भारतीय राजनीति
राजनीतिक दल पंजीकरण ट्रैकिंग प्रबंधन प्रणाली
प्रीलिम्स के लिये:
भारत निर्वाचन आयोग
मेन्स के लिये:
राजनीतिक दल पंजीकरण ट्रैकिंग प्रबंधन प्रणाली
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत निर्वाचन आयोग ने ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से एक ‘राजनीतिक दल पंजीकरण ट्रैकिंग प्रबंधन प्रणाली’ प्रारंभ की है।
मुख्य बिंदु:
- हाल ही में भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के पंजीकरण की प्रणाली तथा प्रक्रिया की समीक्षा की।
- इस समीक्षा के आधार पर भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के पंजीकरण की प्रणाली और प्रक्रिया को सरल बनाने के लिये एक ‘राजनीतिक दल पंजीकरण ट्रैकिंग प्रबंधन प्रणाली’ (Political Parties Registration Tracking Management System- PPRTMS) लागू की है।
- इस पोर्टल के माध्यम से आवेदक दलों के पंजीकरण सबंधी आवेदनों की स्थिति का ऑनलाइन माध्यम से पता लगाया जा सकेगा।
- PPRTMS के माध्यम से 1 जनवरी, 2020 के बाद राजनीतिक दल के पंजीकरण हेतु आवेदन करने वाले आवेदक दल ही अपने आवेदनों की स्थिति का पता लगा सकेंगे।
- इस प्रणाली के बारे में नए दिशा-निर्देश 1 जनवरी, 2020 से लागू किये जाएंगे।
- आवेदक को अपने आवेदन में दल/आवेदक का मोबाइल नंबर और ई-मेल पता दर्ज करना होगा जिसके माध्यम से वह अपने आवेदन की अद्यतन स्थिति से SMS एवं ई-मेल के माध्यम से अवगत हो सकें।
आवेदन की प्रक्रिया:
- राजनीतिक दलों का पंजीकरण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29(A) के प्रावधानों के अंतर्गत होता है।
- उपर्युक्त धारा के तहत भारत निर्वाचन आयोग में पंजीकरण के लिये इच्छुक दल को अपने गठन की तिथि के 30 दिनों की बाद की अवधि में अपने नाम, पता, विभिन्न इकाइयों की सदस्यता का विवरण, पदाधिकारियों के नाम आदि मूलभूत विवरण सहित निर्धारित प्रारूप में आयोग के पास एक आवेदन करना होता है।
भारत निर्वाचन आयोग:
- भारत निर्वाचन आयोग एक स्थायी संवैधानिक निकाय है।
- भारत निर्वाचन आयोग से जुड़े उपबंधों का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 324 में है।
- वर्तमान में इसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त होते हैं।
- वर्ष 1950 से 1989 तक आयोग एक सदस्यीय निकाय था, किंतु 61वें संविधान संशोधन द्वारा मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष किये जाने के बाद, राष्ट्रपति द्वारा दो अन्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किये गए।
- वर्ष 1990 में यह निकाय पुनः एकल सदस्यीय निकाय बना।
- उसके बाद वर्ष 1993 में दो अतिरिक्त निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की गई थी, तब से आयोग की बहु-सदस्यीय अवधारणा प्रचलन में है, जिसमें निर्णय बहुमत के आधार पर लिया जाता है।
- भारत के राष्ट्रपति द्वारा मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की जाती है।
- भारत निर्वाचन आयोग का अध्यक्ष मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता है। वर्तमान में सुनील अरोड़ा मुख्य चुनाव आयुक्त हैं।
स्रोत- पीआईबी
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
अमेरिका का उइगर विधेयक, 2019
प्रीलिम्स के लिये
उइगर कौन हैं, इनकी भौगोलिक स्थिति, उइगर एक्ट, 2019
मेन्स के लिये
अमेरिका-चीन रिश्तों पर उइगर एक्ट, 2019 का प्रभाव
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिकी संसद (United States Congress) के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेज़ेन्टेटिव (House of Representatives) ने उइगर मानवाधिकार नीति अधिनियम, 2019 विधेयक (The Uighur Human Rights Policy Act 2019 Bill) पारित किया। इस विधेयक को अभी ऊपरी सदन सीनेट (Senate) द्वारा पारित होना बाकी है जिसके बाद यह राष्ट्रपति की मंज़ूरी के लिये भेजा जाएगा।
मुख्य बिंदु:
- इस विधेयक के पारित होने के बाद अमेरिका द्वारा चीन पर, उसके शिनजियांग (Shinxiang) प्रांत के मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ किये जाने वाले दुर्व्यवहार के कारण, कई प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
- इनमें वरिष्ठ चीनी अधिकारियों तथा चीन को होने वाले निर्यात पर प्रतिबंध भी शामिल है।
- निर्यात संबंधी प्रतिबंधों में मुख्यतः वे वस्तुएँ एवं तकनीकें शामिल होंगी जिनका प्रयोग व्यक्तिगत सर्विलांस, चेहरे तथा आवाज़ की पहचान आदि में किया जाता है।
