डेली न्यूज़ (25 May, 2024)



अंतरिक्ष पर्यटन

प्रिलिम्स के लिये:

2024 में अंतरिक्ष मिशन, NASA का OSIRIS-REx मिशन, NASA का आर्टेमिस कार्यक्रम, भारत का चंद्रयान-3 मिशन

मेन्स के लिये:

2024 में अंतरिक्ष मिशन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका में रहने वाले तथा भारत में जन्मे कामर्शियल पायलट गोपी थोटाकुरा भारत के पहले अंतरिक्ष पर्यटक बने। उन्होंने पाँच अन्य अंतरिक्ष पर्यटकों के साथ अंतरिक्ष की एक छोटी मनोरंजक यात्रा की।

अंतरिक्ष पर्यटन क्या है?

  • परिचय:
    • अंतरिक्ष पर्यटन विमानन उद्योग का एक विशिष्ट खंड है जो पर्यटकों को मनोरंजन, अवकाश अथवा व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये अंतरिक्ष यात्रा का सुखद अनुभव देना चाहता है।
    • अंतरिक्ष यात्रा पृथ्वी से लगभग 100 किलोमीटर की ऊँचाई पर कारमन रेखा को पार करने के बाद, जिसे आमतौर पर अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल को विभाजित करने वाली सीमांकन रेखा के रूप में स्वीकार किया जाता है, शुरू होती है।
      • इस निर्धारित सीमा से नीचे उड़ने वाली किसी भी चीज़ को विमान कहा जाता है, जबकि इस रेखा को पार करने वाली चीज़ को अंतरिक्ष यान के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • प्रकार:
    • उप कक्षीय (Suborbital): यहाँ विभिन्न यान उड़ान भरकर यात्रियों को अंतरिक्ष के किनारे (Edge of Space) तक ले जाते हैं, जहाँ यात्री कुछ मिनटों के लिये भारहीनता का अनुभव कर सकते हैं।
    • कक्षीय (Orbital): यहाँ, उड़ानें यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में ले जाती हैं। जहाँ उन्हें अंतरिक्ष से ग्रहों को देखने और भारहीनता का अनुभव करने का मौका मिलता है।
  • अंतरिक्ष में निजी प्रतियोगियों का प्रवेश:
    • वर्ष 2021 में वर्जिन गैलेक्टिक के संस्थापक रिचर्ड ब्रैनसन और ब्लू ओरिजिन के संस्थापक जेफ बेज़ोस ने पहली बार संक्षिप्त उप कक्षीय उड़ानों के साथ अंतरिक्ष में उड़ान भरी।
    • हाल ही में NASA ने वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशन विकसित करने के लिये तीन कंपनियों को कुल 415 मिलियन अमेरिकी डॉलर का वित्तपोषण किया।
      • ब्लू ओरिजिन को 130 मिलियन अमेरिकी डॉलर, नैनोरैक्स को 160 मिलियन अमेरिकी डॉलर और नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन सिस्टम्स कॉर्पोरेशन को 125.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए। ये विकास अंतरिक्ष पर्यटन की बढ़ती मांग का समर्थन करने में सहायता करते हैं और इसका समर्थन करने के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचा प्रदान करते हैं।
  • बाज़ार का आकार:
    • जबकि उद्योग अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, किंतु यह तीव्रता से बढ़ रहा है क्योंकि अंतरिक्ष यात्राओं की मांग बढ़ रही है और वर्ष 2023 से 2030 तक 40.2% की वार्षिक वृद्धि दर से इसका विस्तार जारी रहने की संभावना है।
    • वर्ष 2022 में वैश्विक अंतरिक्ष पर्यटन बाज़ार का मूल्य 695.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर था और वर्ष 2030 तक इसके 8,669.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
    • वर्ष 2022 में उप-कक्षीय खंड (sub-orbital segment) बाज़ार पर हावी रहा, जो कुल बाज़ार हिस्सेदारी का 49.3% था।
      • दूसरी ओर कक्षीय खंड में पूर्वानुमानित अवधि के दौरान 41.0% की तीव्र वृद्धि होने की संभावना है।

