अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018 में आधिकारिक संशोधन के प्रस्ताव को मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्थायी वित्त समिति (Standing Committee on Finance-SCF) के गठन की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018 में आधिकारिक संशोधन के प्रस्ताव को अपनी मंज़ूरी दे दी है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- 18 जुलाई, 2018 को अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक-2018 को संसद में पेश किया गया था और इसे स्थायी वित्त समिति (Standing Committee on Finance-SCF) के सुपुर्द कर दिया गया था।
- 03 जनवरी, 2019 को इस विधेयक की 17वीं रिपोर्ट को संसद में पेश किया गया।
- इस संशोधन के पश्चात् यह विधेयक देश में अवैध रूप से जमा राशि जुटाने के जोखिम से कारगर ढंग से निपटने और इस तरह की योजनाओं के ज़रिये गरीबों एवं भोले-भाले लोगों की गाढ़ी कमाई हड़प लेने पर रोक लगाने की दृष्टि से और मज़बूत हो जाएगा।
- इस संशोधित विधेयक में प्रतिबंध लगाये जाने हेतु एक व्यापक अनुच्छेद लाया गया है, जिसके अंतर्गत जमा राशि जुटाने वालों को किसी भी अनियमित जमा योजना का प्रचार-प्रसार, संचालन, विज्ञापन जारी करने अथवा जमा राशि जुटाने से प्रतिबंधित किया गया है।
विधेयक के उद्देश्य
- यह विधेयक अनियमित तौर पर जमा राशि जुटाने से जुड़ी गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा देगा। इसके तहत ऐसी गतिविधियों को प्रत्याशित अपराध माना जाएगा, जबकि मौजूदा विधायी-सह-नियामकीय फ्रेमवर्क केवल व्यापक समय अंतराल के बाद ही यथार्थ या अप्रत्याशित रूप से प्रभावी होता है।
- विधेयक में अपराधों के तीन प्रकार निर्दिष्ट किये गए हैं, जिनमें अनियमित जमा योजनाएँ चलाना, नियमित जमा योजनाओं में धोखाधड़ी के उद्देश्य से डिफॉल्ट करना और अनियमित जमा योजनाओं के संबंध में गलत इरादे से प्रलोभन देना शामिल हैं।
- विधेयक में कठोर दंड देने और भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है, ताकि लोगों की इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश लग सके।
- विधेयक में उन मामलों में जमा राशि को वापस लौटाने या पुनर्भुगतान करने के पर्याप्त प्रावधान किये गए हैं, जिनके तहत ये योजनाएँ किसी भी तरह से अवैध तौर पर जमा राशि जुटाने में सफल हो जाती हैं।
- विधेयक में सक्षम प्राधिकरण द्वारा संपत्तियों/परिसंपत्तियों को ज़ब्त करने और जमाकर्त्ताओं को पुनर्भुगतान किये जाने के उद्देश्य से इन परिसंपत्तियों को हासिल करने का प्रावधान किया गया है।
विधेयक के प्रावधान
18 जुलाई, 2018 अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक-2018 को संसद में पेश किया गया जिसमें निम्नलिखित व्यवस्था की गई है –
- अनियमित जमा राशि जुटाने की गतिविधि पर पूर्ण प्रतिबंध।
- अनियमित जमा राशि जुटाने वाली योजना का प्रचार-प्रसार अथवा संचालन के मामले में कठोर दंड।
- जमाकर्त्ताओं को पुनर्भुगतान के मामले में धोखाधड़ी और डिफॉल्ट करने पर कठोर दंड।
- जमा राशि जुटाने वाले प्रतिष्ठान को डिफॉल्टर घोषित किये जाने की स्थिति में जमा राशि का पुनर्भुगतान सुनिश्चित करने के लिये राज्य सरकार द्वारा एक सक्षम प्राधिकरण को अधिकृत करना।
- सक्षम प्राधिकरण को अधिकार सौंपना, जिसमें डिफॉल्टर प्रतिष्ठान की परिसम्पत्तियाँ ज़ब्त करने का अधिकार देना भी शामिल हैं।
- जमाकर्त्ताओं के पुनर्भुगतान की निगरानी करने और अधिनियम के तहत आपराधिक कार्रवाई करने के लिये अदालतों को अधिकृत करना।
- विधेयक में नियमित जमा योजनाओं की सूची पेश करना, इसमें एक ऐसा प्रावधान होगा जिसके तहत केंद्र सरकार इस सूची को बड़ा या छोटा कर सकेगी।
पृष्ठभूमि
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, जुलाई 2014 और मई 2018 के बीच की अवधि के दौरान अनधिकृत योजनाओं के 978 मामलों पर विभिन्न राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों की राज्य स्तरीय समन्वय समिति (State Level Coordination Committee-SLCC) की बैठकों में विचार किया गया और उन्हें राज्यों के संबंधित नियामकों/कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सुपुर्द किया गया।
- 2016-17 के दौरान इस तरह की योजनाओं से देश भर में बहुत से लोगों को आर्थिक नुकसान हुआ था जिसमें ज़्यादातर गरीब और वित्तीय मामलों से अनभिज्ञ लोग शामिल थे इस तरह की योजनाओं का जाल अनेक राज्यों में फैला हुआ है।
- इसके बाद वित्त मंत्री ने बजट भाषण 2017-18 में यह घोषणा की थी कि अवैध रूप से जमा राशि जुटाने वाली योजनाओं पर अंकुश लगाने के लिये विधेयक के मसौदे को सार्वजनिक तौर पर पेश किया गया है और इसे अंतिम रूप देने के बाद जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा।
स्रोत - PIB
भारत, नामीबिया तथा पनामा के चुनाव प्रबंधन निकायों के बीच समझौता ज्ञापन को मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और इलेक्टोरल कमीशन ऑफ नामीबिया (Electoral Commission of Namibia-ECN) तथा इलेक्टोरल ट्रिब्यूनल ऑफ पनामा (Electoral Tribunal of Panama-ETP) के बीच चुनाव प्रबंधन और प्रशासन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन (MoU) के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख विशेषताएँ
- इस समझौता ज्ञापन में ऐसे मानक अनुच्छेद/धाराएँ (Articles/Clauses) शामिल हैं, जो मोटे तौर पर चुनाव प्रबंधन और प्रशासन के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं, इनमें शामिल हैं-
♦ चुनाव प्रक्रिया के संगठनात्मक और तकनीकी विकास के बारे में जानकारी तथा अनुभव का आदान-प्रदान करना।
♦ सूचना का आदान-प्रदान करना।
♦ संस्थागत सुदृढ़ीकरण और क्षमता निर्माण करना।
♦ कार्मिकों को प्रशिक्षण देना।
♦ नियमित विचार-विमर्श आदि को बढ़ावा देना।
प्रभाव
- यह समझौता ज्ञापन द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगा। इसका लक्ष्य इलेक्टोरल कमीशन ऑफ नामीबिया और इलेक्टोरल ट्रिब्यूनल ऑफ पनामा के लिये तकनीकी सहायता/ क्षमता का निर्माण करना है।
- यह चुनाव प्रबंधन और प्रशासन के क्षेत्र में सहयोग तथा उन देशों में चुनाव आयोजित कराने में सहायता उपलब्ध कराने की परिकल्पना करता है।
- इसके परिणामस्वरूप भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को बढ़ावा मिलेगा।
पृष्ठभूमि:
- निर्वाचन आयोग कुछ देशों और एजेंसियों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर के माध्यम से दुनिया भर में चुनाव से संबंधित मामलों और निर्वाचन प्रक्रियाओं में सहयोग देता रहा है।
- भारत में लोकतंत्र की सफलता ने दुनिया भर की लगभग हर एक राजनीतिक व्यवस्था का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
- उत्कृष्टता हासिल करने की जद्दोजहद में निर्वाचन आयोग चुनाव और उससे जुड़े मामलों के संबंध में द्विपक्षीय संबंध कायम करने हेतु विदेशी चुनाव निकायों की ओर से विभिन्न प्रस्ताव प्राप्त करता रहा है।
- निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो दुनिया में सबसे बड़े चुनावों का आयोजन करता है।
- निर्वाचन आयोग का यह उत्तरदायित्व है कि वह विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक पृष्ठभूमि वाले लगभग 85 करोड़ मतदाताओं वाले देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का आयोजन करे।
भारतीत निर्वाचन आयोग
- भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) एक स्थायी संवैधानिक निकाय है। चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को संविधान के अनुसार की गई थी।
- भारतीय संविधान के अनुसार निर्वाचन आयोग को संसद, प्रत्येक राज्य के विधानमंडल, भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यालयों के लिये चुनावों की पूरी प्रक्रिया का निर्देशन और नियंत्रण करने की शक्ति प्राप्त है।
- प्रारंभ में आयोग में केवल एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता था। वर्तमान में इसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त होते हैं।
- पहली बार दो अतिरिक्त आयुक्तों की नियुक्ति 16 अक्तूबर, 1989 को की गई थी लेकिन उनका कार्यकाल 01 जनवरी, 1990 तक ही चला। उसके बाद 01 अक्तूबर, 1993 को दो अतिरिक्त निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की गई थी, तब से आयोग की बहु-सदस्यीय अवधारणा प्रचलन में है, जिसमें निर्णय बहुमत के आधार पर लिया जाता है।
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3rd इंडो-जर्मन वर्किंग ग्रुप की बैठक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में तीसरे इंडो-जर्मन वर्किंग ग्रुप की बैठक नई दिल्ली में संपन्न हुई। इस बैठक के दौरान जल और अपशिष्ट प्रबंधन के लिये दोनों पक्षों ने संभावित सहयोग पर चर्चा की।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC), भारत सरकार तथा पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण और परमाणु सुरक्षा संघीय मंत्रालय, जर्मनी (संक्षिप्त रूप BMU) के प्रतिनिधिमंडल ने उक्त क्षेत्रों में सहयोग की संभावना हेतु मुलाकात की थी।
- एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों पक्षों ने कपड़ा क्षेत्र, जल प्रबंधन, समुद्री कूड़ा, ऊर्जा, लैंडफिल साइटों के अपशिष्ट, जल गुणवत्ता प्रबंधन, स्थानीय निकायों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण व सर्कुलर इकोनॉमी के क्षेत्र में साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है।
पृष्ठभूमि
- भारत-जर्मनी द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग पहले से ही मज़बूत रहा है। ध्यातव्य है कि अधिकांश क्षेत्रों में भारत की प्राथमिकता जर्मन प्राथमिकताओं से मेल खाती है, लेकिन पर्यावरण के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग में तब और मज़बूती आई जब दोनों देशों के पर्यावरण मंत्रालयों ने जनवरी 2015 में दूसरा इंडो-जर्मन एन्वायरनमेंट फोरम का आयोजन किया था। इसी फोरम में वर्किंग ग्रुप का गठन किया गया था, जिसकी तीसरी बैठक के दौरान जल और अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा की गई है।
स्रोत- पीआईबी
चलचित्र अधिनियम, 1952 में संशोधन को मंज़ूरी
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चलचित्र अधिनियम, 1952 (Cinematograph Act, 1952) में संशोधन के लिये चलचित्र संशोधन विधेयक, 2019 (Cinematograph Amendment Bill, 2019) को प्रस्तुत करने की मंज़ूरी दी है।
- इस संशोधन का प्रस्ताव सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा किया गया था।
- प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य फिल्म की साहित्यिक चोरी/पायरेसी (Piracy) को रोकना है और इसमें गैर-अधिकृत कैमकॉर्डिंग (Camcording) और फिल्मों की कॉपी (Duplication of films) बनाने के खिलाफ दंडात्मक प्रावधानों को शामिल करना है।
प्रस्तावित संशोधन
गैर-अधिकृत रिकॉर्डिंग को रोकने हेतु नई धारा 6AA
- चलचित्र अधिनियम, 1952 की धारा 6A के बाद एक और धारा 6AA जोड़ी जाएगी।
- इस धारा के अनुसार, ‘अन्य कोई लागू कानून के बावजूद किसी व्यक्ति को लेखक की लिखित अनुमति के बिना किसी ऑडियो विजुअल रिकॉर्ड उपकरण का उपयोग करके किसी फिल्म या उसके किसी हिस्से को प्रसारित करने या प्रसारित करने का प्रयास करने या प्रसारित करने में सहायता पहुँचाने की अनुमति नहीं होगी।
- “यहाँ लेखक का अर्थ चलचित्र अधिनियम, 1957 की धारा 2 की उपधारा-D में दी गई व्याख्या के समान है।“
धारा-7 में संशोधन
- धारा-7 में संशोधन का उद्देश्य धारा-6AA के प्रावधानों के उल्लंघन के मामले में दंडात्मक प्रावधानों को शामिल करना है। मुख्य अधिनियम की धारा-7 में उपधारा-1 के बाद उपधारा-1A जोड़ी जाएगी।
- इसके अनुसार, “यदि कोई व्यक्ति धारा-6AA के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो उसे 3 साल तक का कारावास या 10 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों सज़ा दी जा सकती है।”
संशोधन के लाभ
- प्रस्तावित संशोधनों से इस उद्योग के राजस्व में वृद्धि होगी, रोज़गार का सृजन होगा, भारत के राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति (India’s National IP policy) के प्रमुख उद्देश्यों की पूर्ति होगी और पायरेसी तथा ऑनलाइन विषय-वस्तु के कॉपीराइट उल्लंघन के मामले में राहत मिलेगी।
राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मई 2016 में राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को मंज़ूरी दी थी।
- इस नीति के तहत सात लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं जो इस प्रकार हैं-
- बौद्धिक संपदा अधिकार जागरूकता: पहुँच और प्रोत्साहन- समाज के सभी वर्गो में बौद्धिक संपदा अधिकारों के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक लाभों के प्रति जागरूकता पैदा करना।
- बौद्धिक संपदा अधिकारों का सृजन- बौद्धिक संपदा अधिकारों के सृजन को बढ़ावा।
- वैधानिक एवं विधायी ढाँचा- मज़बूत और प्रभावशाली बौद्धिक संपदा अधिकार नियमों को अपनाना, ताकि अधिकृत व्यक्तियों तथा बृहद् लोकहित के बीच संतुलन कायम हो सके।
- प्रशासन एवं प्रबंधन- सेवा आधारित बौद्धिक संपदा अधिकार प्रशासन को आधुनिक और मज़बूत बनाना।
- बौद्धिक संपदा अधिकारों का व्यवसायीकरण- व्यवसायीकरण के ज़रिये बौद्धिक संपदा अधिकारों का मूल्य निर्धारण।
- प्रवर्तन एवं न्यायाधिकरण- बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिये प्रवर्तन एवं न्यायिक प्रणालियों को मज़बूत बनाना।
- मानव संसाधन विकास- मानव संसाधनों, संस्थानों की शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान क्षमताओं को मज़बूत बनाना तथा बौद्धिक संपदा अधिकारों के तहत कौशल निर्माण का प्रयास करना।
संशोधन की आवश्यकता
- समय के साथ एक माध्यम के रूप में सिनेमा, इसकी प्रौद्योगिकी, उपकरण और यहाँ तक कि दर्शकों में भी महत्त्वपूर्ण बदलाव आया है। पूरे देश में टीवी चैनलों और केबल नेटवर्क के विस्तार से मीडिया और मनोरंजन के क्षेत्र में कई परिवर्तन हुए हैं। लेकिन नई डिजिटल तकनीक के आगमन विशेष रूप से इंटरनेट पर पायरेटेड फिल्मों के प्रदर्शन से पायरेसी का खतरा बढ़ा है। इससे फिल्म उद्योग और सरकार को राजस्व की अत्यधिक हानि होती है।
- फिल्म उद्योग की लंबे समय से मांग रही है कि सरकार कैमकोर्डिंग और पायरेसी रोकने के लिये कानून में संशोधन पर विचार करे। भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा भारतीय सिनेमा का राष्ट्रीय संग्रहालय (National Museum of Indian Cinema) के उद्घाटन अवसर पर यह घोषणा की गई थी कि कैमकोर्डिंग और पायरेसी निषेध की व्यवस्था की जाएगी।
- इससे पहले चलचित्र अधिनियम और नियमों की समीक्षा करने और सिफारिशें देने के लिये वर्ष 2013 में मुदगल समिति तथा वर्ष 2016 में श्याम बेनेगल समिति का गठन भी किया गया था।
मुदगल समिति
- इस समिति का गठन 4 फरवरी, 2013 को चलचित्र अधिनियम, 1952 के तहत प्रमाणीकरण मुद्दों पर विचार करने हेतु पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मुकुल मुदगल की अध्यक्षता में किया गया था।
- मुदगल समिति ने अपनी रिपोर्ट में अश्लीलता और सांप्रदायिक वैमनस्य, महिलाओं के चित्रण और सलाहकार मंडल जैसे मुद्दों के संबंध में दिशा-निर्देश, वर्गीकरण, फिल्मों की पायरेसी, अपीलीय पंचाट की न्याय सीमा तथा चलचित्र अधिनियम, 1952 के प्रावधानों की समीक्षा पर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की थीं।
श्याम बेनेगल समिति
- 1 जनवरी, 2016 को फिल्मों के प्रमाणन हेतु सर्वांगीण रूपरेखा का निर्माण करने के लिये श्याम बेनेगल की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया गया था।
- इस समिति को फिल्म प्रमाणन के लिये विश्व भर में सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए और कलात्मक रचनात्मकता को पर्याप्त स्थान प्रदान करते हुए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के लाभ के लिये प्रक्रियाओं और दिशा-निर्देशों के साथ-साथ जन अनुकूल और निष्पक्ष प्रभावी ढाँचे के निर्माण की सिफारिशें प्रस्तुत करनी थीं।
स्रोत : पी.आई.बी.
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (7 February)
- रिज़र्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में 17 महीने बाद रेपो रेट में 0.25% की कमी की गई है। अब यह दर 6.50% से घटाकर 6.25% हो गई है। आपको बता दें कि रेपो रेट वह दर है जिस पर रिज़र्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज़ देता है। रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सभी 6 सदस्यों ने ब्याज दरों पर आउटलुक सख्त से न्यूट्रल करने का समर्थन किया। इस रिपोर्ट में अगले वित्त वर्ष (2019-20) में GDP विकास दर 7.4% रहने की उम्मीद जताई गई है, जो कि दिसंबर में हुई समीक्षा बैठक में 7.5% थी।
- बहुचर्चित सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान मंदिर बोर्ड अपने पहले रुख से पलट गया है। मंदिर का प्रबंधन देखने वाले त्रावणकोर देवासम बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में अपना रुख बदलते हुए कहा कि वह मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी फैसले का समर्थन करता है। दूसरी तरफ सबरीमाला मंदिर में 10-50 साल आयु की महिलाओं के प्रवेश को लेकर दायर की गईं समीक्षा याचिकाओं पर पाँच सदस्यीय संविधान पीठ ने शीर्ष अदालत के 28 सितंबर, 2018 के निर्णय को लेकर दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
- केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में कलकत्ता उच्च न्यायालय की सर्किट पीठ की स्थापना को मंज़ूरी दी है। इस सर्किट पीठ के अधिकार क्षेत्र में चार जिले- दार्जिलिंग, कलिमपोंग, जलपाईगुड़ी और कूचबिहार शामिल होंगे। यह निर्णय कलकत्ता हाई कोर्ट की 1988 में हुई पूर्णकालिक बैठक के बाद हुए फैसले और 16 जून, 2006 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के जलपाईगुड़ी में कलकत्ता उच्च न्यायालय की सर्किट पीठ की स्थापना को मंज़ूरी देने के निर्णय के अनुरूप लिया गया है।
- आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने प्रसार भारती की प्रसारण बुनियादी ढाँचा और नेटवर्क विकास योजना के संबंध में 1054.52 करोड़ रुपए की लागत से सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी। यह योजना 2017-18 से 2019-20 तक, तीन वर्ष की अवधि की होगी। योजना में अन्य बातों के अलावा आकाशवाणी के लिये 206 स्थानों पर FM के विस्तार, 127 स्थानों पर स्टूडियो के डिजिटलीकरण की व्यवस्था की गई है। FM के विस्तार कार्यक्रम से देश की 13 प्रतिशत अतिरिक्त आबादी को आकाशवाणी के कार्यक्रम सुनने को मिल सकेंगे।
- पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ने नई दिल्ली में दो दिवसीय राष्ट्रीय पुलिस मिशन के सूक्ष्म अभियानों पर आधारित दूसरा राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एन.एन. वोहरा इस सम्मेलन का उद्घाटन किया। आपको बता दें कि राष्ट्रीय पुलिस मिशन ने अब तक 35 परियोजनाएँ विकसित की हैं। इनमें पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया, पुलिस-समुदाय आधारित नीति, छात्र-पुलिस-कैडेट कार्यक्रम, बी-ट्रैक, डायल 100, साइबरडोम, मुकदमा-पूर्व परामर्श फोरम और कारागारों तथा कैदियों के आंतरिक प्रबंधन के लिये नियमों एवं प्रक्रियाओं का कार्यान्वयन आदि शामिल हैं।
- केंद्र सरकार ने NTPC लिमिटेड के तेलंगाना सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट (4000 मेगावॉट) से उत्पादित 85 प्रतिशत बिजली तेलंगाना सरकार को देने की मंज़ूरी दी है। साथ ही NTPC की अनुषंगी कंपनी पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के पतरातू थर्मल पावर स्टेशन (4000 मेगावॉट) की विस्तारित परियोजना से 85 प्रतिशत बिजली झारखंड को देने के विद्युत मंत्रालय के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है। दोनों परियोजनाएँ दो चरणों में स्थापित की जा रही हैं। तेलंगाना सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट पेडापल्ली ज़िले के रामागुंडम में और पतरातू थर्मल पावर स्टेशन झारखंड के रामगढ़ ज़िले के पतरातू में लगाया जाएगा।
