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डेली न्यूज़

  • 21 May, 2020
  • 51 min read
शासन व्यवस्था

कोणार्क सूर्य मंदिर तथा सौर उर्जा

प्रीलिम्स के लिये:

सौर वृक्ष, ऑफ-ग्रिड सौर प्रणाली, कोणार्क सूर्य मंदिर

मेन्स के लिये:

कोणार्क सूर्य मंदिर तथा सौर उर्जा से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy- MNRE) ने ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर और कोणार्क शहर को 100% सौर उर्जा से संचालित करने की योजना का शुभारंभ किया है। 

प्रमुख बिंदु:

  • उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की ओर से नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के माध्यम से लगभग 25 करोड़ रूपए की सहायता प्रदान की जाएगी। 
  • इस योजना के तहत 10 मेगावाट ग्रिड कनेक्टेड सौर परियोजना और विभिन्न ऑफ-ग्रिड सौर अनुप्रयोगों, जैसे-सौर वृक्ष (Solar Trees), सौर पेयजल कियोस्क (Solar Drinking Water Kiosks), बैटरी स्‍टोरेज सहित ऑफ ग्रिड सौर संयंत्रों (Off-grid Solar Power Plants With Battery Storage) की स्थापना की परिकल्पना की गई है।
  • इस योजना का कार्यान्‍वयन ओडिशा नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (Odisha Renewable Energy Development Agency-OREDA) द्वारा किया जाएगा।
  • इस योजना के माध्यम से कोणार्क शहर की ऊर्जा संबंधी ज़रूरतों को भी पूरा किया जाएगा।

उद्देश्य:

  • ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण ओडिशा के कोणार्क को 'सूर्य नगरी' के रूप में विकसित करना।
  • सौर ऊर्जा के आधुनिक उपयोग, प्राचीन सूर्य मंदिर तथा सौर ऊर्जा के महत्त्व को बढ़ावा देना।

सौर वृक्ष (Solar Trees):

Solar-Trees

  • सौर ऊर्जा ‘नवीकरणीय ऊर्जा’ उत्पादन का एक अच्छा माध्यम है। किंतु बड़े स्तर पर सौर पैनल स्थापित करने के लिये भूमि की अनुपलब्धता एक सबसे बड़ी बाधा होती है। 
  • सौर वृक्ष उपर्युक्त समस्या को सुलझाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सौर वृक्ष सामान्य वृक्ष जैसे ही होते हैं जिसमें पत्तियों के रूप में सौर पैनल लगे होते हैं तथा इसकी शाखाएँ धातु की बनी होती हैं।
  • सौर वृक्ष सामान्य सौर ऊर्जा संयंत्रों के सापेक्ष 100 गुना कम स्थान घेरता हैं किंतु इन संयंत्रों से उत्पादित मात्रा के समान ही ऊर्जा का उत्पादन करता है।
  • उदाहरण के लिये पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (Central Mechanical Engineering Research Institute-CMERI) ने सौर वृक्ष का निर्माण किया है, यह सौर वृक्ष 4 वर्ग फीट स्थान घेरता है तथा 3 किलोवाट ऊर्जा का उत्पादन करता है।

ऑफ-ग्रिड सौर प्रणाली (Off-grid Solar systems):

  • ऑफ-ग्रिड सौर प्रणाली किसी भी ग्रिड से जुड़ा हुआ नहीं होता है। इस प्रणाली के साथ एक बैटरी जुड़ा होता है जो सौर उर्जा से उत्पादित विद्युत को संचित करती है।
  • दरअसल ‘ऑफ-ग्रिड सौर प्रणाली’ में सौर पैनल, बैटरी, चार्ज नियंत्रक, ग्रिड बॉक्स, इन्वर्टर, इत्यादि होता है।
  • यह सौर प्रणाली उन क्षेत्रों के लिये अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है जहाँ पावर ग्रिड की सुविधा उपलब्ध नहीं है।

कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark Sun Temple):

  • बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर भगवान सूर्य के रथ का एक विशाल प्रतिरूप है। यह मंदिर ओडिशा के पुरी ज़िले में स्थित है।
  • रथ के 24 पहियों को प्रतीकात्मक डिज़ाइनों से सजाया गया है और सात घोड़ों द्वारा इस रथ को खींचते हुए दर्शाया गया है।
  • कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में गंग वंश के शासक नरसिंह देव प्रथम ने कराया था।
  • ओडिशा स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर को यूनेस्को (UNESCO) ने वर्ष 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) इस मंदिर का संरक्षक है।

स्रोत: पीआईबी


सामाजिक न्याय

स्वाइन फ्लू और हेपेटाइटिस-बी के लिये टीकाकरण कार्यक्रम

प्रीलिम्स के लिये

स्वाइन फ्लू, हेपेटाइटिस-बी

मेन्स के लिये

देशव्यापी टीकाकरण अभियानों की आवश्यकता और उनका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

प्रत्येक वर्ष मानसून के बाद आने वाले स्वाइन फ्लू या मौसमी इन्फ्लूएंज़ा (Seasonal Influenza- H1N1) का मुकाबला करने के लिये हरियाणा सरकार ने राज्यव्यापी टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया है।

