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डेली न्यूज़

  • 06 Jun, 2019
  • 42 min read
जैव विविधता और पर्यावरण

स्वच्छ भारत से भूजल संदूषण/प्रदूषण में कमी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में यूनिसेफ़ (United Nations International Children's Emergency Fund- UNICEF) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में स्वच्छ भारत मिशन से भूजल संदूषण/प्रदूषण में कमी आई है।

  • यूनिसेफ द्वारा ‘स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण, पानी, मिट्टी और खाद्य पर) के पर्यावरणीय प्रभाव’ नामक रिपोर्ट के तहत ओडिशा, बिहार और पश्चिम बंगाल के खुले में शौच से मुक्त (ODF) और गैर-खुले में शौच से मुक्त (Non-ODF) गाँवों से भूजल के नमूने एकत्र किये गए तथा उनका अध्ययन किया गया।

यूनिसेफ

(United Nations Children's Fund/United Nations International Children's Emergency Fund- UNICEF)

  • संयुक्त राष्ट्र बाल कोष-यूनिसेफ (United Nations Children’s Fund) या संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष कहा जाता है।
  • यूनिसेफ का गठन वर्ष 1946 में संयुक्त राष्ट्र के एक अंग के रूप में किया गया था।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा में है। ध्यातव्य है कि वर्तमान में 190 देश इसके सदस्य हैं।
  • वस्तुतः इसका गठन द्वितीय विश्वयुद्ध से प्रभावित हुए बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करने तथा उन तक खाना और दवाएँ पहुँचाने के उद्देश्य से किया गया था।

अध्ययन के परिणाम

  • रिपोर्ट के अनुसार, गैर-खुले में शौच मुक्त नॉन-ओपन (Non-Open Defecation Free) गाँव की तुलना में ओपन डेफिकेशन फ्री/खुले में शौच मुक्त (Open Defecation Free-ODF) गाँवों में भूजल 12.7 गुना कम दूषित पाया गया है।
  • इसके अलावा ओपन डेफिकेशन फ्री गाँवों की अपेक्षा नॉन-ओपन डेफिकेशन फ्री गाँवों की मिट्टी में 1.13%, खाने-पीने की वस्तुओं में 1.48% और पीने के पानी में 2.68% अधिक प्रदूषण के तत्त्व सामने आए हैं।
  • अध्ययन के निष्कर्षों से यह स्पष्ट होता है कि स्वच्छ भारत मिशन के सफाई एवं स्वच्छता कार्यों को बढ़ावा देने, नियमित निगरानी और व्यवहार में परिवर्तन के लिये जागरूकता कार्यक्रमों के संचालन जैसे कार्यों से पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करने में सफलता प्राप्त हुई है।

स्वच्छ भारत मिशन का महत्त्व

Significance of Swachh Bharat Mission

  • स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थित डालबर्ग द्वारा संचालित किया गया है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्ष 2018 में स्वच्छ भारत मिशन पर किये गए अध्ययन में पाया गया है कि 100% ODF हासिल करने के बाद सालाना लगभग 3 लाख लोगों की जान को बचाया जा सकता है।
  • समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों जैसे- सरकारी अधिकारियों से लेकर सेना के जवानों, बॉलीवुड अभिनेताओं से लेकर खिलाड़ियों, उद्योगपतियों से लेकर आध्यात्मिक नेताओं आदि, ने इस दिशा में आगे बढ़कर सहयोग प्रदान किया हैं। साथ ही स्वच्छता के इस जन आंदोलन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की हैं।
  • वर्ष 2014 में इस मिशन के शुरू होने से पहले ग्रामीण स्वच्छता का क्षेत्र लगभग 38.70% था, ऐसे में यह रिपोर्ट देश की एक महत्त्वपूर्ण एवं प्रभावी स्थिति को इंगित करती है।

