इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

 Switch to English Blogs



मोटिवेशन

एलजीबीटीक्यू: सुनवाई अभी जारी है

16 Apr, 2024 | वर्षा भम्भाणी मिर्ज़ा

"इतिहास को इनसे और इनके परिवारों से माफ़ी मांगनी चाहिए क्योंकि जो कलंक और निष्कासन इन्होंने सदियों से भोगा है, उसकी कोई भरपाई नहीं की जा सकती"- जस्टिस इन्दु मल्होत्रा नवंबर...

विमर्श

ट्रांसजेंडर्स- कमी वजूद में नहीं, समाज की सोच में है

16 Apr, 2024 | वर्षा भम्भाणी मिर्ज़ा

ट्रांस समुदाय के लोग बेहद प्रतिभाशाली, मज़बूत ,बुद्धिमान, सृजनशील, सहृदय और इरादों के पक्के होते हैं। हमें होना ही पड़ता है। हम अधिकारों को चुन या छोड़ नहीं सकते ,बस उम्मीद...

विमर्श

भारत में महिला आंदोलन

15 Apr, 2024 | श्रुति गौतम

दुनिया भर के आंदोलनों को यदि देखा जाए तो उसमें एक समानता दिखाई देती है और वह समानता ही आंदोलनों के जन्म लेने का मूल कारण है जो कि है शोषण, दमन, अत्याचार या समानता का न होना।...

विमर्श

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति

12 Apr, 2024 | अनुज कुमार वाजपेई

''यदि धन खो दिया तो हमने कुछ नहीं खोया है, लेकिन यदि स्वास्थ्य खो दिया तो अवश्य कुछ खो दिया है।'' यह फ्रांसीसी लोकोत्ति बताती है कि स्वास्थ्य हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण...

विमर्श

अनुसूचित जाति एवं जनजाति: कल्याणकारी योजनाएं एवं संरक्षण

12 Apr, 2024 | दीपक कुमार

मानव सभ्यता के विकासक्रम में कुछ समूह आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक बतौर अन्य समूहों के एवज में पिछड़ जाते हैं। उनके पिछड़ने का कारण स्थान, जाति और लिंग विशेष तौर पर अड़े हाथों...

विमर्श

मृत्युदंड-सही या गलत?

14 Mar, 2024 | वर्षा भम्भाणी मिर्ज़ा

"मुझे विश्वास ही नहीं कि कोई भी सभ्य समाज मृत्यु का सेवक हो सकता है। मुझे नहीं लगता कि कोई मानव ही मानव की मौत का देवदूत बन सकता है" -हेलेन प्रेजेन, एक्टिविस्ट, नन और...

विमर्श

वैवाहिक बलात्कार: कब होगा ‘ना’ का मतलब ‘ना’?

13 Mar, 2024 | वर्षा भम्भाणी मिर्ज़ा

“शादी वैवाहिक दुष्कर्म का लाइसेंस नहीं है, सहमति सबसे ज़रूरी है” मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार की अवधारणा ही भारतीय समाज को अनुचित लगती है। समाज इस बात को गले ही नहीं...

विमर्श

मॉरल पुलिसिंग

06 Mar, 2024 | दीपक देश

अपने भौगोलिक परिस्थितियों के परिदृश्य में विभिन्न प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित भिन्नताओं या विशेषताओं के साथ-साथ उनके अपने व्यक्तिगत नियम और विचार निर्मित होते हैं। यह...

विमर्श

छोटे पार्टिकल्स के बड़े कारनामे

06 Mar, 2024

रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारिIजहाँ काम आवे सुई, कहां करे तरवारि II कितनी सुन्दर बात कही है रहीम जी ने कि बड़ी वस्तुओं को देख छोटी वस्तुओं का अनादर करना उचित नहीं है,...

विमर्श

युद्ध: महिलायें और बच्चे

01 Mar, 2024 | डॉ अंकित पाठक

रोमन दार्शनिक और विधिवेत्ता सिसरो ने इतिहासकारों के बारे में कहा था- “इतिहासकार का पहला नियम है- कभी झूठ कहने की हिम्मत न करना और दूसरा नियम है- जो सच है, उसे किसी भी कीमत पर...