- इस विधेयक में पहली बार चीन के पोलितब्यूरो (Politburo) के सदस्यों पर भी प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा गया है। जबकि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यह कहा गया था कि चीन-अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार युद्ध से वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँच रहा है।
- इन प्रतिबंधों में चीन के शिनजियांग प्रांत के कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव चेन कुआनगुओ (Chen Quanguo) को विशेष तौर पर शामिल किया गया है। चेन कुआनगुओ चीनी पोलितब्यूरो के सदस्य तथा चीन के शीर्ष नेताओं में से हैं।
विधेयक का चीन-अमेरिका संबंधों पर प्रभाव:
- दोनों देशों के मध्य चल रहे व्यापार युद्ध के कारण इनके आपसी रिश्ते पहले से ही तनावपूर्ण हैं। इसी बीच इस विधेयक के पारित होने से यह आशंका जताई जा रही है कि स्थिति और बिगड़ सकती है।
- अमेरिका के इस कदम के प्रत्युत्तर में चीन ने अमेरिकी सेना के जहाज़ों तथा एयरक्राफ्ट को हॉन्गकॉन्ग में जाने से मना कर दिया।
- इसके अलावा कई अमेरिकी अधिकारियों तथा गैर-सरकारी संगठनों पर भी ऐसे ही प्रतिबंध लगाए हैं।
- विश्लेषकों का मानना है कि उइगर विधेयक पर चीन की प्रतिक्रिया अधिक कठोर हो सकती है जिसके द्वारा चीन अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ को वीज़ा देने से मना कर सकता है। क्योंकि इन्होंने चीन द्वारा उइगर मुसलमानों के साथ किये गए बर्ताव को ‘द स्टेन ऑफ द सेंचुरी’ (the stain of the century) कहा है।
उइगर मुस्लिम (Uighur Muslim):
- उइगर मुस्लिम चीन के शिनजियांग प्रांत में निवास करने वाले अल्पसंख्यक हैं। उइगर नृजातीय रूप से तुर्की के मुस्लिम समुदाय से संबंधित हैं। शिनजियांग प्रांत में इनकी जनसंख्या तकरीबन 40 प्रतिशत है।
- चीन का मानना है कि यह समुदाय धार्मिक कट्टरता को मानता है तथा आतंकवाद, उग्रवाद, अलगाववाद को बढ़ावा देने और देश के अंदर घुसपैठियों को शरण देता है।
आधुनिक समय के यातना शिविर
(Modern-day Concentration Camps):
- संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के विशेषज्ञों का कहना है कि कम-से-कम 1 मिलियन उइगर मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समूहों को शिनजियांग प्रांत के शिविरों में नज़रबंद रखा गया है।
- इस तरह के शिविरों में उइगर समुदाय से संबंधित कलाकारों, लेखकों, पत्रकारों तथा विद्यार्थियों को भारी संख्या में नज़रबंद किया गया है।
- एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद के शक के आधार पर तानाशाही का उपयोग करते हुए उइगर एवं अन्य अल्पसंख्यक समूहों को प्रताड़ित करने के लिये एक ‘ऑल आउट’ संघर्ष प्रारंभ किया है।
- चीन की इस कार्यवाही पर विशेषज्ञों का कहना है कि ये आधुनिक समय के यातना शिविर हैं जहाँ लाखों की संख्या में लोगों को नज़रबंद किया गया है तथा उन पर अत्याचार किया जा रहा है।
- हालाँकि चीन ने उइगरों तथा अन्य अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार से संबंधित घटनाओं से इनकार किया है। चीन के अनुसार, वह उइगरों तथा अन्य अल्पसंख्यकों को इस्लामी चरमपंथ तथा अलगाववाद से बाहर लाने के लिये उनका मतांतरण (Indoctrination) कर रहा है एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण (Vocational Traning) दे रहा है।
स्रोत: द हिंदू
सामाजिक न्याय
विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2019
प्रीलिम्स के लिये:
विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2019
मेन्स के लिये:
स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2019 जारी की गई है।
प्रमुख बिंदु:
- रिपोर्ट के अनुसार विश्व भर में कुल 228 मिलियन मलेरिया के मामले सामने आए हैं।
- इनमें 93% मामले अफ्रीकी क्षेत्र में, 3.4% दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र में और 2.1% मामले पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में पाए गए हैं।
- विश्व भर में मलेरिया के कुल मामलों का लगभग 50% केवल 6 देशों में पाए गए।
- इनमें नाइजीरिया (24%), कांगो (11%), तंजानिया (5%), अंगोला (4%), मोजाम्बिक (4%) और नाइजर (4%) शामिल हैं।
- वर्ष 2015 से 2018 तक वैश्विक स्तर पर मलेरिया से प्रभावित देशों में केवल 31 देशों में मलेरिया के मामलों में कमी आई है।
- 5 वर्ष से कम की आयु वाले बच्चे सबसे अधिक संवेदनशील पाए गए हैं।
- आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018 में मलेरिया से होने वाली मौतों में 67% मौतें इसी आयु वर्ग में हुई हैं।
भारत के संदर्भ में:
- रिपोर्ट के अनुसार, उच्च बोझ से उच्च प्रभाव (High Burden to High Impact-HBHI) की सूची में शामिल देशों में भारत और युगांडा ने वर्ष 2018 में मलेरिया के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है।
- वर्ष 2017-18 के बीच अफ्रीका और भारत में मलेरिया के मामलों में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई, फिर भी मलेरिया से होने वाली 85% मौतें यहीं हुई हैं।
- भारत में मलेरिया की मामलों में वर्ष 2018 में वर्ष 2017 के मुकाबले 28% की कमी आई है।
- इससे पहले 2016 और 2017 के बीच 24% की कमी दर्ज की गई थी।
- भारत विश्व में मलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित 4 देशों की सूची से बाहर हो गया है।
- हालाँकि यह अभी भी सबसे अधिक प्रभावित 11 देशों की सूची में शामिल एकमात्र गैर-अफ्रीकी देश है।
- मलेरिया के मुख्य वाहक परजीवी प्लाज़्मोडियम फाल्सीपेरम और प्लाज़्मोडियम विवैक्स हैं।
- भारत में लगभग 47% मामलों में मलेरिया का कारण प्लाज़्मोडियम विवैक्स रहा है।
भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
- भारत में मलेरिया के मामलों से निपटने के लिए मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं (Accredited Social Health Activists-ASHAs) को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
- दुर्गम अंचलारे मलेरिया निराकरण (Durgama Anchalare Malaria Nirakaran- DAMaN) नामक पहल के माध्यम से मलेरिया के प्रसार पर अंकुश लगाने तथा उसके निदान और उपचार के लिये व्यापक प्रयास किये गए हैं, इन प्रयासों के चलते बहुत ही कम समय में प्रभावशाली परिणाम भी प्राप्त हुए हैं।
- 2017 और 2018 में मलेरिया से लड़ने के लिये घरेलू अनुदान को बढाया गया है।
- राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत बजटीय परिव्यय को वर्ष 2017-18 के 468 करोड़ के बजट को बढ़ाकर 2018-19 में 491 करोड़ रूपए और 2019-20 में 1,202.81 करोड़ रुपए तक निर्धारित किया गया है।
- भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि
प्रीलिम्स के लिये:
नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (New START Treaty)
मेन्स के लिये:
निःशस्त्रीकरण की आवश्यकता, इससे संबंधित मुद्दे, संधियाँ और समझौते
चर्चा में क्यों?
नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (Strategic Arms Reduction Treaty-START) संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बीच सामरिक हथियारों में कमी लाने तथा उन्हें सीमित करने संबंधी एक संधि है।
प्रमुख बिंदु
- यह संधि 5 फरवरी, 2011 को लागू हुई थी।
- यह नई स्टार्ट संधि शीत युद्ध के अंत में वर्ष 1991 में हुई स्टार्ट संधि की अनुवर्ती है। 1991 की संधि दोनों पक्षों के लिये रणनीतिक परमाणु वितरण वाहन की संख्या को 1,600 और वारहेड्स की संख्या को 6,000 तक सीमित करती हैं।
- यह 700 रणनीतिक लॉन्चर और 1,550 ऑपरेशनल वारहेड्स की मात्रा को दोनों पक्षों के लिये सीमित कर, अमेरिकी और रूसी रणनीतिक परमाणु शस्त्रागार को कम करने की द्विपक्षीय प्रक्रिया को जारी रखती है।
- यदि इस संधि को पाँच वर्ष की अवधि के लिये विस्तारित नहीं किया जाता है तो यह संधि फरवरी 2021 में व्यपगत हो जाएगी।
मध्यम-दूरी परमाणु बल
(Intermediate-Range Nuclear Forces-INF)
- INF संधि पर शीत युद्ध के दौरान हस्ताक्षर किये गए थे।
- वर्ष 1987 में संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ द्वारा हस्ताक्षरित यह एक परमाणु हथियार-नियंत्रण समझौता था। इसके तहत दोनों देशों ने परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम मध्यम और कम दूरी की भूमि आधारित मिसाइलों को नष्ट करने पर सहमति जताई थी।
- संयुक्त राज्य अमेरिका अगस्त 2019 में इस संधि से पीछे हट गया था।
नोट:
- 'आक्रामक शस्त्र' शब्द रणनीतिक परमाणु वितरण वाहन (SNDV) द्वारा तैनात परमाणु हथियारों के लिये इस्तेमाल किया जाता है।
- रणनीतिक बमवर्षक, युद्धपोतों (रणनीतिक पनडुब्बियों सहित) और क्रूज मिसाइलों सहित हवा एवं समुद्र में लॉन्च की गई क्रूज मिसाइलें तथा 5,500 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBMs) को SNDV में शामिल किया जाता है।
स्रोत: द हिंदू
जैव विविधता और पर्यावरण
पराली की समस्या और स्वीडिश तकनीक
प्रीलिम्स के लिये:
पराली जलाने से उत्पन्न समस्या को दूरकरने के लिये स्वीडिश तकनीक
मेन्स के लिये:
पराली जलाने से उत्पन्न समस्या और उसके हानिकारक प्रभाव
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने पराली (फसल अवशेष) जलाए जाने से उत्पन्न समस्या दूर करने के लिये एक स्वीडिश (Swedish) तकनीक का परीक्षण किया है।
मुख्य बिंदु:
- दिल्ली में सर्दियों के दौरान वायु की गुणवत्ता में आने वाली तीव्र गिरावट का मुख्य कारण पराली का जलना है परंतु पराली जलाने का सिलसिला अभी भी जारी है।
- इस मुद्दे का हल खोजने के लिये भारत एक स्वीडिश तकनीक का परीक्षण कर रहा है जो धान के फसल अवशेष को ‘जैव-कोयला’ (Bio-coal) में परिवर्तित कर सकती है।
- स्वीडन की कंपनी बायोएंडेव (Bioendev) ने पंजाब में अपनी पहली पायलट परियोजना प्रारंभ कर दी है।
- सतत विकास और साझेदारी के लिये नवाचारों पर भारत-स्वीडन वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वीडन के राजा कार्ल गुस्ताफ ने इस पायलट परियोजना के क्रियान्वयन पर हस्ताक्षर किये।
- भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार (Principal Scientific Advisor- PSA) के कार्यालय द्वारा इस प्रौद्योगिकी की व्यवहार्यता का मूल्यांकन करने के लिये इस परियोजना का वित्तपोषण किया गया है।
- बायोएंडेव ने अपना पहला संयंत्र पंजाब के मोहाली में राष्ट्रीय कृषि खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (National Agri-Food Biotechnology Institute) के परिसर में स्थापित किया है।
फसल अवशेष को जैव-कोयला में बदलने की तकनीक:
- बायोएंडेव के अनुसार, इस तकनीक से फसल अवशेष के लगभग 65% बायोमास (Biomass) को उर्जा में बदला जा सकता है।
- मोहाली स्थित संयंत्र हर घंटे में लगभग 150-200 किलोग्राम धान के पुआल को जैव-कोयला में परिवर्तित कर सकता है और CO2 के उत्सर्जन में 95 प्रतिशत तक की कमी ला सकता है।
- इस प्रौद्योगिकी में पुआल, घास, मिलों से निकलने वाले अवशेषों तथा लकड़ी के अवशेषों को 250°C-350°C पर गर्म किया जाता है। इससे बायोमास के तत्त्व कोयले के समान छर्रेनुमा आकार में परिवर्तित हो जाते हैं।
- इस छर्रेनुमा आकार के पदार्थ को स्टील और सीमेंट उद्योगों में कोयले के साथ दहन के लिये प्रयोग किया जा सकता है।
- अभी तक इस तकनीक का परीक्षण स्कैंडिविया (Scandivia) स्थित एक 16000 टन/वर्ष की क्षमता वाले संयंत्र में किया गया है।
- मोहाली स्थित इस संयंत्र की उर्जा क्षमता 1500 मेगावाट है।
क्या है पराली?
- पराली धान की फसल कटने के बाद बचा बाकी हिस्सा होता है, जिसकी जड़ें ज़मीन में होती हैं।
- किसान धान पकने के बाद फसल का ऊपरी हिस्सा काट लेते हैं क्योंकि वही काम का होता है बाकी किसान के लिये बेकार होता है। उन्हें अगली फसल बोने के लिये खेत खाली करने होते हैं जिस वजह से पराली को आग के हवाले कर दिया जाता है।
- आजकल पराली इसलिये भी अधिक होती है क्योंकि किसान अपना समय बचाने के लिये मशीनों से धान की कटाई करवाते हैं। मशीनें धान का केवल ऊपरी हिस्सा काटती हैं और नीचे का हिस्सा अब पहले से ज़्यादा बचता है। इसे हरियाणा तथा पंजाब में पराली कहा जाता है।
- यदि किसान हाथों से धान की कटाई करें तो खेतों में पराली नहीं के बराबर बचती है। बाद में किसान इस पराली को पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
स्रोत- द हिंदू, टाइम्स ऑफ़ इंडिया
भारतीय अर्थव्यवस्था
स्टैंडर्ड एंड पूअर्स रेटिंग
प्रीलिम्स के लिये:
स्टैंडर्ड एंड पूअर्स रेटिंग
मेन्स के लिये:
क्रेडिट रेटिंग से संबंधित मुद्दे
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (Standard and Poors- S&P) ने भारत की संप्रभु रेटिंग (Sovereign Rating) को ‘स्थिर’ दृष्टिकोण के साथ BBB- पर कायम रखा।
प्रमुख बिंदु:
- स्टैंडर्ड एंड पूअर्स एजेंसी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, अर्थव्यवस्था में गिरावट के बावजूद भारत ने दीर्घावधि वृद्धि दर (Longterm Growth Rate) को बनाए रखा है।
- इस एजेंसी के अनुमान के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था अगले दो वर्षों में अपने समकक्ष अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अच्छा प्रदर्शन करेगी।
- हाल ही में एक अन्य वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत के रेटिंग परिदृश्य को ‘नकारात्मक’ कर दिया था।
- BBB रेटिंग किसी इकाई की अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की पर्याप्त क्षमता को प्रदर्शित करती है।
- हालाँकि प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों में उसकी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की क्षमता कमज़ोर पड़ सकती है।
स्रोत- बिज़नेस स्टैण्डर्ड
भारतीय अर्थव्यवस्था
वाहन मिशन योजना 2016-26
प्रीलिम्स के लिये:
वाहन मिशन योजना
मेन्स के लिये:
ऑटोमोबाइल क्षेत्र में विकास के प्रयास
चर्चा में क्यों?
