अंतर्राष्ट्रीय संबंध
SCO ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साझी बौद्ध विरासत पर पहली SCO ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी की शुरुआत की है।
- इस अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन प्रदर्शनी की शुरुआत शंघाई सहयोग संगठन के शासनाध्यक्षों की परिषद की 19वीं बैठक के दौरान की गई है।
- बैठक के दौरान भारत ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि सीमा पार आतंकवाद भारत समेत शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के अन्य सदस्य देशों के लिये बड़ी चुनौती है।
प्रमुख बिंदु
- अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन प्रदर्शनी
- साझी बौद्ध विरासत पर अपनी तरह की इस पहली अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन प्रदर्शनी का आयोजन नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय द्वारा अन्य SCO देशों के सक्रिय सहयोग से किया गया है।
- भागीदार: इस अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन प्रदर्शनी में भारत के अलावा कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज गणराज्य, पाकिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान के संग्रहालय भी हिस्सा लेंगे।
- महत्त्व
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बौद्ध दर्शन से जुड़ाव: मध्य एशिया में प्रचलित बौद्ध दर्शन और कला SCO देशों को एक-दूसरे से जोड़ती है, साथ ही यह ऑनलाइन प्रदर्शनी आगंतुकों को एक ही मंच पर SCO के सदस्य देशों में प्राप्त बौद्ध कला पुरावशेषों तक पहुँच प्रदान करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रस्तुत करती है।
- विभिन्न बौद्ध कला शैलियों के विषय में जानकारी: आगंतुक 3डी वर्चुअल प्रारूप में गांधार और मथुरा कला शैलियों, नालंदा, अमरावती, सारनाथ आदि से प्राप्त बहुमूल्य भारतीय बौद्ध निधि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- कलात्मक समृद्धता और उत्कृष्टता: यह अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी संपूर्ण एशिया के विभिन्न संग्रहालयों में प्रदर्शित कलात्मक समृद्धता की एक झलक प्रदान करती है और एक विशिष्ट ऐतिहासिक कलात्मक उत्कृष्टता का भी प्रतिनिधित्त्व करती है।
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- विशेषता
- इस ऑनलाइन प्रदर्शनी में पाकिस्तान के संग्रहालयों द्वारा सिद्धार्थ के उपवास और सीकरी से बुद्ध के पदचिह्न और सहरी बहलोई से ध्यानमग्न बुद्ध समेत प्रभावशाली गांधार कला की वस्तुओं के संग्रह के माध्यम से गौतम बुद्ध के जीवन और बौद्ध कला को दर्शाया गया है।
- स्टेट ओरिएंटल आर्ट म्यूज़ियम, मॉस्को द्वारा रूस की बौद्ध बरियात कला को प्रतिरूपों, रीति-रिवाजों, मठों की परंपराओं आदि के माध्यम से दर्शाया गया है।
- डुन हुआंग एकेडमी ऑफ चाइना ने डुन हुआंग की बौद्ध कला से जुड़ी एक समृद्ध प्रदर्शनी प्रस्तुत की है, जिसमें सरल स्थापत्य, दीप्त भित्ति चित्र, सजावटी डिज़ाइन, वेशभूषा आदि शामिल हैं।
- आतंकवाद पर भारत की स्थिति
- भारत ने बैठक के दौरान आतंकवाद का मुद्दा उठाया और इसका उल्लेख मानवता के शत्रु के रूप में किया। भारत ने मुख्य तौर पर राज्य प्रायोजित आतंकवाद और सीमा पार आतंकवाद पर चिंता ज़ाहिर की।
- भारत, ब्रिक्स देशों की आतंकवाद-रोधी रणनीति का समर्थन करता है।
- बीते दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली समिति (निरस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा समिति) ने सर्वसम्मति से आतंकवादरोधी मुद्दे पर भारत के वार्षिक प्रस्ताव को अपनाया था।
- भारत ने आतंकवाद को राज्य नीति के एक साधन के रूप में उपयोग करने हेतु पाकिस्तान की आलोचना की और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों से सामूहिक रूप से इस चुनौती से निपटने का आह्वान किया।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
- SCO वर्ष 2001 में स्थापित एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन तथा एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है, जिसका उद्देश्य संबंधित क्षेत्र में शांति, सुरक्षा व स्थिरता को बनाए रखना है।
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती केंद्रीयता के कारण SCO को व्यापक रूप से ‘पूर्व का गठबंधन’ (Alliance of the East) माना जाता है और यह इस क्षेत्र के प्राथमिक सुरक्षा स्तंभ के रूप में कार्य करता है।
- भौगोलिक कवरेज और आबादी के मामले में यह विश्व का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन है, जो यूरेशिया महाद्वीप के 3/5 भाग और मानव आबादी के लगभग आधे हिस्से को कवर करता है।
- रूसी और चीनी SCO की आधिकारिक भाषाएँ हैं।
- सदस्य देश: वर्तमान में इसके सदस्य देश हैं- कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान।
- पर्यवेक्षक देश: अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया।
- वार्ता साझेदार देश: अज़रबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका।
स्रोत: पी.आई.बी
शासन व्यवस्था
उन्नत भारत अभियान योजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उन्नत भारत अभियान योजना (Unnat Bharat Abhiyan Scheme- UBA) की प्रगति से संबंधित एक समीक्षा बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की गई।
प्रमुख बिंदु:
- बैठक की मुख्य विशेषताएँ: केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने निम्नलिखित बातों पर जोर दिया:
- सभी गाँवों के बीच तीन से पाँच सामान्य मुद्दों की पहचान करें जिनमें से कुछ स्थानीय मुद्दों पर आधारित हों तथा इन पर काम करें।
- अधिक-से-अधिक गाँवों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से इस योजना के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या को बढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिये।
- UBA का उपयोग राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के संबंध में स्कूल के शिक्षकों को संवेदनशील बनाने में किया जाना चाहिये।
- एक पोर्टल की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया जो विभिन्न संस्थानों के लिये एक इंटरैक्टिव प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करेगा।
- राज्यवार अध्ययन कर UBA के तहत निर्धारित मापदंडों जैसे कि साक्षरता में सुधार, स्वास्थ्य सेवा आदि के बारे में लक्ष्य निर्धारित करें।
- उन्नत भारत अभियान:
- इस अभियान की औपचारिक शुरुआत वर्ष 2014 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा की गई थी।
- इसका उद्देश्य पाँच गाँवों के एक समूह के साथ उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) को जोड़ना है, ताकि ये संस्थान अपने ज्ञान के आधार पर इन ग्रामीण समुदायों की आर्थिक और सामाजिक बेहतरी में योगदान दे सकें।
- इसमें गाँवों के समग्र विकास के लिये दो प्रमुख डोमेन शामिल हैं - मानव विकास और वस्तुगत (आर्थिक) विकास।
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT, Delhi) को UBA योजना के लिये राष्ट्रीय समन्वय संस्थान (National Coordinating Institute- NCI) के रूप में नामित किया गया है।
- मुख्य उद्देश्य:
- ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के मुद्दों की पहचान करने हेतु HEI के संकाय और छात्रों को संलग्न करना तथा उन मुद्दों का स्थायी समाधान खोजना।
- मौजूदा नवीन तकनीकों को पहचानना और उनका चयन करना, प्रौद्योगिकियों के अनुकूलन को सक्षम करना या लोगों की ज़रूरत के अनुसार नवीन समाधानों के लिये कार्यान्वयन विधियों को विकसित करना।
- HEI को विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के सुचारु कार्यान्वयन के लिये विकासशील प्रणालियों में योगदान की अनुमति देना।
- उन्नत भारत अभियान 2.0:
- उन्नत भारत अभियान 2.0, उन्नत भारत अभियान 1.0 का उन्नत संस्करण है। इसे वर्ष 2018 में शुरू किया गया था।
- UBA 1.0 एक प्रकार से निमंत्रण मोड था जिसमें भाग लेने वाले संस्थानों को UBA का हिस्सा बनने के लिये आमंत्रित किया गया था।
- जबकि UBA 2.0, उन्नाव भारत अभियान कार्यक्रम का चुनौती मोड है, जहाँ सभी HEI को कम-से-कम 5 गाँवों को अपनाना आवश्यक है। वर्तमान में UBA 2.0 मोड चल रहा है।
- उन्नत भारत अभियान 2.0, उन्नत भारत अभियान 1.0 का उन्नत संस्करण है। इसे वर्ष 2018 में शुरू किया गया था।
