डेली न्यूज़ (11 Jun, 2019)



भारत का प्रथम बीएस-VI प्रमाण पत्र जारी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्‍नोलॉजी (International Centre for Automotive Technology- ICAT) ने नई दिल्‍ली में दोपहिया वाहनों हेतु भारत स्‍टेज-VI (Bharat Stage - VI/BS – VI) मानकों का पहला टाइप अप्रूवल सर्टिफिकेट (Type Approval Certificate) जारी किया।

प्रमुख बिंदु

  • BS-VI मानकों के लिये दोपहिया वाहनों के क्षेत्र में यह भारत का प्रथम प्रमाण पत्र है।
  • BS-VI मानक, नवीनतम उत्‍सर्जित मानकों के रूप में हाल ही में भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किये गए हैं।
  • ICAT ने ऑटोमोटिव उद्योग के विकास, अनुकूलन और इन भावी उत्‍सर्जित मानकों का अनुपालन करने के लिये इंजनों तथा वाहनों की जाँच में सहायता और सहयोग देने की दिशा में अनेक कदम उठाए हैं।
  • पिछले वर्ष ICAT ने भारी वाहन के क्षेत्र में एम/एस वॉल्वो आयशर कमर्शियल व्हिकल्‍स (M/s Volvo Eicher Commercial Vehicles) के लिये बीएस-VI मानकों की स्‍वीकृति दी थी। जो कि भारत में इस क्षेत्र में पहली बार था।
  • वाहनों से होने वाले उत्‍सर्जन के कारण वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरों पर नियंत्रण पाने के लिये भारत सरकार ने मौजूदा बीएस-IV मानकों से सीधे बीएस VI मानकों को अपनाने का फैसला किया है।
  • इस प्रकार 1 अप्रैल, 2020 से बीएस-V मानकों को छोड़कर सीधे बीएस VI मानक लागू करने का फैसला किया गया है।
  • 1 अप्रैल, 2020 से भारत में केवल उन्‍हीं वाहनों को बेचा और पंजीकृत किया जाएगा, जो इन मानकों का अनुपालन करेंगे। ये मानक कड़े हैं और अंतर्राष्‍ट्रीय मापदंडों के अनुरूप हैं।

भारत स्‍टेज मानक/मानदंड

(Bharat Stage Norms)

  • भारत स्‍टेज मानक ऑटोमोटिव उत्‍सर्जन मानक हैं।
  • भारत में अपने वाहन बेचने के लिये ऑटोमोटिव विनिर्माताओं को इनका अनुपालन करना पड़ता है। ये मानक सभी दोपहिया, तिपहिया और चार पहिये वाले वाहनों तथा निर्माण उपकरण वाहनों पर लागू होते हैं।

इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्‍नोलॉजी

(International Centre for Automotive Technology- ICAT)

  • ICAT सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) द्वारा प्राधिकृत प्रमुख परीक्षण एवं प्रमाणन एजेंसी है, जो भारत और विदेश में वाहनों एवं उनके कल-पुर्जों के विनिर्माताओं को परीक्षण एवं प्रमाणन की सुविधा उपलब्‍ध कराती है।
  • इसमें उत्सर्जन के क्षेत्र में नवीनतम मानदंडों के लिये इंजन और वाहनों को विकसित करने, सत्यापन, परीक्षण एवं प्रमाणित करने तथा क्रैश लैब (Crash Lab-यूनाइटेड किंगडम की एक स्वतंत्र वीडियो गेम डेवलपर कंपनी), एनवीएच लैब (Noise, Vibration, and Harshness Lab), ईएमसी लैब (Electromagnetic Compatibility Lab) और परीक्षण पटरियों जैसी कई अन्य सुविधाओं के लिये नवीनतम उपकरण, सुविधाएँ एवं क्षमताएँ मौज़ूद है।

स्रोत- PIB


जी 20 मंत्रिस्तरीय बैठक

चर्चा में क्यों?