प्रमुख बिंदु

  • ध्यातव्य है कि जहाँ एक ओर कोरोनोवायरस के मामले दैनिक आधार पर लगातार बढ़ते जा रहे हैं, वहीं मानसून के स्वाइन फ्लू (H1N1) की संभावना ने हरियाणा सरकार के समक्ष एक कड़ी चुनौती उत्पन्न कर दी है।
  • इसी चुनौती को मद्देनज़र रखते हुए हरियाणा सरकार ने स्वास्थ्य संबंधित 3 कार्यक्रम शुरू किये हैं, जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों के लिये H1N1 टीकाकरण अभियान, राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत हेपेटाइटिस-बी (Hepatitis-B) नियंत्रण कार्यक्रम और राज्य के 21 ज़िला अस्पतालों में नेत्रदान केंद्र शामिल हैं।
  • H1N1 टीकाकरण अभियान के तहत राज्य भर में लगभग 13,000 स्वास्थ्य कर्मचारियों को H1N1 से बचाव के लिये टीका लगाया जाएगा।
  • सरकार ने इस संबंध में जिस वैक्सीन का उपयोग करने की योजना बनाई है, वह एकल खुराक वैक्सीन है और एक वर्ष की अवधि के लिये प्रभावी है।
  • उल्लेखनीय है कि राज्य के सभी 22 ज़िलों में पहले से ही मुफ्त H1N1 परीक्षण, निदान और उपचार सेवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।
  • वहीं हेपेटाइटिस-बी (Hepatitis-B) नियंत्रण कार्यक्रम के पहले चरण में राज्य के कारागारों में नवजात शिशुओं, गर्भवती महिलाओं और कैदियों को कवर किया जाएगा।

कार्यक्रम की आवश्यकता

  • आँकड़ों के अनुसार, भारत में 2016 के बाद से अब तक लगभग 85,000 लोग H1N1 वायरस से संक्रमित हुए हैं और बीते कुछ वर्षों में इस वायरस के कारण 4,900 लोगों की मृत्यु हुई है।
  • इस वायरस पर किये गए विभिन्न शोधों से ज्ञात होता है कि भारत में इस वायरस का प्रकोप एक वर्ष में मुख्यतः 2 बार दिखाई देता है, पहला जनवरी माह से मार्च माह के दौरान और दूसरा मानसून के पश्चात् अगस्त माह से अक्तूबर माह के दौरान।
  • कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के तीव्र प्रसार को मद्देनज़र रखते हुए स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं और उन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
  • WHO के वर्ष 2018 के आँकड़ों के अनुसार, हेपेटाइटिस से प्रत्येक वर्ष दक्षिण-पूर्व एशिया में लगभग 3,50,000 लोगों की मौत होती है। यह संख्या मलेरिया और HIV द्वारा संयुक्त रूप से होने वाली मौतों से भी अधिक है।

स्वाइन फ्लू

  • स्वाइन फ्लू H1N1 नामक फ्लू वायरस के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है। H1N1 एक प्रकार का संक्रामक वायरस है।
  • H1N1 संक्रमण को स्वाइन फ्लू कहा जाता है, क्योंकि अतीत में यह उन्हीं लोगों को होता था जो सूअरों के सीधे संपर्क में आते थे।
  • H1N1 की तीन श्रेणियाँ हैं - A, B और C
  • A और B श्रेणियों को घरेलू देखभाल की आवश्यकता होती है, जबकि श्रेणी C में तत्काल अस्पताल में भर्ती कराने और चिकित्सा की आवश्यकता होती है क्योंकि इसके लक्षण और परिणाम बेहद गंभीर होते हैं और इससे मृत्यु भी हो सकती है।
  • H1N1 संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है।

हेपेटाइटिस-बी (Hepatitis-B)

  • यह एक वायरल संक्रमण (Viral Infection) है जो लीवर की बीमारी का कारण बन सकता है।
  • यह वायरस जन्म और प्रसव के दौरान माँ से बच्चे में फैल सकता है। इसके अतिरिक्त यह रक्त अथवा शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क में आने के कारण भी फैलता है।
  • यह लीवर कैंसर (Liver cancer) का प्राथमिक कारण है।
  • वैक्सीन द्वारा हेपेटाइटिस-बी की रोकाथाम की जा सकती है जो कि एक सुरक्षित और प्रभावी उपाय हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत-बांग्लादेश ‘अंतर्देशीय जल पारगमन एवं व्यापार प्रोटोकॉल’

प्रीलिम्स के लिये:

भारत-बांग्लादेश ‘अंतर्देशीय जल पारगमन एवं व्यापार प्रोटोकॉल’

मेन्स के लिये:

अंतर्देशीय जल पारगमन एवं व्यापार प्रोटोकॉल का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और बांग्लादेश के बीच ‘अंतर्देशीय जल पारगमन एवं व्यापार प्रोटोकॉल’ (Protocol on Inland Water Transit and Trade- PIWT & T) के द्वितीय परिशिष्ट पर हस्ताक्षर किये गए।

प्रमुख बिंदु:

  • परिशिष्ट, 2020 पर भारत की तरफ से भारतीय उच्चायुक्त एवं बांग्लादेश की तरफ से सचिव (जहाज़रानी) द्वारा 20 मई, 2020 को हस्ताक्षर किये गए।
  • नवीन समझौते के बाद ‘भारत बांग्लादेश प्रोटोकॉल’ (Indo Bangladesh Protocol- IBP) के तहत परिवहन मार्गों की संख्या 8 से बढ़ाकर 10 हो गई है। 
  • IBP मार्गों पर अनेक नवीन अवस्थतियों को ‘पोर्टस ऑफ कॉल’ (Ports of Call) के रूप में जोड़ा जाएगा।

अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार पर प्रोटोकॉल:

  • भारत और बांग्लादेश के बीच हस्ताक्षरित अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार प्रोटोकॉल दीर्घकालिक व्यापार सुनिश्चितता की दिशा में किया गया प्रोटोकॉल है। यह समझौता किसी तीसरे देश में भी माल परिवहन की अनुमति देता है। 
  • दोनों देशों के बीच ‘अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार प्रोटोकॉल’ पर ‘ भारत-बांग्लादेश व्यापार समझौते’ (Trade Agreement between Bangladesh & India Protocol) प्रोटोकॉल के अनुच्छेद (viii) के अनुसार, हस्ताक्षर किये गए थे।
  • इस प्रोटोकॉल पर पहली बार वर्ष 1972 (बांग्लादेश की आज़ादी के तुरंत बाद) में हस्ताक्षर किये गए थे। अंतिम बार वर्ष 2015 में पाँच वर्षों के लिये नवीकरण किया गया था।
  • समझौते का प्रत्येक पाँच वर्षों की अवधि के बाद स्वचालित रूप से नवीनीकरण किया जाता है। 

प्रमुख पारगमन मार्ग:

Connectivity-with-Mainland

1. कोलकाता-चांदपुर-पांडु-सिलघाट-कोलकाता 
2. कोलकाता-चांदपुर-करीमगंज-कोलकाता 
3. सिलघाट-पांडु-अशुगंज-करीमगंज-पांडु-सिलघाट 
4. राजशाही-धूलियन-राजशाही।
5. कोलकाता-चांदपुर-आशूगंज (जलमार्ग से)
6. अखुरा-अगरतला (सड़क मार्ग से)

पोर्टस ऑफ कॉल: 

  • पोर्टस् ऑफ कॉल अंतर्देशीय व्यापार में जहाज़ों को आने-जाने की सुविधाएँ प्रदान करते हैं। 
  • वर्तमान में प्रोटोकॉल के तहत भारत और बांग्लादेश दोनों में 6-6 ‘पोर्टस ऑफ कॉल’ हैं। नवीन समझौते के माध्यम से पाँच नवीन ‘पोर्टस ऑफ कॉल’ तथा दो ‘विस्तारित पोर्टस ऑफ कॉल’ जोड़े गए हैं जिससे प्रत्येक देश में इनकी संख्या बढ़ कर 11 हो गई है।  

पारगमन मार्गों का महत्त्व:

  • भारत में जोगीगोफा और बांग्लादेश में बहादुराबाद को नए ‘पोर्टस ऑफ काल’ के रूप में सम्मिलित किया गया है। यह मेघालय, असम एवं भूटान को कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान करेगा। जोगीगोफा में एक ‘मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क’ बनाए जाने का प्रस्ताव है। 
  • नए पोर्टस ऑफ कॉल, भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल (IBP) मार्गों पर कार्गो की लोडिंग एवं अनलोडिंग की सुविधा प्रदान करेंगे। नवीन ‘पोर्टस ऑफ कॉल’ के निर्माण से इसके परिक्षेत्र के आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
  • संगठित तरीके से कार्गो पोतों की आवाज़ाही में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलेगा। भारतीय पारगमन कार्गो मुख्य रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र में बिजली परियोजनाओं के लिये कोयला, फ्लाई ऐश आदि का परिवहन करते हैं। 
  • भारत से बांग्लादेश को फ्लाई ऐश का निर्यात मुख्यत: इन कार्गो के माध्यम से किया जाता है जो 3 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष होता है।

निष्कर्ष:

  • लगभग 638 अंतर्देशीय पोतों द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 4000 माल परिवहन यात्राएँ की जाती हैं। ऐसी उम्मीद की जाती है कि प्रोटोकॉल में किया गया संशोधन बेहतर विश्वसनीयता एवं लागत के दृष्टिकोण से बेहतर सिद्ध होगा तथा दोनों देशों के बीच व्यापार को और अधिक सुगम बनाएगा।

स्रोत: पीआईबी 


भारतीय अर्थव्यवस्था

कंपनी अधिनियम में परिवर्तन

प्रीलिम्स के लिये

कंपनी अधिनियम, 2013

मेन्स के लिये

कंपनी अधिनियम में प्रमुख परिवर्तन और उनका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि सरकार COVID-19 राहत पैकेज के तहत देश में कारोबार की सुगमता को बढ़ाने के उद्देश्य से कंपनी अधिनियम, 2013 (Companies Act, 2013) के प्रावधानों को अपराधीकरण की श्रेणी से बाहर करेगी। 

प्रमुख बिंदु

  • कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिये 20 लाख करोड़ के प्रोत्साहन पैकेज की पाँचवीं और अंतिम किश्त के तहत उपायों की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कंपनी अधिनियम, 2013 में संशोधन के लिये एक अध्यादेश लाया जाएगा।
  • कानून विश्लेषक सरकार के इस कदम को कंपनी अधिनियम, 2013 के सभी प्रावधानों से आपराधिक दंड को हटाने के लिये सरकार के एक बड़े प्रयास का हिस्सा मान रहे हैं। हालाँकि धोखाधड़ी और कपटपूर्ण व्यवहार से संबंधित प्रावधानों को अधिनियम में बरकरार रखा जाएगा।