- केंद्र सरकार ने आयकर शिकायत जाँच और अप्रत्यक्ष कर शिकायत जाँच संस्था को समाप्त करने की मंज़ूरी दे दी है। यह मंज़ूरी लोगों द्वारा शिकायत दूर करने की वैकल्पिक व्यवस्था को चुनने के संदर्भ में दी गई है। वर्तमान में उपलब्ध शिकायत दूर करने की व्यवस्था, शिकायत जाँच संस्था से अधिक प्रभावी है। गौरतलब है कि आयकर शिकायत जाँच संस्था की स्थापना 2003 में आयकर शिकायतों को सुलझाने के उद्देश्य से की गई थी, जो अब अर्थहीन हो गई है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिये पैन को आधार के साथ जोड़ना अनिवार्य है। शीर्ष अदालत ने श्रेया सेन और जयश्री सतपुड़े को 2018-19 का आयकर रिटर्न पैन नंबर को आधार से जोड़े बिना ही दाखिल करने की अनुमति देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्र की अपील पर यह निर्देश दिया। जस्टिस ए.के. सीकरी और एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत पिछले वर्ष सितंबर में पहले ही इस मामले में फैसला दे चुकी है, जिसमें आयकर कानून की धारा 139aa को सही ठहराया गया था।
- नेपाल ने अपने यहाँ उद्योगों, कंपनियों और अन्य संस्थानों में काम करने वाले भारतीय नागरिकों के लिये वर्क परमिट अनिवार्य कर दिया है। नेपाल सरकार का कहना है कि इससे नेपाल में काम कर रहे भारतीय श्रमिकों की सही संख्या का पता कर अलग-अलग सेक्टर्स में काम करने वाले सभी भारतीय कामगारों की वास्तविक संख्या का अनुमान लगाया जा सकेगा। नेपाल के श्रम और व्यावसायिक सुरक्षा विभाग ने अपने आदेश में भारतीय कामगारों की संख्या बताने के लिये कहा है। गौरतलब है कि अभी तक भारत और नेपाल में विशेष संधि के तहत भारतीय नागरिकों को नेपाल में और नेपाली नागरिकों को भारत में काम करने के लिये किसी तरह के परमिट की जरूरत नहीं पड़ती थी।
- पाकिस्तान के धार्मिक एवं आपसी सौहार्द्र मामलों के मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार पाकिस्तान ने हज सब्सिडी समाप्त करने का फैसला किया है। हज सब्सिडी खत्म करने का फैसला इस्लामाबाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता वाली संघीय मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया। पाकिस्तान सरकार के इस फैसले से 450 करोड़ रुपए की बचत होगी। पूर्ववर्ती सरकार हर हज यात्री को 42-42 हज़ार रुपए की सब्सिडी देती थी, लेकिन देश के मौजूदा आर्थिक हालात के मद्देनज़र इस सब्सिडी को खत्म करने का फैसला किया गया है।
- 2018 में ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित हॉकी वर्ल्ड कप काफी सफल साबित हुआ। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत ने एक बार फिर वर्ल्ड कप की मेजबानी हासिल करने के लिये अपनी दावेदारी पेश की है। भारत के अलावा 5 देशों ने 2022 में होने वाले पुरुष और महिला हॉकी वर्ल्ड कप की मेजबानी के लिये दावेदारी की है। इनमें स्पेन, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जर्मनी शामिल हैं। गौरतलब है कि भारत अब तक तीन बार पुरुष हॉकी वर्ल्ड कप की मेजबानी कर चुका है। भारत के अलावा सिर्फ नीदरलैंड ने 3 बार वर्ल्ड कप की मेजबानी की है और दो बार मलेशिया में वर्ल्ड कप का आयोजन हो चुका है।
- अमेरिका में कोलाराडो यूनिर्विसटी के भू-भौतिकीविद एवं नए वर्ल्ड मैग्नेटिक मॉडल के प्रमुख शोधकर्त्ता आर्नोल्ड चुलियट के अनुसार पृथ्वी की उत्तरी दिशा अपनी जगह से खिसक रही है। पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव पिछले कुछ दशकों में इतनी तेज़ी से खिसक रहा है कि वैज्ञानिकों के पूर्व में लगाए गए अनुमान अब नेविगेशन के लिये सटीक नहीं रहे। लगातार बदल रहे इसके स्थान की वज़ह से स्मार्टफोन आदि कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स के कंपासों में समस्या आ रही है। नौवहन में अतिरिक्त मदद के लिये विमान एवं नौकाएँ भी चुंबकीय उत्तर पर निर्भर रहती हैं। GPS इसलिये प्रभावित नहीं हुआ है क्योंकि वह उपग्रह आधारित है।