भारतीय अर्थव्यवस्था
राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम
- 10 Mar 2022
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम, राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी)। मेन्स के लिये:संपत्ति मुद्रीकरण और संबंधित चुनौतियांँ, संपत्ति मुद्रीकरण योजना और लाभ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम (National Land Monetization Corporation- NLMC) की स्थापना को मज़ूरी दी है।
- वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2021-22 में इस उद्देश्य के लिये एक विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle) स्थापित करने की योजना की घोषणा की थी।
- अगस्त, 2021 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline- NMP) का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम(NLMC):
- NLMC के बारे में:
- NLMC एक एजेंसी के रूप में अधिशेष भूमि संपत्ति मुद्रीकरण का कार्य करेगा और इस संबंध में केंद्र को सहायता व तकनीकी सलाह प्रदान करेगा।
- NLMC की घोषणा 5000 करोड़ रुपए की प्रारंभिक अधिकृत शेयर पूंजी और 150 करोड़ रुपए की चुकता शेयर पूंजी के साथ की गई है।
- NLMC के निदेशक मंडल में कंपनी के पेशेवर संचालन और प्रबंधन को सक्षम करने के लिये केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और प्रतिष्ठित विशेषज्ञ शामिल होंगे।
- NLMC के अध्यक्ष, गैर-सरकारी निदेशकों की नियुक्ति योग्यता-आधारित चयन प्रक्रिया के माध्यम से की जाएगी।
- नई कंपनी को वित्त मंत्रालय के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा।
- NLMC निजी क्षेत्र के पेशेवरों को उसी तरह नियुक्त करेगी जैसे कि समान विशिष्ट सरकारी कंपनियों के मामले में होता है जैसे- राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढाँचा कोष (NIIF) और इन्वेस्ट इंडिया।
- लाभ:
- यह निजी क्षेत्र के निवेश, नई आर्थिक गतिविधियों, स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने तथा आर्थिक एवं सामाजिक बुनियादी ढाँचे हेतु वित्तीय संसाधन उत्पन्न करने के लिये कम उपयोग की गई संपत्तियों के उत्पादक उपयोग को सक्षम करेगा।
- NLMC से यह भी उम्मीद की जाती है कि वह बंद होने वाले CPSE की अधिशेष भूमि और भवन संपत्ति तथा रणनीतिक विनिवेश के तहत सरकारी स्वामित्व वाले सीपीएसई की अधिशेष गैर-प्रमुख भूमि संपत्ति का स्वामित्व, प्रबंधन एवं मुद्रीकरण करेगा।
- इससे सीपीएसई को बंद करने की प्रक्रिया में तेज़ी आएगी जिससे सरकारी स्वामित्व वाले सीपीएसई की रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया आसान होगी।
- चुनौतियाँ:
- NLMC को जिन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है उनमें विशेष रूप से भूमि संपत्तियों में पहचान योग्य राजस्व की कमी, विवाद समाधान तंत्र, विभिन्न मुकदमे और स्पष्ट शीर्षक की कमी तथा दूरस्थ भूमि पार्सल में निवेशकों के बीच कम रुचि शामिल है।
NLMC का कार्य:
- NLMC केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSEs) और अन्य सरकारी एजेंसियों की अधिशेष भूमि व भवन संपत्ति का मुद्रीकरण करेगा।
- CPSEs वे कंपनियाँ हैं जिनमें केंद्र सरकार या अन्य CPSE की सीधी हिस्सेदारी 51% या उससे अधिक है।
- वर्तमान में CPSE के पास भूमि और भवनों की प्रकृति में काफी अधिशेष, अप्रयुक्त और कम उपयोग की गई गैर-प्रमुख संपत्तियाँ हैं।
- NLMC अन्य सरकारी संस्थाओं (CPSEs सहित) को उनकी अधिशेष गैर-प्रमुख संपत्तियों की पहचान करने और अधिकतम मूल्य प्राप्ति हेतु पेशेवर और कुशल तरीके से उनका मुद्रीकरण करने में सलाह और समर्थन देगा।
- NLMC भूमि मुद्रीकरण में सर्वोत्तम प्रथाओं के भंडार के रूप में कार्य करेगा, परिसंपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में सरकार को सहायता और तकनीकी सलाह प्रदान करेगा।
संपत्ति मुद्रीकरण क्या है?