वित्त मंत्री की घोषणा

  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि CSR रिपोर्टिंग में कमी, बोर्ड की रिपोर्ट में अपर्याप्तता, कंपनी की वार्षिक बैठक आयोजित करने में देरी समेत तमाम छोटी तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूक को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा जाएगा।
  • कंपनी अधिनियम के तहत कंपाउंडेबल अपराधों (Compoundable Offences) से संबंधित प्रावधानों की संख्या घटकर 31 तक सीमित कर दी गई है। घोषणा के अनुसार, इनमें से अधिकांश अपराधों का निपटारा अब कंपनी रजिस्ट्रार (Registrar of Companies) द्वारा किया जाएगा, जो कि पहले ‘नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल’ (National Company Law Tribunals-NCTL) के दायरे में आते थे।
    • आमतौर पर, कंपाउंडेबल अपराध वे अपराध होते हैं जिन्हें निश्चित राशि का भुगतान करके निपटाया जा सकता है।
  • कंपनी रजिस्ट्रार (RoC) को इन अपराधों के लिये दंड निर्धारित करने का अधिकार दिया गया है और कंपनियाँ RoC के निर्णयों को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs-MCA) के क्षेत्रीय निदेशक (RD) के समक्ष चुनौती दे सकती हैं।
  • यह कदम नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCTL) के भार को कम करेगा, जिससे NCTL मुख्यतः दिवालियापन और अन्य उच्च प्राथमिकता वाले मामलों को निपटाने पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा।
  • इसके अलावा कुल सात कंपाउंडेबल अपराधों को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा।

परिवर्तन के निहितार्थ

  • वित्त मंत्री की इस घोषणा को व्यापार करने की सुगमता को बढ़ाने के लिये भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018 से किये जा रहे विभिन्न प्रयासों का हिस्सा माना जा सकता है।
    • उल्लेखनीय है कि सरकार के निरंतर प्रयासों और उपायों के परिणामस्वरूप विश्व बैंक की ‘डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट’ (Doing Business Report) में भारत अपनी रैंकिंग को बेहतर करते हुए वर्ष 2014 के 142वें पायदान से 2019 में 63वें पायदान पर पहुँच गया है।
    • इस रैंकिंग में भारत ने शीर्ष 50 देशों में रहने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके लिये सरकार द्वारा तमाम प्रयास किये जा रहे हैं।
  • विश्लेषकों के अनुसार, सरकार ने वर्ष 2014 में कंपनी अधिनियम में बड़े परिवर्तन करते हुए बेहतर अनुपालन के लिये कई सारे नियम लागू किये थे और साथ ही अधिनियम में कई दंडात्मक प्रावधान भी पेश किये गए थे।
  • किंतु अब सरकार यह महसूस कर रही है कि देश में अनुपालन का स्तर सुधार गया है और अब व्यापार करने में सुगमता को बढ़ाने की आवश्यकता है इसीलिये अधिकांश आपराधिक प्रावधानों को शिथिल किया जा रहा है।
  • बीते वर्ष केंद्र सरकार ने ‘कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी’ (Corporate Social Responsibility- CSR) से संबंधित प्रावधानों के उल्लंघन के लिये कारावास की सज़ा तय करते हुए कंपनी अधिनियम में संशोधन किया था, किंतु उद्योग जगत की नकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद इस प्रावधान को लागू नहीं किया गया।

कंपनी अधिनियम से संबंधित तथ्य

  • कंपनी अधिनियम, 2013 भारत में 30 अगस्त 2013 को लागू हुआ था।
  • यह अधिनियम भारत में कंपनियों के निर्माण से लेकर उनके समापन तक सभी स्थितियों में मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।
  • कंपनी अधिनियम के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल’ (NCTL) की स्थापना की गई है।
  • उल्लेखनीय है कि कंपनी अधिनियम, 2013 ने ही ‘एक व्यक्ति कंपनी’ (One Person Company) की अवधारणा की शुरुआत की।

आगे की राह

  • विशेषज्ञों का मत है कि आगामी कुछ दिनों में वित्त मंत्रालय से अपेक्षा की जाती है कि वह कंपनी अधिनियम में ऑडिट से संबंधित कुछ अन्य प्रावधानों को भी अपराधीकरण की श्रेणी से बाहर करने के लिये उपाय कर सकता है।
  • कंपनी लॉ कमेटी (Company Law Committee) ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कंपनी अधिनियम में संशोधन के आगामी चरणों में ऑडिट फर्मों के विस्थापन से संबंधित प्रावधानों को आसान बनाने का प्रयास किया जाएगा।
  • ‘ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस’ रैंकिंग में भारत के स्थान में अनवरत सुधार हो रहा है, जो कि स्पष्ट तौर पर भारत सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है।
  • आवश्यक है कि वित्त मंत्रालय नियमों के अनुपालन और नियमों को शिथिल करने संबंधी नीतियों के मध्य संतुलन स्थापित करे, ताकि देश में व्यापार करने की सुगमता को बढ़ाया जा सके।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

COVID-19 परीक्षण हेतु स्वदेशी RNA पृथक्करण किट का विकास

प्रीलिम्स के लिये: 

अगाप्पे चित्रा मैग्ना, COVID-19.

मेंस के लिये:

COVID-19 से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद  (Indian Council of Medical Research- ICMR) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organization- CDSCO) की अनुमति मिलने के बाद COVID-19 परीक्षण के दौरान लिये गए नमूनों से RNA पृथक्करण हेतु बड़े पैमाने पर ‘अगाप्पे चित्रा मैग्ना’ (Aggape Chitra Magna) नामक स्वदेशी किट के निर्माण की तैयारी की जा रही है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस किट का विकास तिरुवनंतपुरम स्थित ‘श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज़ एंड टेक्नोलॉजी’ (Sri Chitra Tirunal Institute for Medical Sciences and Technology- SCTIMST) द्वारा किया गया है। 
  • RNA पृथक्करण किट के उत्पादन को बड़े पैमाने पर बढ़ाने हेतु अप्रैल 2020 में इसकी तकनीकी को ‘अगाप्पे डायग्नोस्टिक्स’ (Agappe Diagnostics) को हस्तांतरित कर दिया गया था।
  • इस किट को COVID-19 RNA पृथक्करण हेतु ‘राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान’ (National Institute of Virology) द्वारा स्वतंत्र रूप से मंज़ूरी दी गई है।   

