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राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2025
चर्चा में क्यों?
भारत के प्रधानमंत्री ने बिहार के मधुबनी में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस ( 24 अप्रैल 2025 ) के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किये।
मुख्य बिंदु
- मोतीपुर पंचायत
- बिहार की मोतीपुर पंचायत को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है। मुखिया प्रेमा देवी को यह पुरस्कार प्रधानमंत्री द्वारा प्रदान किया।
- इस पुरस्कार के तहत पंचायत को 50 लाख रुपए की राशि भी प्रदान की गई।
- मोतीपुर पंचायत को 'क्लाइमेट एक्शन विशेष पंचायत पुरस्कार' के लिये बिहार से अकेले चुना गया है।
- इस श्रेणी में देशभर से केवल तीन पंचायतों का चयन हुआ है।
- यह पुरस्कार पर्यावरण संरक्षण, हरित विकास और जलवायु अनुकूल योजनाओं में उत्कृष्ट योगदान के लिये प्रदान किया जाता है।
- बिहार की मोतीपुर पंचायत को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है। मुखिया प्रेमा देवी को यह पुरस्कार प्रधानमंत्री द्वारा प्रदान किया।
- राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार के बारे में:
- यह उन शीर्ष प्रदर्शन करने वाली पंचायतों के प्रोत्साहन हेतु है जो सतत् विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण (LSDG) के 9 विषयों के अनुरूप हैं, जिसमें सभी 17 SDG शामिल हैं।
- इसके लिये केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने उन्हें प्रोत्साहित करने के लिये राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार की विशेष श्रेणियाँ स्थापित की हैं।
- जलवायु कार्रवाई विशेष पंचायत पुरस्कार: यह नेट-ज़ीरो उत्सर्जन और नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण करने वाले ग्राम पंचायतों को प्रदान किया जाता है।
- आत्म निर्भर पंचायत विशेष पुरस्कार: यह पंचायतों द्वारा स्वयं के स्रोत राजस्व (OSR) में वृद्धि के माध्यम से आत्मनिर्भरता बढ़ाने वाली शीर्ष 3 ग्राम पंचायतों को दिया जाता है।
- पंचायत क्षमता निर्माण सर्वोत्तम संस्थान पुरस्कार: यह LSDG कार्यान्वयन में PRI का समर्थन करने वाले 3 संस्थानों को प्रदान किया जाता है
- विजेताओं को ट्रॉफी और प्रमाण-पत्र दिये जाते हैं, साथ ही उन्हें नकद पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है।
- प्रथम पुरस्कार विजेता को 1 करोड़ रुपए, द्वितीय स्थान पर रहने वाले को 75 लाख रुपए और तृतीय स्थान पर रहने वाले को 50 लाख रुपए मिलते हैं।
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस:
- 24 अप्रैल को मनाया जाने वाला यह दिवस 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के अधिनियमन का प्रतीक है, जिसके माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं (PRI) को सांविधिक प्रस्थिति प्रदान की गई।
- इसका पहला आयोजन वर्ष 2010 में किया गया था।
पंचायती राज:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में पंचायतों का उल्लेख किया गया है और अनुच्छेद 246 में राज्य विधानमंडल को स्थानीय स्वशासन से संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार दिया गया है।
- स्थानीय स्तर पर लोकतंत्र की स्थापना के लिये 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थान (Panchayati Raj Institution) को संवैधानिक स्थिति प्रदान की गई और उन्हें देश में ग्रामीण विकास का कार्य सौंपा गया।
- पंचायती राज संस्थान भारत में ग्रामीण स्थानीय स्वशासन (Rural Local Self-government) की एक प्रणाली है।
- स्थानीय स्वशासन का अर्थ है स्थानीय लोगों द्वारा निर्वाचित निकायों के माध्यम से स्थानीय मामलों का प्रबंधन।


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बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री पद्म भूषण से सम्मानित
चर्चा में क्यों?