कारमन रेखा (Karman Line):

  • कारमन रेखा अंतरिक्ष की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमा है।

  • इस रेखा का नाम हंगेरियन अमेरिकी इंजीनियर और भौतिक विज्ञानी थियोडोर वॉन कार्मन (1881-1963) के नाम पर रखा गया है, जो मुख्य रूप से वैमानिकी एवं अंतरिक्ष विज्ञान में सक्रिय थे।
    • वह उस ऊँचाई की गणना करने वाले पहले व्यक्ति थे जिस पर वैमानिक उड़ान का समर्थन करने के लिये वातावरण बहुत काफी विरल हो जाता है और स्वयं 83.6 कि.मी. की ऊँचाई तक पहुँचे।
  • फेडरेशन एयरोनॉटिक इंटरनेशनेल (FAI) ‘कारमन रेखा’ को पृथ्वी के औसत समुद्र तल से 100 किलोमीटर की ऊँचाई के रूप में परिभाषित करता है।
    • FAI हवाई प्रक्रियाओं के लिये विश्व शासी निकाय है और मानव अंतरिक्ष उड़ान के संबंध में परिभाषाओं का प्रबंधन भी करता है।
  • हालाँकि, अन्य संगठन इस परिभाषा का उपयोग नहीं करते हैं। अंतरिक्ष के किनारे और राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र की सीमा को परिभाषित करने वाला कोई अंतर्राष्ट्रीय कानून नहीं है।

अंतरिक्ष पर्यटन के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?

  • पर्यावरणीय प्रभाव: 
    • अंतरिक्ष यान एवं रॉकेट लॉन्च करने के लिये बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है और इससे काफी मात्रा में वायु तथा ध्वनि प्रदूषण हो सकता है।
    • ये उत्सर्जन जलवायु परिवर्तन में योगदान दे सकते हैं और वातावरण को हानि पहुँचा सकते हैं।
  • सुरक्षा चिंताएँ: 
    • सुरक्षा प्रोटोकॉल के बावजूद भी दुर्घटना घटित होने का संकट हमेशा बना रहता है, जिसके परिणाम भयावह हो सकते हैं।
  • लागत: 
    • वर्तमान में अंतरिक्ष पर्यटन एक महँगा उद्यम है जो केवल अमीरों के लिये ही सुलभ है। परिणामस्वरूप, बहुत से लोग अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव नहीं कर पाएंगे, जिससे असमानता और अभिजात्यवाद की भावनाएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
    • हाल ही में नासा के एक पेपर में उल्लेख किया गया है कि अंतरिक्ष कंपनियाँ स्पेसएक्स (SpaceX) और स्पेस एडवेंचर्स (Space Adventures) लगभग 70 से 100 मिलियन अमरीकी डाॅलर (लगभग 600 से 850 करोड़ रुपए) में चंद्रमा के चारों ओर एक यात्रा कराने की योजना पर विचार कर रही थीं।
  • अंतरिक्ष मलबा:
    • अंतरिक्ष यान के प्रत्येक प्रक्षेपण से मलबा उत्पन्न होता है जो कई वर्षों तक कक्षा में रह सकता है, और जैसे-जैसे अंतरिक्ष प्रक्षेपणों की संख्या में वृद्धि होती है, मलबे की मात्रा बढ़ती जाती है।
    • यह मलबा अन्य अंतरिक्ष यानों के लिये समस्या उत्पन्न कर सकता है।
  • संसाधन का क्षरण:
    • अंतरिक्ष यात्रा के लिये ऊर्जा, ईंधन और सामग्री सहित भारी मात्रा में संसाधनों की आवश्यकता होती है।
    • इन संसाधनों की कमी के दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं तथा पर्यावरण एवं भावी पीढ़ियों के लिये संसाधनों की उपलब्धता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • कानूनी मुद्दे:
    • अंतरिक्ष पर्यटन के लिये कानूनी ढाँचा अभी भी प्रगति पर है, यदि कोई समस्या उत्पन्न होती है तो दायित्व के संबंध में अनिश्चितता उत्पन्न होती है।
    • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानूनों तथा “चंद्रमा व अन्य खगोलीय पिंडों सहित बाह्य अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में राज्यों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों पर संधि” पर अंतरिक्ष पर्यटन के प्रभाव के संबंध में भी चिंताएँ हैं।
      • इसे बाह्य अंतरिक्ष संधि भी कहा जाता है। यह एक बहुपक्षीय संधि है जो वर्ष 1967 में हस्ताक्षरित अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून का आधार बनती है।