कार्यप्रणाली:    

  • COVID-19 बीमारी SARS-COV-2 नामक विषाणु के संक्रमण से होती है, किसी भी व्यक्ति के SARS-COV-2 से संक्रमित होने की पुष्टि हेतु व्यक्ति के गले और नाक से लिये गए नमूनों में इस विषाणु के RNA की उपस्थिति का पता लगाना अति महत्त्वपूर्ण है।   
  • किसी व्यक्ति से लिये गए नमूनों को एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत प्रयोगशाला तक ले जाया जाता है। 
  • इस किट में किसी नमूने से ‘राइबोन्यूक्लिक एसिड’ (Ribonucleic Acid- RNA) को अलग करने के लिये चुंबकीय नैनोकणों का उपयोग किया जाता है।
  • ये नैनोंकण RNA से जुड़ जाते हैं और इसे किसी चुंबकीय क्षेत्र के संपर्क में लाने पर अत्यधिक शुद्ध और केंद्रित RNA प्राप्त होता है।
  • ध्यातव्य है कि SARS-COV-2 संक्रमण का सफल परीक्षण के लिये RNA की पर्याप्त मात्रा का होना आवश्यक है, अतः इस विधि के माध्यम से SARS-COV-2 संक्रमण की सफलता पूर्वक पहचान करने की संभावना बढ़ जाती है।

लाभ:      

  • लागत:  
    • SCTIMST द्वारा विकसित एक किट की लागत मात्र 150 रुपए है जो वर्तमान में उपस्थित अन्य विकल्पों का लगभग आधा है।

    • एक अनुमान के अनुसार, भारत को अगले 6 महीनों में प्रतिमाह लगभग 8 लाख RNA पृथक्करण किट की आवश्यकता होगी, अतः इस किट के द्वारा कम लागत में अधिक-से-अधिक परीक्षण किये जा सकेंगे।
  • तकनीकी दक्षता:
    • इस किट में प्रयोग किये जाने वाले चुंबकीय नैनोकण की तकनीक के माध्यम से बहुत ही आसानी से RNA को एक बिंदु पर एकत्र किया जा सकता है। 
    • अतः यदि व्यक्ति से लिये गए नमूने को रखने और ले जाने में RNA का विघटन हो जाता है, तो उस स्थिति में भी इस तकनीकी के माध्यम से बहुत ही आसानी से RNA को एकत्र कर सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा सकता है।  
  • अन्य परीक्षणों में उपयोग: 
    • इस किट का प्रयोग ‘लूप-मीडिएटेड आइसोथर्मल एम्प्लिफिकेशन’  (Loop-mediated isothermal amplification- LAMP) के अलावा रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (Reverse Transcription Polymerase Chain Reaction-RT-PCR) टेस्ट में भी किया जा सकता है। 
    • वर्तमान में भारत में अधिकांश RNA पृथक्करण किट विदेशों से आयात की जाती है और ऐसे में देश में बड़े पैमाने पर RT-PCR टेस्ट संचालित करने में ‘RNA पृथक्करण किट’ की अनुपलब्धता एक बड़ी बाधा बनी रहती है। 
    • अतः देश में बड़े पैमाने पर स्वदेशी ‘RNA पृथक्करण किट’ के निर्माण से इस समस्या को दूर करने में सहायता प्राप्त होगी।  

आगे की राह: 

  • SCTIMST निदेशक के अनुसार, अगले कुछ ही दिनों में एक अन्य उत्पादक को जोड़कर इस किट के उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा, जिससे जुलाई 2020 के अंत तक स्वदेशी किट से ही प्रतिदिन एक लाख टेस्ट किये जा सके।  
  • आगे चलकर इस स्वदेशी किट के माध्यम से परीक्षण क्षमता को 8 लाख प्रतिदिन तक बढ़ाए जाने का लक्ष्य है, जिससे ‘RNA पृथक्करण किट’ के लिये आयात पर निर्भरता को समाप्त किया जा सके।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, औद्योगिकीकरण, शहरों की बढ़ती जनसंख्या और प्रकृति के अनियंत्रित दोहन के कारण भविष्य में अनेक प्रकार के संक्रामक रोगों में वृद्धि हो सकती है, ऐसे में COVID-19 परीक्षण हेतु स्वदेशी ‘RNA पृथक्करण किट’ का विकास भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये एक बड़ी सफलता है।
  • देश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्वदेशी तकनीकी पर शोध और विकास को बढ़ावा देकर भविष्य में अन्य संक्रामक रोगों से निपटने में सहायता प्राप्त हो सकती है, साथ ही भविष्य में इसके माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र में उपलब्ध व्यावसायिक अवसरों का भी लाभ उठाया जा सकेगा। 

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

कॉयर जियो टेक्सटाइल

प्रीलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, कॉयर जियो-टेक्सटाइल्स, इंडियन रोड काॅन्ग्रेस

मेन्स के लिये:

बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग 

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार ने 20 अप्रैल, 2020 को कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana- PMGSY) के तीसरे चरण के तहत ग्रामीण क्षेत्र में सड़कों के निर्माण में ‘कॉयर जियो-टेक्सटाइल्स’ (Coir Geo Textiles) का उपयोग किया जाएगा।

Coir-Geo-Textile

प्रमुख बिंदु:

  • ‘कॉयर जियो टेक्सटाइल्स’ एक प्रकार के पारगम्य कपड़े हैं जो प्राकृतिक रूप से मज़बूत, अत्यधिक टिकाऊ, टूट-फूट, मोड़ एवं नमी प्रतिरोधी हैं और किसी भी सूक्ष्मजीवी (माइक्रोबियल) हमले से मुक्त हैं।
  • केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय (Union Ministry of Rural Development) की ‘राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी’ ने कहा है कि PMGSY-III के तहत ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिये ‘कॉयर जियो टेक्सटाइल्स’ का उपयोग किया जाएगा।

तकनीकी दिशा-निर्देश:

  • सड़क निर्माण के लिये PMGSY की नई प्रौद्योगिकी आधारित दिशा-निर्देशों के अनुसार, सड़क निर्माण प्रस्तावों के प्रत्येक बैच की सड़कों की कुल लंबाई के 15% में नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके निर्माण किया जाना है।
  • इसमें से 5% सड़कों का निर्माण ‘इंडियन रोड्स काॅन्ग्रेस’ (Indian Roads Congress- IRC) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रौद्योगिकी का उपयोग करके किया जाना है।
    • IRC ने अब ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिये ‘कॉयर जियो टेक्सटाइल्स’ को मान्यता दी है।

इंडियन रोड्स काॅन्ग्रेस

(Indian Roads Congress- IRC):

  • IRC देश में राजमार्ग इंजीनियरों की सर्वोच्च संस्था है।
  • इसकी स्थापना दिसंबर, 1934 में ‘भारतीय सड़क विकास समिति’ की सिफारिशों पर हुई थी जिसे भारत सरकार द्वारा स्थापित ‘जयकर समिति’ के रूप में जाना जाता है। 
  • इसका उद्देश्य भारत में सड़क विकास को बढ़ावा देना है।
  • भारत सरकार ने वर्तमान दशक को ‘समावेशी विकास के लिये नवाचार के दशक के रूप’ में घोषित किया है और संयुक्त राष्ट्र ने इस दशक (2011-2020) को ‘सड़क सुरक्षा की कार्रवाई के दशक के रूप में’ (Decade of Action for Road Safety 2011-2020) घोषित किया है।
  • इन दिशा-निर्देशों के अनुसार, PMGSY-III के तहत ग्रामीण सड़कों की 5% लंबाई का निर्माण ‘कॉयर जियो टेक्सटाइल्स’ का उपयोग करके किया जाएगा।

निर्माण कार्य एवं अनुमानित लागत: 

  • तदनुसार, कॉयर जियो-टेक्सटाइल्स का उपयोग करके आंध्र प्रदेश में 164 किलोमीटर, गुजरात में 151 किमी., केरल में 71 किमी., महाराष्ट्र में 328 किमी., ओडिशा में 470 किमी., तमिलनाडु में 369 किमी. और तेलंगाना में 121 किमी. सड़क का निर्माण किया जाएगा।
  • इस प्रकार 7 राज्यों में ‘कॉयर जियो टेक्सटाइल्स’ का उपयोग करके 1674 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाएगा जिसके लिये एक करोड़ वर्ग मीटर कॉयर जियो-टेक्सटाइल्स की आवश्यकता होगी। इसकी अनुमानित लागत 70 करोड़ रुपए है।

स्रोत: पीआईबी


जैव विविधता और पर्यावरण

प्रमुख पर्यावरण आदेश: हड्डा रोड़ी में प्रदूषण

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण, सतलज नदी

मेन्स के लिये:

पर्यावरण प्रदूषण एवं अपशिष्ट निपटान से संबंधित मुद्दा

चर्चा में क्यों?

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जसबीर सिंह की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति ने सतलज नदी के पास पंजाब के लुधियाना में हड्डा रोड़ी (Hadda Roddi) में प्रदूषण पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal- NGT) को अपनी रिपोर्ट पेश की।

प्रमुख बिंदु:

  • इस समिति ने 13 फरवरी, 2020 को पंजाब के लधोवाल गाँव में शव निपटान स्थल का दौरा किया और निरीक्षण करने पर पाया कि हड्डा रोड़ी स्थल में लुधियाना एवं उसके आसपास के इलाकों से प्रतिदिन लगभग 40-50 मृत पशुओं को लाया जाता है। 
  • पैनल ने कहा कि लगभग 5.5 एकड़ जमीन पर मृत जानवरों को काटा जाता है और उनके कुछ हिस्सों जैसे- हड्डियाँ, खाल (त्वचा), गोबर, आंत आदि को अलग किया जाता है।
  • इन सभी गतिविधियों को सामान्य तरीके से किया जाता है। इसके बाद विनिर्माण इकाइयों द्वारा आगे की प्रक्रिया के लिये खाल, हड्डियाँ एवं आंत को बाज़ार में बेचा जाता है।
  • इससे आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरणीय प्रदूषण फैल रहा है तथा गहन निरीक्षण करने पर सतलज के किनारे अपशिष्ट जल में मृत जानवरों के कुछ अंग पाए गए। 
  • समिति ने शव निस्तारण संयंत्रों के मालिकों के साथ भी चर्चा की तो बताया गया कि उनके पास वर्तमान स्थान पर मृत जानवरों को संसाधित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि आधुनिक एवं वैज्ञानिक शव निपटान संयंत्र लुधियाना के ‘नूरपुर बेट’ में है जो दूर भी है और अभी तक चालू भी नहीं हुआ है।
  • समिति का विचार था कि सतलज के तट पर पर्यावरणीय खतरे को ध्यान में रखते हुए वर्तमान स्थानों पर इन गतिविधियों को बंद करने की आवश्यकता है। 
    • लुधियाना नगर निगम को आधुनिक एवं वैज्ञानिक शवों के निस्तारण संयंत्र को तुरंत पूरा करना चाहिये और इसके लिये पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जल अधिनियम, 1974 और वायु अधिनियम, 1981 के प्रावधानों के तहत पहले ही अनापत्ति प्रमाणपत्र दे देना चाहिये था।
    • समिति ने सिफारिश की कि यदि नगर निगम (लुधियाना) 31 अगस्त, 2020 तक नूरपुर बेट में वैज्ञानिक शव निपटान संयंत्र को चालू करने में विफल रहता है तो संयंत्र के चालू होने तक प्रति माह एक लाख रुपये की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति उस पर लगाई जानी चाहिये।
  • निगरानी समिति की इस रिपोर्ट को 10 मई, 2020 को सार्वजनिक किया गया था।

