ग्रीन अयोध्या फंड पहल | उत्तर प्रदेश | 30 Oct 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अयोध्या ने धारणीय शहरी विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिये ग्रीन अयोध्या फंड की शुरुआत की।
प्रमुख बिंदु
- उद्देश्य:
- यह टिकाऊ शहरी परिदृश्यों के लिये पर्यावरणीय लक्ष्यों के साथ संरेखित करते हुए अपशिष्ट प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, शहरी हरियाली और प्रदूषण में कमी से संबंधित परियोजनाओं का समर्थन करता है।
- इस कोष का उद्देश्य पर्यावरण अनुकूल पहल, धारणीय शहरी नियोजन और हरित अयोध्या के निर्माण के लिये संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देना है।
- सार्वजनिक भागीदारी:
- यह निधि सामुदायिक भागीदारी और पहलों के समर्थन हेतु दान को प्रोत्साहित करती है, तथा पर्यावरण संरक्षण में साझा ज़िम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देती है ।
राम मंदिर
- पारंपरिक वास्तुकला और निर्माण:
- यह एक 3 मंजिला मंदिर है, जो पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है, जो मिर्ज़ापुर और बंसी-पहाड़पुर (राजस्थान) की पहाड़ियों के गुलाबी बलुआ पत्थर से बना है।
- मंदिर 71 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और अपनी वास्तुकला का अद्भुत नमूना पेश करता है।
- मंदिर का आयाम:
- 250 फीट चौड़ाई और 161 फीट ऊँचाई वाला मुख्य मंदिर क्षेत्र 2.67 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें 390 स्तंभ, 46 द्वार और 5 मंडप हैं।
- अंदर की अनूठी विशेषताएं:
- मुख्य गर्भ गृह में राम लला की मूर्तियाँ हैं, साथ ही रंग मंडप और नृत्य मंडप सहित कई मंडप हैं।
- अभिनव अभिषेक परंपरा:
- प्रत्येक रामनवमी पर दोपहर के समय, दर्पण और लेंस की एक प्रणाली रामलला की मूर्ति पर सूर्य की किरणों को केंद्रित करेगी। इस अनोखे अभिषेक के लिये विद्युत् की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि लोहे या स्टील के बजाय पीतल का उपयोग किया जाता है।
- मूर्तिकार का योगदान:
- मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा निर्मित पाँच वर्षीय रामलला की मूर्ति 51 इंच की है और एक विशेष समारोह में इसकी प्राण प्रतिष्ठा की गई।
- स्थायित्व और प्रतीकात्मकता:
- मंदिर के निर्माण में लौह धातु का उपयोग नहीं किया गया है, और ऐसा माना जाता था कि यह कम से कम एक सहस्राब्दी तक बना रहेगा।
अयोध्या दीपोत्सव 2024 | उत्तर प्रदेश | 30 Oct 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में अयोध्या में 8 वें दीपोत्सव की तैयारियाँ तेज़ हो गई हैं ताकि इस वर्ष का आयोजन सबसे भव्य हो सके।
प्रमुख बिंदु
- भगवान राम के जीवन के महत्त्वपूर्ण क्षणों को दर्शाती कुल 18 झांकियाँ प्रदर्शित की जाएंगी, जो अयोध्या की गहरी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक होंगी।
- उनके विवाह, वनवास और रावण पर विजय जैसी प्रमुख घटनाओं को दर्शाया जाएगा।
- सूचना विभाग 11 झांकियाँ बना रहा है, जबकि पर्यटन विभाग सात झांकियाँ तैयार कर रहा है, जो राम चरित मानस के सात अध्यायों, जैसे बाल कांड और लंका कांड पर केंद्रित होंगी।
- अयोध्या को व्यापक रूप से रोशन किया जाएगा, जिसमें विविध प्रकाश व्यवस्था शहर के उत्सव के माहौल को बढ़ाएगी।
रामलीला (उत्तर भारत)
- रामलीला, जिसका शाब्दिक अर्थ है "राम का नाटक", रामायण महाकाव्य का एक प्रदर्शन है जिसमें कई दृश्य शामिल होते हैं जिनमें गीत, वर्णन, गायन और संवाद शामिल होते हैं।
- यह राम और रावण के बीच युद्ध का स्मरण कराता है तथा इसमें देवताओं, ऋषियों और श्रद्धालुओं के बीच संवादों की एक शृंखला शामिल है।
- यह नृत्य दशहरा के त्यौहार के दौरान पूरे उत्तर भारत में किया जाता है ।
- सर्वाधिक प्रतिनिधिक रामलीलाएँ अयोध्या, रामनगर और बनारस , वृंदावन, अल्मोडा, सतना और मधुबनी की हैं।
- रामायण का यह मंचन रामचरितमानस पर आधारित है जिसकी रचना तुलसीदास ने 16वीं शताब्दी में की थी।
नक्षत्र सभा: उत्तराखंड में खगोल-पर्यटन | उत्तराखंड | 30 Oct 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड में खगोल-पर्यटन और स्थानीय विरासत को बढ़ावा देने के लिये नक्षत्र सभा का शुभारंभ किया गया ।
प्रमुख बिंदु
- इवेंट अवलोकन :
- उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड के सहयोग से स्टारस्केप्स द्वारा आयोजित नक्षत्र सभा, एक वर्ष तक चलने वाली गहन खगोल-पर्यटन कार्यक्रमों की शृंखला है।
- इस पहल में आकाशीय अवलोकन, खगोल फोटोग्राफी सत्र और विभिन्न अंधेरे आकाश स्थानों पर सांस्कृतिक विसर्जन शामिल हैं।
- सांस्कृतिक एकीकरण :
- प्रत्येक संस्करण में क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक महत्त्व तथा खगोल विज्ञान और स्थानीय विरासत के बीच अंतर्संबंध पर प्रकाश डाला जाता है।
- इन कार्यक्रमों का उद्देश्य खगोल विज्ञान को सुलभ और आकर्षक बनाना तथा सभी आयु वर्ग के प्रतिभागियों में रुचि बढ़ाना है।
- यह कार्यक्रम उत्तराखंड की समृद्ध परंपराओं और खगोल विज्ञान से इसके ऐतिहासिक संबंधों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देता है।
- सामुदायिक भागीदारी :
- स्थानीय समुदायों को इसमें भाग लेने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को समर्थन मिलेगा।
- प्रतिभागी खगोल विज्ञान और संस्कृति के विशेषज्ञों द्वारा निर्देशित तारा-दर्शन सत्रों, कार्यशालाओं और चर्चाओं में भाग ले सकते हैं।
उत्तराखंड पर्यटन नीति
- निवेश प्रोत्साहन:
- नई पर्यटन नीति का उद्देश्य न्यूनतम परियोजना लागत 5 करोड़ रुपए निर्धारित करके निवेश आकर्षित करना, अज्ञात क्षेत्रों में 50% तक सब्सिडी प्रदान करना तथा हेली पर्यटन और साहसिक गतिविधियों जैसी पहलों के लिये 100% सब्सिडी प्रदान करना है।
- शहरों का वर्गीकरण:
- शहरों को अलग-अलग सब्सिडी दरों के साथ तीन श्रेणियों (A, B और C) में विभाजित किया गया है: श्रेणी A में 25%, श्रेणी B में 35% और श्रेणी C में 50% तक, साथ ही स्टांप शुल्क से छूट भी।
- विविध प्रोत्साहन:
- होटल, साहसिक खेल और पर्यावरण अनुकूल परिवहन विकल्पों सहित विभिन्न पर्यटन उपक्रमों के लिये वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश की जाती है, जिसका उद्देश्य नए रोज़गार के अवसर उत्पन्न करना और धारणीय पर्यटन को बढ़ावा देना है।