अंतरिक्ष पर्यटन क्षेत्र में भारत के लिये क्या अवसर हैं?

  •  इसरो (ISRO) की विशेषज्ञता का लाभ उठाना:
    • ISRO का मार्स ऑर्बिटर मिशन (Mars Orbiter Mission- MOM) सहित अंतरिक्ष अभियानों में अपनी तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करने का एक सफल इतिहास है। यह भविष्य के मानव अंतरिक्ष प्रयासों के लिये आत्मविश्वास जागृत करता है।
    • ISRO के लागत-कुशल अंतरिक्ष कार्यक्रम भविष्य के अंतरिक्ष पर्यटन के लिये प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण का कारण बन सकते हैं, जिससे प्रतिभागियों की एक विस्तृत शृंखला के लिये पहुँच बढ़ सकती है।
  • एक संपन्न सार्वजनिक-निजी अंतरिक्ष साझेदारी को बढ़ावा देना:
    • भारत सरकार अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है। ISRO की न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (New Space India Limited- NSIL) जैसी पहल एवं सहायक नीतियाँ निवेश को आकर्षित कर रही हैं तथा नवाचार को बढ़ावा दे रही हैं।
    • उदाहरण के लिये: PSLV-C53 भारत में किसी अंतरिक्ष प्रक्षेपक के लिये पहला आधिकारिक सार्वजनिक-निजी सहयोग है।
      • स्पेसX और ब्लू ओरिजिन (SpaceX and Blue Origin) जैसी निजी कंपनियों ने ऐसी साझेदारियों की व्यवहार्यता का प्रदर्शन किया है।
  • भविष्य की योजनाएँ:
    • ISRO प्रति यात्रा 6 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत पर एक पुन: प्रयोज्य अंतरिक्ष पर्यटन मॉड्यूल भी विकसित कर रहा है, जिसके वर्ष 2030 तक लॉन्च होने की आशा है।

अंतरिक्ष पर्यटन का भविष्य क्या है?

  • धनवान के लिये सुलभ:
    • ISRO का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक अंतरिक्ष पर्यटन के लिये लगभग 6 करोड़ रुपए की औसत टिकट लागत के साथ सुलभ होगा। ISRO निकट भविष्य में भारत में अंतरिक्ष पर्यटन के व्यावसायीकरण की दिशा में काम कर रहा है।
  • पृथ्वी की कक्षा के अतिरिक्त:
    • कंपनियाँ पहले से ही चंद्र साहसिक कार्यों और अंततः मंगलयान (भारत), मेरिनर 4 (नासा), एक्सोमार्स (ESA), तियानवेन -1 (चीन), होप (UAE) तथा मंगल मिशन जैसे डीप स्पेस अन्वेषण पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
  • अंतरिक्ष प्रवास:
    • अंतरिक्ष पर्यटन की अवधारणा संक्षिप्त यात्राओं से आगे बढ़ रही है और कंपनियाँ अब अंतरिक्ष में पर्यटकों हेतु मॉड्यूल डिज़ाइन कर रही हैं।
  • स्थिरता पर ध्यान देना:
    • स्पेस डेब्रिस को कम करने और अंतरिक्ष यात्रा को अधिक पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिये पूरी तरह से पुन: प्रयोज्य रॉकेट विकसित करने पर अधिक ज़ोर दिया जाएगा।