जापान के टोक्यो शहर के पास स्थित त्सुकुबा में व्यापार तथा डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे विषयों पर G20 मंत्रिस्तरीय शिखर सम्मेलन का 9 जून को समापन हो गया।

प्रमुख बिंदु

  • बैठक में G20 देशों के मध्य व्यापार तथा सहयोग को बढ़ाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया ताकि डिजिटल अर्थव्यवस्था की क्षमता का पूर्ण उपयोग किया जा सके।
  • हालाँकि G20 में कोई अनिवार्य प्रतिबद्धता नहीं है, यह व्यापार संबंधों के लिये बहुपक्षीय एजेंडा निर्धारित करता है।

भारत द्वारा उठाए गए मुद्दे

  • विकासशील देशों में घरेलू तथा वैश्विक व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिये मध्यम और लघु उद्योगों की भागीदारी।
  • डिजिटल कराधान: भारत ने वैश्विक डिजिटल कंपनियों पर कर लगाने के लिये ‘महत्त्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति’ (Significant Economic Presence) की अवधारणा को अपनाने का आग्रह किया है।
  • भगोड़ा आर्थिक अपराध: भारत ने G20 देशों से उन भगोड़े आर्थिक अपराधियों से निपटने में सहयोग देने के लिये भी कहा है जो कानून से बचने के लिये अपने देश से भाग जाते हैं।
  • गैर-अनुपालन कर: भारत ने गैर-अनुपालन कर सीमाधिकार (Non-Compliant Tax Jurisdictions) से निपटने के लिये एक आम रक्षात्मक टूलकिट (Common Defensive Toolkit ) के विकास की बात पर भी ज़ोर दिया है। गौरतलब है कि गैर-अनुपालन कर सीमाधिकार कर संबंधी जानकारी साझा करने पर रोक लगाता है।
  • G20 वैश्विक फोरम को विकासशील देशों तथा वित्तीय केंद्रों, जो कि प्रासंगिक हैं परंतु अभी तक इसके लिये प्रतिबद्ध नहीं हैं, के अधिकार क्षेत्रों को निर्धारित कर ‘वित्तीय खाते की जानकारी के स्वतः आदान-प्रदान’ (Automatic Exchange of Financial Account Information- AEOI) हेतु नेटवर्क को और अधिक विस्तृत करना चाहिये।

डिजिटल कराधान

  • इंटरनेट की दिग्गज कंपनियाँ - फेसबुक और गूगल आयरलैंड जैसे देशों में कम-कर क्षेत्राधिकार (Low-Tax Jurisdictions) का लाभ उठती हैं तथा उन देशों में नहीं के बराबर भुगतान करती हैं जहाँ से वे काफी लाभ कमाती हैं।
    • डिजिटल आर्थिक कंपनियों द्वारा अर्जित किये गए लाभ पर कर लगाने के लिये संबंध को निर्धारित तथा लाभ आवंटित करने जैसे मुद्दों को सुलझाने पर भी जोर दिया गया।
  • G20 ने कर वितरण प्रणाली को ठीक करने का कार्य ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ (Organisation for Economic Cooperation and Development) को सौंपा है।

भगोड़ा आर्थिक अपराधी

  • भगोड़ा आर्थिक अपराधी वह व्यक्ति होता है जिसने 100 करोड़ या उससे अधिक की राशि से संबंधित कोई अपराध किया हो तथा भारत में आपराधिक मुकदमे का सामना करने से बचने के लिये या तो फरार हो गया हो या भारत वापस आने से मना कर रहा हो।
  • यह वह व्यक्ति होता है जिसे धनशोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money-Laundering Act) [PMLA, 2002] के अधीन गठित ‘विशेष न्यायालय’ द्वारा भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जाता है, जिसके विरुद्ध भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 में वर्णित किसी आर्थिक अपराध के लिये गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया हो तथा जिसने आपराधिक अभियोग से बचने के लिये या तो भारत छोड़ दिया है या वापस आने से मना कर दिया है।

वित्तीय खाते संबंधी जानकारी का स्वतः आदान-प्रदान (AEOI)