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को सार्वजनिक जीवन में उनके असाधारण योगदान के लिये मरणोपरांत पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह सम्मान प्रदान किया।
मुख्य बिंदु
- सुशील कुमार मोदी का योगदान
- राजकोषीय प्रबंधन और राज्य विकास: बिहार के सबसे लंबे समय तक उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में, उन्होंने बिहार को राजस्व-अधिशेष राज्य में बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उन्हें प्रभावी राजकोषीय प्रबंधन और बेहतर प्रशासन के माध्यम से राज्य के विकास में योगदान के लिये जाना जाता था।
- भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) की शुरूआत में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।
- राज्य वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति (2011-2013) के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंनेGST लागू करने के लिये राज्यों के बीच आम सहमति बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भारत के कर ढाँचे में एक ऐतिहासिक सुधार था।
- राजनीतिक नेतृत्व: राजनीति में तीन दशकों से अधिक समय तक उन्होंने संसद के दोनों सदनों और बिहार विधानसभा में सेवा की।
- उन्होंने कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय संबंधी संसदीय समिति के अध्यक्ष जैसे नेतृत्वकारी भूमिकाएँ भी निभाईं।
- लिंग बजट और महिला कल्याण: बिहार के वित्त मंत्री के रूप में कार्य करते हुए, मोदी ने लिंग बजट की अभिनव अवधारणा पेश की, जिसमें महिलाओं के कल्याण और सशक्तीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया तथा यह सुनिश्चित किया गया कि राज्य की वित्तीय योजना में उनके मुद्दों को शामिल किया जाए।
- अंग दान की वकालत: वे अंग दान के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने बिहार में 'दधीचि देह दान समिति' अभियान की स्थापना की, जिसका उद्देश्य अंग दान के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और लोगों को अपने अंग दान करने के लिये प्रोत्साहित करना था।
- राजकोषीय प्रबंधन और राज्य विकास: बिहार के सबसे लंबे समय तक उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में, उन्होंने बिहार को राजस्व-अधिशेष राज्य में बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पद्म पुरस्कार
- पृष्ठभूमि:
- पद्म पुरस्कारों की घोषणा प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) पर की जाती है।
- वर्ष 1954 में स्थापित यह भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक है।
- उद्देश्य:
- यह उन सभी विषयों/गतिविधियों के क्षेत्रों में उपलब्धियों की पहचान करता है, जिनमें सार्वजनिक सेवा का तत्त्व शामिल हो।
- श्रेणियाँ:
- पद्म भूषण (उच्च क्रम की विशिष्ट सेवा)
- पद्म श्री (प्रतिष्ठित सेवा)
- ये पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिये जाते हैं:
- पद्म विभूषण (असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिये)
- पद्म भूषण और पद्म श्री के बाद पद्म पुरस्कारों के पदानुक्रम में पद्म विभूषण सर्वोच्च है।
- पद्म भूषण (उच्च क्रम की विशिष्ट सेवा)
- क्षेत्र:
- ये पुरस्कार कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार एवं उद्योग, चिकित्सा, साहित्य तथा शिक्षा, खेल, सिविल सेवा आदि जैसे विभिन्न विषयों/गतिविधियों के क्षेत्रों में दिये जाते हैं।
- पात्रता:
- जाति, व्यवसाय, पद या लिंग के भेदभाव के बिना सभी व्यक्ति इन पुरस्कारों के लिये पात्र हैं।
- चयन प्रक्रिया:
- पद्म पुरस्कार समिति:
- ये पुरस्कार ‘पद्म पुरस्कार समिति’ द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर प्रदान किये जाते हैं, जिसका गठन प्रतिवर्ष प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है।
- राष्ट्रपति द्वारा प्रदत:
- ये पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा आमतौर पर प्रतिवर्ष मार्च/अप्रैल के महीने में प्रदान किये जाते हैं।
- पद्म पुरस्कार समिति:

