चुनावी घोषणा और क़र्ज़माफ़ी, कितना सही-कितना ग़लत!
21 Nov, 2023तिरे वादों पे कहाँ तक मिरा दिल फ़रेब खाए,कोई ऐसा कर बहाना मिरी आस टूट जाए। - फ़ना निज़ामी कानपुरी हर चुनाव के बाद जब वक़्त गुज़रता है और जनता से किए गए वादों को चुनाव में विजयी...
तिरे वादों पे कहाँ तक मिरा दिल फ़रेब खाए,कोई ऐसा कर बहाना मिरी आस टूट जाए। - फ़ना निज़ामी कानपुरी हर चुनाव के बाद जब वक़्त गुज़रता है और जनता से किए गए वादों को चुनाव में विजयी...
सितंबर की 21 तारीख जो अब इतिहास बन चुकी है। इस दिन देश की सर्वोच्च पंचायत में जो ऐतिहासिक पटकथा लिखी गई, वह सदन की सर्वसम्मति की भी कथा है। महिला आरक्षण बिल के लिये 128 वें...
भारत चुनावों का देश है। भौगोलिक विस्तार और बहुदलीय संसदीय प्रणाली के दृष्टिकोण से हम इतने विशाल हैं कि यहाँ चुनावों का मौसम हावी रहता है। चुनाव से लोकतंत्र मजबूत होता है।...
हम जानते हैं कि यूपीएससी यानी “संघ लोक सेवा आयोग” को देश की सबसे बड़ी परीक्षा (सिविल सर्विसेज़ की परीक्षा) आयोजित कराने का गौरव हासिल है। यूपीएससी की परीक्षा न केवल...
हर युवा कम से कम उम्र में एक ऐसा स्थायी करियर बनाना चाहता है, जिसमें बेहतर ज़िंदगी जीने हेतु न सिर्फ संतोषजनक सैलरी हो, बल्कि अपने कार्यक्षेत्र के माध्यम से वह समाज के लिए...
यदि कहा जाए कि व्यक्ति और राष्ट्र की आत्मनिर्भरता का सही मायने में तर्कसंगत संबंध लघु उद्योगों से है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति न होगी! गौरतलब है कि अर्थव्यवस्था के चार पहिये...
“अगले 10 सालों में भारत ‘खेल महाशक्ति” होगा।” वर्ष 2022 में आई बुक ‘बिज़नेस ऑफ स्पोर्ट्स-द विनिंग फ़ॉर्मूला ऑफ सक्सेस’ के लेखक और ग्रुप साउथ एशिया के स्पोर्ट्स,...
भारतीय सिनेमा और हिन्दी साहित्य दो परस्पर अलग-अलग विधाएँ हैं किंतु दोनों में पारस्परिक संबंध काफी गहरा है। अपनी शैशवावस्था से ही भारतीय सिनेमा भाषा के लिहाज से हिन्दी पर...
हिंदी वर्तमान समय में केवल शिक्षा एवं साहित्य की भाषा की परिधि तक सीमित नहीं रह गई है। भूमंडलीकरण अथवा वैश्वीकरण के दौर में हिंदी वैश्विक परिदृश्य में अपना महत्त्वपूर्ण...
भगवान स्वरूप कटियार की कविता की एक पंक्ति है “पिता के पास लोरियाँ नहीं होतीं”। असल में पिताओं के पास होती हैं थपकियाँ, जिससे बच्चा मीठी नींद में सोता है। ये थपकियाँ ही...