो सोलर ऐरेज़ शामिल हैं और अंतरिक्षयान के संचालन के लिये ये हाइड्राज़ीन प्रणोदक का उपयोग करते हैं।
- इसमें लगभग 10 किलोग्राम ‘ज़ेनॉन’ (Xenon) भी होता है जिसका उपयोग नए थ्रस्टर्स को प्रदर्शित करने के लिये किया जाएगा, जिसे ‘नासा इवोल्यूशनरी ज़ेनॉन थ्रस्टर-कमर्शियल (NEXT-C) कहा जाता है।
- NEXT-C ग्रेडेड आयन थ्रस्टर सिस्टम प्रदर्शन और अंतरिक्षयान एकीकरण क्षमताओं का एक संयोजन प्रदान करता है, जो इसे अंतरिक्ष रोबोट मिशन के लिये विशिष्ट रूप से अनुकूल बनाता है।
- अंतरिक्षयान में एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजर होता है जिसे ‘डिडिमोस रिकोनिसेंस एंड एस्ट्रॉयड कैमरा फॉर ऑप्टिकल नेविगेशन’ (DRACO) कहा जाता है।.
- ‘DRACO’ से प्राप्त इमेज वास्तविक समय में पृथ्वी पर भेजी जाएंगी और ये डिमोर्फोस (लक्ष्य क्षुद्रग्रह) के प्रभाव स्थल एवं सतह का अध्ययन करने में मदद करेंगी।
- साथ ही यह मिशन लाइट इटालियन क्यूबसैट फॉर इमेजिंग ऑफ एस्ट्रॉयड (LICIACube) नामक एक छोटा उपग्रह या क्यूबसैट भी ले जाएगा।
- ‘LICIACube’ से टक्कर के परिणामस्वरूप उत्पन्न प्रभाव और इससे निर्मित क्रेटर की छवियों को कैप्चर करेगा।
- लक्ष्य:
- यह एक ऐसी तकनीक है जो एक क्षुद्रग्रह को पृथ्वी से टकराने से रोक सकती है।
- इसका उद्देश्य एक ऐसी तकनीक का परीक्षण करना है जो पृथ्वी की ओर आने वाले क्षुद्रग्रहों को विक्षेपित कर सके।
- इस मिशन का उद्देश्य भविष्य में पृथ्वी की ओर किसी क्षुद्रग्रह के आने की स्थिति में तैयार की जाने वाली नई तकनीक का परीक्षण करना है।
- इसका उद्देश्य नई विकसित तकनीक का परीक्षण करना है जो एक अंतरिक्षयान के एक क्षुद्रग्रह से टकराने और इसके दिशा को बदलने में मदद करेगा।
- इस अंतरिक्षयान का लक्ष्य एक छोटा मूनलेट (कृत्रिम उपग्रह) है जिसे डिमोर्फोस ( ग्रीक भाषा में "दो रूप") कहा जाता है।
डिमोर्फोस को चुनने का कारण:
- मिशन का लक्ष्य यह निर्धारित करना है कि डिडिमोस के चारों ओर अपनी कक्षा में परिवर्तन को मापकर डार्ट का प्रभाव अंतरिक्ष में चंद्रमा के वेग को कितना बदल देता है।
- वैज्ञानिकों का मानना है कि टक्कर से डिमोर्फोस की गति एक प्रतिशत के अंश से बदल जाएगी।
- इससे बड़े क्षुद्रग्रह के चारों ओर की कक्षीय अवधि में कई मिनटों के अंतराल की संभावना है जो पृथ्वी पर दूरबीनों द्वारा देखे जाने और मापने के लिये पर्याप्त है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. 'ग्रीज्ड लाइटनिंग-10 (GL-10)' जिसका हाल ही में समाचारों में उल्लेख हुआ, क्या है? (a) NSG द्वारा परीक्षित विद्युत विमान उत्तर: (a) व्याख्या:
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा कार्य मंच पर भारत
प्रिलिम्स के लिये:स्वच्छ ऊर्जा, जैव ईंधन, अंतर्राष्ट्रीय समूह और मंच, सरकार की पहल मेन्स के लिये:जैव ईंधन के लाभ, स्थायी जैव ईंधन के लिये सरकारी प्रयास, स्वच्छ ऊर्जा के लिये अंतर्राष्ट्रीय मंच |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका में पिट्सबर्ग, पेनसिल्वेनिया में वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा कार्य मंच-2022 में भारत के प्रतिनिधि ने कहा है कि "सतत् जैव ईंधन परिवहन क्षेत्र से ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।"
वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा कार्य मंच:
- विषय:
- अमेरिका ने पहली बार वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा कार्य मंच की मेज़बानी की, जो 21 से 23 सितंबर, 2022 तक 13वें स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (CEM 13) और 7वें मिशन इनोवेशन मिनिस्ट्रियल (MI-7) का संयुक्त आयोजन है।
- मुख्य बिंदु:
- CEM13/MI-7 का केंद्रीय बिंदु है: तेज़ी से नवाचार और विस्तार।
- इसका अर्थ है स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विस्तार के लिये सहयोग और साझा रणनीतियों के माध्यम से नवाचार की गति एवं पैमाने को तेज़ करना।
