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हरियाणा सरकार अवैध मंज़िलों को ध्वस्त करेगी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा सरकार के नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग (DTCP) ने निर्देश जारी किये हैं, जिसमें कहा गया है कि आवासीय भूखंडों पर अवैध रूप से निर्मित मकानों की चौथी मंज़िलों को ध्वस्त किया जा सकता है और उनके अधिभोग प्रमाण-पत्र रद्द किये जा सकते हैं।
मुख्य बिंदु:
- फरवरी 2023 में, हरियाणा सरकार ने लंबित आवेदनों सहित आवासीय भूखंडों के लिये नई 'स्टिल्ट प्लस 4 मंज़िल' निर्माण योजनाओं हेतु अनुमोदन को निलंबित कर दिया।
- सरकार ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि राज्य भर में ऐसी इमारतों को अनुमति दी जाए या नहीं।
- DTCP के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि जिन आवासीय भवनों में चौथी मंज़िल का निर्माण किया गया था, लेकिन आवश्यक औपचारिकताओं को 23 फरवरी, 2023 तक पूरा नहीं किया गया है, उनके कब्ज़े के प्रमाण-पत्र हरियाणा सरकार के अगले निर्देशों तक निलंबित रहेंगे।
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हीट-वेव के दौरान बिजली की मांग में वृद्धि
चर्चा में क्यों?
वर्तमान हीट-वेव के कारण गुरुग्राम में विद्युत ऊर्जा की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। हाल ही में, विद्युत ऊर्जा की मांग रिकॉर्ड 482.3 लाख यूनिट (LU) तक पहुँच गई, क्योंकि तापमान 47 डिग्री तक पहुँच गया, जो वर्ष 2023 से 84% की वृद्धि को दर्शाता है।
मुख्य बिंदु:
- विद्युत ऊर्जा की उच्च मांग शहर की ऊर्जा वितरण प्रणाली पर बड़ा दबाव डाल रही है। पूरे शहर में लोग अनियोजित बिजली कटौती और वोल्टेज में लगातार बदलाव का सामना कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप लोगों को रात के दौरान उचित आराम न मिलने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
- अधिकारियों के अनुसार, वे स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी कर रहे हैं और बिजली कटौती या विफलताओं से बचने के लिये आवश्यक उपायों को लागू कर रहे हैं।
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खेतों में आग लगने की घटनाएँ
चर्चा में क्यों?
गर्मी के महीनों में गेहूँ की कटाई के बाद भूमि को साफ करने के लिये खेतों में आग लगाने की घटनाएँ अप्रैल और मई में हरियाणा में 3,134 तक पहुँच गईं, जो पिछले तीन वर्षों में इस अवधि के दौरान राज्य में दर्ज की गई सबसे अधिक संख्या है।
मुख्य बिंदु:
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा वर्ष 2023 में विश्लेषित उपग्रह डेटा के अनुसार, अप्रैल-मई के दौरान खेतों में आग लगने की घटनाओं में 42% की कमी आई है, जबकि केवल 1,900 घटनाएँ दर्ज की गई हैं।
- वर्ष 2023 के लिये आँकड़ों में कमी का कारण क्षेत्र में प्री-मानसून वर्षा की अधिक संख्या है।
- वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने हाल ही में कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और उसके आस-पास फसल अवशेष जलाने की बढ़ती घटनाएँ तथा पड़ोसी राज्यों में वनाग्नि दिल्ली-एनसीआर में खराब वायु गुणवत्ता में योगदान दे सकती हैं, साथ ही शुष्क मौसम की स्थिति के कारण क्षेत्र में धूल छाई रहती है।
- किसानों और आम जनता दोनों को फसल अवशेष जलाने के प्रतिकूल प्रभावों तथा पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को अपनाने के महत्त्व के बारे में सूचित करने के लिये जन जागरूकता पहल शुरू की गई है।
- सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (CSTEP) के अनुसार, अधिकारियों को न केवल सर्दियों में वायु प्रदूषण से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये, बल्कि पूरे वर्ष इस मुद्दे को संबोधित करना चाहिये।
- हालाँकि अक्तूबर-नवंबर के दौरान खराब वायु गुणवत्ता के कारण खेतों में आग लगने के नकारात्मक प्रभाव को सामान्यतः उजागर किया जाता है, लेकिन अप्रैल और मई में रबी की पराली जलाना भी उतना ही हानिकारक है।
- भले ही मानसूनी हवाओं के कारण गर्मियों में पराली जलाने से दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर कोई खास असर न पड़े, लेकिन पंजाब और आस-पास के इलाकों में वायु गुणवत्ता में गिरावट ज़रूर आती है।
- यह स्थिति तब और खराब हो जाती है जब कई दिनों तक स्थिर हवाएँ चलती हैं, जिससे प्रदूषकों का फैलाव बाधित होता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI)
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) जिसे पूसा संस्थान के नाम से जाना जाता है, की शुरुआत वर्ष 1905 में पूसा (बिहार) में अमेरिकी परोपकारी श्री हेनरी फिप्स के उदार अनुदान से हुई थी।
- वर्ष 1934 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद 29 जुलाई 1936 को संस्थान को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। स्वतंत्रता के बाद संस्थान का नाम बदलकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) कर दिया गया।
- हरित क्रांति जिसने लाखों भारतीयों के चेहरे पर मुस्कान ला दी, वह IARI के खेतों से ही शुरू हुई, जहाँ प्रसिद्ध गेहूँ की किस्मों का विकास हुआ, जिसने बड़े पैमाने पर उत्पादन में योगदान दिया।
- IARI देश में कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के लिये अग्रणी संस्थान बना हुआ है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)
- यह दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिये विभिन्न प्रयासों का समन्वय एवं देखरेख करने हेतु एक वैधानिक तंत्र है, जिसमें अंतर्निहित उपचारात्मक दृष्टिकोण है।
- CAQM की स्थापना से वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान हो सकता है, लेकिन एक संस्थान अपने आप में समाधान नहीं है।
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