सतलज नदी: 

  • सतलज नदी उन पाँच नदियों में से सबसे लंबी है जो उत्तरी भारत एवं पाकिस्तान के पंजाब के ऐतिहासिक क्षेत्र से होकर बहती हैं।
  • सतलज नदी को ‘सतद्री’ के नाम से भी जाना जाता है। यह सिंधु नदी की सबसे पूर्वी सहायक नदी है।
  • इसका उद्गम सिंधु नदी के स्रोत के 80 किमी. दूर पश्चिमी तिब्बत में मानसरोवर झील के समीप राकसताल झील से होता है।
  • सिंधु की तरह यह तिब्बत-हिमाचल प्रदेश सीमा पर शिपकी-ला दर्रे तक एक उत्तर-पश्चिमी मार्ग को अपनाती है। यह शिवालिक श्रंखला को काटती हुई पंजाब में प्रवेश करती है। 
  • पंजाब के मैदान में प्रवेश करने से पहले यह ‘नैना देवी धार’ में एक गाॅर्ज का निर्माण करती है जहाँ प्रसिद्ध भाखड़ा बाँध का निर्माण किया गया है।
  • रूपनगर (रोपड़) में मैदान में प्रवेश करने के बाद यह पश्चिम की ओर मुड़ती है और हरिके नामक स्थान पर ब्यास नदी में मिल जाती है।
  • फिरोज़पुर के पास से लेकर फाज़िल्का तक यह भारत और पाकिस्तान के बीच लगभग 120 किलोमीटर तक सीमा बनाती है।
  • अपनी आगे की यात्रा के दौरान यह रावी, चिनाब और झेलम नदियों के साथ सामूहिक जलधारा के रूप में मिठानकोट से कुछ किलोमीटर ऊपर सिंधु नदी में मिल जाती है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ


भारतीय अर्थव्यवस्था

वस्तु एवं सेवा कर और छूट

प्रीलिम्स के लिये:

वस्तु एवं सेवा कर

मेन्स के लिये:

वस्तु एवं सेवा कर पर छूट से उत्पन्न समस्याओं से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

विभिन्न उद्योगों ने COVID-19 से उत्पन्न आर्थिक समस्याओं से निपटने हेतु वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) में छूट देने की मांग की है।

प्रमुख बिंदु:

  • हालाँकि वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) का मानना है कि ‘वस्तु एवं सेवा कर’ में छूट देने से राज्य के वित्त पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, उद्योगों को नुकसान होगा जिसके परिणामस्वरुप उपभोक्ताओं को मूल्य वृद्धि का सामना करना पड़ेगा।
  • ध्यातव्य है कि पूर्व में सैनिटरी नैपकिन (Sanitary Napkins) पर ‘वस्तु एवं सेवा कर’ में छूट देने के कारण घरेलू उद्योगों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा था। 
  • हाल ही में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (Personal Protective Equipment), मास्क (Mask) पर भी ‘वस्तु एवं सेवा कर’ में छूट देने से घरेलू उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था।
  • जीएसटी में छूट वस्तुओं के आयात को  प्रोत्साहित करेगी  जिसके परिणामस्वरूप   स्थानीय वस्तुओं की तुलना में आयातित वस्तुएँ सस्ती हो जाएंगी तथा घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुँचेगा।
  • ‘वस्तु एवं सेवा कर’ में छूट देने से इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit- ITC) प्रभावित होगा जिसके कारण विनिर्माण की लागत में वृद्धि और उपभोक्ताओं को उच्च लागत पर वस्तुएँ प्राप्त होंगी।
  • देशभर में लॉकडाउन के मद्देनज़र बहुत से विनिर्माता, थोक विक्रेता और खुदरा विक्रेताओं ने अपने गोदामों में वस्तुओं को इकट्टा कर लिया है जिनकी इनपुट टैक्स क्रेडिट कई लाख करोड़ रुपए हैं। ऐसी हालत में ‘वस्तु एवं सेवा कर’ में छूट देने से उपभोक्ताओं के लिये वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होगी।
  • ‘वस्तु एवं सेवा कर’ में छूट से कच्चा माल तथा उत्पादित वस्तुओं का खाता अलग-अलग तैयार करना आवश्यक होगा जिसके कारण विनिर्माताओं को एक अलग समस्या का सामना करना पड़ेगा।

वस्तु एवं सेवा कर

(Goods and Services Tax- GST):