- CEM13/MI-7 का केंद्रीय बिंदु है: तेज़ी से नवाचार और विस्तार।
- उद्देश्य:
- वर्ष 2022 में अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा नेतृत्व और सहयोग को एक संवादात्मक, प्रेरक एवं प्रभावशाली कार्यक्रम के माध्यम से परिभाषित करना जो वैश्विक नेताओं को उनके जलवायु प्रतिज्ञाओं को पूरा करने पर प्रकाश डालता है।
- उन कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना जो कम लागत, शून्य-उत्सर्जन ऊर्जा भविष्य के साथ सभी के लिये अवसर प्रदान करते हैं, विशेष रूप से रोज़गार के बेहतर अवसर।
- जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिये और उद्देश्यपूर्ण नवाचार हेतु एक अभूतपूर्व गति और पैमाने पर नवाचार एवं विस्तार के क्षेत्र में निरंतर विकास का प्रदर्शन करना।
- इस मंच पर भारत की भूमिका:
- स्वच्छ ऊर्जा में तेज़ी लाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में:
- भारत ने आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करते हुए उन्नत सतत् जैव ईंधन पर काम कर रहे एक अंतःविषय टीम के साथ 5 जैव ऊर्जा केंद्र स्थापित करने की सूचना दी है।
- अप्रैल 2022 में, भारत ने नई दिल्ली में मिशन इनोवेशन एनुअल गैदरिंग की मेज़बानी की, मिशन इंटीग्रेटेड बायोरिफाइनरी को इंडिया और नीदरलैंड द्वारा लॉन्च किया गया था, इसका लक्ष्य कम कार्बन वाले भविष्य के लिये नवीकरणीय ईंधन, रसायनों तथा सामग्रियों के लिये नवाचार में तेज़ी लाने हेतु प्रमुख सदस्यों को एकजुट करना है।
- स्वच्छ ऊर्जा प्रदर्शन पर भारत:
- भारत, स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (CEM) के संस्थापक सदस्यों में से एक होने के नाते, वर्ष 2023 में G-20 की अध्यक्षता के साथ-साथ बंगलूरू मेंं CEM-14 की मेज़बानी करेगा।
- भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जिन्होंने दीर्घकालिक विज़न (2017-18 से 2037-38 तक 20 वर्ष की अवधि तक) के साथ कूलिंग एक्शन प्लान (CAPCAP) तैयार किया है, जो सभी क्षेत्रों में शीतलन आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
- भारत ने 2005 के स्तर की तुलना में 2030 में उत्सर्जन तीव्रता को 33-35% तक कम करने के महत्त्वाकांक्षी राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- भारत दुनिया में सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा (RE) विस्तार कार्यक्रम को कार्यान्वित कर रहा है, जिसमें देश में समग्र नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वर्ष 2014 के 32 गीगावाट से 5 गुना बढ़कर वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट और वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट हो जाएगी।
- स्वच्छ ऊर्जा में तेज़ी लाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में:
मंत्रिस्तरीय स्वच्छ ऊर्जा और मिशन नवाचार:
- मंत्रिस्तरीय स्वच्छ ऊर्जा :
- स्थापना:
- इसे दिसंबर 2009 में कोपेनहेगन में पार्टियों के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन पर संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क कन्वेंशन में स्थापित किया गया था।
- उद्देश्य:
- यह नीतियों और कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिये एक उच्च स्तरीय वैश्विक मंच है जिसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाना तथा सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा कर वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था में संक्रमण को प्रोत्साहित करना है।
- केंद्र बिंदु:
- CEM तीन वैश्विक जलवायु और ऊर्जा नीति लक्ष्यों पर केंद्रित है:
- वैश्विक स्तर पर ऊर्जा दक्षता में सुधार।
- स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति में वृद्धि।