चुनौतियाँ

  • खुले में शौच से मुक्त की स्थिति को स्थाई रूप से बनाने के लिये ODF स्थिति प्राप्त होने के बाद कम-से-कम एक साल तक निगरानी और स्पॉट चेकिंग (Spot-Checking) की आवश्यकता है।
  • स्वयंसेवकों को स्वच्छता की स्थिति की जाँच करने के लिये प्रेरित करना और उन्हें अच्छे प्रोत्साहन की पेशकश करने पर ध्यान दिया जाना चाहिये।
  • समाज के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिये एक प्रशिक्षित कार्यबल की आवश्यकता है जो सफाई के प्रति समुदायों को ज़्यादा-से-ज़्यादा जागरूक कर सकें।
  • सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिये सतही स्तर पर कार्य करने पर बल देना चाहिये।
  • एक अन्य समस्या सड़क गलियारों के साथ ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में खुले तालाबों (पानी के पूल) की उपस्थिति है। तालाबों को विभिन्न प्रयोजनों के लिये लोगों एवं पशुधन द्वारा उपयोग किया जाता है। तालाबों में पानी की खराब गुणवत्ता विभिन्न बीमारियों को जन्म देती है। अतः इस संदर्भ में विशेष रूप से ध्यान दिये जाने की ज़रूरत है।
  • हाथ से मैला ढोने पर प्रतिबंध के बावजूद, यह देश के विभिन्न स्थानों में अभी भी जारी है, अनौपचारिक आँकड़ों के अनुसार अभी भी देश में तकरीबन 13 लाख मेहतर हैं जबकि आधिकारिक आँकड़े लगभग दो लाख की गिनती को ही इसमें शामिल करते हैं।
  • हालाँकि प्रौद्योगिकी इस संदर्भ में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। सीवर में काम करने वाले श्रमिकों की स्थिति काफी खतरनाक एवं जानलेवा होती है। प्रत्येक वर्ष लगभग 22,000 श्रमिकों की मौत सीवर की सफाई करते समय होती हैं। स्पष्ट रूप से इस संदर्भ में आवश्यक कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता है।

स्रोत- PIB


सामाजिक न्याय

गर्भावस्था में मधुमेह परीक्षण अनिवार्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जर्नल ऑफ द एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (Journal of the Association of Physicians of India) में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, प्रत्येक गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान अनिवार्य रूप से उच्च रक्त शर्करा (High Blood Glucose) की जाँच कराना आवश्यक है।

प्रमुख बिंदु

  • गर्भ के विकास के प्रारंभिक चरण में ही यदि इस तरह की बीमारियों का पता चल जाता है तो गर्भवती महिलाओं में इनकी रोकथाम तथा मधुमेह या अन्य गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Diseases- NCD) से बचाव को सुनिश्चित किया जा सकता है।
  • लेख का प्रमुख लक्ष्य भविष्य में गैर-संचारी रोग से पीड़ित संतानों में कमी लाना तथा नवजात शिशुओं के जन्म के दौरान उनके वज़न को 2.5-3.5 किलोग्राम (उपयुक्त वज़न) तक सुनिश्चित करना है।
  • महिलाओं में प्रारंभिक निदान के तहत रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित किया जाना भी आवश्यक है।

इंट्रा-यूटेरिन अवधि (गर्भाशय काल)

Intra-Uterine period

  • गैर-संचारी रोगों की बढ़ती प्रवृत्ति के लिये कई कारक ज़िम्मेदार है जिनमें अंतर्गर्भाशयी (Intrauterine) प्रक्रिया अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है। इसके बावजूद अंतर्गर्भाशयी प्रोग्रामिंग की अवधारणा पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है जबकि सामान्यतः जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों के लिये शरीर की संवेदनशीलता इंट्रा-यूटेराइन अवधि में संचालित हो जाती है।
  • भ्रूण में ग्लूकोस की अधिक मात्रा के स्थानांतरण के लिये माँ में उच्च शर्करा की आवश्यकता होती है। अतः उच्च मात्रा में इंसुलिन स्रावित करने के लिये भ्रूण अग्नाशय की कोशिकाओं को उत्तेजित करता है जिससे ग्लूकोस का स्तर बढ़कर स्थिर हो जाता है
  • जब मातृ ग्लूकोज का स्तर 110 mg/dl से अधिक होता है, तो एम्नियोटिक द्रव (Amniotic Fluid) में ग्लूकोज़ की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है।
  • 20 सप्ताह के बाद भ्रूण एम्नियोटिक द्रव का उपयोग करने लगता है, साथ ही इंसुलिन के उत्पादन को प्रेरित करने लगता है।

GDM

गर्भकालीन मधुमेह की भारत में स्थिति

  • भारत में अनुमानित 62 मिलियन लोग टाइप 2 मधुमेह (diabetes mellitus-DM) से ग्रस्त हैं, जिसकी संख्या वर्ष 2025 तक 79.4 मिलियन तक बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

राष्ट्रीय दिशा-निर्देश

  • स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्भावस्था में हाइपरग्लाइकेमिया (Hyperglycaemia) के परीक्षण, निदान और प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय दिशा-निर्देश विकसित किये हैं।
  • इनके अनुसार, पहली तिमाही के दौरान प्रारंभिक परीक्षण किया जाना चाहिये, यदि परीक्षण नकारात्मक रहता है तो 24-28 सप्ताह के बीच एक और परीक्षण किया जाना चाहिये।
  • उत्तर प्रदेश में इस कार्यक्रम को देश के अन्य हिस्सों से अलग अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है। यहाँ उन्नत परीक्षण उपकरणों का उपयोग कर इसका क्रियान्वयन किया जा रहा है।
  • वर्तमान में सभी गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण दुनिया भर में एक मानक बन गया है।

स्रोत- द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

गुजरात में कम प्रदूषणकारी उद्योगों को प्रोत्साहन

चर्चा में क्यों?

विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के अवसर पर गुजरात सरकार ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिये एक बाजार-आधारित व्यापार प्रणाली (Market-Based Trading System) की शुरुआत की है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने प्रदूषण के उत्सर्जन के लिये एक सीमा (Cap) निर्धारित की है। साथ ही इसके दायरे में रहने के लिये परमिट खरीदने और बेचने की अनुमति दी है।

प्रमुख बिंदु

  • उत्सर्जन कारोबार कार्यक्रम (Emissions Trading Programme) को उत्सर्जन, उद्योग लागत और नियामक लागतों पर इसके प्रभावों को समझने के लिये प्रयोगात्मक परीक्षण के तौर पर किया जा रहा है।
  • इस प्रणाली के अंतर्गत सरकार द्वारा उत्सर्जन पर अधिकतम सीमा तय की गई है तथा उद्योगों को इस सीमा के नीचे रहने के लिये परमिट खरीदने और बेचने की अनुमति भी प्रदान की गई है।
  • कणिका वायु प्रदूषण (Particulate Air Pollution) को रोकने के लिये भारत सहित दुनिया का यह प्रथम कारोबारी कार्यक्रम (Trading Programme) है जिसे सूरत में शुरू किया गया है।
  • सूरत एक घनी आबादी वाला औद्योगिक केंद्र है जहाँ कपड़ा और डाई मिलें वायु प्रदूषण की बड़ी मात्रा का उत्सर्जन करती हैं।
  • आने वाले समय में इस कार्यक्रम को भारत के अन्य हिस्सों के लिये वायु प्रदूषण को कम करने और ‘मज़बूत आर्थिक विकास’ हेतु एक मॉडल के रूप में उपयोग किये जाने की उम्मीद है।
  • गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Gujarat Pollution Control Board- GPCB) ने EPIC (Electronic Portfolio of International Credentials) और अन्य संस्थानों जैसे- हार्वर्ड कैनेडी स्कूल (Harvard Kennedy School), येल विश्वविद्यालय (Yale University) और अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (Abdul Latif Jameel Poverty Action Lab) के शोधकर्त्ताओं के साथ मिलकर कार्यक्रम के लाभों और लागतों का मूल्यांकन किया है।

कैप एंड ट्रेड सिस्टम (Cap And Trade System)

  • इस प्रणाली में विनियामक द्वारा सर्वप्रथम किसी निश्चित अवधि में सभी उद्योगों के लिये वायु प्रदूषण उत्सर्जन की अधिकतम सीमा (Cap) तय की जाती है।
  • इसके बाद परमिट सृजित किया जाता है जिसमें प्रत्येक को कुछ सीमा तक प्रदूषण उत्सर्जन की अनुमति होती है तथा कुल परमिट अधिकतम तय प्रदूषण उत्सर्जन के बराबर होता है।
  • सामान्यतः यह परमिट एक संख्या में होता है जिसे खरीदा या बेचा जा सकता है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

आर्थिक जनगणना-2019

चर्चा में क्यों?

7वीं आर्थिक जनगणना (Seventh Economic Census-7th EC) की तैयारियाँ प्रगति पर है। गौरतलब है कि आर्थिक जनगणना के तहत छोटे और घरेलू स्तर पर होने वाली आर्थिक गतिविधियों के साथ ही सभी आर्थिक इकाईयो/प्रतिष्ठानों की गणना की जाएगी।

  • देश भर में गणनाकारों द्वारा शुरू किये जाने वाले प्रक्षेत्र कार्य (Field Work) की तैयारी के लिये सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Program Implementation) द्वारा कई कार्यकलापों की योजना तैयार की गई है।