वाहन मिशन योजना (Automotive Mission Plan- AMP) 2016-26 वाहन उद्योग के विकास का रोडमैप तैयार करने हेतु भारत सरकार और भारतीय वाहन उद्योग जगत का एक सामूहिक विज़न है जिसके मजबूती के साथ कार्यान्वयन के चलते ऑटोमोबाइल क्षेत्र में हालिया मंदी के समग्र परिदृश्य में सुधार की आशा है।
प्रमुख बिंदु
- इस योजना का उद्देश्य ऐसी परिस्थितियों का विकास करना है जिससे अगले 10 वर्षों में वाहन, वाहनों के घटक निर्माण और ट्रैक्टर उद्योग के आकार तथा क्षमता संवर्द्धन के साथ ही भारत की सकल घरेलू उत्पाद में इनके योगदान में वृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
- AMP 2006-16 के सफल होने के कारण ही भारत ने केवल एक ऑटोमोबाइल उत्पादक बल्कि वाहन डिज़ाइन और विकास के केंद्र के रूप में भी उभरा है।
विज़न 3/12/65
- AMP 2016-26 का लक्ष्य वाहनों और कलपुर्जों के निर्माण एवं निर्यात से जुड़े शीर्ष तीन देशों में भारतीय वाहन उद्योग को स्थापित करना है।
- वर्तमान में भारतीय वाहन उद्योग का GDP में योगदान लगभग 7% है जिसे बढ़ाकर वर्ष 2026 तक 12% तक लाना है और 65 मिलियन अतिरिक्त रोज़गारों का सृजन करना है।
उद्देश्य
- विनिर्माण को बढ़ावा: AMP 2016-26 का उद्देश्य भारतीय मोटर वाहन उद्योग को ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम का चालक बनाना है क्योंकि यह विनिर्माण क्षेत्र के अग्रणी चालकों में से एक है।
- भारतीय मोटर वाहन क्षेत्र के देश की GDP में 12% से अधिक का योगदान करने की संभावना है और यह विनिर्माण क्षेत्र के 40% से भी अधिक भाग का प्रतिनिधित्व करता है।
- यह देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देगा।
- रोजगार: यह भारतीय वाहन उद्योग को ‘कौशल भारत’ कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता और भारतीय अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख रोज़गार सृजक क्षेत्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित करता है।
- वाहन उद्योग के विनिर्माण क्षेत्र और सेवा क्षेत्र में विभिन्न फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज होते हैं। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था के औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों में अवसरों की उपलब्धता में वृद्धि होगी।
- गतिशीलता: यह योजना सार्वभौमिक गतिशीलता सुनिश्चित करने हेतु देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिये सुरक्षित, कुशल और आरामदेह गतिशीलता बढ़ाने पर केंद्रित है।
- यह उपभोक्ताओं को आवागमन के कई विकल्प उपलब्ध कराकर पर्यावरण संरक्षण और वहनीयता को प्रोत्साहित करती है।
- निर्यात: इसका उद्देश्य भारतीय मोटर वाहन उद्योग के निवल निर्यात में वृद्धि करना और इसे विश्व के प्रमुख वाहन निर्यात केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
- इलेक्ट्रिक वाहन: यह इलेक्ट्रिक वाहन जैसी नई तकनीक को शामिल करने के साथ ही संबंधित बुनियादी ढाँचे और नए ईंधन-दक्षता नियमों को भी शामिल करती है।
स्रोत- pib
जैव विविधता और पर्यावरण
जलवायु आपातकाल
प्रीलिम्स के लिये
यूरोपीय संघ, जलवायु आपातकाल, उत्सर्जन गैप रिपोर्ट
मेन्स के लिये
जलवायु परिवर्तन का मुद्दा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यूरोपीय संघ ‘जलवायु आपातकाल’ (Climate Emergency) की घोषणा करने वाला पहला बहुपक्षीय गुट बन गया है।
प्रमुख बिंदु