विमर्श

ऑनर किलिंग: झूठे दंभ में अपनों को ही लीलते अपने

01 Mar, 2024 | वर्षा भम्भाणी मिर्ज़ा

"न्याय और शक्ति को एक साथ लाया जाना चाहिए ताकि जो कुछ न्यायसंगत है वह शक्तिशाली हो सके और जो शक्तिशाली है वह न्यायपूर्ण हो"-ब्लैज़ पास्कल ऐसा कौन प्राणी इस धरती पर होगा जो...

विमर्श

पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक सरपंचों की जतन

20 Feb, 2024 | शालिनी बाजपेयी

चारों तरफ हरे-भरे खेत, पेड़-पौधे, पहाड़, पक्षियों की चहचहाहट, नदियों का कल-कल निनाद करता हुआ जल, बारिश की फुहारें और गुनगुनी सी धूप किसे पसंद नहीं होतीं। ज़ाहिर सी बात है कि हर...

विमर्श

साहित्य, सिनेमा और समाज का अंतर्संबंध

20 Feb, 2024 | डॉ. विवेक कुमार पाण्डेय

साहित्य, सिनेमा और समाज तीनों को एक ही पंक्ति में रखने का कारण इनके मध्य व्याप्त गहन अन्तर्संबंधितता रही है। साहित्य समाज से और समाज साहित्य से निरंतर वैचारिक आदान-प्रदान...

विमर्श

पर्यावरण सरंक्षण के लिए दिए जाने वाले फेलोशिप एवं पुरस्कार

20 Feb, 2024 | अनुज कुमार वाजपेई

हमारा देश एक अद्भुत आस्थावान देश है। इसकी आस्था की एक खास बात यह है कि ये जीवन के विभिन्न आयोमों में आस्था के माध्यम से हर गतिविधियों को देखते थे। पीपल अथवा तुलसी के वृक्षों...

विमर्श

धर्म की हमारी समझ

12 Feb, 2024 | डॉ अंकित पाठक

धर्म का एक भौतिक पक्ष है, और एक आध्यात्मिक, एक सैद्धांतिक और एक व्यावहारिक, एक सार्विक और एक स्थानीय, एक शाश्वत और एक परिवर्तनशील, एक शोषक और एक पोषक, और अंततः एक सकारात्मक और...

विमर्श

युद्ध: कल, आज और कल

24 Jan, 2024 | डॉ अंकित पाठक

ईसा से सात-आठ सौ साल पहले यूनानी कवि हेसियड ने घोषणा की थी– ‘मानवजाति का स्वर्णिम युग अतीत में रह गया है। रजत युग भी बीत गया है। अब कठोर लौह युग आ गया है और सब कुछ तबाह होने...

अर्थव्यवस्था

स्वतंत्र भारत का पहला बजट था अंतरिम बजट

16 Jan, 2024 | शिशिर सिन्हा

आप जब इन पंक्तियों को पढ़ रहे होंगे तो संभव है कि उसी समय यह चर्चा भी गरमा रही होगी कि 1 फरवरी 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नियम के मुकाबले मान्यताओं को प्राथमिकता...

विमर्श

सबसे ज़रूरी होता है सायरन की तरह गूंज जाना

08 Jan, 2024 | वर्षा भम्भाणी मिर्ज़ा

"यदि मैं स्त्री के रूप में पैदा होता तो पुरुषों द्वारा थोपे गए हर अन्याय का जमकर विरोध करता तथा उनके खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद करता" -महात्मा गांधी रेवा का घर जाने का...

विमर्श

दिल्ली-एनसीआर लिए ही पराली क्यों बन रही मुसीबत

08 Jan, 2024 | कबीर संजय

जिन दो फसलों से दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों का पेट भरता है, उनमें गेहूं और चावल शामिल हैं। लेकिन, चावल यानी धान की इसी फसल का डंढल दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के लोगों के...

विमर्श

सुशासन की अवधारणा: लोकतंत्रीकरण के यंत्र के रूप में

08 Jan, 2024 | विमल कुमार

‛सुशासन, मानव अधिकारों के लिये सम्मान और कानून का शासन सुनिश्चित करता है तथा लोकतंत्र को मज़बूती, लोक प्रशासन में पारदर्शिता एवं सामर्थ्य को बढ़ावा देता है।’ -कोफ़ी अन्नान...

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow