मध्य प्रदेश में कोचिंग संस्थानों में सुरक्षा प्रबंधों की जाँच | मध्य प्रदेश | 30 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को राज्य में बेसमेंट में संचालित होने वाले कोचिंग संस्थानों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया।
- दिल्ली में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में जलभराव के कारण UPSC की परीक्षा देने वाले तीन अभ्यर्थियों की मृत्यु हो गई जिसको दृष्टिगत रखते हुए यह आदेश दिया गया।
मुख्य बिंदु
- राज्य के 16 नगर निगमों को अपने क्षेत्र में कोचिंग संस्थानों, छात्रावासों या अन्य आवास सुविधाओं और ऐसे किसी भी प्रतिष्ठान का निरीक्षण करने के निर्देश पहले ही जारी किये जा चुके हैं।
- राज्य सरकार ने नगर निकायों से इस संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
- मध्य प्रदेश के कई शहरों जैसे- भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में UPSC, न्यायिक सेवा तथा JEE एवं NEET सहित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये कई कोचिंग संस्थान हैं।
- राज्य में एक सप्ताह से अधिक समय से भीषण वर्षा हो रही है और विदिशा, रायसेन तथा उज्जैन जैसे कई इलाकों में बाढ़ के आसार हैं।
गांधीनगर अभयारण्य में लाए जाएंगे चीते | मध्य प्रदेश | 30 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मंदसौर ज़िले के गांधी नगर अभयारण्य में जल्द ही चीते लाए जाने की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- मुख्यमंत्री ने विश्व बाघ दिवस के अवसर पर यह घोषणा की।
- 26 जनवरी, 2022 को भारत और दक्षिण अफ्रीका ने चीतों के पुनर्वास की सुविधा के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- यह समझौता ज्ञापन (MoU) भारत में चीता की सुरक्षित संख्या स्थापित करने की भारत की प्राथमिकता सुनिश्चित करता है।
- इस प्रयास से महत्त्वपूर्ण एवं व्यापक संरक्षण की उम्मीद है।
- इसका प्राथमिक लक्ष्य भारत के पर्यावास के भीतर चीता की व्यवहार्य भूमिका को पुनः स्थापित करना और स्थानीय समुदायों की आजीविका तथा आर्थिक स्थिति में सुधार करना।
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य
- अवस्थिति
- वर्ष 1974 में अधिसूचित, यह अभ्यारण्य पश्चिमी मध्य प्रदेश के मंदसौर और नीमच ज़िलों में विस्तृत है, जो राजस्थान की सीमा से लगता है।
- चंबल नदी, अभयारण्य को लगभग दो समान भागों में विभाजित करती है, जिसमें गांधी सागर बाँध अभयारण्य के भीतर स्थित है।
- पारिस्थितिकी तंत्र
- इसके पारिस्थितिकी तंत्र की विशेषता इसके पर्वतीय क्षेत्रों के साथ-साथ उथली मृदा है, जो सवाना पारिस्थितिकी तंत्र को संदर्भित करती है।
- इसमें शुष्क पर्णपाती वृक्षों एवं झाड़ियों से घिरे खुले घास स्थल शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, अभयारण्य के भीतर नदी घाटियाँ सदानीरा हैं।
- चीतों के लिये आदर्श पर्यावास
- केन्या के सुप्रसिद्ध मसाई मारा राष्ट्रीय अभयारण्य से समानता के कारण, जो अपने सवाना वन एवं वन्यजीवन की विविधता के लिये विख्यात है, यह अभयारण्य चीतों के लिये एक उपयुक्त पर्यावास हैं।