भारतीय अर्थव्यवस्था
मूडीज़ ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रेटिंग घटाई
- 08 Nov 2019
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प्रीलिम्स के लिये:
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी, नाममात्र जीडीपी
मेन्स के लिये:
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी से संबंधित मुद्दे, रेटिंग घटाने से भारत पर प्रभाव
चर्चा में क्यों?
हाल ही में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (Credit rating agency) मूडीज़ ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रेटिंग को स्थिर (Stable) से घटाकर नकारात्मक (Negative) कर दिया।
- मूडीज़ ने भारत के लिये विदेशी मुद्रा (Foreign-Currency) और स्थानीय मुद्रा दीर्घकालिक जारीकर्त्ता (Local-Currency Long-Term Issuer Rating) रेटिंग baa2 की पुष्टि की। इसके अतिरिक्त भारत की अन्य अल्पकालिक स्थानीय-मुद्रा रेटिंग पी-2 (P-2) की भी पुष्टि की गई। भारत की baa2 रेटिंग असुरक्षित श्रेणी में आती है।
रेटिंग घटने का कारण:
- मूडीज़ के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते जोखिमों और आर्थिक विकास दर पहले की तुलना में कम रहने के कारण ऐसा किया गया है।
- अर्थव्यवस्था में लंबे समय से चली आ रही आर्थिक समस्याओं का समाधान ढूढ़ने में सरकार की नीतिगत विफलता तथा पहले से ही उच्च ऋण के बोझ के स्तर में और वृद्धि जैसे कारकों की वजह से भारत की रेटिंग में अस्थिरता आई है।
- ग्रामीण परिवारों के बीच समय तक वित्तीय तनाव, कम रोज़गार सृजन और गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों (Non-bank financial institutions) के क्षेत्र में क्रेडिट संकट जैसे कारकों के प्रभावस्वरूप भारत की रेटिंग में कटौती की गई है।
प्रभाव:
- रेटिंग में गिरावट के फलस्वरूप भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- यदि सरकार हिस्सेदारी बिक्री (Stake Sale) के माध्यम से अधिक धन जुटाकर राजकोषीय घाटे को दूर करने में सक्षम होती है तो रेटिंग एजेंसियाँ अपने दृष्टिकोण को संशोधित कर सकती हैं।
आगे की राह:
- मूडीज़ के अनुसार, यदि नाॅमिनल जीडीपी (Nominal GDP) की वृद्धि दर उच्च नहीं रहेगी तो सरकार को सरकारी बजट घाटे को कम करने और ऋण के बोझ में वृद्धि को रोकने हेतु महत्त्वपूर्ण बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
- मूडीज़ ने कहा कि यदि आर्थिक सुधार किया जाएगा तो निवेश, विकास दर और संकीर्ण कर आधार (Narrow Tax Base) जैसे क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
सरकार का पक्ष:
- भारत ने कहा कि वह विश्व में सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। सरकार ने अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने के लिये वित्तीय क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में कई महत्त्वपूर्ण सुधार किये हैं। इन उपायों के परिणामस्वरूप भारत में पूंजी प्रवाह और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।