स्रोत: PIB
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
OIC द्वारा भारत की कश्मीर नीति की आलोचना
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ने इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Cooperation) द्वारा भारत की कश्मीर नीति की आलोचना को स्पष्ट तौर पर खारिज किया है।
- ध्यातव्य है कि नाइजर की राजधानी नियामे में आयोजित OIC के विदेशी मंत्रियों की परिषद के 47वें सत्र के दौरान जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत की नीतियों को संदर्भित किया गया साथ ही भारत की जम्मू-कश्मीर नीति की आलोचना की गई।
इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC)
- कुल 57 सदस्य देशों के साथ इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) संयुक्त राष्ट्र (UN) के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन है।
- इसके कुल सदस्यों में तकरीबन 40 सदस्य मुस्लिम बहुल देश हैं और भारत इस अंतर्राष्ट्रीय संगठन का हिस्सा नहीं है।
- यह संगठन मुस्लिम जगत की एक सामूहिक शक्ति के रूप में कार्य करता है। इस संगठन का मूल उद्देश्य वैश्विक समाज में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के प्रयासों के बीच मुस्लिम जगत के हितों को संरक्षण प्रदान करना है।
- इस संगठन की स्थापना 25 सितंबर, 1969 को रबात में हुए ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी।
- मुख्यालय: जेद्दा (सऊदी अरब)
प्रमुख बिंदु
- कश्मीर मुद्दे पर OIC का पक्ष: इस बैठक के दौरान एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें जम्मू-कश्मीर की स्थिति और उसको लेकर भारत की नीति का उल्लेख किया गया है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के भारत सरकार के निर्णय (वर्ष 2019) का प्राथमिक उद्देश्य इस क्षेत्र की जनसांख्यिकीय और भौगोलिक संरचना में परिवर्तन करना है।
- जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने की प्रक्रिया के दौरान जो नाकाबंदी और प्रतिबंध लागू किये गए हैं उनके कारण इस क्षेत्र में व्यापक स्तर पर मानवाधिकारों का हनन हो रहा है।
- इस रिपोर्ट में कश्मीर के मुद्दे को संगठन के एजेंडे में बनाए रखने के लिये पाकिस्तान के प्रयासों का समर्थन किया गया है।
भारत का पक्ष
- भारत ने इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) पर पलटवार करते हुए उस पर ‘तथ्यात्मक रूप से गलत और अनुचित’ टिप्पणी करने का आरोप लगाया है।
- भारत ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है, जो कि अन्य राज्यों जितना ही महत्त्वपूर्ण है।
- भारत ने भविष्य में इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) को इस तरह की टिप्पणी करने से बचने की सलाह दी है।
- साथ ही भारत ने पाकिस्तान को संदर्भित करते हुए कहा कि यह खेदजनक है कि संगठन स्वयं को एक ऐसे देश द्वारा उपयोग करने की अनुमति दे रहा है, जिसका स्वयं का धार्मिक असहिष्णुता, कट्टरपंथ व अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को लेकर एक स्पष्ट इतिहास रहा है।
- भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किये जाने के बाद से ही पाकिस्तान ने कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाया है।
- पाकिस्तान ने बीते एक वर्ष में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई बार इस्लामिक देशों के बीच मुस्लिम भावना को भड़काने का प्रयास किया है, हालाँकि पाकिस्तान को इसमें सफलता नहीं मिल सकी है और केवल तुर्की तथा मलेशिया जैसे कुछ चुनिंदा देशों ने ही सार्वजानिक तौर पर भारत की आलोचना की है।
- मुस्लिम जगत के शीर्ष नेताओं जैसे- सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात आदि ने भारत के प्रति उतना आलोचनात्मक रुख नहीं अपनाया है, जितना कि पाकिस्तान ने उम्मीद की थी।
भारत के नवीनतम कथन का महत्त्व:
- भारत OIC के दोहरे मानक को तोड़ने में विश्वास करता है, जहाँ वह मानवाधिकारों के नाम पर पाकिस्तान के एजेंडे का समर्थन कर रहा है।
- ध्यातव्य है कि OIC के कई सदस्य देशों के भारत के साथ अच्छे द्विपक्षीय संबंध हैं और वे एक ओर भारत को OIC के बयानों की अनदेखी की सलाह देते हैं, तो दूसरी ओर भारत के विरुद्ध पाकिस्तान द्वारा तैयार किये गए बयानों और प्रस्तावों पर हस्ताक्षर करते हैं।
- अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर जो बिडेन की जीत के बाद भारत के लिये OIC के बयानों को चुनौती देना तथा उसकी तथ्यात्मक गलतियों को रेखांकित करना और भी महत्त्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि जो बिडेन कश्मीर में मानवाधिकारों के मुद्दे पर मज़बूत दृष्टिकोण रखते है और ऐसा बयान जारी कर सकते हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति काफी जटिल हो जाएगी।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council-UNSC) में भारत को दो वर्ष की अवधि के लिये गैर-स्थायी सदस्य के तौर पर चुना गया है और भारत द्वारा इस अवधि का प्रयोग संभवतः पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे को वैश्विक पटल पर लाने हेतु किया जाएगा।
भारत और OIC
- OIC के विदेश मंत्रियों की 45वीं बैठक के दौरान बांग्लादेश ने यह सुझाव दिया था कि चूँकि भारत में 10 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी है, इसलिये भारत को भी इस संगठन में बतौर पर्यवेक्षक (Observer) शामिल किया जाना चाहिये, हालाँकि उस समय पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था।
- वर्ष 2019 में OIC के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ के रूप में शामिल हुआ था।
- OIC के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत की उपस्थिति को एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा गया था, विशेष रूप से उस समय जब पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ रहा था।
- वर्ष 2019 में OIC के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ के रूप में शामिल हुआ था।
OIC द्वारा भारत की नीतियों की आलोचना
- इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) प्रायः कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के रुख का समर्थन करता रहा है और संगठन द्वारा जम्मू-कश्मीर में कथित भारतीय ‘अत्याचार’ की आलोचना करते हुए कई बयान जारी किये गए हैं।
- वर्ष 2018 में OIC के महासचिव ने जम्मू-कश्मीर में भारतीय बलों द्वारा कथित निर्दोष कश्मीरियों की हत्या की कड़ी निंदा की थी।
- महासचिव ने अपने बयान में ‘प्रदर्शनकारियों पर प्रत्यक्ष गोलीबारी’ को एक ‘आतंकवादी कृत्य’ के रूप में वर्णित किया था और ‘कश्मीर समस्या के उचित और स्थायी समाधान के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से भूमिका निभाने का आह्वान किया था।
- इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 और बाबरी मस्जिद विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की भी आलोचना की है।
- इसके अलावा संगठन ने भारत में ‘बढ़ते इस्लामोफोबिया’ को लेकर भी भारत सरकार की आलोचना की है।
भारत की प्रतिक्रिया:
- प्रारंभ से ही भारत यह मनाता रहा है कि इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, जिसमें जम्मू-कश्मीर और नागरिकता से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।
OIC के सदस्य देशों के साथ भारत के संबंध:
- व्यक्तिगत स्तर पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के लगभग सभी सदस्यों के साथ भारत के संबंध काफी अच्छे हैं।
- विशेष रूप से हाल के वर्षों में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और सऊदी अरब के साथ संबंधों में काफी सुधार देखा गया है।
- ज्ञात हो कि वर्ष 2017 में 68वें गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर अबू धाबी (UAE) के क्राउन प्रिंस मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
- OIC में भारत के दो करीबी पड़ोसी देश , बांग्लादेश और मालदीव भी शामिल हैं।
- भारतीय राजनयिकों का मानना है कि दोनों देश निजी तौर पर स्वीकार करते हैं कि वे कश्मीर के मुद्दे पर भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को जटिल नहीं बनाना चाहते हैं।
स्रोत: द हिंदू
सामाजिक न्याय
आदि महोत्सव-मध्य प्रदेश
चर्चा में क्यों?
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आदि महोत्सव-मध्य प्रदेश (Aadi Mahotsav-Madhya Pradesh) के वर्चुअल संस्करण का शुभारंभ किया है।
- गौरतलब है कि आदि महोत्सव के अगले संस्करण को गुजरात तथा उसके बाद पश्चिम बंगाल पर केंद्रित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- आदि महोत्सव:
- यह एक राष्ट्रीय जनजातीय उत्सव है तथा जनजातीय कार्य मंत्रालय एवं भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड) की संयुक्त पहल है। इसकी शुरुआत वर्ष 2017 में की गई थी और तब से इसे प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
- इस महोत्सव का उद्देश्य आम लोगों को एक ही स्थान पर आदिवासी समुदायों के समृद्ध और विविध शिल्प तथा संस्कृति से परिचित कराना है।
- वर्ष 2019 में इस उत्सव का आयोजन नई दिल्ली में किया गया था और इसमें आदिवासी हस्तशिल्प, कला, पेंटिंग, कपड़े, आभूषण आदि की प्रदर्शनी और बिक्री की व्यवस्था की गई थी।
- आदि महोत्सव का वर्चुअल संस्करण
- इस वर्ष ट्राइफेड द्वारा इस कार्यक्रम को ऑनलाइन माध्यम से ट्राइब्स इंडिया के ई-मार्केटप्लेस पर आयोजित किया जा रहा है।
- इस ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान भारत की सभी प्रमुख जनजातियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और उन्हें अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर दिया जाएगा।
भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड)
- गठन: ‘ट्राइफेड’ की स्थापना वर्ष 1987 में बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 1984 के तहत जनजातीय कार्य मंत्रालय के तत्त्वावधान में राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में की गई थी।
- संगठन: ‘ट्राइफेड’ जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत राष्ट्रीय स्तर का एक शीर्ष संगठन है, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- उद्देश्य: इस संगठन का प्राथमिक उद्देश्य जनजातीय लोगों का सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित करना और आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देने, ज्ञान, उपकरण और सूचना के साथ जनजातीय लोगों के सशक्तीकरण एवं क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना है।
पहल और भागीदारी:
- ट्राइब्स इंडिया ब्रांड नाम के तहत ट्राइफेड द्वारा पूरे भारत में आदिवासियों से प्रत्यक्ष तौर पर खरीदे गए दस्तकारी उत्पादों को अपने 73 दुकानों और आउटलेट्स के माध्यम से बेचा जाता है। ध्यातव्य है कि ‘ट्राइब्स इंडिया’ का अपना एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म भी है।
- सूक्ष्म वन उत्पादों (Minor Forest Produce-MFP) के संवर्द्धित मूल्य को बढ़ावा देने के लिये ‘ट्राईफूड योजना’ (TRIFOOD Scheme) खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, जनजातीय मामलों के मंत्रालय तथा ट्राइफेड की एक संयुक्त पहल है।
- ट्राइफेड द्वारा ‘वन धन योजना’ के तहत उत्पादन को बढ़ाने के लिये ‘वन धन इंटर्नशिप कार्यक्रम’ का आयोजन किया गया।
- ट्राइफेड ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ से संबंधित योजना के कार्यान्वयन में भी सहायता करता है, ताकि वनों में निवास करने वाली अनुसूचित जनजातियों (STs) और अन्य पारंपरिक वनवासियों द्वारा तैयार किये गए उत्पादों का उचित मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।
- ट्राइफेड द्वारा जनजातियों में उद्यमशीलता को विकसित करने के लिये राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों (INI) के साथ मिलकर ‘ट्रांसफॉर्मेशनल टेक फॉर ट्राइबल्स प्रोग्राम’ (Transformational Tech For Tribals Program) शुरू किया गया है।
स्रोत: पी.आई.बी.