- स्वच्छ ऊर्जा तक पहुँच का विस्तार।
- CEM तीन वैश्विक जलवायु और ऊर्जा नीति लक्ष्यों पर केंद्रित है:
- सदस्य संख्या:
- 29 देश CEM का हिस्सा हैं।
- भारत भी इसका एक सदस्य देश है।
- स्थापना:
- मिशन इनोवेशन मिनिस्ट्रियल:
- विषय:
- मिशन इनोवेशन (MI) एक वैश्विक पहल है जो स्वच्छ ऊर्जा को सभी के लिये सस्ती, आकर्षक और सुलभ बनाने हेतु अनुसंधान, विकास एवं प्रदर्शन में एक दशक की कार्रवाई तथा निवेश को उत्प्रेरित करती है। यह पेरिस समझौते के लक्ष्यों की दिशा में विकास को गति देगा और शून्य तक चने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
- लक्ष्य:
- शून्य-उत्सर्जन नौवहन
- हरित ऊर्जा भविष्य
- स्वच्छ हाइड्रोजन
- कार्बन डाइऑक्साइड को हटाना
- शहरी संक्रमण
- नेट ज़ीरो इंडस्ट्रीज
- एकीकृत बायोरिफाइनरी
- विषय:
जैव ईंधन:
- परिचय:
- कोई भी हाइड्रोकार्बन ईंधन जो किसी कार्बनिक पदार्थ (जैविक सामग्री) से कम समय (दिन, सप्ताह या महीनों) में उत्पन्न होता है, उसे जैव ईंधन माना जाता है।
- जैव ईंधन प्रकृति में ठोस, तरल या गैसीय हो सकता है।
- ठोस: लकड़ी, सूखे पौधे की सामग्री और खाद
- तरल: बायोइथेनॉल और बायोडीज़ल
- गैसीय: बायोगैस
- इन्हें परिवहन, स्थिर, पोर्टेबल और अन्य अनुप्रयोगों के लिये डीज़ल, पेट्रोल या अन्य जीवाश्म ईंधन के स्थान पर अथवा उनके साथ इस्तेमाल किया जा सकता है।
- इसके अलावा, इनका उपयोग ऊष्मा और विद्युत उत्पादन के लिये किया जा सकता है।
- जैव ईंधन उपयोग बढ़ने मुख्य कारण कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, जीवाश्म ईंधन से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन और किसानों के लाभ के लिये कृषि फसलों से ईंधन प्राप्त करने में रुचि हैं।
- जैव ईंधन को बढ़ावा देने हेतु सरकार की पहलें:
- 5 जैव ऊर्जा केंद्रों के तहत पहलें:
- “जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology-DBT), पैन आईआईटी सेंटर फॉर बायोएनर्जी (Pan IIT Center for Bioenergy)" ने थर्मोस्टेबल और ग्लूकोज़ टॉलरेंट β-ग्लूकोसिडेज़ विकसित किया है।
- DBT – आईसीजीईबी बायोएनर्जी सेंटर (ICGEB Bioenergy Centre) ने 2जी इथेनॉल उत्पादन के लिये बड़े पैमाने पर सेल्युलेस एंजाइम प्रौद्योगिकी विकसित की है।
- DBT -इंडियन ऑयल कोऑपरेशन लिमिटेड बायोएनर्जी सेंटर (Indian Oil Cooperation Limited Bio-energy Centre) फरीदाबाद ने निर्माणाधीन एक संयंत्र (प्रतिदिन 10 टन बायोमास) में विकसित ग्लाइकेन हाइड्रॉलिस का उपयोग करके बायोमास को इथेनॉल में बदलने की प्रक्रिया का मूल्यांकन किया है।
- DBT-आईसीटी सेंटर फॉर एनर्जी बायोसाइंसेज़ (ICT Centre for Energy Biosciences) का उद्देश्य कचरे के मूल्यवर्द्धन के लिये व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य प्रौद्योगिकियों के निर्माण हेतु जैविक और रासायनिक परिवर्तन करना है।
- DBT-टीईआरआई बायोएनर्जी रिसर्च सेंटर (TERI Bioenergy Research Center) अगली पीढ़ी के फ़ीड के रूप में शैवाल बायोमास का उपयोग करके उन्नत जैव ईंधन, बायोडीजल, बायोहाइड्रोजन, पाइरोलाइटिक बायोइल के उत्पादन के लिये स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के विकास को लेकर सक्रिय रूप से खोज कर रहा है।
UPSC सिविल सेवा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. शैवाल आधारित जैव ईंधन का उत्पादन संभव है, लेकिन इस उद्योग को बढ़ावा देने में विकासशील देशों की संभावित सीमा/सीमाएँ क्या है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। प्रश्न. जैव ईंधन पर भारत की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किसका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जा सकता है? (2020)
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 5 और 6 उत्तर: (a)
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