छोटे पार्टिकल्स के बड़े कारनामे
06 Mar, 2024रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।जहाँ काम आवे सुई, कहां करे तरवारि ।। कितनी सुन्दर बात कही है रहीम जी ने कि बड़ी वस्तुओं को देख छोटी वस्तुओं का अनादर करना उचित नहीं है,...
रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि।जहाँ काम आवे सुई, कहां करे तरवारि ।। कितनी सुन्दर बात कही है रहीम जी ने कि बड़ी वस्तुओं को देख छोटी वस्तुओं का अनादर करना उचित नहीं है,...
"न्याय और शक्ति को एक साथ लाया जाना चाहिए ताकि जो कुछ न्यायसंगत है वह शक्तिशाली हो सके और जो शक्तिशाली है वह न्यायपूर्ण हो"-ब्लैज़ पास्कल ऐसा कौन प्राणी इस धरती पर होगा जो...
रोमन दार्शनिक और विधिवेत्ता सिसरो ने इतिहासकारों के बारे में कहा था- “इतिहासकार का पहला नियम है- कभी झूठ कहने की हिम्मत न करना और दूसरा नियम है- जो सच है, उसे किसी भी कीमत पर...
साहित्य, सिनेमा और समाज तीनों को एक ही पंक्ति में रखने का कारण इनके मध्य व्याप्त गहन अन्तर्संबंधितता रही है। साहित्य समाज से और समाज साहित्य से निरंतर वैचारिक आदान-प्रदान...
चारों तरफ हरे-भरे खेत, पेड़-पौधे, पहाड़, पक्षियों की चहचहाहट, नदियों का कल-कल निनाद करता हुआ जल, बारिश की फुहारें और गुनगुनी सी धूप किसे पसंद नहीं होतीं। ज़ाहिर सी बात है कि हर...
हमारा देश एक अद्भुत आस्थावान देश है। इसकी आस्था की एक खास बात यह है कि ये जीवन के विभिन्न आयोमों में आस्था के माध्यम से हर गतिविधियों को देखते थे। पीपल अथवा तुलसी के वृक्षों...
धर्म का एक भौतिक पक्ष है, और एक आध्यात्मिक, एक सैद्धांतिक और एक व्यावहारिक, एक सार्विक और एक स्थानीय, एक शाश्वत और एक परिवर्तनशील, एक शोषक और एक पोषक, और अंततः एक सकारात्मक और...
ईसा से सात-आठ सौ साल पहले यूनानी कवि हेसियड ने घोषणा की थी– ‘मानवजाति का स्वर्णिम युग अतीत में रह गया है। रजत युग भी बीत गया है। अब कठोर लौह युग आ गया है और सब कुछ तबाह होने...
आप जब इन पंक्तियों को पढ़ रहे होंगे तो संभव है कि उसी समय यह चर्चा भी गरमा रही होगी कि 1 फरवरी 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नियम के मुकाबले मान्यताओं को प्राथमिकता...
"यदि मैं स्त्री के रूप में पैदा होता तो पुरुषों द्वारा थोपे गए हर अन्याय का जमकर विरोध करता तथा उनके खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद करता" -महात्मा गांधी रेवा का घर जाने का...
जिन दो फसलों से दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों का पेट भरता है, उनमें गेहूं और चावल शामिल हैं। लेकिन, चावल यानी धान की इसी फसल का डंढल दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के लोगों के...
‛सुशासन, मानव अधिकारों के लिये सम्मान और कानून का शासन सुनिश्चित करता है तथा लोकतंत्र को मज़बूती, लोक प्रशासन में पारदर्शिता एवं सामर्थ्य को बढ़ावा देता है।’ -कोफ़ी अन्नान...
संपूर्ण मानव समाज की बुनियादी ज़रूरतों की पूर्ति करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में ऊर्जा एक इंजन का कार्य करती है। हम जानते हैं कि जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ ऊर्जा की...
जिन आधुनिक मुसीबतों को हम इंसानों ने खुद जन्म दिया है, उनमें प्रदूषण भी एक है। आज से चार-पाँच सौ साल पहले शायद इस मुसीबत की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। लेकिन आज यह हमारे...
जगह बदलता रहता है, आँकड़े बदलते रहते हैं, वाहन बदलते रहते हैं, होने वाली मौतों की संख्या बदलती रहती है, लेकिन 'सड़क दुर्घटना' की खबर सबमें कॉमन ही रहती है। हम अपने आसपास हर रोज़...
"सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ,ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ।" ख़्वाजा मीर दर्द का ये शेर हर यात्री की कहानी है। दुनिया में कई लोग हैं जो चाहते हैं कि...
अमूमन ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम अगर किसी बड़ी प्रतियोगिता के फाइनल में पहुँचती है तो किसी भी तरह से और किसी भी हालत में जीत का वरण भी कर ही लेती है। भारत में हुई वर्ल्ड कप...
तिरे वादों पे कहाँ तक मिरा दिल फ़रेब खाए,कोई ऐसा कर बहाना मिरी आस टूट जाए। - फ़ना निज़ामी कानपुरी हर चुनाव के बाद जब वक़्त गुज़रता है और जनता से किए गए वादों को चुनाव में विजयी...
सितंबर की 21 तारीख जो अब इतिहास बन चुकी है। इस दिन देश की सर्वोच्च पंचायत में जो ऐतिहासिक पटकथा लिखी गई, वह सदन की सर्वसम्मति की भी कथा है। महिला आरक्षण बिल के लिये 128 वें...
भारत चुनावों का देश है। भौगोलिक विस्तार और बहुदलीय संसदीय प्रणाली के दृष्टिकोण से हम इतने विशाल हैं कि यहाँ चुनावों का मौसम हावी रहता है। चुनाव से लोकतंत्र मजबूत होता है।...