  • ‘वित्तीय खाते संबंधी जानकारी का स्वत: आदान-प्रदान’ गैर-निवासियों के वित्तिय खातों की जानकारी को खाता धारक के देश के कर अधिकारियों के साथ साझा करने की सुविधा देता है। यह कर चोरी की संभावनाओं को कम करता है।
  • यह पूर्व में हुई कर चोरी का पता लगाने में सक्षम बनाएगा। यह सरकार को उस कर की वसूली में भी सक्षम बनाएगा जिसे सरकार को गैर-करदाताओं के कारण खोना पड़ा | यह वित्तीय संस्थानों और कर प्रशासन के मध्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पारदर्शिता, सहयोग और जवाबदेही को बढ़ावा देने के प्रयासों को भी मज़बूती प्रदान करेगा।
  • इसके अतिरिक्त यह छिपाई गई संपत्ति के स्वैच्छिक खुलासे को बढ़ावा देकर तथा करदाताओं को सभी प्रासंगिक जानकारी प्राप्त करने के लिये प्रोत्साहित करके अतिरिक्त लाभ प्रदान करेगा।

G20 समूह

  • ग्रुप ऑफ़ टवेंटी या G20, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय (Economic and Financial) एजेंडा के सबसे महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग हेतु प्रमुख मंच है। यह दुनिया की प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है।
  • G20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
  • G20 के सम्मेलनों में संयुक्त राष्ट्र (United Nation), IMF और विश्व बैंक भी भाग लेते हैं।

g20 group

G20 समूह में शामिल अर्थव्यवस्थाएँ

  • G20 समूह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत, वैश्विक निवेश का 80% तथा पूरे विश्व की जनसंख्या के दो-तिहाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।

g20

G20 समूह का उद्देश्य

  • वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सतत् आर्थिक संवृद्धि हासिल करने हेतु सदस्यों के मध्य नीतिगत समन्वय स्थापित करना।
  • वित्तीय विनियमन (Financial Regulations) को बढ़ावा देना जो कि जोखिम (Risk) को कम करते हैं तथा भावी वित्तीय संकट (Financial Crisis) को रोकते हैं।
  • एक नया अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय आर्किटेक्चर बनाना।

G20 समूह की उत्पति और विकास

  • 1997 के बड़े वित्तीय संकट के पश्चात् यह निर्णय लिया गया था कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर एकत्रित होना चाहिये।
  • G20 समूह की स्थापना 1999 में 7 देशों-अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, फ़्राँस और इटली के विदेश मंत्रियों के नेतृत्व में की गई थी।
  • संयुक्त राष्ट्र (United Nation), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तथा विश्व बैंक (World Bank) के स्टाफ स्थायी होते हैं और इनके हेडक्वार्टर भी होते हैं, जबकि G20 का न तो स्थायी स्टाफ होता है और न ही हेडक्वार्टर, यह एक फोरम मात्र है।

स्रोत- बिज़नेस लाइन


‘वायु’ चक्रवात

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग ने साइक्लोन ‘वायु‘ के लिये ऑरेंज चेतावनी जारी की। गौरतलब है कि यह चक्रवात भारत की ओर बढ़ रहा है जो गुजरात के तट पर टकराएगा। वर्तमान में इसकी अवस्थिति लक्षद्वीप के अमिनिदिवी दीप से 250 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में तथा मुंबई से 750 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम की दूरी पर है जिसे गुजरात के तट पर पहुँचने में दो से तीन दिनों का समय लग सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • तुलनात्मक रूप से वायु चक्रवात, फणि की अपेक्षा बहुत कमज़ोर है। पूर्वानुमानों के अनुसार, अत्यधिक शक्तिशाली रूप में भी इसे ‘गंभीर चक्रवाती तूफ़ान’ की श्रेणी में ही रखा जाएगा है।
  • जब किसी स्थलीय क्षेत्र में निम्न दाब उत्पन्न हो जाए तो वह मानसून को अपनी ओर खींचता है। लेकिन चक्रवात के केंद्र में निर्मित निम्न दाब इसकी तुलना में अत्यधिक शक्तिशाली होता है जिस कारण से यह उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रही मानसूनी हवाओं को भी अपनी ओर खींच लेता है।
  • विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि वर्तमान मौसम के आधार पर यह पूर्वानुमान लगाया गया है कि वायु चक्रवात 12 जून की आधी रात या 13 जून की सुबह गुजरात के तट पर टकराएगा। तत्पश्चात् इसके बहुत तेज़ी से फैलने की संभावना है क्योंकि इस क्षेत्र की भूमि और वातावरण में नमी का अभाव होता है। बाद में उत्तर की ओर पहुँचने में इसे दो-तीन दिनों का समय और लग सकता है।

