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भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड द्वारा जल भंडारण के प्रति सावधानी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) ने अपने सदस्य राज्यों को कम जल भंडारण स्तर और सामान्य से कम वर्षा के पूर्वानुमान का हवाला देते हुए अपनी जल मांग का सावधानीपूर्वक अनुमान लगाने की सलाह दी।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का अनुमान है कि जनवरी से मार्च 2025 तक उत्तर भारत में दीर्घकालिक औसत वर्षा से 86% कम वर्षा होगी।
प्रमुख बिंदु
- भाखड़ा और पोंग बाँध का स्तर:
- सतलुज नदी पर बना भाखड़ा बाँध अपनी कुल क्षमता का 43% भर चुका है।
- ब्यास नदी पर स्थित पोंग बाँध अपनी कुल क्षमता के 30% पर है।
- केंद्रीय जल आयोग (CWC) के अनुसार, दोनों स्तर 10 वर्ष के औसत से नीचे हैं।
- सदस्य राज्यों के लिये सलाह:
- भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) ने हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान को कम जल उपलब्धता के बारे में सूचित किया।
- BBMB ने इन राज्यों को स्थिति से निपटने के लिये अपनी जल मांग को तदनुसार समायोजित करने की सलाह दी।
भाखड़ा नांगल बाँध
- भाखड़ा बांँध सतलुज नदी पर निर्मित एक ठोस गुरुत्वाकर्षण बांँध है और उत्तरी भारत में पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश राज्यों की सीमा पर निर्मित है।
- यह टिहरी बांँध (261 मीटर) के पास 225.55 मीटर ऊंँचा भारत का दूसरा सबसे ऊंँचा बाँध है।
- इसका जलाशय, जिसे “गोबिंद सागर” के नाम से जाना जाता है, में 9.34 बिलियन क्यूबिक मीटर जल संग्रहित है।
- नांगल बांँध भाखड़ा बांँध के नीचे निर्मित एक और बांँध है। कभी-कभी दोनों बांँधों को एक साथ भाखड़ा-नांगल बांँध कहा जाता है, हालांँकि ये दो अलग-अलग बांँध हैं।
पोंग बाँध
- वर्ष 1975 में ब्यास नदी पर पोंग बाँध बनाया गया था। इसे पोंग जलाशय या महाराणा प्रताप सागर भी कहा जाता है।
- वर्ष 1983 में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा पूरे जलाशय को वन्यजीव अभयारण्य घोषित कर दिया गया।
- वर्ष 1994 में भारत सरकार ने इसे “राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि” घोषित किया। नवंबर 2002 में पोंग डैम झील को रामसर साइट घोषित किया गया।
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