शासन व्यवस्था
निर्वाचन आयोग ने किया स्पष्ट : सभी राजनीतिक पार्टियाँ RTI के दायरे में
- 30 May 2018
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चर्चा में क्यों?
चुनाव आयोग ने कहा है कि केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) की घोषणा के अंतर्गत राष्ट्रीय पार्टियाँ सूचना का अधिकार (RTI) क़ानून के तहत आने वाले सार्वजनिक प्राधिकरण हैं। इससे पहले चुनाव आयोग ने एक RTI का जवाब देते हुए कहा था कि राजनीतिक पार्टियाँ RTI क़ानून के दायरे में नहीं आती हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- चुनाव आयोग ने कहा है कि केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के 3 जून, 2013 के निर्णय के अनुसार RTI कानून से जुड़े सार्वजनिक प्राधिकरण है।
- छह राष्ट्रीय दलों- भाजपा, कांग्रेस, बसपा, राकांपा, भाकपा, माकपा को 3 जून, 2013 को सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत लाया गया था।
- सितंबर, 2016 में तृणमूल कांग्रेस को इसके अंतर्गत सातवें दल के रूप में मान्यता दी गई थी।
- CIC द्वारा जारी आदेश में कहा गया था कि इन पार्टियों द्वारा प्राप्त किये गए चंदे के साथ-साथ इन सभी पार्टियों के वार्षिक लेखा खातों की सूचना, आयोग को कब सौंपी गई, इसकी जानकारी भी सार्वजनिक की जाएगी।
- हालाँकि उच्च न्यायालयों में इस आदेश को कोई चुनौती नहीं दी गई है, लेकिन राजनीतिक दलों ने उन पर निर्देशित RTI आवेदनों पर विचार करने से इंकार कर दिया है।
निर्वाचन आयोग
- निर्वाचन आयोग एक स्थायी संवैधानिक निकाय है।
- संविधान के अनुसार निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई थी।
- प्रारंभ में, आयोग में केवल एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त था। वर्तमान में इसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त होते हैं।
- पहली बार दो अतिरिक्त आयुक्तों की नियुक्ति 16 अक्तूबर, 1989 को की गई थी लेकिन उनका कार्यकाल 01 जनवरी, 1990 तक ही चला। उसके बाद 01 अक्तूबर, 1993 को दो अतिरिक्त निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की गई थी, तब से आयोग की बहु-सदस्यीय अवधारणा प्रचलन में है, जिसमें निर्णय बहुमत के आधार पर लिया जाता है।
सूचना का अधिकार (RTI)
- संसद ने वर्ष 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 पारित किया था।
- इस अधिनियम में व्यवस्था की गई है कि किस प्रकार नागरिक सरकार से सूचना मांगेंगे और किस प्रकार सरकार जवाबदेह होगी।
- सूचना का अधिकार अधिनियम हर नागरिक को अधिकार देता है कि वह –
♦ सरकार से कोई भी सवाल पूछ सके या कोई भी सूचना ले सके।
♦ किसी भी सरकारी दस्तावेज़ की प्रमाणित प्रति ले सके।
♦ किसी भी सरकारी दस्तावेज की जाँच कर सके।
♦ किसी भी सरकारी काम की जाँच कर सके।
♦ किसी भी सरकारी काम में इस्तेमाल सामग्री का प्रमाणित नमूना ले सके।
केंद्रीय सूचना आयोग
- सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 का अध्याय-तीन, एक केंद्रीय सूचना आयोग तथा अध्याय-चार में राज्य सूचना आयोग के गठन का प्रावधान करता है।
- केंद्रीय सूचना आयोग में एक अध्यक्ष अर्थात् मुख्य सूचना आयुक्त तथा अधिकतम 10 केंद्रीय सूचना आयुक्तों का प्रावधान है। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
पृष्ठभूमि
3 जून, 2013 को अपने फैसले में केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा था, "राजनीतिक पार्टियों के चंदे के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में जनता की दिलचस्पी रहती है। इससे वोट देते वक्त सही फैसला लेने में भी मदद होगी। लोकतंत्र के सुचारु रूप से चलने के लिये पारदर्शिता ज़रूरी है। राजनीतिक दल राजनीतिक शक्ति के निर्वाह में अहम भूमिका निभाते हैं, ऐसे में उनका पारदर्शी और जनता के प्रति जवाबदेह होना जनहित में है।"