  • एक ऐतिहासिक कर बदलाव के रूप में वस्तु एवं सेवा कर 1 जुलाई, 2017 से लागू हुआ है।
  • केंद्र व राज्य दोनों स्तरीय अधिभारों को समेटते हुए GST सहकारी संघवाद को सरकारों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
  • 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के द्वारा अनुच्छेद 366 में एक नया खंड (12A) जोड़ा गया, जिसके अनुसार, ‘वस्तु एवं सेवा कर’ का अर्थ है- मानव उपभोग के लिये मादक पेय पदार्थों की आपूर्ति पर लगने वाले कर को छोड़कर वस्तुओं या सेवाओं या दोनों की आपूर्ति पर लगने वाला कर।

 वस्तु एवं सेवा कर का स्वरूप:

  • एक राज्य के भीतर होने वाले लेन-देन पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए कर को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST) कहा जाता है। CGST केंद्र सरकार के खाते में जमा किया जाता है।
  • राज्यों द्वारा लगाए गए करों को राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST) कहा जाता है। SGST कर को राज्य सरकार के खाते में जमा किया जाता है।
  • इसी प्रकार केंद्र द्वारा प्रत्येक अंतर-राज्य वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर एकीकृत जीएसटी (IGST) लगाने और प्रशासित करने की व्यवस्था है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 मई, 2020

‘नेशनल टेस्ट अभ्यास’ एप्लीकेशन

हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ‘नेशनल टेस्ट अभ्यास’ (National Test Abhyas) नामक एक नया मोबाइल एप जारी किया है। इस एप को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (National Testing Agency-NTA) द्वारा विकसित किया गया है, जो उम्मीदवारों को आगामी परीक्षाओं जैसे जेईई मेन (JEE Main), एनईईटी (NEET) के लिये मॉक टेस्ट देने में सक्षम बनाएगा। इस एप की शुरूआत मुख्य रूप से उम्मीदवारों को उनके घरों में सुरक्षा और सुविधा के साथ उच्च गुणवत्ता वाले मॉक टेस्ट की सुविधा प्रदान करना है, क्योंकि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण शैक्षणिक संस्थानों और NTA के टेस्ट-प्रैक्टिस सेंटर (Test-Practice Centers-TPCs) के बंद रहने से छात्रों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा था। देश भर के छात्र, आगामी JEE, NEET और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिये उच्च गुणवत्ता वाले टेस्टों की प्राप्ति हेतु इस एप का उपयोग कर सकते हैं, जो कि पूर्ण रूप से मुफ्त है। इन टेस्टों को आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है और उन्हें ऑफलाइन रहते हुए भी पूरा किया जा सकता है। निर्माताओं के अनुसार, यह एप एंड्रॉयड आधारित स्मार्टफोन और टैबलेट पर कार्य करता है और इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। यह एप जल्द ही IOS पर भी उपलब्ध होगा। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) एक स्वायत्त संस्था है जो देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश एवं छात्रवृत्ति हेतु प्रवेश परीक्षाएँ आयोजित कराती है। इसकी स्थापना भारतीय संस्था पंजीकरण अधिनियम- 1860 के तहत की गई थी।

आतंकवाद विरोधी दिवस

प्रतिवर्ष 21 मई को संपूर्ण भारत में आतंकवाद विरोधी दिवस (Anti-Terrorism Day) मनाया जाता है। आतंकवाद विरोधी दिवस का आयोजन मुख्य रूप से भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को स्मरण करना है। इस के आयोजन का उद्देश्य आम लोगों में हिंसा और आतंकवाद के प्रति जागरूकता फैलाना है। इस अवसर पर युवाओं को आतंकवाद के विरुद्ध जागरूक करने और उन्हें मानव पीड़ा तथा मानव जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में जानकारी प्रदान करने जैसे कार्य किये जाते हैं। आतंकवाद विरोधी दिवस के अवसर पर देश भर के विभिन्न हिस्सों में उक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिये गृह मंत्रालय द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मात्र 40 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गांधी भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री थे और संभवतः दुनिया के उन युवा राजनेताओं में से एक हैं जिन्होंने इतनी कम उम्र में किसी सरकार का नेतृत्त्व किया। राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बम्बई (मुंबई) में हुआ था। विज्ञान में रूचि रखने वाले राजीव गांधी वर्ष 1984 को अपनी माँ की हत्या के पश्चात् वे काॅन्ग्रेस अध्यक्ष एवं देश के प्रधानमंत्री बने और वर्ष 1989 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। 21 मई, 1991 को चेन्नई में एक रैली के दौरान अलगाववादी संगठन लिट्टे की महिला सुसाइड बॉम्बर ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी।

दिलीप उम्मेन

हाल ही में दिलप उम्मेन को भारतीय इस्पात संघ (Indian Steel Association-ISA) का नया अध्यक्ष चुना गया है। इस संबंध में ISA द्वारा जारी सूचना के अनुसार, ‘आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (Arcelor Mittal Nippon Steel India) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) दिलीप उम्मेन को ISA का अध्यक्ष चुना गया है और वे तत्काल पदभार संभालेंगे।’ ध्यातव्य है कि दिलीप उम्मेन का चयन 19 मई, 2020 को आयोजित बोर्ड की असाधारण बैठक में किया गया था। दिलीप उम्मेन इस पद पर टाटा स्टील (Tata Steel) के CEO टी. वी. नरेंद्रन (T. V. Narendran) का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल अगस्त में समाप्त होने वाला था, किंतु उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पूर्व एक मई को ही अध्यक्ष पद से हटने की घोषणा कर दी थी। ISA के अध्यक्ष के तौर पर दिलीप उम्मेन को दो वर्षीय कार्यकाल के लिये चुना गया है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology-IIT) खड़गपुर के पूर्व छात्र दिलीप उम्मेन को इस्पात उद्योग में 37 से अधिक वर्षों का अनुभव है।


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