आर्थिक जनगणना के बारे में

  • आर्थिक जनगणना भारत की भौगोलिक सीमाओं के भीतर स्थित सभी प्रतिष्ठानों का संपूर्ण विवरण है।
  • आर्थिक जनगणना देश के सभी प्रतिष्ठानों के विभिन्न संचालनगत एवं संरचनागत परिवर्ती कारकों पर भिन्न-भिन्न प्रकार की सूचनाएँ उपलब्ध कराती है।
  • आर्थिक जनगणना देश में सभी आर्थिक प्रतिष्ठानों की आर्थिक गतिविधियों के भौगोलिक विस्तार/क्लस्टरों, स्वामित्व पद्धति, जुड़े हुए व्यक्तियों इत्यादि के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी भी उपलब्ध कराती है।
  • आर्थिक जनगणना के दौरान संग्रहित सूचना राज्य एवं ज़िला स्तरों पर सामाजिक-आर्थिक विकास संबंधी योजना निर्माण के लिये उपयोगी होती है।

आर्थिक जनगणना-2019

  • वर्ष 2019 में 7वीं आर्थिक जनगणना का संचालन सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
  • वर्तमान आर्थिक जनगणना में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने 7वीं आर्थिक जनगणना के लिये कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक स्पेशल पर्पज़ व्हिकल्स, कॉमन सर्विस सेंटर ई-गवर्नेंस सर्विसेज़ इंडिया लिमिटेड (Common Service Center e-Governance Services India Limited) के साथ साझेदारी की है।
  • 7वीं आर्थिक जनगणना में आँकड़ों के संग्रहण, सत्यापन, रिपोर्ट सृजन एवं प्रसार के लिये एक आईटी आधारित डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाएगा।
  • 7वीं आर्थिक जनगणना के परिणामों को प्रक्षेत्र कार्य के प्रमाणन एवं सत्यापन के बाद उपलब्ध कराया जाएगा।
  • आर्थिक जनगणना के तहत गैर-फार्म कृषि एवं गैर-कृषि क्षेत्र में वस्तुओं/सेवाओं (स्वयं के उपभोग के एकमात्र प्रयोजन के अतिरिक्त) के उत्पादन या वितरण में जुड़े घरेलू उद्यमों सहित सभी प्रतिष्ठानों को शामिल किया जाएगा।

पुरानी आर्थिक जनगणना

  • अभी तक केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने 6 आर्थिक जनगणनाएँ (Economic censuses) संचालित की हैं।
    • पहली आर्थिक जनगणना, वर्ष 1977 में
    • दूसरी आर्थिक जनगणना, वर्ष 1980 में
    • तीसरी आर्थिक जनगणना, वर्ष 1990 में
    • चौथी आर्थिक जनगणना, वर्ष 1998 में
    • पाँचवीं आर्थिक जनगणना, वर्ष 2005 में
    • छठी आर्थिक जनगणना, वर्ष 2013 में

कॉमन सर्विस सेंटर ई-गवर्नेंस सर्विसेज़ इंडिया लिमिटेड (CSC e-Governance Services India Limited)

  • CSC ई-गवर्नेंस सर्विसेज़ इंडिया लिमिटेड को कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा स्थापित किया गया है जिसका उद्देश्य CSC योजना के कार्यान्वयन की निगरानी करना है।
  • योजना को प्रणालीगत व्यवहार्यता और स्थिरता प्रदान करने के अलावा यह CSC के माध्यम से नागरिकों को सेवाओं की डिलीवरी हेतु एक केंद्रीकृत और सहयोगी रूपरेखा भी प्रदान करता है।

स्रोत- पीआईबी


भारतीय अर्थव्यवस्था

तमिलनाडु स्वास्थ्य प्रणाली सुधार कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार, तमिलनाडु सरकार एवं विश्व बैंक ने तमिलनाडु स्वास्थ्य प्रणाली सुधार कार्यक्रम (Tamil Nadu Health System Reform Program) के कार्यान्वयन हेतु 287 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य तमिलनाडु में स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता में सुधार लाना, गैर-संक्रमणीय रोगों (Non-communicable Diseases- NCDs) के बोझ को कम करना एवं प्रजनन तथा शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में समानता अंतरालों को को कम करना है।

