राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम (NLMC) | 02 Apr 2022
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम (NLMC) के निर्माण को मंज़ूरी दे दी है।
- केंद्रीय वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2021-22 में इसे सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) की अधिशेष भूमि जोत के मुद्रीकरण के लिये एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) के रूप में घोषित किया था।
राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम (NLMC) क्या है?
- स्वामित्व: NLMC एक ऐसी फर्म होगी जिसका पूर्ण स्वामित्व भारत सरकार के पास होगा। यह वित्त मंत्रालय के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में आएगी।
- प्रारंभिक पूंजी: इसे ₹5,000 करोड़ की प्रारंभिक अधिकृत शेयर पूंजी और ₹150 करोड़ की पेड अप पूंजी के साथ स्थापित किया जाएगा।
- NLMC के कार्य:
- संपत्ति का मुद्रीकरण: NLMC सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति के अधिशेष, अप्रयुक्त भूमि का संपत्ति के रूप में मुद्रीकरण करेगा।
- सामरिक विनिवेश: निगम इन भूमि जोत के मूल्य को अनलॉक करने के उद्देश्य से उन सार्वजनिक उपक्रमों से संबंधित संपत्तियों के मुद्रीकरण की सुविधा भी प्रदान करेगा जो परिचालन बंद कर चुके हैं या सामरिक विनिवेश के लिये लाइन में हैं।
- ऐसे उद्यमों की अधिशेष भूमि और भवन संपत्ति को NLMC को हस्तांतरित किये जाने की उम्मीद है, जो तब उन्हें धारण, प्रबंधन और मुद्रीकृत करेगी।
- सलाहकार की भूमिका: NLMC एक सलाहकारी निकाय के रूप में कार्य करेगा और अन्य सरकारी संस्थाओं एवं CPSE को उनकी अधिशेष गैर-प्रमुख संपत्तियों की पहचान करने तथा उन्हें कुशल और पेशेवर तरीके से मुद्रीकृत करने, मूल्य प्राप्ति के दायरे को अधिकतम करने में सहायता करेगा।
- सर्वोत्तम प्रथाओं की निर्देशिका: NLMC एक एजेंसी द्वारा किये जाने वाले कार्य के रूप में मुद्रीकरण करेगा और भूमि मुद्रीकरण में सर्वोत्तम प्रथाओं की निर्देशिका के रूप में कार्य करने की उम्मीद है।
- NLMC राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढाँचा कोष (NIIF) तथा इन्वेस्ट इंडिया जैसी अन्य विशिष्ट सरकारी कंपनियों के समान योग्यता आधारित दृष्टिकोण के साथ निजी क्षेत्र के पेशेवरों को नियुक्त करेगा।
- ऐसा इसलिये है क्योंकि अचल संपत्ति के मुद्रीकरण के लिये संपत्ति के मूल्यांकन, बाज़ार अनुसंधान, निवेश बैंकिंग, भूमि प्रबंधन, कानूनी कार्य और अन्य संबंधित कौशल हेतु विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
मुद्रीकरण का क्या अर्थ है?
- मुद्रीकरण के बारे में: जब सरकार अपनी संपत्ति का मुद्रीकरण करती है, तो इसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि वह एक निर्दिष्ट अवधि के लिये संपत्ति के राजस्व अधिकारों को निजी संस्था को हस्तांतरित कर रही है।
- इस तरह के लेन-देन में सरकार को निजी संस्था से एक अग्रिम भुगतान, संपत्ति से उत्पन्न राजस्व का नियमित हिस्सा, परिसंपत्ति में स्थिर निवेश का वादा और मुद्रीकृत संपत्ति के टाइटल अधिकार मिलते हैं।
- मुद्रीकरण के तरीके: सरकारी संपत्तियों का मुद्रीकरण करने के कई तरीके हैं;
- कार्यालयों जैसे कुछ स्थानों के भूमि मुद्रीकरण के मामले में यह एक रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REIT),एक कंपनी जो भूमि संपत्ति की मालिक है और इसका संचालन करती है, के माध्यम से किया जा सकता है।
- पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के ज़रिये सरकार की संपत्ति का मुद्रीकरण भी किया जा सकता है।
मुद्रीकरण का कारण:
- सरकार राजस्व के नए स्रोत बनाने के लिये अपनी संपत्ति का मुद्रीकरण करती है।
- संस्थागत निवेशकों या निजी क्षेत्र को शामिल करके अप्रयुक्त या कम उपयोग की गई संपत्ति की क्षमता को अनलॉक करने के लिये भी मुद्रीकरण किया जाता है।
- यह कार्य भविष्य के संपत्ति निर्माण के लिये संसाधन या पूंजी उत्पन्न करने हेतु भी किया जाता है, जैसे कि मुद्रीकरण से उत्पन्न धन का उपयोग नए बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के निर्माण के लिये करना।
मुद्रीकरण के लिये वर्तमान में कितनी भूमि उपलब्ध है?