दृष्टि मुख्य प्रश्न:

एक उभरते उद्योग के रूप में अंतरिक्ष पर्यटन के संभावित लाभों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। इस क्षेत्र में भाग लेने और विनियमित करने में भारत जैसे देशों के लिये क्या निहितार्थ हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 1 अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हाल ही में खबरों में रहा "भुवन" क्या है?  (2010)

(a) भारत में दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये ISRO द्वारा लॉन्च किया गया एक छोटा उपग्रह।
(b) चंद्रयान-द्वितीय के लिये अगले चंद्रमा प्रभाव जाँच को दिया गया नाम।
(c) भारत की 3डी इमेजिंग क्षमताओं के साथ ISRO का एक जियोपोर्टल।
(d) भारत द्वारा विकसित अंतरिक्ष दूरदर्शी।

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. 1 भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य क्या है जिसे इसके पहले के मिशन में हासिल नहीं किया जा सका था? जिन देशों ने इस कार्य को हासिल कर लिया है उनकी सूची दीजिये। प्रक्षेपित अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियों  को प्रस्तुत कीजिये और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में 'आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केंद्र' की उस भूमिका का वर्णन कीजिये जिसने श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण में योगदान दिया। (2023)

प्रश्न.2  भारत की अपना स्वयं का अंतरिक्ष केंद्र प्राप्त करने की क्या योजना है और हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को यह किस प्रकार लाभ पहुँचाएगी?  (2019)

प्रश्न.3  अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों की चर्चा कीजिये। इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायक हुआ है?  (2016)


हरिकेन पर विंड शीयर का प्रभाव

प्रिलिम्स के लिये:

विंड शियर, हरिकेन, जेट स्ट्रीम, तापमान व्युत्क्रमण, डॉप्लर रडार, लिडार, अल नीनो और ला लीना

मेन्स के लिये:

वर्षा और मौसम के पैटर्न को प्रभावित करने वाली महत्त्वपूर्ण भूभौतिकीय घटनाएँ।

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विंड शीयर की अवधारणा ने यह निर्धारित करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका के कारण ध्यान आकर्षित किया है कि क्या तूफान एक विनाशकारी हरिकेन में बदल जाता है।

विंड शीयर क्या है?

  • परिचय: विंड शीयर एक मौसम संबंधी घटना है जो अपेक्षाकृत कम दूरी पर हवा की गति और/या हवा की दिशा में अचानक बदलाव को संदर्भित करती है।
  • प्रकार: यह मुख्यतः 2 प्रकार का होता है:
    • वर्टिकल विंड शीयर: यह तब होता है जब ऊँचाई बढ़ने के साथ हवा की गति और/या दिशा तेज़ी से बदलती है।
    • हॉरिज़ान्टल विंड शीयर: यह तब होता है जब हॉरिज़ान्टल स्थिति में हवा की गति और/या दिशा तेज़ी से परिवर्तित होती है।
      • इस मामले में हो सकता है कि हवा एक स्थान पर पश्चिम से चल रही हो, लेकिन फिर अचानक थोड़ा आगे उत्तर से बहने लगती है।
      • सामान्य उदाहरणों में फ्रंटल सिस्टम और समुद्री हवाएँ शामिल हैं।
  • प्रमुख कारण:
    • तापमान व्युत्क्रमण: रात्रि के दौरान, ज़मीन के निकट वाली गर्म हवाएँ और ऊपर की ठंडी हवाएँ आपस में मिलकर एक विंड शीयर का निर्माण करती हैं, जिससे शक्तिशाली ऊर्ध्वाधर/वर्टिकल हवा का झोंका बनता है, जो विमान के उड़ान भरने और उतरने के लिये खतरा उत्पन्न कर सकता है।
    • थंडरस्टॉर्म: इसके भीतर शक्तिशाली अपड्राफ्ट व डाउनड्राफ्ट क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों प्रकार के विंड शीयर का कारण बनते हैं, जिससे उनके पास उड़ान भरना खतरनाक हो जाता है।
    • फ्रंटल सिस्टम: गर्म व ठंडी हवा के द्रव्यमान के बीच की सीमाएँ हवा की गति और दिशा में तेज़ी से बदलाव करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप क्षैतिज विंड शीयर होती है जो विमान नेविगेशन को चुनौती दे सकती है।