- यूरोपीय संघ के 429 सांसदों ने उस घोषणा के पक्ष में मतदान किया जो यूरोपीय संघ द्वारा वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में 55 प्रतिशत की कटौती करने और वर्ष 2050 तक ‘कार्बन न्यूट्रल’ बनने का आह्वान करता है। जबकि 225 सांसदों ने संकल्प के खिलाफ मतदान किया, वहीं अन्य 19 सदस्यों ने इस संकल्प पर मतदान करने से मना कर दिया।
- यूरोपीय संघ के सांसदों ने यूरोपीय आयोग से वैश्विक तापन को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये सभी संबंधित विधायी और बजटीय प्रस्तावों को पूरी तरह सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
- यह घोषणा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण की वार्षिक उत्सर्जन गैप रिपोर्ट (Emission Gap Report) आने के कुछ दिनों बाद हुई है जिसमे बताया गया था कि 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को पूरा करने के लिये वर्ष 2030 तक वार्षिक उत्सर्जन में 7.6% की कटौती की जानी चाहिये।
- इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर वर्ष 2017 के निर्धारित 54 गीगाटन की तुलना में वर्ष 2018 में 55.3 गीगाटन ग्रीनहाउस गैसों (GHG) का उत्सर्जन किया गया।
- यूरोपीय संघ के अलावा अर्जेंटीना, कनाडा जैसे देश एवं न्यूयॉर्क, सिडनी जैसे शहर भी जलवायु आपातकाल की घोषणा कर चुके हैं।
पेरिस समझौता और यूरोपीय संघ:
- पेरिस समझौते के तहत यूरोपीय संघ का मौजूदा लक्ष्य वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में 40% की कटौती करके इसे वर्ष 1990 के स्तर पर लाना है।
- इस लक्ष्य को पूरा करने के लिये संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) की हाल ही में जारी की गई ‘उत्सर्जन गैप रिपोर्ट (Emissions Gap Report)’ से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यूरोपीय संघ वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में 45% की कटौती करने की राह पर है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)
- यह संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है। इसकी स्थापना वर्ष 1972 में मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान हुई थी।
- इस संगठन का उद्देश्य मानव पर्यावरण को प्रभावित करने वाले सभी मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना तथा पर्यावरण संबंधी जानकारी का संग्रहण, मूल्यांकन एवं पारस्परिक सहयोग सुनिश्चित करना है।
UNEP पर्यावरण संबंधी समस्याओं के तकनीकी एवं सामान्य निदान हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है। UNEP अन्य संयुक्त राष्ट्र निकायों के साथ सहयोग करते हुए सैकड़ों परियोजनाओं पर सफलतापूर्वक कार्य कर चुका है। - इसका मुख्यालय नैरोबी (केन्या) में है।
यूरोपीय संघ के इस कदम का प्रभाव:
- यूरोपीय संघ द्वारा जलवायु आपातकाल की यह घोषणा 2-13 दिसंबर, 2019 तक स्पेन में आयोजित होने वाले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में वैश्विक तापन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये अन्य राष्ट्रों को प्रेरित करेगी।
- तेजी से मौसम में परिवर्तन, यूरोप में बाढ़ और ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग की घटनाएँ आदि मुद्दे कहीं-न-कहीं जलवायु परिवर्तन से जुड़े हैं जिनके तत्काल समाधान के लिये स्पेन में आयोजित होने वाले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में चर्चा की जाएगी।
स्रोत- डाउन टू अर्थ एवं द हिंदू
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
नासा का प्रथम इलेक्ट्रिक विमान
प्रीलिम्स के लिये
X-57 मैक्सवेल विमान एवं इसके तकनीकी पक्ष
मेन्स के लिये
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से संबंधित सामान्य जानकारी
चर्चा में क्यों?
11 नवंबर, 2019 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने पहले पूर्ण रूप से इलेक्ट्रिक प्रायोगिक विमान X-57 मैक्सवेल के आरंभिक संस्करण का अनावरण किया। नासा ने कैलिफोर्निया के रेगिस्तान में इस इलेक्ट्रिक विमान का प्रदर्शन किया।
विमान की प्रमुख विशेषताएँ
- वर्ष 2015 से निर्माणाधीन यह विमान इटली में निर्मित Tecnam P2006T नामक विमान से प्रेरित है।
- विमान के मॉड- IV अर्थात् इसके अंतिम संस्करण में संकरे और हल्के वज़न वाले पंख सहित कुल 14 इलेक्ट्रिक इंजन होंगे जो लिफ्ट घटक तथा क्रूज़ घटक की तरह कार्य करेंगे।
- लिफ्ट प्रोपेलर को उड़ान और लैंडिंग के लिये सक्रिय किया जाएगा लेकिन उड़ान के क्रूज़ चरण के दौरान इन्हें निष्क्रिय कर दिया जाएगा।
- विमान में प्रयुक्त 14 इलेक्ट्रिक मोटरों को विशेष रूप से डिज़ाइन की गई लिथियम आयन बैटरी द्वारा ऊर्जा प्रदान की जाएगी।
- हालाँकि इस विमान का पहला उड़ान परीक्षण अगले वर्ष किया जाएगा किंतु नासा ने इंजीनियरों और पायलटों के लिये एक सिम्युलेटर का भी विकास किया है ताकि वे इस विमान के पूरा होने के बाद इसका उपयोग करने का अभ्यास कर सकें।
- चूँकि इलेक्ट्रिक मोटर सिस्टम कम गतिशील घटकों (moving parts) के कारण आंतरिक-दहन इंजन की तुलना में अधिक मज़बूत और छोटे होते हैं। इसलिये उनका प्रबंधन आसान होता है, इनका वज़न बहुत कम होता है और इन्हें उड़ान के लिये कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- ये पारंपरिक इंजनों की तुलना में कम शोर पैदा करते हैं।
चुनौती
- इलेक्ट्रिक विमान के लिये एक प्रमुख चुनौती बैटरी प्रौद्योगिकी में सुधार करना है ताकि बैटरी में अधिक ऊर्जा संगृहित करके विमान की उड़ान सीमा में विस्तार किया जा सके।
- वर्तमान में बैटरी की सीमाओं के कारण मैक्सवेल को हवाई-टैक्सी या आवाजाही विमान के रूप में उपयोग करने के लिये कम यात्रियों वाली छोटी-छोटी उड़ानों के रूप में परिकल्पित किया गया है।
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस
आंतरिक सुरक्षा
विशेष सुरक्षा दल (संशोधन) विधेयक, 2019
प्रीलिम्स के लिये
विशेष सुरक्षा दल (संशोधन) विधेयक, 2019
मेन्स के लिये
आतंरिक सुरक्षा से संबंधित सवालों में इसे संदर्भ के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है।
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय संसद ने विशेष सुरक्षा दल (संशोधन) विधेयक, 2019 [Special Protection Group (Amendment) Bill, 2019] पारित किया जिसके द्वारा विशेष सुरक्षा दल अधिनियम, 1988 (Special Protection Group Act, 1988) में संशोधन किया गया है।
मुख्य बिंदु:
- विशेष सुरक्षा दल अधिनियम, 1988 प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री तथा उनके निकट परिजनों की सुरक्षा के लिये विशेष सुरक्षा दल (Special Protection Group-SPG) के गठन तथा उसके विनियमन से संबंधित है।
- अधिनियम के अंतर्गत SPG प्रधानमंत्री और उनके परिवार के करीबी सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करती है। पद छोड़ने की तिथि के एक वर्ष बाद तक पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार के करीबी सदस्यों को भी SPG सुरक्षा प्रदान की जाती है।
- इस अवधि के बाद खतरे के स्तर को देखते हुए SPG सुरक्षा दी जाती है। खतरे के स्तर का निर्धारण केंद्र सरकार करती है। यह खतरा निम्नलिखित प्रकार का होना चाहिये:
- अगर वह सैन्य या आतंकवादी संगठन द्वारा उत्पन्न हो रहा हो, और
- वह गंभीर एवं निरंतर जारी रहने वाला हो।
- विधेयक इस प्रावधान में संशोधन करता है और कहता है कि SPG प्रधानमंत्री एवं उनके साथ सरकारी आवास में रहने वाले परिवार के करीबी सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करेगी।
- SPG पूर्व प्रधानमंत्रियों और उन्हें आवंटित आवास में उनके साथ रहने वाले परिवार के करीबी सदस्यों को भी सुरक्षा प्रदान करेगी तथा यह पद छोड़ने की तिथि के पाँच वर्ष बाद तक उन्हें सुरक्षा प्रदान करेगी।
- एक्ट में प्रावधान है कि अगर किसी पूर्व प्रधानमंत्री की SPG सुरक्षा हटाई जाती है, तो उसके परिवार के करीबी सदस्यों से भी यह सुरक्षा हटा ली जाएगी, बशर्ते परिवार के करीबी सदस्यों पर खतरे का स्तर ऐसी सुरक्षा को न्यायसंगत ठहराता हो।
- विधेयक इस शर्त को हटाता है और कहता है कि अगर किसी पूर्व प्रधानमंत्री की SPG सुरक्षा हटाई जाती है तो उसके परिवार के करीबी सदस्यों से भी सुरक्षा हटा दी जाएगी।
SPG क्या है?
विशेष सुरक्षा दल (SPG) देश की एक सशस्त्र बल है। यह भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय (Cabinet Secretariat) के अधीन आता है। यह बल देश के प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्रियों सहित उनके परिवार के करीबी सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करता है। सेना की इस यूनिट की स्थापना वर्ष 1988 में संसद के अधिनियम 4 की धारा 1(5) के अंतर्गत की गई थी।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- वर्ष 1981 से पहले प्रधानमंत्री की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी दिल्ली पुलिस के विशेष सुरक्षा बल की थी। लेकिन वर्ष 1981 में इंटेलिजेंस ब्यूरो (Intelligence Bureau) द्वारा प्रधानमंत्री की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी एक स्पेशल टास्क फाॅर्स (Special Task Fprce-STF) को दी गई।
- वर्ष 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद तय किया गया कि इस विशेष समूह को प्रधानमंत्री की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिये।
- इसके लिये गृह मंत्रालय के अधीन बीरबल नाथ समिति का गठन किया गया। इस समिति ने वर्ष 1985 में स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट (Special Protection Unit-SPU) के गठन की सिफारिश की।
- वर्ष 1988 में संसद के विशेष सुरक्षा दल अधिनियम, 1988 (Special Protection Group Act) पारित किया गया तथा SPU का नाम बदलकर SPG रखा गया।
स्रोत: पी.आई.बी.