प्रमुख बिंदु

  • नीति आयोग स्वास्थ्य सूचकांक (NITI Aayog Health Index) में तमिलनाडु तीसरे स्थान पर है जो व्यापक रूप से उन्नत स्वास्थ्य परिणामों को परिलक्षित करता है।
  • तमिलनाडु की मातृत्त्व मृत्यु दर वर्ष 2005 के प्रति 100,000 सप्राण प्रसव (Live Births) 90 मौतों की तुलना में वर्ष 2015-16 में घटकर 62 मौतों पर आ गई हैं, जबकि इसी अवधि में नवजात मृत्यु दर प्रति 1000 सप्राण प्रसव 30 मौतों से घटकर 20 मौतों पर आ गई है।
  • इन प्रभावी लाभों के बावजूद, कई ज़िलों में स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता एवं प्रजनन तथा शिशु स्वास्थ्य देखभाल में अंतर सहित स्वास्थ्य देखभाल में कुछ चुनौतियाँ अभी भी विद्यमान हैं।
  • तमिलनाडु गैर-संक्रमणीय रोग के बढ़ते बोझ से भी जूझ रहा है क्योंकि राज्य में होने वाली लगभग 69 प्रतिशत मौतों में इनकी भी हिस्सेदारी होती है।
  • तमिलनाडु स्वास्थ्य प्रणाली सुधार कार्यक्रम राज्य सरकार को निम्नलिखित प्रकार से सहायता प्रदान करेगा:
    • नैदानिकी प्रोटोकॉल एवं दिशा-निर्देशों का विकास।
    • सार्वजनिक क्षेत्र में प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक स्तर की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये राष्ट्रीय मान्यता अर्जित करना।
    • नियमित चिकित्सकीय शिक्षा के माध्यम से चिकित्सकों, परिचारिकाओं एवं परा-चिकित्सकों को सुदृढ़ करना।
    • आम लोगों को गुणवत्ता एवं अन्य आँकड़ों की सुविधा उपलब्ध कराते हुए नागरिकों एवं राज्य के बीच फीडबैक लूप को सुदृढ़ बनाना।
  • पारदर्शिता बढ़ाने तथा जवाबदेही को मज़बूत बनाने के लिये इस कार्यक्रम के ज़रिये तमिलनाडु के अच्छे प्रचलनों एवं नवोन्मेषणों को बढ़ावा दिया जा रहा है, साथ ही विश्व के अन्य नवोन्मेषणों को भी अंगीकार किया जा रहा है।’
  • यह कार्यक्रम एक प्रोग्राम-फॉर-रिज़ल्ट्स (Program for Results-PforR), लेंडिंग इंस्ट्रूमेंट के ज़रिये इनपुट की जगह परिणामों पर फोकस करता है।

स्रोत- पीआईबी


भारतीय अर्थव्यवस्था

राजकोषीय प्रदर्शन सूचकांक

चर्चा में क्यों?

भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry-CII) ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा प्रस्तुत बजट की गुणवत्ता का आकलन करने के लिये एक राजकोषीय प्रदर्शन सूचकांक Fiscal Performance Index) पेश किया है।

प्रमुख बिंदु

  • CII द्वारा विकसित समग्र ‘राजकोषीय प्रदर्शन सूचकांक’ (FPI) एक अभिनव साधन है जो केंद्र और राज्य स्तरों पर बजट की गुणवत्ता की जाँच करने के लिये कई संकेतकों का उपयोग करता है।
  • इस सूचकांक को तैयार करने के लिये संयुक्त विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme-UNDP) की मानव विकास सूचकांक प्रक्रिया (Human Development Index Methodology) को अपनाया गया है। राजकोषीय प्रदर्शन का प्रस्तावित समग्र सूचकांक सरकरी बजट की गुणवत्ता के आकलन हेतु छह घटकों पर आधारित है।
    • राजस्व व्यय (Revenue Expenditure) की गुणवत्ता का आकलन जीडीपी में ब्याज भुगतान, सब्सिडी, पेंशन और रक्षा मद में भुगतान के मुकाबले राजस्व व्यय की हिस्सेदारी से किया गया है।
    • पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) की गुणवत्ता का आकलन जीडीपी में (रक्षा को छोड़कर) पूंजी व्यय की हिस्सेदारी से किया गया है।
    • राजस्व (Revenue) गुणवत्ता का आकलन जीडीपी के अनुपात में शुद्ध कर राजस्व (राज्यों के मामले में स्वयं कर राजस्व) के आधार पर किया गया है।
    • राजकोषीय समझदारी I (Fiscal Prudence) के स्तर का आकलन जीडीपी के अनुपात में राजकोषीय घाटा के स्तर से किया गया है।
    • राजकोषीय समझदारी II (Fiscal Prudence) के स्तर का आकलन जीडीपी के अनुपात में राजस्व घाटा के स्तर से किया गया है।
    • कर्ज सूचकांक (Debt Index) का आकलन जीडीपी के अनुपात में ऋण और गारंटी में परिवर्तन के आधार पर किया गया है।