- परिचय:
- यह अप्रयुक्त या कम उपयोग की गई सार्वजनिक संपत्ति के आर्थिक मूल्य को अनलॉक करके सरकार और उसकी संस्थाओं के लिये राजस्व के नए स्रोत बनाने की प्रक्रिया है।
- आवश्यकता:
- भारत को और अधिक बुनियादी ढाँचे की ज़रूरत है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के पास इसके निर्माण के लिये संसाधन नहीं हैं। इस संबंध में दो संभावित प्रतिक्रियाएँ हैं।
- नया बुनियादी ढाँचा स्थापित करने के लिये निजी क्षेत्र को एक संविदात्मक ढाँचे के तहत इस प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है।
- चूँकि निर्माण चरण के तहत अधिक जोखिम होता है, इसलिये सार्वजनिक क्षेत्र के तहत संपत्ति का निर्माण किया जा सकता है और फिर इसे निजी क्षेत्र को बेंचा जा सकता है या फिर निजी क्षेत्र को इसका प्रबंधन सौंपा जा सकता है।
- भारत सहित किसी भी देश के लिये नए बुनियादी ढाँचे के निर्माण में दो बाधाएँ हैं -
- अनुमानित और सस्ती पूंजी तक पहुँच और
- निष्पादन क्षमता, जहाँ सरकारी एवं निजी एजेंसियाँ एक साथ कई प्रमुख परियोजनाएँ ले सकती हैं।
- भारत को और अधिक बुनियादी ढाँचे की ज़रूरत है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के पास इसके निर्माण के लिये संसाधन नहीं हैं। इस संबंध में दो संभावित प्रतिक्रियाएँ हैं।
- संबंधित चुनौतियाँ:
- विभिन्न संपत्तियों में पहचान योग्य राजस्व धाराओं का अभाव।
- सरकारी कंपनियों में निजीकरण की धीमी रफ्तार।
- इसके अलावा ट्रेनों में हाल ही में शुरू की गई PPP पहल में उत्साहजनक बोलियों से यह संकेत मिलता है कि निजी निवेशकों की रुचि को आकर्षित करना इतना आसान नहीं है।
- संपत्ति-विशिष्ट चुनौतियाँ:
- गैस और पेट्रोलियम पाइपलाइन नेटवर्क में क्षमता उपयोग का निम्न स्तर।
- विद्युत क्षेत्र की परिसंपत्तियों में विनियमित टैरिफ।
- फोर लेन से नीचे के राष्ट्रीय राजमार्गों के लिये निवेशकों में कम दिलचस्पी।
- उदाहरण के लिये कोंकण रेलवे में राज्य सरकारों सहित कई हितधारक हैं, जिनकी कंपनी में हिस्सेदारी है।
आगे की राह
- बहु-हितधारक दृष्टिकोण: बुनियादी ढाँचे की विस्तार योजना की सफलता अन्य हितधारकों संबंधी उनकी उचित भूमिका निभाने पर निर्भर करेगी।
- इनमें राज्य सरकारें और उनके सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम व निजी क्षेत्र शामिल हैं।
- इस संदर्भ में पंद्रहवें वित्त आयोग ने केंद्र और राज्यों के वित्तीय उत्तरदायित्व कानून की फिर से जाँच करने के लिये एक उच्चाधिकार प्राप्त अंतर-सरकारी समूह की स्थापना की सिफारिश की है।
- पारदर्शिता बनाए रखना परिसंपत्ति मूल्य की पर्याप्त प्राप्ति की कुंजी है।
- हाल के अनुभव से पता चलता है कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) में अब पारदर्शी नीलामी, जोखिमों और अदायगी की स्पष्ट समझ व सभी इच्छुक पार्टियों के लिये एक खुला क्षेत्र शामिल है।
- इस प्रकार ग्रीनफील्ड परियोजनाओं में पीपीपी की उपयोगिता की उपेक्षा नहीं की जा सकती है।