- आर्थिक सर्वेक्षण 2021-2022 के अनुसार, अब तक CPSE ने लगभग 3,400 एकड़ ज़मीन के संभावित मुद्रीकरणका का प्रस्ताव रखा है।
- सर्वेक्षण के अनुसार, सार्वजनिक उपक्रमों की गैर-प्रमुख संपत्तियों का मुद्रीकरण विभिन्न चरणों में है:
- उदाहरण के लिये मार्च 2020 में बीएसएनएल ने मुद्रीकरण के लिये कुल ₹24,980 करोड़ मूल्य की संपत्तियों की पहचान की थी।
- इस बीच रेलवे और रक्षा मंत्रालयों के पास देश में सबसे ज़्यादा सरकारी ज़मीन है।
- रेलवे के पास 11 लाख एकड़ से ज़्यादा ज़मीन उपलब्ध है, जिसमें से 1.25 लाख एकड़ ज़मीन खाली है।
- रक्षा मंत्रालय के पास 17.95 लाख एकड़ ज़मीन है। इसमें से लगभग 1.6 लाख एकड़ ज़मीन 62 सैन्य छावनियों के अंदर आती है, जबकि 16 लाख एकड़ से अधिक छावनी की सीमाओं के बाहर है।
NLMC की संभावित चुनौतियाँ क्या हैं?
- विभिन्न संपत्तियों में पहचान योग्य राजस्व धाराओं का अभाव।
- सरकारी कंपनियों में निजीकरण की धीमी रफ्तार।
- ट्रेनों में हाल ही में शुरू की गई सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) पहल में कम बोलियाँ इंगित करती हैं कि निजी निवेशकों की रुचि को आकर्षित करना इतना आसान नहीं है।
- संपत्ति-विशिष्ट चुनौतियाँ:
- गैस और पेट्रोलियम पाइपलाइन नेटवर्क में क्षमता उपयोग का निम्न स्तर।
- विद्युत क्षेत्र की परिसंपत्तियों में विनियमित टैरिफ।
- फोर लेन से नीचे के राष्ट्रीय राजमार्गों में निवेशकों की दिलचस्पी कम।
आगे की राह
- अवसंरचना विस्तार योजना की सफलता अन्य हितधारकों द्वारा उनकी उचित भूमिका निभाने पर निर्भर करेगी।
- इनमें राज्य सरकारें और उनके सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम तथा निजी क्षेत्र शामिल हैं।
- इस संदर्भ में पंद्रहवें वित्त आयोग ने केंद्र और राज्यों के वित्तीय उत्तरदायित्व कानून की फिर से जाँच करने के लिये एक उच्चाधिकार प्राप्त अंतर-सरकारी समूह की स्थापना की सिफारिश की है।
- पारदर्शिता बनाए रखना परिसंपत्ति मूल्य की पर्याप्त प्राप्ति की कुंजी है।
- हाल के अनुभव से पता चलता है कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) में अब पारदर्शी नीलामी, जोखिमों और अदायगी की स्पष्ट समझ एवं सभी इच्छुक पार्टियों के लिये एक खुला क्षेत्र शामिल है।
- इस प्रकार ग्रीनफील्ड परियोजनाओं में पीपीपी की उपयोगिता की उपेक्षा नहीं की जा सकती है।
- सरकार को एक कुशल विवाद समाधान तंत्र स्थापित करना चाहिये।
विनिवेश क्या है?
- विनिवेश का अर्थ है सरकार द्वारा संपत्ति की बिक्री या परिसमापन। आमतौर पर केंद्रीय और राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, परियोजनाएँ या अन्य अचल संपत्ति।
- सरकार राजकोष पर राजकोषीय बोझ को कम करने या विशिष्ट ज़रूरतों को पूरा करने के लिये धन जुटाने हेतु विनिवेश करती है, जैसे कि अन्य नियमित स्रोतों से राजस्व की कमी को पूरा करना।
- सामरिक विनिवेश एक सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई के स्वामित्व और नियंत्रण को किसी अन्य इकाई (ज़्यादातर निजी क्षेत्र की इकाई को) का हस्तांतरण है।
- साधारण विनिवेश के विपरीत रणनीतिक बिक्री का तात्पर्य एक प्रकार का निजीकरण है।
- विनिवेश आयोग रणनीतिक बिक्री को एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (CPSE) के 50% तक के सरकारी शेयरधारिता के एक बड़े हिस्से की बिक्री के रूप में परिभाषित करता है या प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ-साथ सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्धारित उच्च प्रतिशत के रूप में।
- वित्त मंत्रालय के तहत निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) में रणनीतिक हिस्सेदारी की बिक्री के लिये नोडल विभाग है।
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP) क्या है?
- भारत सरकार ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP) शुरू की है।
- यह चार साल की अवधि (वित्त वर्ष 2022-25) में सड़कों, रेलवे, बिजली, तेल और गैस पाइपलाइन, दूरसंचार, नागरिक उड्डयन आदि जैसे क्षेत्रों में केंद्र सरकार की मुख्य संपत्तियों को पट्टे पर देकर ₹6 लाख करोड़ की कुल मुद्रीकरण क्षमता की परिकल्पना करता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. शासन के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (वर्ष 2010)
भारत में राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के उपायों के रूप में उपरोक्त में से किसका उपयोग किया जा सकता है? (A) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (D) प्रश्न. हाल ही में खबरों में रहे 'स्कीम फॉर सस्टेनेबल स्ट्रक्चरिंग ऑफ स्ट्रेस्ड एसेट्स (S4A)' शब्द का सबसे अच्छा वर्णन निम्नलिखित कथनों में से कौन सा है? (2017) (A) यह सरकार द्वारा तैयार की गई विकास योजनाओं की पारिस्थितिक लागत पर विचार करने की एक प्रक्रिया है। उत्तर: (B) |