अरब सागरीय चक्रवात

  • बीते 120 वर्षों से जो आँकड़े प्राप्त हुए हैं उनमें से लगभग 14% सभी चक्रवाती तूफान व 23% गंभीर चक्रवात, भारत के आसपास अरब सागर की ओर से आते हैं।
  • बंगाल की खाड़ी की तुलना में अरब सागर में कम तीव्रता वाले चक्रवात आते है। जबकि बंगाल की खाड़ी से अक्सर उच्च तीव्रता के गंभीर चक्रवात आते हैं।
  • गुजरात के तटीय क्षेत्र की आबादी बहुत कम है जिस कारण तुलनात्मक रूप से यहाँ पर जान-माल की हानि कम मात्रा में होती है।

बंगाल की खाड़ी चक्रवातों के अनुकूल क्यों हैं?

  • तापीय विभिन्नता - अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी का तापमान अधिक है जिस कारण से यह चक्रवातों के लिये आवश्यक निम्न दाब बनाए रखने हेतु ऊष्मीय ऊर्जा प्रदान करता रहता है।
  • समुद्र सतही तापमान एवं आर्द्रता दोनों मिलकर चक्रवात निर्माण की संभावना को बढ़ा देते हैं।
  • बंगाल की खाड़ी में लगातार होने वाली वर्षा एवं गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा निर्मित डेल्टा से इसकी सतह पर ताज़ा जल प्रवाह के कारण यह गर्म जल को ठंडे जल से मिलने नहीं देता जिसके फलस्वरूप चक्रवात का निर्माण होता है।
  • इसके विपरीत अरब सागर में काफी तेज़ हवाएँ चलती रहती हैं तथा ताज़ा जल के अभाव में गर्म जलीय सतह एवं ठंडी जल सतह आपस में मिल जाती है और ऊष्मा का ह्रास हो जाता है।
  • बंगाल की खाड़ी और प्रशांत महासागर के बीच स्थलीय अवरोधों के अभाव में चक्रवातीय हवाएँ बंगाल की खाड़ी तक आसानी से पहुँच जाती हैं।
  • प्रशांत महासागरीय चक्रवात- प्रशांत महासागर से उठने वाले निम्न दाब चक्रवात भी बंगाल की खाड़ी के बाईं ओर पहुँच जाते हैं जिससे यहाँ पर अधिक चक्रवात देखे जाते हैं।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


भूख से निपटने में पंजाब और केरल सबसे आगे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुछ राज्यों को छोड़कर लगभग सभी राज्यों में भुखमरी की स्थिति अत्यंत गंभीर है।

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक भुखमरी को समाप्त करने की समय-सीमा वर्ष 2030 निर्धारित की है जिसमें भारत एक बड़ी भूमिका में है क्योंकि यहाँ की एक बड़ी जनसंख्या भुखमरी से पीड़ित है।
  • संयुक्त राष्ट्र के इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिये भारत द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन अधिकांश राज्यों का प्रदर्शन आशानुरूप नहीं है।
  • मात्र पाँच ऐसे राज्य हैं जो कि भूख की समस्या से निपटने के लिये सबसे अच्छा काम कर रहे हैं। ये पाँच राज्य हैं- पंजाब, केरल, गोवा, मिज़ोरम और नगालैंड।
  • वहीं झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मेघालय तथा राजस्थान में यह समस्या लगातार बनी हुई है।
  • भूख की समस्या से निज़ात पाने में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, तमिलनाडु और कर्नाटक समेत कई राज्यों का प्रदर्शन ठीक-ठाक है।
  • भुखमरी खत्म करने में राज्य सरकारें विफल रही हैं, इस विफलता का एक प्रमुख कारण राज्यों और देश की आबादी को माना जा रहा है।

Target hunger 2030

2030 तक का लक्ष्य

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत् विकास लक्ष्य के अनुसार, वर्ष 2030 तक एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की संख्या को कम करके 23.57% तक लाने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि भारत इस लक्ष्य से काफी दूर है और 50.30 प्रतिशत तक ही पहुँच पाया है। झारखंड, बिहार, हरियाणा, त्रिपुरा और मेघालय ऐसे राज्य हैं जहाँ महिलाओं में एनीमिया की समस्या सर्वाधिक है।
राज्य महिलाओं में एनीमिया का प्रतिशत
झारखंड 62.6
बिहार 58.3
हरियाणा 55.0
त्रिपुरा 54.4
मेघालय 53.1

  • पाँच साल तक के बच्चों के विकास के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21.03 प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जबकि भारत अब तक महज़ 38.40 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर पाया है। बच्चों में स्टंटिंग (WHO मानकों के अनुसार उम्र की तुलना में लंबाई कम होना) की सर्वाधिक समस्या वाले राज्य इस प्रकार हैं-
राज्य बच्चों में स्टंटिंग का प्रतिशत
बिहार 48.3
उत्तर प्रदेश 46.3
झारखंड 45.3
मेघालय 43.8
मध्य प्रदेश 42.0

सार्वजनिक वितरण प्रणाली की प्रभावशीलता

  • (सबसे ख़राब प्रदर्शन करने वाले 5 राज्य)
राज्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली की प्रभावशीलता का प्रतिशत
केरल 0.74
आंध्र प्रदेश 0.77
तमिलनाडु 0.80
तेलंगाना 0.81
बंगाल 0.90


खाद्य उत्पादन में सबसे ख़राब प्रदर्शन करने वाले राज्य

राज्य धान, गेहूँ, मोटे अनाज आदि का प्रति हेक्टेयर वार्षिक उत्पादन (किग्रा. में)
महाराष्ट्र 1,069.6
छत्तीसगढ़ 1469.2
मणिपुर 1485.1
ओडिशा 1485.2
सिक्किम 1507.9


सतत विकास लक्ष्य -2 (शून्य भूख)

Sustainable Development Goal-2 (Zero Hunger)

  • सतत विकास लक्ष्य 2 वर्ष 2030 तक भूख के सभी रूपों को समाप्त करने और खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिये स्थायी समाधान का प्रावधान करने से संबंधित है।
  • इस उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर किसी के पास स्वस्थ जीवन जीने के लिये प्रत्येक व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में अच्छी गुणवत्ता वाला भोजन उपलब्ध हो।
  • लक्ष्य-2 नीचे दिये गए अन्य लक्ष्यों से भी संबंधित है-

sustainable development

भुखमरी को कम करने के संदर्भ में भारत सरकार की पहल

  • राष्ट्रीय पोषण रणनीति (National Nutrition Strategy) का उद्देश्य भारत में कुपोषण के मामलों में कमी लाना है। राष्ट्रीय पोषण मिशन बच्चों के विकास की निगरानी करने के साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रदान किये जाने वाले खाद्य राशनों की चोरी की भी जाँच करता है।
  • 2017-18 में शुरू किये गए पोषण अभियान (POSHAN Abhiyaan) का उद्देश्य विभिन्न कार्यक्रमों के बीच तालमेल और अभिसरण के माध्यम से स्टंटिंग, कुपोषण, एनीमिया और जन्म के समय शिशुओं में कम वज़न की समस्या को कम करना, बेहतर निगरानी और बेहतर सामुदायिक सहयोग स्थापित करना है।
  • अंत्योदय अन्न योजना (Antoydaya Anna Yojana-AAY) का उद्देश्य गरीब परिवारों को रियायती मूल्य पर भोजन उपलब्ध कराना है।
  • एकीकृत बाल विकास योजना (Integrated Child Development Scheme-ICDS): 0-6 वर्ष की आयु, गर्भवती महिलाओं और किशोरियों में बच्चों पर ध्यान केंद्रित करके बचपन की व्यापक देखभाल और विकास की परिकल्पना करती है।
  • मध्याह्न भोजन योजना (Mid-day Meal-MDM) का उद्देश्य स्कूली बच्चों के बीच पोषण स्तर में सुधार करना है जिसका स्कूलों में नामांकन, प्रतिधारण और उपस्थिति पर सीधा तथा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना (Pradhan Mantri Matru Vandana Yojana-PMMVY) के तहत, गर्भवती महिलाओं के बैंक खातों में 6,000 रुपए सीधे हस्तांतरित किये जाते हैं ताकि वे प्रसव हेतु बेहतर सुविधाओं का लाभ उठा सकें।
  • कृषि विस्तार और प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Agriculture Extension and Technology) किसानों के लिये उपयुक्त तकनीकों और उन्नत कृषि अभ्यासों के वितरण को सक्षम बनाता है।
  • सतत कृषि पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Sustainable Agriculture) एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission) का उद्देश्य कृषि उत्पादकता को बढ़ाना और प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana (PMKSY) का उद्देश्य जल-उपयोग दक्षता में सुधार करना है।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (11 June)

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने 8-9 जून को जापान के इबाराकी प्रांत के त्सुकुबा शहर में व्यापार और डिजिटल अर्थव्यवस्था पर आयोजित G-20 की मंत्रिस्तरीय बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इस बैठक में वैश्विक व्यापार की स्थिति से संबंधित विभिन्‍न घटनाक्रमों, विश्व व्यापार संगठन से जुड़े मुद्दों और डिजिटल व्यापार पर चर्चा की गई। गौरतलब है कि G-20 में कोई बाध्यकारी प्रतिबद्धता नहीं है, लेकिन यह बहुपक्षीय व्यापार संबंधों के लिये एजेंडा निर्धारित करता है। इस बैठक की विशेषता यह रही कि 50 से भी अधिक व्यापार और डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्री G-20 के इतिहास में पहली बार मिले। अनुमान है कि डिजिटलीकरण से वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ समाज भी निरंतर लाभान्वित होगा और इसके साथ ही समावेशी, अभिनव एवं मानव केंद्रित भावी Society 5.0 का विकास सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। G-20 में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। ये 19 देश हैं-

अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, रूस, जापान, मेक्सिको, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका। G-20 के सदस्य देश दुनिया के दो-तिहाई लोगों और 85 प्रतिशत अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं।

