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अंतर्राष्ट्रीय वन मेला: छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ को अंतर्राज्यीय वर्ग में प्रथम पुरस्कार
चर्चा में क्यों?
26 दिसंबर, 2022 को भोपाल में संपन्न हुए अंतर्राष्ट्रीय वन मेला में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ ने अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करते हुए अंतर्राज्यीय वर्ग में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया।
प्रमुख बिंदु
- मध्य प्रदेश के वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ को अंतर्राज्यीय वर्ग में स्टॉल को डिस्प्ले एवं विक्रय में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये प्रथम पुरस्कार प्रदान किया।
- गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय वन मेला का आयोजन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 20 से 26 दिसंबर तक हुआ।
- छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के विशेष प्रबंध संचालक एस.एस. बजाज ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय वन मेला में राज्य लघु वनोपज द्वारा 140 से अधिक उत्पादों के प्रदर्शन सह-विक्रय के लिये स्टॉल लगाया गया था।
- उन्होंने कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय वन मेला में छत्तीसगढ़ राज्य को बहुत ही अच्छा प्रतिसाद मिला है। छत्तीसगढ़ के लघु वनोपज की खरीदी के लिये कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने रुचि दिखाई है। 8 व्यापारी संस्थानों ने 200 टन कोदो, कुटकी, रागी, हर्रा, नागरमोथा, बहेड़ा, काचरिया चरोटा बीज, गिलोय और अन्य लघु वनोपज खरीदी चर्चा की और अपनी सहमति भी दी है।
- अंतर्राष्ट्रीय वन मेला में लघु वनोपज आधारित क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ और मध्य प्रदेश लघु वनोपज संघ के मध्य 6 करोड़ रुपए का व्यावसायिक अनुबंध हुआ।
- छत्तीसगढ़ वनोपज संघ के विशेष प्रबंध संचालक एस.एस. बजाज और विंध हर्बल्स की ओर से एमपीएमएफपी के सीईओ डॉ. दिलीप कुमार ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये।
- इसके अलावा 28 करोड़ 50 लाख रुपए का एमएफपीपीएआरसी और विभिन्न संस्थाओं के बीच व्यापारिक अनुबंध भी किये गए। इस प्रकार कुल 50 करोड़ रुपए का एमओयू हुआ।
- लघु वनोपज आधारित क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में बस्तर फूड छत्तीसगढ़ से महुआ एक्सपोर्ट के लिये एमओयू हुआ। इससे आने वाले समय में जड़ी-बूटियों के क्षेत्र में शामिल प्राथमिक संग्राहक और उत्पादकों की आर्थिक समृद्धि में मददगार साबित होंगे।
- क्रेता-विक्रेता सम्मेलन मध्य प्रदेश के सेवा निवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख ह्वी.आर. खरे के मुख्य आतिथ्य में हुआ। इसमें प्रदेश और देश के विभिन्न हिस्सों से 140 सहभागी ने प्रत्यक्ष रूप से और 300 प्रतिभागी वीडियो कॉन्फ्रेंस से संवाद किया गया।
- छत्तीसगढ़ लघु वन उपज संघ के विशेष प्रबंध संचालक एस.एस. बजाज ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिक संस्था मैसूर के साथ मिलकर महुआ से गुड़ बनाने पर अनुसंधान कर रहा है।
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छत्तीसगढ़ वन अधिकार क्रियान्वयन में देश में अग्रणी
चर्चा में क्यों?
26 दिसंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग से मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य देश में वन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में अग्रणी राज्य है।
प्रमुख बिंदु
- जानकारी के अनुसार राज्य में विगत चार वर्षों में 54 हज़ार 518 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र वितरित किये गए, जिसका कुल रकबा 30 हज़ार 46 हेक्टेयर है। इसी प्रकार सामुदायिक वन अधिकार के 23 हज़ार 982 वन अधिकार-पत्र वितरित किये गए हैं, जिसका कुल रकबा 11 लाख 77 हज़ार 212 हेक्टेयर है।
- देश में नगरीय क्षेत्र में वन अधिकारों की मान्यता दिए जाने में छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है। अब तक 266 व्यक्तिगत वन अधिकार-पत्र, 7 सामुदायिक वन अधिकार-पत्र और 4 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार-पत्र राज्य के नगरीय क्षेत्रों में प्रदाय किये गए हैं।
- राज्य शासन द्वारा सामुदायिक वन संसाधन अधिकारों के क्रियान्वयन में भी पहल की गई है। अब तक ज़िलों में 3 हज़ार 845 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मान्य किये गए हैं। इसके अंतर्गत 16 लाख 60 हज़ार 301 हेक्टेयर भूमि के संरक्षण, प्रबंधन का अधिकार ग्राम सभाओं को प्रदाय किया गया है।
- राज्य शासन द्वारा स्थानीय वन निवासी समुदायों के विभिन्न वनाधिकारों को मान्यता दिये जाने की दिशा में प्रतिबद्धतापूर्वक सतत् प्रयास किये जा रहे हैं, ताकि वन अधिकार अधिनियम, 2006 में वर्णित विभिन्न प्रकार के वनाधिकार उन्हें प्राप्त हो सके।
- अधिनियम के अनुसार वनभूमि पर अनुसूचित जाति और अन्य परंपरागत वन निवासी आवेदक द्वारा कब्ज़े का दावा करने के लिये 13 दिसंबर, 2005 कट ऑफ डेट निर्धारित है। अन्य परंपरागत वन निवासी आवेदक के मामले में कट ऑफ डेट पूर्व से ही तीन पीढ़ियों (75 वर्ष) से संबंधित ग्राम, वन भूमि में निवासरत होना आवश्यक है।
- राज्य शासन की पहल से स्थानीय वन निवासी समुदायों के लिये संबंधित ग्राम सभाओं को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार को मान्यता दी जा रही है। राज्य के शहरी क्षेत्रों में विभिन्न वन अधिकार पत्रों का वितरण किया जा रहा है।
- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य में विभिन्न कारणों से निरस्त वन अधिकार के दावों पर पुनर्विचार की कार्यवाही की जा रही है। वन अधिकार अधिनियम के तहत वितरित भूमि का रिकॉर्ड समय-समय पर दुरुस्त करने की कार्यवाही की जा रही है।
- वन अधिकार प्राप्त लाभार्थी को पोस्ट क्लेम सपोर्ट के रूप में उनकी कृषि को विकसित करने के साथ ही आजीविका के विभिन्न उपायों, जैसे- कुकून, टसरक्राप्स, लाख उत्पादन इत्यादि के माध्यम से लाभान्वित करने की दिशा में कार्य हो रहा है।
- छत्तीसगढ़ में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातियों को पर्यावास के अधिकार प्रदाय करने की कार्यवाही धमतरी ज़िले में शुरू की गई है। सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मान्य करने की शुरुआत धमतरी ज़िले के जबर्रा गाँव से की गई। ग्राम सभा जबर्रा को 5352 हेक्टेयर वनभूमि पर सामुदायिक वन संसाधन अधिकार की मान्यता दी गई, जो देश में किसी एक गाँव को मान्य किये जाने वाला सर्वाधिक क्षेत्र है। इसी प्रकार कांकेर ज़िले के खैरखेड़ा ग्राम में 1861 हेक्टेयर वन भूमि पर सामुदायिक वन संसाधन अधिकार की मान्यता दी गई है।
- वन अधिकार कानून के तहत प्रबंधन का बेहतर क्रियान्वयन करते हुए सामुदायिक वन संसाधन के तहत विभिन्न गतिविधियाँ की जा रही हैं। जंगल के प्रबंधन के साथ-साथ बाँस का शेड एवं मचान बनाकर देशी बकरीपालन, मुर्गीपालन, खरगोशपालन, सुअरपालन, मछलीपालन आदि कार्य किया जा रहा है। साथ ही खरीफ फसल जैविक जिमीकंद, हल्दी बीज का उपचार कर तकनीकी विधि इंटरक्रॉपिंग से बुआई की जा रही है और बीज बैंक की स्थापना भी की गई है। इसके उपरांत वन संसाधन के संरक्षण, प्रबंधन पर विशेष बल दिया जा रहा है।
- वन अधिकार प्राप्त हितग्राहियों को आजीविका के लिये मत्स्य एवं जलाशयों के अन्य उत्पाद, चारागाह के उपयोग के लिये वन अधिकार दिये जाने हेतु विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। शासकीय योजनाओं के अभिसरण से व्यक्तिगत वन अधिकार-पत्र धारकों को दावा पश्चात् सहायता यथा भूमि समतलीकरण, मेड़-बंधान, खाद-बीज, सिंचाई उपकरण संबंधी सहायता भी प्रदान की जा रही है। साथ ही इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) एवं किसान सम्मान निधि योजना से भी लाभान्वित किया जा रहा है।
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राज्यपाल ने वीर बाल दिवस के अवसर पर साहसी वीर बालक और बालिकाओं को किया सम्मानित
चर्चा में क्यों?
26 दिसंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने वीर बाल दिवस के अवसर पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के साहसी वीर बालक और बालिकाओं को सम्मानित किया।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी के तत्त्वावधान में वीर बाल दिवस कार्यक्रम का आयोजन राजभवन में किया गया। इस दौरान राज्यपाल ने सम्मानित चार बहादुर बालक-बालिकाओं को स्वेच्छा अनुदान मद से आर्थिक सहायता राशि प्रदाय करने की बात कही।
- वीर बाल दिवस के अवसर पर राजभवन में सम्मानित हुए चार बच्चों ने जो साहसिक कार्य किये हैं, वो अत्यंत प्रेरणादायी हैं। इन चार बच्चों में शामिल हैं- रायपुर ज़िले के टिकरापारा की रहने वाली 12 वर्षीय उन्नति शर्मा, दुर्ग ज़िले के 11 वर्षीय दुर्गेश सोनकर, बेमेतरा ज़िले के खमरिया क्षेत्र के बालक सीताराम यादव और कांकेर ज़िले के भानुप्रतापपुर की रहने वाली जंबावती भूआर्य।
- उल्लेखनीय है कि सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेहसिंह जी के द्वारा 26 दिसंबर को सिक्ख धर्म के गौरव की रक्षा के लिये क्रमश: 09 और 06 वर्ष की आयु में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया गया। गुरु गोविंद सिंह के पुत्र जुझार सिंह और अजित सिंह ने भी धर्म की रक्षा में अपनी शहादत दी थी।
- छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी द्वारा गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों के बलिदानी दिवस को वीर बाल दिवस के रूप में मनाए जाने के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्र सरकार के साथ सतत् पत्राचार किया गया। फलस्वरूप सिक्ख समुदाय के सम्मान स्वरूप वीर बाल दिवस मनाये जाने की घोषणा की गई थी।
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