विविध
RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (04 दिसंबर)
चाँद पर मिला विक्रम लैंडर का मलबा: भारत के चंद्रयान-2 अभियान के साथ भेजे गए लैंडर का पता चल गया है। चेन्नई के IT प्रोफेशनल षनमुगा सुब्रमण्यम ने वह लोकेशन खोज ली है, जहाँ क्रैश होने के बाद विक्रम का मलबा पड़ा है। गौरतलब है कि षनमुगा ने चंद्रमा की परिक्रमा लगाने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के अंतरिक्ष यान द्वारा भेजे चित्रों की मदद से यह खोज की है। उल्लेखनीय है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 22 जुलाई को चंद्रयान-2 प्रक्षेपित किया था। इसमें ऑर्बिटर के साथ-साथ लैंडर और रोवर को भी भेजा गया था। 6-7 सितंबर, 2019 की रात चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग के समय विक्रम क्रैश हो गया था। रोवर भी लैंडर के अंदर ही था, जिसे सफल लैंडिंग के बाद बाहर आना था। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर कुशलतापूर्वक चाँद की परिक्रमा करते हुए अभियान को अंजाम दे रहा है।
लियोन मेसी को मिला बैलन डि ओर अवार्ड: अर्जेंटीना के दिग्गज स्ट्राइकर लियोन मेसी ने छठी बार प्रतिष्ठित बैलन डि ओर अवार्ड (Ballon d'or) अपने नाम कर लिया है। इसी के साथ उन्होंने इतिहास रच दिया है। मेसी विश्व में सबसे ज़्यादा बार इस खिताब को जीतने वाले पहले खिलाड़ी बन गए हैं। इस मामले में लियोन मेसी ने दिग्गज फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो को पीछे छोड़' दिया है। विदित है कि फ्राँस फुटबॉल मैगज़ीन द्वारा दिये जाने वाले इस अवार्ड के लिये विश्व के 30 खिलाड़ियों को नामित किया था, जिसमें अर्जेंटीना के लियोन मेसी और जुवेंटस के क्रिस्टियानो रोनाल्डो, लिवरपूल के विर्गिल वान डिज्क का नाम भी शामिल था।
भारतीय पोषण एंथेम: मंगलवार को उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने ‘‘भारतीय पोषण एंथेम’’ की शुरुआत की जिसका उद्देश्य भारत को वर्ष 2022 तक कुपोषण से मुक्त करना है। गौरतलब है कि इस गान (एंथेम) की अवधारणा का सुझाव महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा दिया गया था। इसे मशहूर गीतकार प्रसून जोशी ने लिखा है और शंकर महादेवन ने आवाज़ दी है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मार्च 2018 में ‘पोषण अभियान मिशन’ की शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य भारत को 2022 तक कुपोषण मुक्त करना है। इसका लक्ष्य गर्भवती महिलाओं, माताओं और बच्चों का पर्याप्त पोषण और संपूर्ण विकास सुनिश्चित करना है।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 को मंज़ूरी दे दी है। इस विधेयक के मुताबिक, नागरिकता प्रदान करने से जुड़े नियमों में बदलाव होगा तथा कुछ अवैध प्रवासियों को बिना दस्तावेज़ के नागरिकता मिलेगी। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में कहा था कि नागरिकता संशोधन बिल सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है। नागरिकता संशोधन विधेयक में नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन का प्रस्ताव है। इसमें बांग्लादेश, अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी एवं ईसाई धर्मों के शरणार्थियों हेतु नागरिकता के नियमों को आसान बनाया गया है।
अल्फाबेट की ज़िम्मेदारी भी संभालेंगे सुंदर पिचाई: सुंदर पिचाई की कहानी में सफलता एक और किस्सा जुड़ गया है। अब तक वो सिर्फ गूगल के सीईओ थे, लेकिन नए ऐलान के बाद सुंदर पिचाई अल्फाबेट (Alphabet) के भी सीईओ बन गए हैं। गौरतलब है कि गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट है जिसके अंतर्गत गूगल के सभी प्रोडक्ट्स और सर्विस आते हैं। गूगल के दोनों फाउंडर्स सेर्गे ब्रिन और लार्री पेज अब अपना पद छोड़ रहे हैं। हालाँकि ये दोनों को-फाउंडर्स और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के तौर पर कंपनी के साथ बने रहेंगे।