  • बेहतर निवेश और निजी खपत के दम पर भारत आने वाले समय में भी सबसेवर्षों वर्ष तक भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। विश्व बैंक ने हाल ही में जारी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में वित्त वर्ष 2018-19 में भारत के 7.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का अनुमान है। वर्ष 2021 तक भारत की आर्थिक वृद्धि दर चीन के 6 प्रतिशत की तुलना में डेढ़ प्रतिशत अधिक रहेगी। 2019-20 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। गौरतलब है कि विश्व बैंक ने अपने पिछले पूर्वानुमान में भी 2019-20 में वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था। दूसरी तरफ मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा के दौरान 6 जून को रिज़र्व बैंक ने 2019-20 के लिये विकास दर अनुमान को पहले के 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया। वृद्धि दर के अनुमान में कमी का कारण कमज़ोर वैश्विक परिदृश्य तथा निजी खपत में कमी बताया गया।
  • टाटा पॉवर रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड गुजरात के रघनेसदा सोलर पार्क में 100 मेगावाट की सौर परियोजना का विकास करने जा रही है। इसके लिये उसे गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड की अनुमति मिल गई है। इस परियोजना में उत्पादित ऊर्जा की आपूर्ति गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड को पॉवर परचेज़ एग्रीमेंट के तहत की जाएगी, जो निर्धारित वाणिज्यिक परिचालन तिथि से 25 वर्ष तक के लिये वैध होगा। कंपनी को इस परियोजना की शुरुआत पॉवर परचेज़ एग्रीमेंट के निष्पादन की तिथि से 15 माह के भीतर करनी होगी। इस परियोजना के शुरू होने के बाद टाटा पॉवर रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड की क्रियान्वयन क्षमता 500 मेगावाट हो जाएगी, जो 2268 मेगावाट की परिचालन क्षमता से जुड़ेगी। यह संयंत्र प्रतिवर्ष 250 MU ऊर्जा का उत्पादन करेगा और वार्षिक आधार पर कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में लगभग 250 मिलियन किग्रा. की कमी करेगा।
  • डेनमार्क में हुए आम चुनाव में लेफ्ट यानी रेड ब्लॉक को सत्ता मिली है। इस गठबंधन की सोशल डेमोक्रेट पार्टी को सबसे अधिक वोट मिले। वर्तमान में सत्ताधारी राइट विंग यानी ब्लू ब्लॉक प्रधानमंत्री लार्स लोकी की अगुवाई में दूसरे स्थान पर रही। रेड ब्लॉक को 91 सीटें और ब्लू ब्लॉक को 75 सीटें मिली हैं। 15 दिनों के अंतराल में यह दूसरा मौका है, जब डेनमार्क के लोगों ने धुर दक्षिणपंथियों को नकार दिया है। इससे पहले यूरोपीय संसद के लिये हुए चुनाव में दक्षिणपंथी पार्टी की पराजय हुई थी। गौरतलब है कि डेनमार्क में बहुदलीय परंपरा है और यहाँ गठबंधन की सरकारें ही सत्ता संभालती आ रही हैं, जो दो गठबंधनों में बंटी हुई हैं। इन चुनावों में प्रवासी मुद्दा प्रमुख मुद्दा बताया जा रहा था, क्योंकि वर्ष 2015 में जब से प्रवासी संकट पैदा हुआ है, डेनमार्क यूरोप के उन देशों में से है जिन्होंने सबसे कम प्रवासियों को शरण दी है। इसके अलावा पर्यावरण भी डेनमार्क में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है और इसके साथ स्वास्थ्य और पेंशन के मुद्दे भी इस चुनाव प्रचार के दौरान चर्चा में रहे।
  • गूगल के भारतीय मूल के CEO सुंदर पिचई और नैसडाक की प्रेसिडेंट एडीना फ्रीडमन को इस साल के ग्लोबल लीडरशिप अवार्ड के लिये चुना गया है। टेक्नोलॉजी आधारित अग्रणी प्लेटफॉर्म के रूप में दोनों कंपनियों के योगदान को देखते हुए अमेरिकी उद्योग संगठन यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल ने इनका चुनाव किया है। यह पुरस्कार अमेरिका और भारत की उन कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों को दिया जाता है, जो अमेरिका-भारत व्यापारिक क्षेत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान करते हैं। गूगल और नैसडाक जैसी कंपनियों के योगदान से अमेरिका और भारत का द्विपक्षीय वस्तु एवं सेवा व्यापार पिछले पाँच वर्षों में करीब 150 फीसदी बढ़कर 2018 में 142.1 अरब डॉलर पर पहुँच गया है। यह वार्षिक पुरस्कार 2007 से दिया जा रहा है।
  • वैज्ञानिक और चक्रवात चेतावनी के विशेषज्ञ मृत्युंजय महापात्र को भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का प्रमुख नियुक्त किया गया। फिलहाल IMD में अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर कार्यरत मृत्युंजय महापात्र को पाँच साल के लिए महानिदेशक नियुक्त किया गया है। चक्रवात पूर्वानुमान के लिये प्रसिद्ध मृत्युंजय महापात्र IMD के चक्रवात चेतावनी प्रभाग (CWD) के अगुवा हैं। पिछले छह साल में CWD ने फेलिन (2013), हुदहुद (2014) और तितली (2018) चक्रवात को लेकर सटीक पूर्वानुमान जताया था। IMD पर देश में मौसम और जलवायु से संबंधित पूर्वानुमान की जिम्मेदारी है। यह विभाग चक्रवात, आँधी, वर्षा, बर्फबारी, ठंड, लू चलने आदि के बारे में लोगों को चेतावनी भी जारी करता है। भारत सरकार के तहत काम करने वाले IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।