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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ओरियन अंतरिक्षयान

  • 08 Oct 2020
  • 9 min read

परिचय

ओरियन अंतरिक्ष यात्रियों के लिये नासा का एक नया अंतरिक्षयान है। यह अंतरिक्षयान नासा के आर्टेमिस मिशन का एक महत्त्वपूर्ण भाग है जिसके तहत वर्ष 2024 तक चंद्रमा पर पहली महिला अंतरिक्ष यात्री और अन्य पुरुष अंतरिक्ष यात्रियों को भेजना शामिल है।

ओरियन के कार्य

  • ओरियन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाएगा और फिर उन्हें पृथ्वी पर सुरक्षित वापस भी लाएगा। यह यान अंतरिक्ष यात्रियों के एक दल को लूनर गेटवे तक भी ले जाएगा।
  • ओरियन अंतरिक्ष यात्रियों को अब तक की अधिकतम ऊँचाई पर ले जाएगा। यह यान निम्नलिखित कार्य करेगा: 
    • चालक दल को सुरक्षित अंतरिक्ष में ले जाना।
    • यह एक अस्थायी कार्यालय तथा अंतरिक्ष यात्रियों के लिये रहने योग्य क्वार्टर (कमरे) के रूप में कार्य करेगा जो पृथ्वी से लगभग 2,50,000 मील की दूरी पर अवस्थित होगा। 
  • यह चालक दल को 20,000 मील प्रति घंटे की गति से सुरक्षित पृथ्वी पर लौटने की अनुमति देगा। 
  • यदि आपातस्थिति में चालक दल को पृथ्वी पर लौटना हो तो यह यान ‘लाइफबोट’ का कार्य भी करेगा।
  • ओरियन को नासा के नए भारी-भरकम रॉकेट, स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) पर लॉन्च किया जाएगा।

लूनर गेटवे

  • लूनर गेटवे एक छोटा सा अंतरिक्षयान है जो चंद्रमा की परिक्रमा करेगा। यह सबसे पहले चंद्रमा पर भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिये और बाद में मंगल ग्रह के अभियानों के लिये प्रयोग में लाया जाएगा।
  • इस अंतरिक्षयान में विज्ञान एवं अनुसंधान के लिये प्रयोगशालाएँ, रहने योग्य क्वार्टर आदि की सुविधाएँ होंगी। 
  • इसके अलावा अंतरिक्ष यात्री प्रतिवर्ष कम-से-कम एक बार गेटवे का उपयोग करेंगे।
  • इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की तुलना में गेटवे बहुत छोटा है (एक स्टूडियो अपार्टमेंट के आकार का), जबकि ISS छह बेडरूम वाले घर के आकार का है।
  • एक बार गेटवे से जाने के बाद अंतरिक्ष यात्री एक समय में तीन महीने तक वहाँ रह सकेंगे तथा विज्ञान के प्रयोगों का संचालन कर सकेंगे और चंद्रमा की सतह पर यात्रा कर सकेंगे।
    • नासा के अनुसार, लूनर गेटवे एक हवाई अड्डे के रूप में कार्य करेगा। 
  • गौरतलब है कि नासा इस गेटवे का उपयोग एक वैज्ञानिक मंच के रूप में करना चाहता है ताकि वह पृथ्वी का पुनः अन्वेषण कर सके, सूर्य का निरीक्षण कर सके और विशाल ब्रह्मांड की अबाधित जानकारियों को प्राप्त कर सके।
    • पृथ्वी, चंद्रमा और मंगल के भू-विज्ञान का अध्ययन करके नासा इनके बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकता है। 
  • नासा ने वर्ष 2026 तक गेटवे के पूरा होने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि अंतरिक्षयान पर काम पहले से ही चल रहा है। 

ओरियन का निर्माण कैसे किया गया है?