Atmospheric_Fronts

  • पता लगाने के तरीके:
    • लो-लेवल विंड शियर अलर्ट सिस्टम (LLWAS): ग्राउंड-आधारित टावरों का यह नेटवर्क एक हवाई अड्डे के आसपास कई बिंदुओं पर हवा की गति और दिशा को मापने के लिये एनीमोमीटर (हवा की गति सेंसर) तथा हवा की दिशा निर्धारित करने के लिये सेंसर का उपयोग करता है।
    • डॉप्लर रडार: ज़मीन पर ये रडार विंड शीयर क्षेत्रों का पता लगाने के लिये हवा की गति और दिशा को ट्रैक करते हैं।
    • लिडार: LiDAR या लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग एक लोकप्रिय रिमोट सेंसिंग विधि है जिसका उपयोग पृथ्वी की सतह पर किसी वस्तु की सटीक दूरी को मापने के लिये किया जाता है। जब इन प्रकाश स्पंदों को हवाई प्रणाली द्वारा एकत्र किये गए डेटा के साथ जोड़ा जाता है, तो वे पृथ्वी की सतह और लक्षित वस्तु के बारे में सटीक 3D जानकारी प्रदान करते हैं।

Vertical_and_Horizontal_Wind_Shear

तूफानों पर विंड शीयर का क्या प्रभाव पड़ता है?

  • तूफान के बारे में: तूफान या उष्णकटिबंधीय चक्रवात खतरनाक तूफान हैं जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में महासागरों के ऊपर उत्पन्न होते हैं तथा तटीय क्षेत्रों की ओर बढ़ते हैं और तीव्र पवनें अत्यधिक वर्षा एवं तूफानी लहरों के कारण बड़े पैमाने पर विनाश करते हैं।
    • इसका गठन और प्रारंभिक विकास मुख्य रूप से समुद्र की सतह से वाष्पीकरण द्वारा उष्ण महासागर से ऊपरी पवन  में जलवाष्प व गर्मी के स्थानांतरण पर निर्भर करता है।
    • विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में इन्हें कई नाम दिये गए हैं जैसे:
      • चीन सागर और प्रशांत महासागर में तूफान 
      • पश्चिमी अफ़्रीका और दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका की गिनी भूमि में बवंडर
      • उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में विली-विलीज़ (Willy-willies)  तथा 
      • हिंद महासागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवात
      • कैरेबियन सागर और अटलांटिक महासागर में पश्चिम भारतीय द्वीपों में तूफान।

Hurricans

  • तूफानों पर विंड शीयर का प्रभाव:
    • तूफान न्यूनतम वर्टीकल विंड शीयर वाले वातावरण में बनते हैं, क्योंकि यह इन्हें एक सममित संरचना के साथ-साथ कुशलता से घूर्णन की अनुमति देता है।
    • मज़बूत वर्टीकल विंड शीयर तूफान की ऊर्ध्वाधर (वर्टिकल) संरचना को बाधित कर सकता है, जिससे तूफान का ऊपरी भाग नीचे से विस्थापित हो सकता है।
      • इससे पवन परिसंचरण, ऊष्मा संचरण (Heat Transport) और नमी की आपूर्ति प्रभावित हो जाती है, जिससे तूफान को बढ़ावा मिलता है।
    • अत्यधिक वर्टीकल विंड शीयर संभावित रूप से तूफान को नष्ट कर सकती है।
  • तूफान की तीव्रता को प्रभावित करने वाले अन्य कारक:
    • अन्य कारक, जैसे समुद्र की सतह का तापमान, वायुमंडलीय नमी की मात्रा और दबाव प्रणाली भी तूफान के उद्भव और विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
      • जबकि वर्टीकल विंड शीयर एक महत्त्वपूर्ण कारक है, यह तूफान की तीव्रता का एकमात्र निर्धारक नहीं है।
    • कुछ मामलों में असाधारण रूप से समुद्र की गर्म सतह का तापमान बढ़े हुए विंड शीयर  के प्रभाव को दूर कर सकता है, जैसा कि वर्ष 2023 के तूफान के मौसम के दौरान देखा गया था।

विंड शीयर पर अल नीनो और ला नीना (El Nino and La Nina) का क्या प्रभाव होता है?

  • विंड शीयर पर अल नीनो का प्रभाव: अल नीनो वर्षों के दौरान, सामान्य से अधिक शक्तिशाली वर्टीकल विंड शीयर आमतौर पर तूफान के मौसम में अटलांटिक महासागर के ऊपर देखी जाती हैं।
    • अल नीनो घटनाओं की विशेषता पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का गर्म तापमान और पश्चिमी प्रशांत महासागर में कम तापमान है।
    • इस प्रणाली के कारण अटलांटिक के ऊपर तीव्र वायु प्रवाहित होती हैं, परिणामस्वरूप वर्टीकल विंड शीयर (vertical wind shear) में वृद्धि होती है।
    • अल नीनो (El Nino) वर्षों के दौरान विंड शीयर में वृद्धि तूफान के लिये अटलांटिक बेसिन में विकसित एवं तीव्र होने को अधिक चुनौतीपूर्ण बना सकती है।
  • विंड शीयर पर ला नीना का प्रभाव: ला नीना प्रभाव, जो एल नीनो के विपरीत होता है, अटलांटिक में तूफान के विकास के लिये अधिक अनुकूल होता है।
    • ला नीना वर्षों के दौरान, अटलांटिक में वर्टीकल विंड शीयर आमतौर पर क्षीण होती है, जिससे तूफान के मौसम के अधिक सक्रिय होने की संभावना होती है।
    • ला-नीना के दौरान वर्ष 2020 में अटलांटिक में रिकॉर्ड स्तर पर तूफान देखा गया।

EL Nino and La Lina

और पढ़ें: चक्रवात

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) अक्षांशों में दक्षिणी अटलांटिक और दक्षिण-पूर्वी प्रशान्त क्षेत्रों में चक्रवात उत्पन्न नहीं होता। इसका क्या कारण है? (2015)

(a) समुद्री पृष्ठों के ताप निम्न होते हैं
(b) अंत: उष्णकटिबंधीय अभिसारी क्षेत्र (इंटर-ट्रॉपिकल कन्वर्जेंस ज़ोन) बिरले ही होता है
(c) कोरिऑलिस बल अत्यंत दुर्बल होता है
(d) उन क्षेत्रों में भूमि मौज़ूद नहीं होती

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में, कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समतापमंडल में सल्फेट वायुविलय अंतःक्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं? (2019)

(a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये 
(b) उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बारंबारता और तीव्रता को कम करने के लिये
(c) पृथ्वी पर सौर पवनों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिये 
(d) भूमंडलीय तापन को कम करने के लिये 

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:  (2020)

  1. जेट प्रवाह केवल उत्तरी गोलार्ध में होते हैं।
  2. केवल कुछ चक्रवात ही केंद्र में वाताक्षि उत्पन्न करते हैं।
  3. चक्रवात की वाताक्षि के अंदर का तापमान आसपास के तापमान से लगभग 10°C कम होता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) केवल 1 और 3

उत्तर: (c)