इंडेक्स के प्रमुख बिंदु

  • CII ने राजकोषीय अनुशासन के पैमाने पर राज्यों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिये वर्ष 2004-05 से लेकर वर्ष 2016-17 की अवधि में नॉन-स्पेशल कैटेगरी में शामिल 18 राज्यों का 'राजकोषीय प्रदर्शन सूचकांक' तैयार किया।
  • व्यय की गुणवत्ता के संदर्भ में आर्थिक रूप से समृद्ध राज्यों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। कम आय वाले राज्यों में बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा ने व्यय में गुणवत्ता लाते हुए हाल के कुछ वर्षो में निरंतर राजकोषीय प्रदर्शन सूचकांक पर शानदार प्रदर्शन किया है।
  • बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे कम आय वाले राज्यों में उच्च राजकोषीय घाटे का अनुपात अच्छा रहा है। बिहार ने गुजरात, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे संपन्न राज्यों को भी पीछे छोड़ दिया है। वहीं राजकोषीय अनुशासन के संदर्भ में सबसे खराब प्रदर्शन पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल का रहा है।
  • नए सूचकांक के अंतर्गत बुनियादी ढाँचा, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अन्य सामाजिक क्षेत्रों पर व्यय को आर्थिक वृद्धि के लिये लाभकारी माना जा सकता है। साथ ही कर राजस्व (Tax Revenues) एक बारगी आय के स्रोत (One-Time Income Sources) की तुलना में अधिक टिकाऊ स्रोत हैं।

भारतीय उद्योग परिसंघ की सिफारिशें

  • राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (Fiscal Responsibility and Budget Management-FRBM) अधिनियम, जो राजकोषीय घाटे को कम करने हेतु सरकारों के लिये लक्ष्य निर्धारित करता है, को केवल एक घटक पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिये।
    • इसके बजाय इस अधिनियम के अंतर्गत सभी संस्थाओं के समग्र प्रदर्शन पर व्यय गुणवत्ता, राजस्व प्राप्तियों की गुणवत्ता, और राजकोषीय समझदारी (Fiscal Prudence) के दृष्टिकोण से आकलन किया जाना चाहिये।

भारतीय उद्योग परिसंघ

  • भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) सलाहकार और परामर्श संबंधी प्रक्रियाओं के माध्यम से भारत के विकास, उद्योग, सरकार और नागरिक समाज के बीच साझेदारी के लिये अनुकूल वातावरण बनाने का काम करता है।
  • CII एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योगों को नेतृत्व प्रदान करने वाला और उद्योग-प्रबंधित संगठन है जो भारत की विकास प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
  • वर्ष 1895 में स्थापित भारत के इस प्रमुख व्यापार संघ के निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों से SME और MNC सहित लगभग 9000 सदस्य हैं तथा लगभग 276 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय उद्योग/निकायों के 300,000 से अधिक उद्यमों की अप्रत्यक्ष सदस्यता है।

स्रोत- बिज़नेस स्टैंडर्ड


जैव विविधता और पर्यावरण

विश्व पर्यावरण दिवस

चर्चा में क्यों?

पर्यावरण की रक्षा हेतु दुनिया भर में जागरूकता और कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिये प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है।

  • इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1972 में खराब पर्यावरणीय परिस्थितियों और उसके बढ़ते दुष्प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये की गई थी। वर्तमान में यह प्रदूषण की समस्या पर चर्चा करने के लिये एक वैश्विक मंच बन गया है तथा 100 से अधिक देशों में इसका आयोजन किया जाता है।
  • इस बार पर्यावरण दिवस की थीम "वायु प्रदूषण" (Air Pollution) है तथा इसका वैश्विक मेज़बान चीन है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में भारत ने ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ (Beat Plastic Pollution) थीम के साथ विश्व पर्यावरण दिवस के अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम की मेज़बानी की थी।
  • सरकार ने विश्व पर्यावरण दिवस समारोह के हिस्से के रूप में #SelfiewithSapling नाम से एक अभियान शुरू किया है तथा लोगों से एक पौधा लगाने और सोशल मीडिया पर इसके साथ एक सेल्फी पोस्ट करने का आग्रह किया गया है।

वायु प्रदूषण (Air Pollution)

  • वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 [Air (Prevention and Control of Pollution) Act, 1981] ‘वायु प्रदूषक’ को वातावरण में मौजूद किसी भी ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ के रूप में परिभाषित करता है, जो मनुष्य या अन्य जीवित प्राणियों या पौधों या संपत्ति या वातावरण के लिये हानिकारक हो सकता है।
  • वायु प्रदूषण हार्ट अटैक अथवा हृदयघात के कारण होनी वाली मौतों में से एक चौथाई मौतों तथा स्ट्रोक, श्वसन संबंधी बीमारियों, फेफड़ों के कैंसर के कारण होने वाली कुल मौतों में से एक तिहाई के लिये ज़िम्मेदार है। वायु प्रदूषण जलवायु को भी प्रमुखता से प्रभावित करता है, जिसका दुष्प्रभाव संपूर्ण पृथ्वी की कार्यप्रणाली पर परिलक्षित होता है।
  • दुनिया भर में लगभग 92 प्रतिशत लोग दूषित हवा में सांस लेने को विवश है। वायु प्रदूषण के कारण हर साल स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर 5 ट्रिलियन डॉलर का बोझ पड़ता है।
  • सतही ओज़ोन प्रदूषण (Ground-level ozone pollution) के कारण वर्ष 2030 तक फसलों की पैदावार लगभग 26 प्रतिशत तक कम होने की उम्मीद जताई जा रही है।
  • हाल ही में भारत ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme-NCAP) का प्रारूप तैयार कर इसे लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क को बढ़ाने के अलावा वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन करना है।

वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981

Air (Prevention and Control of Pollution) Act

  • वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन के उद्देश्य से वर्ष 1981 में संसद द्वारा वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम लागू किया गया।
  • अधिनियम में शीर्ष स्तर पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) की स्थापना और राज्य स्तर पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Pollution Control Boards-SPCB) को वायु गुणवत्ता में सुधार नियंत्रण एवं वायु प्रदूषण के उन्मूलन से संबंधित किसी भी मामले पर सरकार को सलाह देने का प्रावधान किया गया है।
  • CPCB वायु की गुणवत्ता के लिये मानक भी तय करता है तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करता है।

विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (6 June)

  • 5 जून को दुनियाभर में विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन किया गया। पर्यावरण के संरक्षण के लिये कार्य करने और जागरूकता फैलाने की दृष्टि से यह संयुक्त राष्ट्र का सबसे महत्त्वपूर्ण दिवस है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर वर्ष 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से वैश्विक स्तर पर पर्यावरण की चिंता करते हुए विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का विचार रखा गया। इसकी शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई, जहाँ पहली बार वैश्विक पर्यावरण सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें 119 देश शामिल हुए थे। विश्व में लगातार बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की चिंताओं के चलते विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत 1974 में हुई थी। विश्व पर्यावरण दिवस की इस वर्ष की थीम वायु प्रदूषण (Air Pollution) रखी गई है। हर वर्ष इस दिवस की मेज़बानी एक अलग देश करता है और इस बार यह मेज़बानी चीन कर रहा है।
  • अमेरिका ने भारत से कारोबारी वरीयता का दर्जा यानी GSP वापस ले लिया है। अब भारत के लगभग दो हज़ार से अधिक उत्पादों को अमेरिका में शुल्क मुक्त आयात की सुविधा नहीं मिलेगी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसी वर्ष 4 मार्च को GSP के दर्जे से बाहर करने का ऐलान किया था और इसके लिये 60 दिनों का समय दिया गया था| इस फैसले के पीछे अमेरिका ने तर्क दिया कि भारत ने उसके उत्पादों को अपने बाज़ार में उपयुक्त और उचित पहुँच उपलब्ध कराने का आश्वासन नहीं दिया। वर्ष 2018 में भारत से अमेरिका को होने वाला कुल निर्यात 51.4 अरब डॉलर था, जिसमें से केवल 6.35 अरब डॉलर का निर्यात GSP के तहत हुआ था। ज्ञातव्य है कि अमेरिका GSP के तहत कई विकासशील देशों (लगभग 120) से आयात होने वाले उत्पादों पर शुल्क नहीं लगाता। GSP की शुरुआत अमेरिका ने ट्रेड एक्ट, 1974 के तहत 1976 में की थी।
  • उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को अब अपने ऋण पर ब्याज में अधिकतम छूट मिल सकेगी। राज्य की सहकारी गन्ना विकास समितियों व चीनी मिल समितियों के निबंधक की ओर से एक नई व्यवस्था लागू की गई है। इस संशोधित व्यवस्था से हर किसान को ऋण पर ब्याज में अधिकतम छूट का लाभ मिल सकेगा। इस व्यवस्था के लागू होने से पूर्व केवल 3.7 प्रतिशत ब्याज अनुदान का लाभ किसानों को मिल पा रहा था तथा शेष 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान का लाभ किसानों को इसलिये नहीं मिल पा रहा था क्योंकि समितियों द्वारा वर्ष में केवल एक बार ही ऋण वसूली की डिमांड लगाने के आदेश थे। नई व्यवस्था के तहत अब वर्ष में दो बार ऋण वसूली की डिमांड लगाई जाएगी। इससे ऐसे किसान जो लिये गए कृषि ऋण को समय के अंदर वापसी करना चाहते हैं, उन्हें नाबार्ड ऋण की आदायगी पर मिलने वाली ब्याज छूट का पूर्ण लाभ मिल सकेगा। ज्ञातव्य है कि वर्ष 1994 से नाबार्ड योजना के तहत गन्ना किसानों को उर्वरक, बीज, दवाओं के लिये कृषि ऋण की व्यवस्था गन्ना समितियों के माध्यम से प्रारम्भ की गई। वर्ष 2011 से राज्य सरकार एवं भारत सरकार के सहयोग से किसानों के हित में यह प्रावधान भी इस योजना में शुरू किया गया कि यदि कोई किसान ऋण की वापसी तय समय में कर देता है तो उसे ब्याज में और अतिरिक्त 4 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। 
  • अफगानिस्तान और रूस के बीच कूटनीतिक संबंधों की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर हाल ही में तालिबान के शीर्ष राजनीतिक सलाहकार सहित समूह के वरिष्ठ ओहदेदारों ने मास्को में अफगानिस्तान की राजनीतिक हस्तियों से मुलाकात कर अफगानिस्तान में शांति के लिये प्रतिबद्धता जताई। तालिबान के सह-संस्थापक और नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने कहा कि वे 18 साल के संघर्ष को समाप्त करना चाहते हैं, लेकिन विदेशी ताकतों के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद ही ऐसे किसी समझौते पर दस्तखत करेंगे। शांति की राह में मुख्य अवरोध अफगानिस्तान पर विदेशी ताकतों का कब्ज़ा है और यह समाप्त होना चाहिये। गौरतलब है कि तालिबान के गठन में मुल्ला उमर की मदद करने वाले बरादर को पाकिस्तान की एक जेल से रिहाई के बाद जनवरी में समूह का राजनीतिक प्रमुख नियुक्त किया गया था।
  • इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के गठबंधन सरकार बनाने में असफल रहने के बाद इज़राइली सांसदों ने संसद भंग करने के पक्ष में मतदान कर किया, जिससे नेतन्याहू इज़राइली इतिहास में पहले नामित प्रधानमंत्री बन गए, जो सरकार बनाने में असफल रहे। देश में अब 17 सितंबर को फिर से आम चुनाव कराए जाएंगे। ज्ञातव्य है कि करीब छह सप्ताह पहले ही निर्वाचित हुए इज़राइली सांसदों ने 21वीं नेसेट (इजराइली संसद) को भंग करने और इसी कैलेंडर वर्ष में दूसरी बार आम चुनाव कराने के पक्ष में 45 के मुकाबले 74 मतों से प्रस्ताव पारित किया। नेतन्याहू ने 9 अप्रैल को हुए चुनाव में रिकॉर्ड पाँचवीं बार जीत हासिल की थी, लेकिन उनकी यह जीत अस्थायी साबित हुई। उनके और इज़राइल के पूर्व रक्षा मंत्री के बीच मतभेद के कारण गठबंधन नहीं हो सका। नेतन्याहू 120 सदस्यीय सदन में केवल 60 सांसदों का समर्थन ही हासिल कर सके और केवल एक मत से बहुमत साबित नहीं कर पाए। नेसेट को भंग करने के बाद यह सुनिश्चित हो गया कि राष्ट्रपति रुवेन रिवलिन नई सरकार गठित करने के लिये किसी अन्य सांसद को आमंत्रित नहीं कर पाएंगे।
  • दक्षिण कोरिया के बॉन्ग जून-हू निर्देशित सामाजिक व्यंग्य फिल्म पैरासाइट को हाल ही में आयोजित हुए 72वें कान फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फिल्म अवॉर्ड से नवाजा गया। इस फिल्म की कहानी कोरिया में रहने वाले एक उच्चवर्गीय परिवार की है। ‘पैरासाइट’ एक ब्लैक कॉमेडी है जिसमें सोशल स्टेटस, महत्त्वाकांक्षाओं, भौतिकवाद और पितृसत्ता से जुड़े एलिमेंट्स देखने को मिलते हैं। गौरतलब है कि हर साल एक फिल्म को कान के प्रतिष्ठित पाम डि ओर (Palme d’Or) अवॉर्ड से सम्मानित किया जाता है। पिछले वर्ष जापान के डायरेक्टर हीरोकाज़ु कोरे-एदा की फिल्म शॉपलिफ्टर्स को यह अवॉर्ड मिला था।

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