आंतरिक सुरक्षा
राष्ट्रीय समुद्री डोमेन जागरूकता केंद्र
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2008 के 26/11 मुंबई हमले के बाद स्थापित नौसेना के ‘सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र’ (IMAC), जो समुद्री डेटा संलयन के लिये नोडल एजेंसी है, को शीघ्र ही ‘राष्ट्रीय समुद्री डोमेन जागरूकता (NDMA) केंद्र’ के रूप में बदल दिया जाएगा।
प्रमुख बिंदु:
- पृष्ठभूमि:
- समुद्री डोमेन जागरूकता (Maritime Domain Awareness-MDA) तटीय सुरक्षा बढ़ाने से जुड़े महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, हालाँकि यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि भारत विश्व के सबसे व्यस्त समुद्री यातायात क्षेत्रों में से एक पर स्थित है।
- इसी वर्ष भारत हिंद महासागर आयोग (IOC) में एक पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हुआ, गौरतलब है कि यह आयोग पश्चिमी/अफ्रीकी हिंद महासागर में एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संस्थान है।
- इससे पहले 2018 में समुद्री सुरक्षा पर क्षेत्रीय देशों के साथ समन्वय स्थापित करने और समुद्री डेटा के क्षेत्रीय भंडार के रूप में कार्य करने के लिये IMAC परिसर में ‘सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र’ (IFC-IOR) की स्थापना की गई थी। वर्तमान में विश्व के 21 साझेदार देशों और 22 बहु-राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ इसका संपर्क है।
- हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) एशिया के बहुत से देशों को वैश्विक बाज़ार से जोड़ने के लिये एक वाणिज्यिक राजमार्ग का कार्य करता है और यह कई देशों की समृद्धि के लिये बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। ऐसे में इस क्षेत्र की हर समय समुद्री आतंकवाद, समुद्री डकैती, तस्करी, अवैध मछली शिकार आदि जैसे खतरों से रक्षा करना आवश्यक है।
समुद्री डोमेन जागरूकता
(Maritime Domain Awareness- MDA):
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के अनुसार, MDA से आशय समुद्री डोमेन से जुड़ी उन सभी चीज़ों की प्रभावी समझ से है जो सुरक्षा, अर्थव्यवस्था या पर्यावरण को प्रभावित कर सकती हैं।
- समुद्री डोमेन से आशय उन सभी क्षेत्र और वस्तुओं से है जो समुद्र, महासागर या अन्य नौगम्य जलमार्ग के अंतर्गत आते हों, सीमा साझा करते हों या अन्य किसी प्रकार से संबंधित हों।
- इसमें सभी समुद्री गतिविधियाँ, बुनियादी ढाँचे, लोग, मालवाहक जहाज़ और अन्य संप्रेषण आदि शामिल हैं।
प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय समुद्री डोमेन जागरूकता केंद्र’:
- यह एक बहु-एजेंसी केंद्र होगा जो मत्स्य विभाग से लेकर स्थानीय पुलिस अधिकारियों सहित विभिन्न हितधारकों को समुद्री क्षेत्र में प्राकृतिक, मानवीय तथा अन्य गतिविधियों की जानकारी देगा।
- यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी जोखिम, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय जोखिम को रोका जा सकता है।
सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र
(Information Management and Analysis Centre- IMAC)
- IMAC तटीय निगरानी के लिये भारतीय नौसेना का मुख्य केंद्र है। यह गुरुग्राम (हरियाणा) में स्थित है और इसे वर्ष 2014 में शुरू किया गया था।
- IMAC भारतीय नौसेना (Indian Navy), तटरक्षक (Coast Guard) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की एक संयुक्त पहल है तथा यह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के तहत कार्य करता है।
- यह राष्ट्रीय कमान नियंत्रण संचार और खुफिया नेटवर्क (NC3I नेटवर्क) का नोडल केंद्र है।
कार्य:
- IMAC अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में जहाज़ों की आवाजाही की निगरानी करता है तथा यह तटीय रडार, वाइट शिपिंग समझौते (White Shipping Agreements), स्वचालित पहचान प्रणाली (एआईएस) व्यापारी जहाज़ों पर लगाए गए ट्रांसपोंडर, वायु और यातायात प्रबंधन प्रणालियों तथा वैश्विक शिपिंग डेटाबेस से महत्त्वपूर्ण डेटा प्राप्त करता है। यह सागर पहल (Security and Growth for All in the Region-SAGAR) में सूचीबद्ध सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करता है।
- IMAC द्वारा की गई हालिया पहलें:
- वर्ष 2019 में इसने बिम्सटेक (BIMSTEC) देशों के लिये एक तटीय सुरक्षा कार्यशाला का आयोजन किया।
- श्रीलंका के तट से दूर एमटी न्यू डायमंड (पोत) में आग लगने की घटना के दौरान IFC-IOR ने संसाधनों के त्वरित संघटन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप घटना के प्रति तुरंत प्रतिक्रिया की जा सकी।
नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन एंड इंटेलिजेंस नेटवर्क
(National Command Control Communication and Intelligence Network- NC3IN)
- भारतीय नौसेना ने नोडल सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (IMAC) के साथ नौसेना के 20 और तटरक्षक बल के 31 स्टेशनों सहित कुल 51 स्टेशनों को जोड़ने वाले NC3IN की स्थापना की है।
- NC3IN सभी तटीय रडार (RADAR) शृंखलाओं को जोड़ने वाला एकल बिंदु है और लगभग 7,500 किलोमीटर लंबी समुद्र तट की एक समेकित तथा वास्तविक स्थिति को प्रदर्शित करता है।
‘वाइट शिपिंग’ समझौता
- ‘वाइट शिपिंग’ समझौता व्यापारिक और गैर-सैन्य जहाज़ों की पहचान तथा आवाजाही पर प्रासंगिक अग्रिम सूचनाओं के आदान-प्रदान को संदर्भित करता है।
- समुद्री जहाज़ों को मुख्यतः ‘व्हाइट’ (व्यापारिक और गैर-सैन्य जहाज़), ‘ग्रे’ (सैन्य जहाज़) और ‘ब्लैक’ (अवैध जहाज़) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
स्वचालित पहचान प्रणाली (Automatic Identification System- AIS): यह विशिष्ट भार (टन में) के सभी वाणिज्यिक जहाज़ों पर स्थापित एक स्वचालित ट्रैकिंग प्रणाली है।
- 26/11 के आतंकी हमले के बाद 20 मीटर से अधिक लंबे सभी मछली पकड़ने वाले जहाज़ों के लिये AIS ट्रांसपोंडर स्थापित करना अनिवार्य कर दिया गया था। वर्तमान में 20 मीटर या उससे कम लंबाई वाले मछली पकड़ने के जहाज़ों के लिये भी इस तरह की व्यवस्था करने का प्रयास किया जा रहा है।