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छत्तीसगढ़ में GST ई-वे बिल प्रावधान अनिवार्य
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर 50,000 रुपए से अधिक मूल्य के सभी अंतर्राज्यीय माल परिवहन हेतु ई-वे बिल बनाना अनिवार्य कर दिया है, जिससे कुछ वस्तुओं के लिये पहले दी गई छूट समाप्त हो गई है।
- ई-वे बिल एक अनुपालन प्रणाली है, जिसमें डिजिटल इंटरफेस के माध्यम से माल की आवाजाही करने वाला व्यक्ति माल की आवाजाही शुरू होने से पहले प्रासंगिक जानकारी अपलोड करता है और वस्तु एवं सेवा कर (GST) पोर्टल पर ई-वे बिल तैयार करता है।
मुख्य बिंदु:
- प्रारंभ में, ज़िलों के भीतर विशिष्ट वस्तुओं की आवाजाही को सरल बनाने के लिये अपवाद दिये गए थे, लेकिन अनुपालन में सुधार लाने तथा धोखाधड़ीपूर्ण व्यवहारों में कमी लाने हेतु इन्हें वापस ले लिया गया है।
- नीति में यह बदलाव ई-वे बिल प्रणाली के साथ समायोजन के छह वर्ष बाद आया है, जिसे शुरू में वर्ष 2018 में लागू किया गया था। प्रणाली के अभ्यस्त होने की अवधि ने व्यवसायों और ट्रांसपोर्टरों को इससे परिचित होने का मौका दिया है, जिससे छूट समाप्त हो गई है।
- इन छूटों को समाप्त करने का उद्देश्य सर्कुलर ट्रेडिंग और फर्जी बिलिंग जैसी समस्याओं का समाधान करना है, जो पिछली रियायतों का लाभ उठा रहे हैं।
- इसका लक्ष्य निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना, ITC संग्रह को बढ़ाना और वैध व्यवसायों के लिये समान अवसर उपलब्ध कराना है।
इलेक्ट्रॉनिक वे (ई-वे) बिल
- इलेक्ट्रॉनिक वे बिल या 'ई-वे बिल' प्रणाली GST व्यवस्था में 10 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक 50,000 रुपए से अधिक मूल्य की वस्तु की अंतर्राज्यीय और अंत: राज्यीय आवाजाही को ट्रैक करने के लिये तकनीकी ढाँचा प्रदान करती है।
- जब ई-वे बिल तैयार किया जाता है, तो एक अद्वितीय ई-वे बिल नंबर (EBN) आवंटित किया जाता है तथा यह आपूर्तिकर्त्ता, प्राप्तकर्त्ता और ट्रांसपोर्टर के लिये उपलब्ध होता है।
- इसे निम्नलिखित उद्देश्यों हेतु लॉन्च किया:
- वस्तु की तीव्र आवाजाही को सुगम बनाना।
- वाहनों के टर्नअराउंड समय में सुधार करना।
- यात्रा की औसत दूरी बढ़ाकर और यात्रा के समय के साथ-साथ लागत को कम करके लॉजिस्टिक्स उद्योग की सहायता करना।
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