  • ओरियन को कम-से-कम संभव द्रव्यमान के साथ बनाया गया है। किसी अंतरिक्षयान के निर्माण में द्रव्यमान की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। 
  • अधिक द्रव्यमान वाले यान को लॉन्च करने के लिये अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। कम द्रव्यमान वाले यान के लिये नासा कम ईंधन का उपयोग कर सकता है। 
  • ओरियन को चार अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिये सबसे सुरक्षित परिवहन साधन के रूप में तैयार किया गया है और यह प्रत्येक मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों को 21 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने तथा काम करने हेतु अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराएगा।
  • ओरियन के तीन मुख्य भाग हैं:
    (a) शीर्ष पर लॉन्च अबॉर्ट सिस्टम (LAS)।
    (b) केंद्र में चालक दल मॉड्यूल।
    (c) तल पर सेवा मॉड्यूल।
  • यदि लॉन्चिंग के दौरान कोई आपातस्थिति उत्पन्न होती है, तो LAS मिलीसेकंड के भीतर सक्रिय हो जाएगा। यह चालक दल को सुरक्षा प्रदान करेगा और फिर LAS सुरक्षित लैंडिंग के लिये क्रू मॉड्यूल को स्थान देगा। क्रू मॉड्यूल चार अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने में सक्षम है। यह यात्रा के दौरान चालक दल को सुरक्षित रखता है।
  • सर्विस मॉड्यूल रॉकेट से जुड़ता है तथा यह क्रू मॉड्यूल को पानी और ऑक्सीजन सहित जीवन समर्थन प्रदान करता है। जब ओरियन SLS रॉकेट से अलग हो जाता है, तो सर्विस मॉड्यूल, क्रू मॉड्यूल को अंतरिक्ष में आवश्यक ऊर्जा और प्रणोदन प्रदान करता है। 
  • सेवा मॉड्यूल को ऊर्जा प्रदान करने के लिये सौर पैनल में  चार पंख लगे हैं। ये दो तीन-बेडरूम के घर के लिये आवश्यक बिजली प्रदान करने में सक्षम हैं।

नासा द्वारा ओरियन का परीक्षण

  • इससे पहले कि कोई अंतरिक्ष यान किसी मिशन पर उड़ान भरे नासा उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये परीक्षण करता है। ओरियन की पहली परीक्षण उड़ान वर्ष 2014 में संपन्न हुई थी। उस मिशन में चालक दल नहीं था। इसे फ्लोरिडा से डेल्टा IV नामक एक भारी रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था। परीक्षण यान ने पृथ्वी के चारों ओर दो परिक्रमाकाएं पूर्ण की थीं। 
  • ओरियन, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की तुलना में 15 गुना अधिक  ऊँचाई तक पहुँच गया था। इस परीक्षण वाहन ने 20,000 मील प्रति घंटे की गति से उड़ान भरी और 4,000 डिग्री फ़ारेनहाइट के तापमान तक पहुँच गया था।
  • पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के साथ ही यह परीक्षण वाहन कैलिफोर्निया के पास प्रशांत महासागर में गिर गया।

ओरियन के लिये आगे की योजना क्या है?

  • ओरियन का अगला परीक्षण आर्टेमिस I मिशन का भाग होगा। इस मिशन के दौरान SLS रॉकेट द्वारा पहली बार ओरियन लॉन्च होगा।
  • ओरियन में चालक दल नहीं होगा। नासा आर्टेमिस I को फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च करेगा। रॉकेट से अलग होने के बाद ओरियन हज़ारों मील दूर चंद्रमा के चारों ओर उड़ान भरेगा।
  • लगभग तीन हफ्तों में ओरियन दो मिलियन किलोमीटर (13,00,000 मील से अधिक) की दूरी तय करेगा और उसके बाद पृथ्वी पर वापस लौट आएगा।
  • ओरियन पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करेगा और कैलिफोर्निया के तट पर एक पुनर्प्राप्ति जहाज़ के पास उतरेगा। आर्टेमिस I का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि चालक दल सुरक्षित रूप से:
    • पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर सके।
    • ग्रह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर सके।
    • समुद्र में निर्धारित स्थान पर ही उतरे।
    • अमेरिकी नौसेना के विशेषज्ञों द्वारा इसे पुनर्प्राप्त किया जा सके।
  • अगले मिशन आर्टेमिस II हेतु ओरियन चंद्रमा के लिये फिर से उड़ान भरेगा। इस मिशन में एक चालक दल होगा और यह लगभग 10 दिन तक उड़ान भरेगा। यह उड़ान मानव द्वारा अब तक की गई अंतरिक्ष यात्रा में से सबसे अधिक दूरी की होगी।
  • अंत में आर्टेमिस III में ओरियन अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अध्ययन करने के लिये ले जाएगा। आर्टेमिस III को वर्ष 2024 तक लॉन्च करने की योजना है।
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