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भारतीय अर्थव्यवस्था

1 जून से देश के 6 राज्यों में इंट्रा-स्टेट ई-वे बिल लागू

  • 04 Jun 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

जीएसटी परिषद के फैसले के क्रम में वस्तुओं की अंतर-राज्यीय ढ़ुलाई के लिये ई-वे बिल प्रणाली को 1 अप्रैल, 2018 को लागू कर दिया गया। ई-वे बिल, जी.एस.टी. के तहत एक बिल प्रणाली है जो वस्तुओं के हस्तांतरण की स्थिति में जारी की जाती है। इसमें हस्तांतरित की जाने वाली वस्तुओं का विवरण तथा उस पर लगने वाले जी.एस.टी. की पूरी जानकारी होती है। 

  • नियम के अनुसार, ₹50,000 से अधिक मूल्य की वस्तु, जिसका हस्तांतरण 10 किलोमीटर से अधिक दूरी तक किया जाना है, पर इसे आरोपित करना आवश्यक होगा।
  • जनता की सुविधा के लिये लिक्विड पेट्रोलियम, गैस, खाद्य वस्तुओं, गहने इत्यादि 150 उत्पादों को इससे मुक्त रखा गया है।
  • वर्तमान प्रावधानों के अनुसार, इसे फरवरी 2018 तक अंतर-राज्य स्तर (inter-state level) पर तथा जून 2018 तक अंतरा-राज्य स्तर (intra state level) पर लागू करना आवश्यक है।

किन-किन राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लागू?

  • 30 मई, 2018 तक आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में लागू किया जा चुका है।
  • इसके साथ-साथ केंद्रशासित प्रदेशों अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़, दादरा नगर हवेली, दमन एवं दीव, लक्ष्यद्वीप तथा पुद्दुचेरी में राज्यों के भीतर सामान की ढुलाई के लिये इंट्रा-स्टेट ई-वे बिल प्रणाली लागू कर दी गई है।
  • अब ई-वे बिल सफलतापूर्वक तैयार किये जा रहे हैं और 30 मई, 2018 तक 6 करोड़ 30 लाख से ज़्यादा ई-वे बिल जारी हो चुके हैं, जिनमें 2 करोड़ इंट्रा-स्टेट ई-वे बिल भी शामिल हैं।
  • पी.आई.बी. द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार निम्नलिखित राज्यों में इंट्रा-स्टेट ई-वे बिल लागू किये जा रहा हैं- 
क्रम संख्या राज्य लागू होने की तारीख
1. छत्तीसगढ़, गोवा, जम्मू-कश्मीर, मिज़ोरम, ओडिशा और पंजाब 01 जून, 2018
2. तमिलनाडु 02 जून, 2018
3. पश्चिम बंगाल 03 जून, 2018
  • ई-वे बिल प्रणाली को लागू हुए दो महीने हो चुके हैं और फिलहाल यह बिना किसी कठिनाई के सुगमता से काम कर रही है।
  • प्रतिदिन औसतन 12 लाख से ज़्यादा ई-वे बिल जारी हो रहे हैं।

ई-वे बिल प्रणाली की उपयोगिता

  • इससे कर योग्य वस्तु पर निगरानी रखना आसान होगा तथा कर चोरी में कमी आएगी।
  • ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व वैट के तहत भी वस्तुओं के अंतर-राज्य हस्तांतरण पर कर एवं बिल के प्रावधान थे। इस बिल के जारी होने से अंतरा-राज्य स्तर पर भी इसका विस्तार होगा।
  • इससे संपूर्ण भारत में जी.एस.टी. के निर्धारण में एकरूपता आएगी और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
  • सरकार का कर संग्रहण बढ़ेगा और उसका प्रयोग सामाजिक आर्थिक समावेशन में होगा।
  • वस्तुओं की  आवाजाही का रिकॉर्ड रखने से उनके लिये उत्तरदायित्व तय किये जा सकेंगे, इससे अन्य अपराधों में भी कमी आ सकती है।
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