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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 19 Apr 2025
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डाटा सेंटर पॉलिसी-2025

चर्चा में क्यों?

राजस्थान सरकार ने डाटा सेंटर्स की बढ़ती महत्ता को ध्यान में रखते हुए "राजस्थान डाटा सेंटर पॉलिसी-2025" लागू की है।

मुख्य बिंदु 

  • इस नीति का उद्देश्य: राजस्थान को डाटा सेंटर्स के लिये प्रमुख केंद्र बनाना, निवेश को आकर्षित करना और आईटी क्षेत्र में रोज़गार के अवसर उत्पन्न करना।
  • निवेशकों को व्यापक रियायतें, पर्यावरण अनुकूल प्रोत्साहन और आधुनिक अवसंरचना उपलब्ध कराई जाएंगी।
  • इस निति के तहत अगले पाँच वर्षों में 20,000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित करने की योजना है।
  • नीति के बारे में: 
  • प्रमुख प्रावधान 
  • डाटा सेंटर सेक्टर को बढ़ावा देने के लिये कई आकर्षक प्रावधान किये गए हैं, जिनमें 10 वर्षों तक 10 से 20 करोड़ रुपए वार्षिक एसेट क्रिएशन इंसेंटिव शामिल है।
  • जो निजी कंपनियाँ राज्य में 100 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश करेंगी, उन्हें अतिरिक्त रूप से 25 प्रतिशत सनराइज इंसेंटिव दिया जाएगा।
  • नीति के अंतर्गत 5 वर्षों तक 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान प्रदान किया जाएगा, जिससे डाटा सेंटर्स की स्थापना लागत में कमी आएगी।
  • डाटा सेंटर्स को बैंकिंग, ट्रांसमिशन और व्हीलिंग शुल्क में 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी।
  • भूमि संबंधी प्रक्रियाओं में लचीलापन लाने हेतु फ्लेक्सिबल भुगतान व्यवस्था, साथ ही स्टांप ड्यूटी, भू-रूपांतरण शुल्क और विद्युत शुल्क में भी छूट दी गई है।
  • इसके अतिरिक्त, डाटा सेंटर्स को 10 करोड़ रुपए तक बाह्य विकास शुल्क से छूट प्रदान की जाएगी।
  • इस नीति में पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता दी गई है, जिसके अंतर्गत ग्रीन सॉल्यूशन पर किये गए व्यय का 50 प्रतिशत पुनर्भरण, अधिकतम 12.5 करोड़ रुपए तक, किया जाएगा।
  • कर्मचारियों की दक्षता बढ़ाने के लिये, उनके प्रशिक्षण या कार्यकुशलता सुधार पर की गई लागत का 50 प्रतिशत पुनर्भरण किया जाएगा।
  • राज्य सरकार ने बौद्धिक संपदा अधिकारों जैसे GI टैग, पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क पंजीयन पर भी सहायता देने का प्रावधान किया है, जो अधिकतम 1 करोड़ रुपए तक 50 प्रतिशत तक हो सकती है।
  • नीति में बिल्डिंग बायलॉज में छूट और सतत विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रावधान भी शामिल हैं, जिससे डाटा सेंटर्स की संचालन क्षमता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

बौद्धिक संपदा अधिकार 

  • व्यक्तियों को उनके बौद्धिक सृजन के परिप्रेक्ष्य में प्रदान किये जाने वाले अधिकार ही बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights) कहलाते हैं। वस्तुतः ऐसा समझा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का बौद्धिक सृजन (जैसे साहित्यिक कृति की रचना, शोध, आविष्कार आदि) करता है, तो सर्वप्रथम इस पर उसी व्यक्ति का अनन्य अधिकार होना चाहिये। चूँकि यह अधिकार बौद्धिक सृजन के लिये ही दिया जाता है, अतः इसे बौद्धिक संपदा अधिकार की संज्ञा दी जाती है।
  • बौद्धिक संपदा अधिकार दिये जाने का मूल उद्देश्य मानवीय बौद्धिक सृजनशीलता को प्रोत्साहन देना है। बौद्धिक संपदा अधिकारों का क्षेत्र व्यापक होने के कारण यह आवश्यक समझा गया कि क्षेत्र विशेष के लिये उसके संगत अधिकारों एवं संबद्ध नियमों आदि की व्यवस्था की जाए।


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